Ram Mandir Inauguration: राम मंदिर में मूर्तियों को कौन कौन से आभूषण पहनाए गए? सोने के दरवाजे सहित क्या-क्या है बेहद महंगा
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अयोध्या समाचार
‘मुझे विश्वास है कि यह ऐतिहासिक क्षण…’, राम मंदिर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पत्र लिख दीं शुभकामनाएं तो क्या बोले पीएम मोदी?
Ram Mandir Pran Pratishtha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से भेजे के गए एक पत्र का जवाब देते हुए कहा है कि यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय विरासत और संस्कृति को और समृद्ध करने के साथ ही देश की विकास यात्रा को नए उत्कर्ष पर ले जाएगा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुभकामनाएं देते हुए पत्र लिखा. पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक X हैंडल से राष्ट्रपति की ओर से भेगे पत्र को शेयर किया है. इसी के साथ पीएम मोदी ने लिखा, ”माननीय राष्ट्रपति जी, अयोध्या धाम में राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर शुभकामनाओं के लिए आपका बहुत-बहुत आभार. मुझे विश्वास है कि यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय विरासत एवं संस्कृति को और समृद्ध करने के साथ ही हमारी विकास यात्रा को नए उत्कर्ष पर ले जाएगा.”
माननीय @rashtrapatibhvn जी,
अयोध्या धाम में राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर शुभकामनाओं के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। मुझे विश्वास है कि यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय विरासत एवं संस्कृति को और समृद्ध करने के साथ ही हमारी विकास यात्रा को नए उत्कर्ष पर ले जाएगा। https://t.co/GdPmx6cluS
— Narendra Modi (@narendramodi) January 21, 2024
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पत्र में ये लिखा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में कहा, ”अयोध्या धाम में नए मंदिर में प्रभु श्रीराम की जन्म स्थली पर स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आप विधिवत तपश्चर्या कर रहे हैं. इस अवसर पर मेरा ध्यान इस महत्वपूर्ण तथ्य पर है कि उस पावन परिसर में आपके द्वारा संपन्न की जाने वाली अर्चना से हमारी अद्वितीय सभ्यतागत यात्रा का एक ऐतिहासिक चरण पूरा होगा.”
राष्ट्रपति ने लिखा, ”आपके द्वारा किया गया 11 दिवसीय कठिन अनुष्ठान पवित्र धार्मिक पद्धतियों का अनुसरण मात्र नहीं है, बल्कि त्याग की भावना से प्रेरित सर्वोच्च आध्यात्मिक कृत्य है तथा प्रभु श्रीराम के प्रति संपूर्ण समर्पण का आदर्श है. आपकी अयोध्या धाम की यात्रा के इस पावन अवसर पर मैं आपको अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं. अयोध्याधाम में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के उद्घाटन से जुड़े देशव्यापी उत्सवों के वातावरण में भारत की चिरंतन आत्मा की उन्मुक्त अभिव्यक्ति दिखाई देती है. यह हम सभी का सौभाग्य है कि हम सब अपने राष्ट्र के पुनरुत्थान के एक नए कालचक्र के शुभारंभ के साक्षी बन रहे हैं.”
उन्होंने लिखा, ”प्रभु श्रीराम द्वारा साहस, करुणा और अटूट कर्तव्यनिष्ठा जैसे जिन सार्वभौमिक मूल्यों की प्रतिष्ठा की गई थी उन्हें इस मंदिर के माध्यम से जन जन तक पहुंचाया जा सकेगा.”
