वाराणसी में आचार संहिता का अजब खौफ देखने को मिल रहा है। यहां के सरकारी दफ्तरों से आदेश के पालन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की भी तस्वीरें उतार दी हैं।
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सुभद्रा कुमारी चौहान की 76 वीं पुण्यतिथि: 8वीं तक पढ़ी: 9 साल की उम्र में लिखी थी पहली कविता
2 घंटे पहले
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आधुनिक हिंदी की मीरा कही जाने वाली महादेवी वर्मा ने कहा था जिसने लिखा हो, ‘मैंने हंसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना’ ये कहने वाले की हंसी निश्चित तौर पर असाधारण होगी। महात्मा गांधी के साथ सत्याग्रह आंदोलन में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय महिला थीं। महात्मा गांधी के साथ देश प्रेम की भावना के साथ उन्होंने साज शृंगार भी छोड़ दिया और खद्दर की साड़ी पहनना शुरू कर दिया था।
हम बात कर रहे हैं, आठ साल की उम्र में कविताएं लिखने वाली कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान की। पढ़ने की बहुत शौकीन थीं। 15 बरस की उम्र में शादी हुई और शादी के बाद से ही देश में आजादी की लड़ाई में शामिल हो गईं।
117वें जन्मदिन पर गूगल ने बनाया डूडल
गूगल ने सुभद्रा कुमारी को उनके 117वें जन्मदिन पर डूडल बनाकर याद किया।
सुभद्रा कुमारी देश की पहला महिला सत्याग्रही थीं। उन्होंने शादी के बाद अपना आधे से ज्यादा जीवन सत्याग्रह और आजादी आंदोलन में शामिल होकर बिताया।
9 साल की उम्र में लिखी पहली कविता
सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी पहली कविता नीम 9 साल की उम्र में लिखी थी। उनकी ये कविता 1913 में मर्यादा पत्रिका में छपी थी।
इन्होंने अपने जीवन काल में बहुत सी कविताएं लिखीं हालांकि सबसे ज्यादा फेमस कविता ‘झांसी की रानी’ है, जिसमें महारानी लक्ष्मीबाई के पूरे जीवन को बताया गया है।
गिरफ़्तारी से नुक्कड़ सभाओं तक
जब भारत गुलाम था, तब इन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए आंदोलनों में अपनी अहम भूमिका निभाई। इनकी रचनाओं में देश प्रेम का भाव था।
उसके साथ ही समाज में फैली कुरीतियों और स्वदेशी समान का बहिष्कार करने के लिए नुक्कड़ सभाओं को भी वो करती थीं।
1921 में जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया था, तो उन्होंने अपने पति के साथ इस आंदोलन का समर्थन करते हुए इसमें हिस्सा लिया था।
इसमें हिस्सा लेने के लिए इन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता भी ली। जब गुजरात कि कांग्रेस अधिवेशन में सुभद्रा महात्मा गांधी से मिली तब इनके अंदर राष्ट्र के प्रति प्रेम और ज्यादा बढ़ गया था।
1922 में जब जबलपुर में झंडा सत्याग्रह किया गया था तब उस आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद उन्होंने नागपुर में प्रारंभ किया इसके कारण उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था।
सुभद्रा कुमारी और महादेवी वर्मा की मैत्री
महादेवी वर्मा और सुभद्रा कुमारी चौहान
आधुनिक समय की मीरा कही जाने वाली महादेवी वर्मा और सुभद्रा कुमारी चौहान सहेली थीं।
सुभद्रा कुमारी चौहान को जानना हो तो महादेवी वर्मा को पढ़ना चाहिए। महादेवी ने अपने संस्मरण ‘पथ के साथी’ में महादेवी वर्मा ने लिखा है कि सुभद्रा का चित्र बनाना कुछ सरल नहीं, क्योंकि चित्र की साधारण जान पड़नेवाली हर रेखा के लिए उनकी भावना की दीप्ति ‘संचारिणी दीपशिखेव’ बनकर उसे असाधारण कर देती है।
