Ram Mandir Inauguration: राम मंदिर में मूर्तियों को कौन कौन से आभूषण पहनाए गए? सोने के दरवाजे सहित क्या-क्या है बेहद महंगा
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राम मंदिर फोटो
जब पैदा हुए रामलला, तब अयोध्या में कैसा था माहौल? जानिए रामचरितमानस में क्या है वर्णन
Ram Lalla Birth Story: अयोध्या में आज यानी सोमवार (22 जनवरी) को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है. इसको लेकर सारी तैयारियां पहले ही कर दी गई है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य पूजा में भाग लेंगे. इसके अलावा उनके साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी होंगे. राम मंदिर तीन मंजिला है और इसका निर्माण नागर शैली में किया गया है.
इस अवसर पर आइए तुलसीदास के जरिए अवधी भाषा में लिखी गई रामचरितमानस का हिंदी अनुवाद जानते हैं. इसमें भगवान श्री राम के जन्म से लेकर विजय होने तक की कहानी दी गई है. इसमें सबसे पहली कहानी है प्रभु श्री राम के जन्म से जुड़ी हुई.
गुरू वशिष्ठ के पास दुखी मन से गए राजा दशरथ
अवधपुरी में रघुकुल शिरोमणि राजा दशरथ का नाम वेदों में विख्यात है. भगवान राम के पिता राजा दशरथ धर्म और गुणों के भण्डार व ज्ञानी थे. उनकी पत्नी कौशल्या आदि प्रिय रानियां सभी पवित्र आचरणवाली थीं. हालांकि, राजा दशरथ का एक भी पुत्र नहीं था. इससे वे काफी दुखी रहते थे. इस बात को मन में लेकर वो अपने गुरू वशिष्ठ जी के पास गए. वहां उन्होंने अपने मन में चल रही बातों को बताया. इस पर गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को समझाया कि हिम्मत रखो राजन्, तुम्हारे चार पुत्र होंगे. जो तीनों लोकों में प्रसिद्ध और भक्तों के भय को हरने वाले होंगे, तब वशिष्ठ जी ने शृङ्गी ऋषि को बुलवाया और उनसे शुभ पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराया.
गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को खीर दी. साथ में उन्होंने कहा कि इस खीर को अपने मन के मुताबिक हर रानी को खिला देना. इस तरह से उन्होंने आधा खीर कौशल्या को दिया. फिर बचे हुए आधे भाग को कैकेयी को दिया. उसके बाद बचे हुए आधे भाग में से सुमित्रा को दिया. इसके लिए उन्होंने बचे हुए खीर के आखिरी भाग पर कौशल्या और कैकेयी के हाथ पर रखकर सुमित्रा दिया. इसके बाद उन्हें सुख की प्राप्ति हुई.
प्रभु श्री राम के जन्म के वक्त उत्सव का माहौल
गुरु वशिष्ठ के तरफ से दिए गए खीर को खाने के बाद श्री हरि गर्भ में आए. इसके बाद सब चारों लोक में सुख और समृद्धि छा गई. इसके बाद खुशी से भरा पल आ गया. धीरे-धीरे वक्त गुजरता गया और आखिर में एक पल आया, जब प्रभु श्री राम को प्रकट पैदा होना था. योग, लगन, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गए. जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गए क्योंकि श्रीराम का जन्म सुख का मूल है.
प्रभु श्री राम का जन्म ऐसे वक्त हुआ, जब न अधिक गर्मी थी और न ही सर्दी. वो महीना था चैत का. नवमी तिथि को शुक्ल पक्ष वो दिन था, जब उनका जन्म हुआ. ये वक्त भगवान श्री राम के जन्म लेने का सबसे अनुकूल समय था. उनके पैदा होने की खबर सुनकर सारे देवतागण खुश थे. निर्मल आकाश देवताओं के समूहों से भर गया. गन्धर्वों के दल गुणों का गान करने लगे और सुंदर हाथों में सजा-सजाकर पुष्प बरसाने लगे. बादलों में नगाड़े बजने लगे.
श्री राम जन्म स्तुति
राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या जी के गर्भ से प्रभु श्री राम का जन्म हुआ. जन्म के बाद माता कौशल्या काफी खुश हुई. प्रभु श्री राम का शरीर मेघ के समान श्याम था. बड़ी-बड़ी आंखें थीं.