‘प्रभु श्रीराम हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के सर्वोत्तम आयामों के प्रतीक’
राष्ट्रपति मुर्मू ने पत्र में लिखा, ”प्रभु श्रीराम हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के सर्वोत्तम आयामों के प्रतीक हैं. वे बुराई के विरुद्ध निरंतर युद्धरत अच्छाई का आदर्श प्रस्तुत करते हैं. हमारे राष्ट्रीय इतिहास के अनेक अध्याय प्रभु श्रीराम के जीवन चरित्र और सिद्धांतों से प्रभावित रहे हैं तथा रामकथा के आदर्शों से राष्ट्र निर्माताओं को प्रेरणा मिली है. गांधी जी ने बचपन से ही राम नाम का आश्रय लिया और उनकी अंतिम सांस तक राम नाम उनकी जिव्हा पर रहा. गांधीजी ने कहा था कि यद्यपि मेरी बुद्धि और हृदय ने बहुत पहले ही ईश्वर के सर्वोच्च गुण और नाम को सत्य के रूप में अनुभव कर लिया था, मैं सत्य को राम के नाम से ही पहचान ता हूं. मेरी अग्निपरीक्षा के सबसे कठिन दौर में राम का नाम ही मेरा रक्षक रहा है और अब भी वह नाम ही मेरी रक्षा कर रहा है.”
उन्होंने लिखा, ”लोगों की सामाजिक पृष्ठभूमि से प्रभावित हुए बिना भेदभाव से मुक्त रहकर हर किसी के साथ प्रेम और सम्मान का व्यवहार करने के प्रभु श्रीराम के आदर्शों का हमारे पथ प्रदर्शक विचारकों की बौद्धिक चेतना पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है.”
दिखाई देता है प्रभु श्रीराम की रीति का प्रभाव- राष्ट्रपति मुर्मू
राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे लिखा, ”न्याय और जन कल्याण पर केंद्रित प्रभु श्रीराम की रीति का प्रभाव हमारे देश के शासन संबंधी वर्तमान दृष्टिकोण पर भी दिखाई देता है. इसका उदाहरण हाल ही में आपके द्वारा अति पिछड़े जन-जातीय समुदायों के कल्याण हेतु ‘पीएम जनमन’ पहल के तहत अनेक लाभकारी सहायताओं की पहली किस्त जारी करने में स्पष्ट दिखाई दिया. आपके द्वारा अपने संबोधन में माता शबरी का उल्लेख करने से एक हृदयस्पर्शी अनुभूति हुई. निश्चय ही प्रभु श्रीराम के मंदिर के साथ-साथ जन कल्याण कार्यो को देखकर माता शबरी को दोहरा संतोष प्राप्त होगा.”
उन्होंने लिखा, ”प्रभु श्रीराम हमारी भारत-भूमि के सर्वोत्तम आयामों का प्रतीक हैं. वस्तुतः वे पूरी मानवता के सर्वोत्कृष्ट पक्षों के प्रतीक हैं. मेरी प्रार्थना है कि प्रभु श्रीराम विश्व-समुदाय को सही मार्ग पर ले जाएं, वे सभी के जीवन में सुख और शांति का संचार करें. सियावर रामचन्द्र की जय!”
राम मंदिर में ले जाई गई रामलला की मूर्ति, जानें गर्भगृह में कब रखी जाएगी?
Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या के राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी नजदीक है. प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर अनुष्ठान शुरू किए जा चुके हैं. बुधवार (17 जनवरी) को इन अनुष्ठानों के दूसरे दिन रामलला की मूर्ति को मंदिर परिसर में ले जाया गया.
रामलला की मूर्ति को विवेक सृष्टि ट्रस्ट से एक ट्रक के जरिए राम मंदिर ले जाया गया. मूर्ति को मंदिर परिसर में अंदर ले जाने के लिए क्रेन का इस्तेमाल किया गया. सूत्रों के मुताबिक, मूर्ति को गुरुवार (18 जनवरी) गर्भगृह में रखे जाने की उम्मीद है. अभी मूर्ति को मंदिर में गर्भ गृह की चौखट पर पहुंचाया गया है.