महादेवी और सुभद्रा कुमारी महादेवी स्कूल की सहेली थीं। जब सुभद्रा आठवीं क्लास में थीं, तब उनकी शादी हो गई थी। महादेवी ने से छिपा नहीं था कि नई दुल्हन के रूप में उन्हें जो मिलना चाहिए वो उन्हें न उनके पति दे पा रहे हैं और न उन्हें छुट्टी लेने का समय है।
सुभद्रा कुमारी कोई भी कविता लिखती थीं तो महादेवी वर्मा को ही सुनाया करती थीं।
जेल में फूल मालाओं को तकिया बनाकर सोई
महादेवी वर्मा बताती थीं कि उन्होंने अपनी गृहस्थी जेल में ही बसाई थी। मध्य प्रदेश के खंडवा में ठाकुर लक्ष्मण सिंह से उनकी शादी हुई थी, उनके पति लक्ष्मण सिंह पहले से ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे। दोनों ही महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। सुभद्रा की कई रचनाओं में आजादी का उन्माद और वीर रस का मिलता है।
महादेवी वर्मा हंसते-हंसते बताती थीं कि जेल जाते समय उन्हें इतनी ज्यादा फूल-मालाएं मिल जाती थीं कि वो उन्हीं का तकिया बना लेती थीं और बिस्तर का सुख महसूस करती थीं।
स्कूल के रास्ते में लिखती थीं कविता
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के पास निहालपुर गांव में हुआ था। सुभद्रा बचपन से ही कुशाग्र होने के साथ विद्रोही स्वभाव की थीं। स्कूल के लिए वो कविताएं घर से आते-जाते तांगे में लिख लेती थीं, ऐसी रचनाओं स्कूल की वजह से उनकी ख्याति ज्यादा थी।
15 फरवरी 1948 को 43 वर्ष की आयु में कार एक्सीडेंट में उनका निधन हो गया था।
सुभद्रा कुमारी का रचना संसार
सुभद्रा कुमारी ने कई सारी कविताएं और कहानियां लिखीं, इनमें झांसी की रानी इनकी सबसे फेमस कविता थी।
सुभद्रा के दो कविता संग्रह और तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए। उनकी कविता संग्रहों के नाम ‘मुकुल’ और ‘त्रिधारा’ हैं और कहानी संग्रह- पंद्रह कहानियों वाली बिखरे मोती-1932 व 1934 में प्रकाशित 9 कहानियों वाली उन्मादिनी 1947 में प्रकाशित 14 कहानियों वाली सीधे साधे चित्र हैं।
कुल मिलाकर उन्होंने 46 कहानियां लिखीं। उस वक्त लड़कियों के साथ हो रहे भेदभाव को उन्होंने नारी की मानसिक तकलीफ को भी अपनी रचनाओं में उतारा।
सुभद्रा कुमारी की 5 कविताएं
मेरा जीवन
मैंने हंसना सीखा है
मैं नहीं जानती रोना
बरसा करता पल-पल पर
मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई कैसी होती है पीड़ा
हंस-हंस जीवन में कैसे करती है चिंता क्रीड़ा।
जग है असार सुनती हूं मुझको सुख-सार दिखाता
मेरी आंखों के आगे सुख का सागर लहराता।
कहते है होती जाती खाली जीवन की प्याली
पर मैं उसमें पाती हूं प्रतिपल मदिरा मतवाली।
उत्साह, उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में उल्लास विजय का हंसता मेरे मतवाले मन में।
आशा आलोकित करती मेरे जीवन को प्रतिक्षण है
स्वर्णसूत्र से वलयितमेरी असफलता के धन
सुख-भरे सुनहले बादल रहते हैं
मुझको घेरे,विश्वास, प्रेम, साहस हैं जीवन के साथी मेरे।
कोयल
देखो कोयल काली है पर, मीठी है इसकी बोली, इसने ही तो कूक कूक कर, आमों में मिश्री घोली। कोयल कोयल सच बतलाना, क्या संदेसा लायी हो? बहुत दिनों के बाद आज फिर, इस डाली पर आई हो। क्या गाती हो किसे बुलाती? बतला दो कोयल रानी, प्यासी धरती देख मांगती, हो क्या मेघों से पानी? कोयल यह मिठास क्या तुमने, अपनी मां से पायी है? मां ने ही क्या तुमको मीठी,बोली यह सिखलायी है? डाल डाल पर उड़ना गाना,जिसने तुम्हें सिखाया है, सबसे मीठे मीठे बोलो,यह भी तुम्हें बताया है। बहुत भली हो तुमने मां की,बात सदा ही है मानी, इसीलिये तो तुम कहलाती,हो सब चिड़ियों की रानी। |
