जांच एजेंसी ने अदालत में कहा है कि अभिनेत्री जैकलिन फर्नांडिस सुकेश चंद्रशेखर के आपराधिक कृत्य से परिचित थीं और लगातार अपने लिए और अपने परिवार के सदस्यों के लिए इसका मजा ले रही थीं।
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Delhi High Court
बटर चिकन-दाल मखनी को किस रेस्तरां ने सबसे पहले किया था तैयार? दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंची लड़ाई
Delhi High Court: आपने बटर चिकन या फिर दाल मखनी का जायका जरूर लिया होगा, लेकिन क्या आपको मालूम है इसका आविष्कार किसने किया था? कौन दोनों डिश को दुनिया के सामने लेकर आया. शायद आपको इसका जवाब नहीं मालूम होगा. हालांकि, जल्द ही ये पता चलने वाला है कि बटर चिकन और दाल मखनी के असली आविष्कारक कौन थे. इसकी वजह ये है कि दिल्ली हाईकोर्ट इन दोनों ही लाजवाब खानों का आविष्कार करने वाले रेस्तरां का पता लगाने वाली है.
दरअसल, मोती महल और दरियागंज रेस्तरां दोनों का ही दावा है कि उन्होंने बटर चिकन एवं दाल मखनी का आविष्कार किया है. इसे लेकर दोनों रेस्तरां के बीच विवाद चल रहा है, जो अब हाईकोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया है. मोती महल के मालिकों ने ‘बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कारक’ टैगलाइन का इस्तेमाल करने को लेकर दरियागंज रेस्तरां के मालिकों पर मुकदमा दायर किया है. दिल्ली हाईकोर्ट अब इस मुकदमे पर सुनवाई कर रही है, ताकि विवाद का निपटारा हो.
29 मई को होगी सुनवाई
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, मोती महल का दावा है कि दरियागंज रेस्तरां लोगों को ये कहकर गुमराह कर रहा है कि दरियागंज रेस्तरां और मोती महल के बीच संबंध हैं. लोग भ्रमित भी हो जा रहे हैं, क्योंकि मोती महल की पहली ब्रांच दिल्ली के दरियागंज इलाके में खोली गई थी.
ये केस 16 जनवरी को जस्टिस संजीव नरूला के समक्ष सुनवाई के लिए आया. उस समय अदालत ने समन जारी किया और दरियागंज रेस्तरां मालिकों को एक महीने में अपना लिखित जवाब दाखिल करने को कहा. जस्टिस नरूला ने नोटिस जारी किया है और 29 मई को इस पर अगली सुनवाई होनी है.
क्या है दोनों रेस्तरां का दावा?
दरअसल, दोनों रेस्तरां दावा करते आए हैं कि उन्होंने बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया है. मोती महल के मालिकों का कहना है कि उनके पूर्वज स्वर्गीय कुंदन लाल गुजराल ने दोनों डिशों का आविष्कार किया और इसे पूरी दुनिया में फैलाया. वहीं, दरियागंज रेस्तरां के मालिकों का कहना है कि उनके पूर्वज स्वर्गीय कुंदन लाल जग्गी वो पहले शख्स थे, जो बटर चिकन और दाल मखनी का आइडिया लेकर आए और उन्होंने इन डिशों को तैयार किया.
अपने मुकदमे में, मोती महल ने दावा किया है कि यह उनके पूर्वज कुंदन लाल गुजराल ने पहला तंदूरी चिकन बनाया और बाद में बटर चिकन और दाल मखनी का भी आविष्कार किया. भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद वह इस डिश की रेसिपी के साथ दिल्ली चले आए. वहीं, दरियागंज रेस्तरां ने अभी तक अपना जवाब नहीं दिया है. मगर उसके वकील ने मुकदमे को निराधार बताया है.
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‘पहले एक-एक जज से बिना शर्त मांगो माफी तब…’, सुप्रीम कोर्ट का अदालत की अवमानना मामले में वकील
Supreme Court News: दिल्ली हाई कोर्ट और जिला अदालतों के जजों पर गलत आरोप लगाने के मामले में 6 महीने की जेल काट रहे वकील की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 जनवरी) को सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकील उन सभी जजों से एक-एक कर बिना शर्त माफी मांगे जिन पर उसने आरोप लगाए थे.
चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की. इस पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि उसने आरोपी को अवमाननापूर्ण आरोपों के लिए माफी मांगने का मौका दिया था, लेकिन वकील ने नकारात्मक जवाब दिया और कहा कि उसने जो भी आरोप लगाए हैं, उन पर कायम है. इस पर वकील का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता बिना शर्त माफी मांगने के लिए तैयार है.
16 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
इसके बाद पीठ ने कहा, “हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता, यदि इच्छुक है तो उसे हाई कोर्ट और जिला कोर्ट के उन सभी न्यायाधीशों के सामने हलफनामे पर बिना शर्त माफी मांगनी होगी, जिनके खिलाफ उसने आरोप लगाए थे.”
पीठ ने आगे कहा, “पुलिस अधिकारी याचिकाकर्ता को हर उस न्यायाधीश के सामने व्यक्तिगत रूप से पेश करने की व्यवस्था करेंगे, जिनके समक्ष माफी दायर की जानी है.” इस याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 16 जनवरी की तारीख तय की गई है.
9 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाई थी सजा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 9 जनवरी को एक वकील को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था और 2,000 रुपये का जुर्माना लगाने के अलावा छह महीने जेल की सजा सुनाई थी. अदालत ने तब अपने आदेश में कहा था वकील को हिरासत में लिया जाए और तिहाड़ जेल के अधीक्षक को सौंप दिया जाए. वकील ने कई न्यायाधीशों पर मनमाने ढंग से या पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्य करने का आरोप लगाया था. वकील ने अपनी याचिका में जजों का नाम भी लिया था.
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क्या टूटेगी लुटियंस में बनी सुनहरी मस्जिद? NDMC ने चिपकाया है नोटिस, जानें इसका इतिहास
Sunehri Bagh Masjid: लुटियंस दिल्ली के हाईप्रोफाइल सिक्योरिटी वाले इलाके में बनी सुनहरी मस्जिद को हटाया जा सकता है. नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने इसको लेकर जनता के सुझाव मांगे हैं. वायु सेना भवन और उद्योग भवन चौराहे के बीच में बनी इस मस्जिद को हटाने को लेकर चर्चा की जा रही है.
दिल्ली के जानकारों का कहना है कि इस मस्जिद को ब्रिटिश राज के समय बनाया गया था. एनडीएमसी के इस नोटिस के बाद से मुस्लिम संगठन एक्टिव हो गये हैं. मुस्लिम मौलवियों के संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी ने ट्वीट करके कहा, ‘हम सुनहरी बाग मस्जिद के लिए हर कानूनी लड़ाई लड़ेंगे, मस्जिद को ध्वस्त करना एक साजिश है, बाबरी मस्जिद फैसले के बाद सांप्रदायिक ताकतों की हिम्मत बढ़ गई है, हम मस्जिद की सुरक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे, प्रशासन को गैरकानूनी गतिविधियों से बचना चाहिए’.
अपनी नोटिस में क्या बोला था एनडीएमसी?
एनडीएमसी का नोटिस दिल्ली उच्च न्यायालय की उस याचिका को रद्द करने के बाद आया है. एनडीएमसी ने अपनी नोटिस में कहा है कि ट्रैफिक को स्मूथ रूप से चलाने के लिए इंजीनियरिंग विभाग की तरफ से एक नोटिस आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि यहां से मस्जिद को हटाना ट्रैफिक की दृष्टि से काफी मुफीद रहेगा. कानून के मुताबिक जनता की आपत्तियां और सुझाव 1 जनवरी 2024 तक स्वीकार किए जाएंगे.
क्या है मस्जिद का पुराना इतिहास?
1912 के नक्शे में मस्जिद को हकीम जी का बाग के रूप में दिखाया गया है. इसी बाग को सुनहरी बाग भी कहा जाता है. दिल्ली की एक संस्था का इस मस्जिद को बचाने को लेकर तर्क है कि ये मस्जिद अभी तक इस्तेमाल में हैं. उनका कहना है कि यह मस्जिद मुगलकालीन शासन और संस्कृति को दर्शाती है और यह ऐतिहासिक है.