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी।
हर्षित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ।।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी।।
इसका मतलब है कि भगवान के अद्भुत रूप का विचार कर माता कौशल्या हर्ष से भर गई. भगवान ने अपनी भुजाओं को आयुध बनाया. भगवान के शरीर का रंग घनश्याम है. भगवान के नेत्र बड़े-बड़े हैं. भगवान ने भूषणों की माला पहनी हुई है. भगवान सोभासिंधु खरारी हैं.
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राम मंदिर के लिए चुन ली गई है मूर्ति? ट्रस्ट ने दावों पर साफ किया अपना रुख
Ayodhya Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इसके लिए पिछले कुछ महीनों में रामलला की 3 प्रतिमाएं तराशी गई हैं. इनमें से किस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा मंदिर में की जाएगी, इसको लेकर राम मंदिर ट्रस्ट ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है. इस बात की जानकारी ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने मंगलवार (2 जनवरी) को दी.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने सोमवार (1 जनवरी) को राज्य के मूर्तिकार अरुण योगीराज को बधाई देते हुए कहा था कि उनकी बनाई प्रतिमा को अयोध्या के नये मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है. हालांकि, मंदिर निर्माण करा रहे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपने फैसले की घोषणा नहीं की है.
ट्रस्ट पदाधिकारियों ने कहा कि ट्रस्ट की तरफ से इस संबंध में निर्णय शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती और अन्य संतों के परामर्श से लिया जाएगा.
‘मंदिर निर्माण का पहला चरण पूरा’
ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने को बताया, ”ट्रस्ट का जो भी निर्णय होगा, उसे उचित समय पर सार्वजनिक किया जाएगा.” चयनित प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा और 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एक समारोह में उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. मंदिर के निर्माण का पहला चरण अब पूरा हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने किया अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद का निपटारा
वर्ष 1949 से, श्रद्धालु रामलला की प्रतिमा वाले अस्थायी मंदिर में पूजा-अर्चना करते रहे हैं. इस मंदिर को भी मंदिर निर्माण के लिए स्थानांतरित कर दिया गया था, जो 2019 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद शुरू हुआ. शीर्ष अदालत ने अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद का निपटारा किया था.
उत्सवों के लिए परिसर में रखी जाएंगी पुरानी प्रतिमा
ट्रस्ट के पदाधिकारियों का कहना है कि पुरानी प्रतिमा को उत्सवों के लिए परिसर में रखा जाएगा. तीन मूर्तिकारों ने अलग-अलग पत्थरों से भगवान की प्रतिमाएं तराशी हैं. उनमें से दो के लिए पत्थर कर्नाटक से आया था और तीसरी प्रतिमा राजस्थान से लाई गई चट्टान से बनाई जा रही थी. इन प्रतिमाओं को जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय और कर्नाटक के गणेश भट्ट और अरुण योगीराज ने तराशा है.
ट्रस्ट के प्राधिकारियों के मुताबिक, गर्भगृह के लिए प्रतिमा का चयन करते समय उसकी चमक लंबे समय तक टिके रहने जैसे पहलुओं पर एक तकनीकी रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा जाएगा.
येदियुरप्पा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपनी प्रसन्नता साझा करते हुए कहा, ”मैसूरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज की ओर से तैयार की गई भगवान राम की प्रतिमा को अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है. इससे राज्य के सभी राम भक्तों का गौरव और प्रसन्नता दोगुनी हो गई है. ‘मूर्तिकार योगीराज अरुण’ को हार्दिक बधाई.”
अरुण योगीराज को बी वाई विजयेंद्र ने बताया ‘मैसूरु का गौरव’
येदियुरप्पा के बेटे और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने भी राज्य और मैसूरु को गौरवान्वित करने के लिए योगीराज की सराहना की थी. विजयेंद्र ने कहा था, ‘यह मैसूरु का गौरव है, कर्नाटक का गौरव है कि अद्वितीय मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई गई रामलला की मूर्ति 22 जनवरी को अयोध्या में स्थापित की जाएगी.”
योगीराज को नहीं प्रतिमा स्वीकार करने की आधिकारिक सूचना
योगीराज ने कहा था कि उन्हें अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है कि उन्होंने जो प्रतिमा बनाई थी उसे स्वीकार कर लिया गया है या नहीं. योगीराज ने कहा, ‘मुझे प्रसन्नता है कि मैं देश के उन तीन मूर्तिकारों में शामिल था, जिन्हें ‘रामलला’ की प्रतिमा तराशने के लिए चुना गया था.”
इससे पहले उन्होंने केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की मूर्ति और दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित की गई सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति बनायी थी.
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