चलते समय तुम मुझे पूछते हो ’जाऊं’? मैं क्या जवाब दूं तुम्हीं कहो! ’जा…’ कहते रुकती है जबान,किस मुँह से तुमसे कहूं ’रहो’!! सेवा करना था, जहां मुझे कुछ भक्ति-भाव दरसाना था। उन कृपा-कटाक्षों का बदला,बलि होकर जहां चुकाना था॥ मैं सदा रूठती ही आई,प्रिय! तुम्हें न मैंने पहचाना।वह मान बाण-सा चुभता है,अब देख तुम्हारा यह जाना॥ प्रियतम से
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साहित्यिक सम्मान से डाक टिकट
सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं हिंदी साहित्य के लिए धरोहर हैं, इसलिए इन्हें कई पुरस्कारों और सम्मान दिए गए।
- सुभद्रा को 1948 में हिंदी साहित्य सम्मेलन की तरफ से काव्य संग्रह ‘मुकुंद’ के लिए केसरिया पुरस्कार दिया गया था।
- हिंदी साहित्य सम्मेलन में इन्हें ‘बिखरे मोती’ के लिए केसरिया पुरस्कार दिया था।
- भारतीय डाक विभाग ने 1976 में सुभद्रा के नाम पर ‘डाक टिकट’ जारी किया था।
- 28 अप्रैल 2008 को भारत में एक कोस्ट गार्ड शिप का सुभद्रा के नाम पर रखा गया।
PM Modi: प्रधानमंत्री की निजी डायरी में बापू के शब्द, जानें गांधी जी के कौन से कथन पीएम मोदी की प्रेरणा
महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने राजघाट पहुंचे पीएम मोदी।
– फोटो : ANI
विस्तार
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक सोशल मीडिया अकाउंट ने मंगलवार को उनकी डायरी के कुछ पन्ने साझा किए। इनमें बताया गया कि किस प्रकार मोदी समय-समय पर बापू के कथन दर्ज करते रहे हैं और इनके जरिये वे प्रेरणा लेते रहे हैं।
मोदी आर्काइव्ज नामक अकाउंट पर उनकी डायरी की तीन पृष्ठ जारी किए गए। बताया गया कि यह नरेंद्र मोदी की निजी डायरी से लिए गए हैं। यह बताते हैं कि उन्होंने न केवल महात्मा गांधी को विस्तृत रूप से पढ़ा है, बल्कि उनके कथनों को अपनी निजी डायरी में दर्ज भी करते रहे हैं। यह कथन पीएम के लिए प्रेरणादायक मूल्य रखते हैं। डायरी में लिखीं ये बातें आगे चलकर बातचीत में भी उनका मार्गदर्शन करती रही हैं।
उनका बलिदान लोगों के लिए काम करने की प्रेरणा
पीएम मोदी का कहना है कि मैं पूज्य बापू को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि प्रस्तुत करता हूं। हमारे देश के लिए बलिदान हुए सभी लोगों को भी मेरी श्रद्धांजलि। उनके बलिदान लोगों की सेवा और देश के लिए उनके विजन को साकार करने के लिए प्रेरित करते हैं।
‘नेहरू भी नहीं गए थे’, बीजेपी ने राम मंदिर पर कांग्रेस के फैसले को लेकर घेरा
Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठान समारोह में शामिल होने से इनकार करने पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है. बीजेपी ने गुरुवार (11 जनवरी) को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण के चलते प्राण प्रतिष्ठान समारोह का निमंत्रण स्वीकार नहीं किया.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू की कांग्रेस हिंदू धर्म के खिलाफ है और तुष्टिकरण के लिए वह हिंदू मान्यताओं का विरोध कर रही है. पिछले 2-4 दशकों में जब भी राम मंदिर का मुद्दा उठाया गया है, उन्होंने (कांग्रेस) हमेशा इसका विरोध किया है.
उन्होंने कहा, “मैं उनके फैसले से जरा भी हैरान नहीं हूं. कांग्रेस ने भगवान राम को काल्पनिक बताया था और राम सेतु पर भी सवाल उठाया. वर्तमान कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण की चरम सीमा पर पहुंच गई है.”
‘नेहरू नहीं गए थे सोमनाथ’
वहीं, बीजेपी नेता सीटी रवि ने दावा किया कि भारत के पहले प्रधानमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता जवाहरलाल नेहरू ने गुजरात के प्राचीन सोमनाथ मंदिर में जाने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा, “कांग्रेस हमेशा हिंदुत्व के खिलाफ रही है. जब सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबू राजेंद्र प्रसाद और केएम मुंशी ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया था, तो उस समय नेहरू प्रधानमंत्री थे. उस समय नेहरू ने भी सोमनाथ मंदिर का दौरा नहीं किया था तो वर्तमान नेतृत्व कैसे अयोध्या जा सकता है.
‘यह नेहरू की कांग्रेस है’
इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने दावा किया “यह नेहरू की कांग्रेस है, यह गांधी की कांग्रेस नहीं है. महात्मा गांधी ‘रघुपति राघव राजा राम’ गाते थे और आज कांग्रेस ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं हो रही है. इससे पता चलता है कि कांग्रेस हिंदू धर्म और हिंदुत्व के खिलाफ है.”
कांग्रेस नेताओं को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण
बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए मंदिर समिति ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी को आमंत्रित किया था. हालांकि, उन्होंने इस भव्य कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया और कहा कि बीजेपी और आरएसएस इस समारोह से चुनावी लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं.
‘NRI दुनिया भर में भारत की भावना के प्रतीक’, प्रवासी भारतीय दिवस पर पीएम मोदी ने यूं दी बधाई
PM Modi Wishes On NRI Day: प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं दी है. उन्होंने कहा है कि प्रवासी भारतीयों ने एकता और विविधता की भारतीय भावना को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाई है.
महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत वापसी के दिन ( 9 जनवरी 1915) को समर्पित यह दिवस बेहद खास है. क्योंकि इस दिन उन सभी प्रवासी भारतीयों का सम्मान दिया जाता है जो विदेशों में रहकर भारत का मान सम्मान बढ़ा रहे हैं.
क्या कहा पीएम नरेंद्र मोदी ने
अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट के जरिए एक पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा, “प्रवासी भारतीय दिवस की शुभकामनाएं. यह दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों के योगदान और उपलब्धियों का जश्न मनाने का दिन है. हमारी समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और वैश्विक संबंधों को मजबूत करने के प्रति उनका समर्पण सराहनीय है. वे दुनिया भर में भारत की भावना का प्रतीक हैं, एकता और विविधता की भावना को बढ़ावा देते हैं.” पीएम मोदी के इस पोस्ट को बड़ी संख्या में लोग लाइक, शेयर और रिट्वीट कर रहे हैं.
Greetings on Pravasi Bharatiya Diwas. This is a day to celebrate the contributions and achievements of the Indian diaspora worldwide. Their dedication towards preserving our rich heritage and strengthening global ties is commendable. They embody the spirit of India across the…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 9, 2024
क्यों मनाया जाता है प्रवासी भारतीय दिवस?
प्रवासी भारतीय दिवस का संबंध महात्मा गांधी से है. दरअसल 9 जनवरी 1915 को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौटे थे. दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजों के खिलाफ जबरदस्त अहिंसक आंदोलन के बाद भारत में उन्होंने कांग्रेस की कमान संभाली थी और स्वतंत्रता आंदोलन की बिगुल फूंका था. महात्मा गांधी के आगमन और स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत करने की याद में हर साल इस दिन प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है.
अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी शुरुआत
प्रवासी भारतीय दिवस की शुरुआत देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में की थी. उसी साल पहला प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया था. एक आंकड़े के अनुसार करीब 48 देशों में प्रवासी भारतीय फैले हैं. जिनकी जनसंख्या करीब 2 करोड़ है. भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रवासी भारतीयों की बड़ी भूमिका है.
सबसे अधिक विदेशी धन भेजते हैं प्रवासी भारतीय
विदेशों में कमाई करके स्वदेश में धन भेजने के मामले में भारतीय प्रवासी सबसे आगे हैं. विश्व बैंक के अनुसार 2020 में जब दुनिया कोविड की चपेट में थी, उस समय भारत को 83 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त हुआ था. 2021 में यह राशि बढ़कर 87 अरब डॉलर हो गई थी. इन्हीं प्रवासी भारतीयों के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है.