साथ ही उनका यह भी कहना है कि इस मस्जिद का रहना इस लिए भी अहम है कि जब लुटियंस बन रहा था तो इसकी ऐतिहासिकता को ध्यान में रखते हुए इसको इसकी जगह से नहीं हटाया गया था.
क्या कह रहे हैं आर्किटेक्चर?
ट्रैफिक व्यवस्था को ध्यान में रखने वाले आर्किटेक्चर का कहना है कि जिस समय नई दिल्ली बन रही थी तब वहां पर ट्रैफिक न के बराबर था लिहाजा मस्जिद को नहीं छेड़ा गया लेकिन उस घटना के 100 सालों बाद स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है. यहां अब ट्रैफिक बहुत है. जहां पर यह मस्जिद बनी है वहां ट्रैफिक और आस-पास के वातावरण को ध्यान में रखते हुए इसको हटाना बेहद जरूरी है.
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‘पोस्ट को हटाएं और निर्देश का पालन करें’, राहुल ने ऐसा क्या किया कि कोर्ट को कहनी पड़ी ये बात?
Rahul Gandhi: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (21 दिसंबर) को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी एक सोशल मीडिया पोस्ट हटाने को कहा. इस पोस्ट में दुष्कर्म और हत्या का शिकार बनी एक दलित लड़की की पहचान का खुलासा किया गया था. इस बच्ची की हत्या 2021 में कर दी गई थी. अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल से कहा कि वह अपने इस पोस्ट को तुरंत डिलीट करें या हटाएं, ताकि दुनियाभर में बच्ची की पहचान सुरक्षित रह सके.
दरअसल, सोशल मीडिया प्लटेफॉर्म एक्स पर किए गए एक ट्वीट में उन्होंने 9 साल की एक दलित बच्ची के पैरेंट्स की तस्वीर पोस्ट की. इस लड़की की मौत 1 अगस्त, 2021 को संदिग्ध परिस्थितियों में हो गई थी. पैरेंट्स का आरोप था कि बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी हत्या की गई है. दक्षिण पश्चिम दिल्ली के ओल्ड नंगल गांव में एक श्मशान घाट के पुरोहित ने इस घिनौनी हरकत को अंजाम दिया और फिर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था.
सस्पेंड हो गया था राहुल का अकाउंट
राहुल गांधी के जरिए किए गए इस पोस्ट की वजह से उनके सोशल मीडिया अकाउंट को कुछ समय के लिए सस्पेंड भी कर दिया गया था. हालांकि, कुछ वक्त बाद अकाउंट फिर से रिस्टोर हो गया. एक्स ने राहुल गांधी की इस पोस्ट को भारत में ब्लॉक कर दिया, मगर दुनिया के बाकी हिस्सों से इसे एक्सेस किया जा सकता है. यही वजह है कि राहुल से कहा गया है कि वे अपनी इस पोस्ट को हटा लें, क्योंकि उनके ऐसा नहीं करने से दुनिया में पीड़िता की पहचान उजागर हो रही है.
अदालत ने क्या कहा?
कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा कि इस पोस्ट को एक्स ने भले ही अपनी साइट से हटा दिया है. मगर भारत के बाहर ये अब भी उपलब्ध है. इसलिए राहुल के वकील से इसे हटाने को कहा गया. अदालत ने कहा, ‘अगर हमें पीड़िता की पहचान उजागर करने से रोकना है, जो कि जरूरी है तो दुनिया भर में इसे हटाया जाए.’
राहुल गांधी की तरफ से वकील तरन्नुम चीमा अदालत में पेश हुईं. अदालत ने वकील से कहा, ‘आप इसे हटाते क्यों नहीं हैं? कृपया पोस्ट हटा लें क्योंकि दुनिया भर से इसे हटाया जाना चाहिए. कृपया निर्देश का पालन करें, अन्यथा इसे दुनियाभर में मीडिया सार्वजनिक कर देगा. ऐसा नहीं किया जा सकता. कृपया इसे हटाएं.’
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