VIDEO | Ram Lalla’s idol being taken inside the Ram Mandir complex in Ayodhya using a crane. The idol will be kept in the temple’s sanctum sanctorum. pic.twitter.com/S2kbRngN8N
— Press Trust of India (@PTI_News) January 17, 2024
इससे पहले भगवान रामलला की मूर्ति ले जा रहा ट्रक रास्ते में जहां-जहां से गुजरा, वहां लोगों ने श्रीराम के जयकारे लगाए. मू्र्ति को ले जाते वक्त कई सुरक्षा का इंतजाम किया गया था. अब 22 जनवरी को मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी.
VIDEO | Truck carrying Ram Lalla’s idol passes through Lata Mangeshkar Chowk in Ayodhya. It is being taken to the sanctum sanctorum of the Ram Mandir. pic.twitter.com/TYqg8GJPMD
— Press Trust of India (@PTI_News) January 17, 2024
राम राज्य फिर वापस आएगा- संत
विवेक सृष्टि ट्रस्ट से रामलला की मूर्ति को अयोध्या में राम मंदिर में ले जाए जाने के दौरान एक संत ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, “बहुत खुश हैं हम. जो हमारा सपना था वो अभी आज पूरा हो गया. अभी फिर राम राज्य आएगा. जो भी पहले था वो सब कलयुग का निकल जाएगा, फिर अभी सच्चा (युग) आएगा… राम राज्य फिर वापस आएगा.”
इससे पहले दिन में रामलला की चांदी की बनी एक प्रतीकात्मक मूर्ति को मंदिर का परिक्रमा कराया गया. राम मंदिर के निर्माण के लिए जिम्मेदार ट्रस्ट श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुताबिक, सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न होगा. प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कार 16 जनवरी से 21 जनवरी तक चलेंगे.
मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को दोपहर 12.20 बजे शुरू होगा. उन्होंने बताया कि इसके एक बजे तक संपन्न होने की संभावना है.
(अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले श्री हनुमान महा यज्ञशाला में श्रद्धालु)
मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तराशी है रामलला की मूर्ति
बता दें कि कर्नाटक में मैसुरु के रहने वाले प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने रामलला की मूर्ति बनाई है. राम मंदिर ट्रस्ट ने योगीराज की ओर से बनाई मूर्ति को स्थापना के लिए चुना है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अरुण योगीराज की पत्नी विजेयता ने बताया कि मूर्ति बनाते समय योगीराज की आंख में चोट भी लग गई थी. एक पत्थर की नुकीली परत उनकी आंख में चुभ गई थी और उसे ऑपरेशन के जरिए निकाला गया था. उन्होंने कहा कि दर्द के दौरान भी उनके पति नहीं, कई रात सोए नहीं और रामलला की मूर्ति बनाने में तल्लीन रहे. परिवार ने योगीराज के हाथों बनी मूर्ति को चुने जाने पर खुशी जताई है और आभार व्यक्त किया है.
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अयोध्या में रामलला की प्रतीकात्मक मूर्ति को कराया गया मंदिर भ्रमण, जानें क्यों किया गया ऐसा?
Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुरू हुए अनुष्ठान के दूसरे दिन (17 जनवरी) को भगवान की प्रतिकात्मक मूर्ति को मंदिर की परिक्रमा कराई गई. रामलला की जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है वो अभी मंदिर परिसर में नहीं पहुंची है और वह बड़ी और भारी है, इसलिए उसके साथ परिक्रमा करना संभव नहीं था, इसलिए रामलला की चांदी से बनी एक प्रतीकात्मक मूर्ति के जरिए पूजा विधि पूरी की जा रही है और बुधवार को उसका प्रतीकात्मक भ्रमण कराया गया.
मंदिर का निर्माण करा रहे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से मंगलवार को जानकारी दी गई थी कि बुधवार (17 जनवरी) को अपराह्न 1:20 के बाद जलयात्रा, तीर्थपूजन, ब्राह्मण-बटुक- कुमारी -सुवासिनी पूजन, वर्धिनीपूजन, कलशयात्रा और भगवान श्री रामलला की मूर्ति का प्रासाद परिसर में भ्रमण होगा.
