कर्नाटक की राजनीति में लिंगायत समुदाय का वोट अहम रहा है। किसी भी चुनाव में लिंगायत समुदाय की भूमिका निर्णायक रही है और माना जाता है कि इनका समर्थन भाजपा को ही मिलता रहा है। लेकिन इस चीजें अलग हैं।
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प्रल्हाद जोशी
‘नेहरू भी नहीं गए थे’, बीजेपी ने राम मंदिर पर कांग्रेस के फैसले को लेकर घेरा
Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठान समारोह में शामिल होने से इनकार करने पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है. बीजेपी ने गुरुवार (11 जनवरी) को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण के चलते प्राण प्रतिष्ठान समारोह का निमंत्रण स्वीकार नहीं किया.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू की कांग्रेस हिंदू धर्म के खिलाफ है और तुष्टिकरण के लिए वह हिंदू मान्यताओं का विरोध कर रही है. पिछले 2-4 दशकों में जब भी राम मंदिर का मुद्दा उठाया गया है, उन्होंने (कांग्रेस) हमेशा इसका विरोध किया है.
उन्होंने कहा, “मैं उनके फैसले से जरा भी हैरान नहीं हूं. कांग्रेस ने भगवान राम को काल्पनिक बताया था और राम सेतु पर भी सवाल उठाया. वर्तमान कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण की चरम सीमा पर पहुंच गई है.”
‘नेहरू नहीं गए थे सोमनाथ’
वहीं, बीजेपी नेता सीटी रवि ने दावा किया कि भारत के पहले प्रधानमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता जवाहरलाल नेहरू ने गुजरात के प्राचीन सोमनाथ मंदिर में जाने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा, “कांग्रेस हमेशा हिंदुत्व के खिलाफ रही है. जब सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबू राजेंद्र प्रसाद और केएम मुंशी ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया था, तो उस समय नेहरू प्रधानमंत्री थे. उस समय नेहरू ने भी सोमनाथ मंदिर का दौरा नहीं किया था तो वर्तमान नेतृत्व कैसे अयोध्या जा सकता है.
‘यह नेहरू की कांग्रेस है’
इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने दावा किया “यह नेहरू की कांग्रेस है, यह गांधी की कांग्रेस नहीं है. महात्मा गांधी ‘रघुपति राघव राजा राम’ गाते थे और आज कांग्रेस ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं हो रही है. इससे पता चलता है कि कांग्रेस हिंदू धर्म और हिंदुत्व के खिलाफ है.”
कांग्रेस नेताओं को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण
बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए मंदिर समिति ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी को आमंत्रित किया था. हालांकि, उन्होंने इस भव्य कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया और कहा कि बीजेपी और आरएसएस इस समारोह से चुनावी लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं.
संसद के विशेष सत्र को लेकर क्या-क्या अटकलें हैं? विपक्षी नेताओं ने भी जताई है ये आशंका
Parliament Special Session: केंद्र सरकार की ओर से संसद का विशेष सत्र बुलाने के फैसले के बाद सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलें तेज हो गई हैं. गुरुवार (31 अगस्त) को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि ये स्पेशल सेशन 18 से 22 सितंबर तक चलेगा और इसमें पांच बैठकें होंगी.
सूत्रों के मुताबिक, नए संसद भवन में होने वाले इस सत्र में 10 से ज्यादा बिल पेश किए जा सकते हैं. इस सत्र में अमृतकाल के जश्न पर चर्चा हो सकती है. संसदीय कार्य मंत्री ने भी अपनी पोस्ट में इस ओर इशारा किया है. उन्होंने लिखा है कि अमृतकाल के बीच संसद में सार्थक चर्चा और बहस का इंतजार कर रहा हूं.
अधीर रंजन चौधरी ने क्या कहा?
विशेष सत्र बुलाने पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा, “ऐसी क्या इमरजेंसी पैदा हो गई कि ये सत्र बुलाना पड़ा. पता नहीं सरकार की क्या मंशा है. शायद पीएम मोदी नए भवन पूजा पाठ करना चाहते हैं. हमें कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है. सरकार मनमर्जी से संसद चला रही है.”
ये बिल हैं अहम
स्पेशल सेशन बुलाने पर चर्चाओं का बाजार गर्म है. यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) और महिला आरक्षण से जुड़ा बिल अहम माना जा रहा है. इन सबके बीच अनुच्छेद 370 पर सुनवाई चल रही है.
जम्मू-कश्मीर में चुनाव के लिए तैयार है सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिलेगा. इसपर केंद्र सरकार ने आज कहा है कि इसपर फैसला होगा. साथ ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव को लेकर कहा है कि हम चुनाव के लिए तैयार हैं.
विपक्षी नेताओं ने जताई ये आशंका
ऐसे समय में संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है जब पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इसके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन समेत कई विपक्षी नेता समय से पहले लोकसभा चुनाव होने की आशंका जता चुके हैं.
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