इस बीच यह भी खबर है कि रामलला की मूर्ति को विवेक सृष्टि ट्रस्ट से एक ट्रक में रखकर राम मंदिर ले जाया जा रहा है.
सरयू तट पर कलश पूजन भी किया गया
अनुष्ठानों के तहत दूसरे दिन सरयू नदी के तट पर ‘कलश पूजन’ भी किया गया. तट पर मुख्य यजमान भी मौजूद रहे. इससे पहले मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा था कि ये अनुष्ठान 21 जनवरी तक जारी रहेंगे और समारोह के दिन रामलला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े न्यूनतम जरूरी अनुष्ठानों को किया जाएगा.
पीएम मोदी होंगे विशेष अनुष्ठान में शामिल
राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के विशेष अनुष्ठान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य लोग शामिल रहेंगे. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अंत में पीएम मोदी भाषण देंगे, कार्यक्रम में 8,000 मेहमानों के शामिल होने की उम्मीद है, लेकिन उनमें से कुछ ही लोगों को मंदिर के गर्भगृह में जाने की अनुमति होगी.
121 आचार्य अयोध्या में इन अनुष्ठानों का संचालन कर रहे हैं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ अनुष्ठान की सभी कार्यवाही की देखरेख, समन्वय और निर्देशन कर रहे हैं. प्रधान आचार्य काशी के लक्ष्मीकांत दीक्षित होंगे.
मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को दोपहर 12.20 बजे शुरू होगा और इसके दोपहर एक बजे तक संपन्न होने की संभावना है.
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‘नेहरू भी नहीं गए थे’, बीजेपी ने राम मंदिर पर कांग्रेस के फैसले को लेकर घेरा
Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठान समारोह में शामिल होने से इनकार करने पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है. बीजेपी ने गुरुवार (11 जनवरी) को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण के चलते प्राण प्रतिष्ठान समारोह का निमंत्रण स्वीकार नहीं किया.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू की कांग्रेस हिंदू धर्म के खिलाफ है और तुष्टिकरण के लिए वह हिंदू मान्यताओं का विरोध कर रही है. पिछले 2-4 दशकों में जब भी राम मंदिर का मुद्दा उठाया गया है, उन्होंने (कांग्रेस) हमेशा इसका विरोध किया है.
उन्होंने कहा, “मैं उनके फैसले से जरा भी हैरान नहीं हूं. कांग्रेस ने भगवान राम को काल्पनिक बताया था और राम सेतु पर भी सवाल उठाया. वर्तमान कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण की चरम सीमा पर पहुंच गई है.”
‘नेहरू नहीं गए थे सोमनाथ’
वहीं, बीजेपी नेता सीटी रवि ने दावा किया कि भारत के पहले प्रधानमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता जवाहरलाल नेहरू ने गुजरात के प्राचीन सोमनाथ मंदिर में जाने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा, “कांग्रेस हमेशा हिंदुत्व के खिलाफ रही है. जब सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबू राजेंद्र प्रसाद और केएम मुंशी ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया था, तो उस समय नेहरू प्रधानमंत्री थे. उस समय नेहरू ने भी सोमनाथ मंदिर का दौरा नहीं किया था तो वर्तमान नेतृत्व कैसे अयोध्या जा सकता है.
‘यह नेहरू की कांग्रेस है’
इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने दावा किया “यह नेहरू की कांग्रेस है, यह गांधी की कांग्रेस नहीं है. महात्मा गांधी ‘रघुपति राघव राजा राम’ गाते थे और आज कांग्रेस ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं हो रही है. इससे पता चलता है कि कांग्रेस हिंदू धर्म और हिंदुत्व के खिलाफ है.”
कांग्रेस नेताओं को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण
बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए मंदिर समिति ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी को आमंत्रित किया था. हालांकि, उन्होंने इस भव्य कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया और कहा कि बीजेपी और आरएसएस इस समारोह से चुनावी लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं.