Ram Mandir Inauguration: राम मंदिर में मूर्तियों को कौन कौन से आभूषण पहनाए गए? सोने के दरवाजे सहित क्या-क्या है बेहद महंगा
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राम मंदिर उद्घाटन तिथि
राम मंदिर के लिए चुन ली गई है मूर्ति? ट्रस्ट ने दावों पर साफ किया अपना रुख
Ayodhya Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इसके लिए पिछले कुछ महीनों में रामलला की 3 प्रतिमाएं तराशी गई हैं. इनमें से किस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा मंदिर में की जाएगी, इसको लेकर राम मंदिर ट्रस्ट ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है. इस बात की जानकारी ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने मंगलवार (2 जनवरी) को दी.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने सोमवार (1 जनवरी) को राज्य के मूर्तिकार अरुण योगीराज को बधाई देते हुए कहा था कि उनकी बनाई प्रतिमा को अयोध्या के नये मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है. हालांकि, मंदिर निर्माण करा रहे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपने फैसले की घोषणा नहीं की है.
ट्रस्ट पदाधिकारियों ने कहा कि ट्रस्ट की तरफ से इस संबंध में निर्णय शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती और अन्य संतों के परामर्श से लिया जाएगा.
‘मंदिर निर्माण का पहला चरण पूरा’
ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने को बताया, ”ट्रस्ट का जो भी निर्णय होगा, उसे उचित समय पर सार्वजनिक किया जाएगा.” चयनित प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा और 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एक समारोह में उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. मंदिर के निर्माण का पहला चरण अब पूरा हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने किया अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद का निपटारा
वर्ष 1949 से, श्रद्धालु रामलला की प्रतिमा वाले अस्थायी मंदिर में पूजा-अर्चना करते रहे हैं. इस मंदिर को भी मंदिर निर्माण के लिए स्थानांतरित कर दिया गया था, जो 2019 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद शुरू हुआ. शीर्ष अदालत ने अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद का निपटारा किया था.
उत्सवों के लिए परिसर में रखी जाएंगी पुरानी प्रतिमा
ट्रस्ट के पदाधिकारियों का कहना है कि पुरानी प्रतिमा को उत्सवों के लिए परिसर में रखा जाएगा. तीन मूर्तिकारों ने अलग-अलग पत्थरों से भगवान की प्रतिमाएं तराशी हैं. उनमें से दो के लिए पत्थर कर्नाटक से आया था और तीसरी प्रतिमा राजस्थान से लाई गई चट्टान से बनाई जा रही थी. इन प्रतिमाओं को जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय और कर्नाटक के गणेश भट्ट और अरुण योगीराज ने तराशा है.
ट्रस्ट के प्राधिकारियों के मुताबिक, गर्भगृह के लिए प्रतिमा का चयन करते समय उसकी चमक लंबे समय तक टिके रहने जैसे पहलुओं पर एक तकनीकी रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा जाएगा.
येदियुरप्पा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपनी प्रसन्नता साझा करते हुए कहा, ”मैसूरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज की ओर से तैयार की गई भगवान राम की प्रतिमा को अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है. इससे राज्य के सभी राम भक्तों का गौरव और प्रसन्नता दोगुनी हो गई है. ‘मूर्तिकार योगीराज अरुण’ को हार्दिक बधाई.”
अरुण योगीराज को बी वाई विजयेंद्र ने बताया ‘मैसूरु का गौरव’
येदियुरप्पा के बेटे और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने भी राज्य और मैसूरु को गौरवान्वित करने के लिए योगीराज की सराहना की थी. विजयेंद्र ने कहा था, ‘यह मैसूरु का गौरव है, कर्नाटक का गौरव है कि अद्वितीय मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई गई रामलला की मूर्ति 22 जनवरी को अयोध्या में स्थापित की जाएगी.”
योगीराज को नहीं प्रतिमा स्वीकार करने की आधिकारिक सूचना
योगीराज ने कहा था कि उन्हें अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है कि उन्होंने जो प्रतिमा बनाई थी उसे स्वीकार कर लिया गया है या नहीं. योगीराज ने कहा, ‘मुझे प्रसन्नता है कि मैं देश के उन तीन मूर्तिकारों में शामिल था, जिन्हें ‘रामलला’ की प्रतिमा तराशने के लिए चुना गया था.”
इससे पहले उन्होंने केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की मूर्ति और दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित की गई सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति बनायी थी.
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मोदी की ‘राम प्रतिज्ञा’! जब टेंट में थे रामलला, पीएम ने लिया था प्रण, 29 साल नहीं किए दर्शन
PM Modi Ayodhya Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (30 दिसंबर) को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की नगरी अयोध्या में 15 हजार करोड़ से ज्यादा परियोजनाओं की सौगात दी. पीएम मोदी जब अयोध्या में विकास प्रोजेक्ट की सौगात दे रहे, तब वह न सिर्फ अपनी गारंटी पूरी कर रहे थे, बल्कि एक प्रतिज्ञा पूरी करने की गवाही भी दे रहे थे.
यह प्रतिज्ञा साल 1992 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक पूर्व प्रचारक और बीजेपी संगठन के एक महासचिव ने ली थी और इस प्रतिज्ञा का साक्षी खुद अयोध्या है. यह प्रतिज्ञा राष्ट्र की अंखडता के संकल्प पर निकले राम भक्त ने ली थी. यह प्रतिज्ञा सरयू किनारे खड़े होकर मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा के संयोजक ने ली थी और उस प्रतिज्ञा को लेने वाले शख्स का नाम था नरेंद्र मोदी.
अनसुना था नरेंद्र मोदी का नाम
अयोध्या के पत्रकार महेंद्र त्रिपाठी ने एबीपी न्यूज को बताया कि 11 दिसंबर 1991 को कन्याकुमारी से शुरु हुई बीजेपी की एकता यात्रा 14 जनवरी 1991 को अयोध्या पहुंची थी. इस तारीख को नरेंद्र मोदी अयोध्या में थे. उस समय एक नारा लगता था. ‘देश के हैं तीन धरोहर ‘अटल-आडवाणी-मुरली मनोहर.’ यह वह समय था जब यूपी में बीजेपी के कार्यकर्ताओं के लिए नरेंद्र मोदी का नाम अनसुना था और चेहरा अनदेखा.
उस समय मुरली मनोहर जोशी को देखने भारी भीड़ जुटी थी. भीड़ में धक्का मुक्की के बीच अयोध्या के एक पत्रकार ने जोशी की तस्वीर खींचनी चाही, लेकिन तस्वीर में नरेंद्र मोदी भी आ गए. मोदी को पता था ,रामभक्तों का संघर्ष क्या है और अयोध्या की पीड़ा क्या है?
रामलला को टेंट में देख भावनात्मक हो गए थे मोदी
उस वक्त रामलला को टेंट में देखकर मोदी भावनात्मक हो गए और वह रामलला की ओर देखते हुए कुछ सोच रहे थे? महेंद्र त्रिपाठी फोटोग्राफर ने पूछा कि आप क्या सोच रहे हैं, तो पीएम मोदी ने उन्हें कुछ नहीं बताया. इसके बाद उन्होंने मोदी से पूछा कि अब आप कब आएंगे, तो उन्होंने जवाब दिया मैं अब तब आऊंगा, जब यहां राम मंदिर को निर्माण हो जाएगा.
महेंद्र त्रिपाठी कौन हैं ?
महेंद्र त्रिपाठी एक फोटो जर्नलिस्ट हैं और उनके पास उस समय की राम मंदिर की तस्वीरें हुआ करती थीं. राम मंदिर आंदोलन में गोलीकांड में गवाही हो या बाबरी विध्वंस के अनुसने राज हों.महेंद्र त्रिपाठी 90 के दशक से फैजाबाद से अयोध्या तक के सफर की हर बड़ी घटना के गवाह रहे हैं.महेंद्र त्रिपाठी ही वह शख्स हैं जो पीएम मोदी की राम प्रतिज्ञा के साक्षी हैं.
हर पल निभा रहे थे राम प्रतिज्ञा
एकता यात्रा के संयोजक से लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री और फिर भारत का प्रधानमंत्री बनने तक प्रधानमंत्री ने 22 साल का सफर तय किया. इस दौरान वह महेंद्र त्रिपाठी के सामने ली गई राम प्रतिज्ञा को हर पल निभा रहे थे. इस दौरान कई बार पीएम मोदी अयोध्या गए और राम मंदिर के करीब भी पहुंचे, लेकिन रामलला के दर्शन नहीं किए.
2019 तक अयोध्या से दूर रहे पीएम मोदी
5 मई 2014 को जब अयोध्या जिले के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में मोदी की रैली हुई, तब भी वह राम जन्मभूमि नहीं गए. इसके बाद 16 फरवरी 2017 को फिर से पीएम मोदी ने अयोध्या से सटे बाराबंकी जिले में रैली की, लेकिन अयोध्या नहीं गए. इस बाद उन्होंने 1 मई 2019 को अयोध्या जिले के रामपुर माया में रैली की, लेकिन इस बार भी अयोध्या से दूर ही रहे.
2019 का चुनाव खत्म होने के बाद जब लगातार दूसरी बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, उसके कुछ महीने बाद 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर पर फैसला आया. सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्षकारों के हक में फैसला दिया और राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ हो गया. उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने देश की संसद में भी इसका जिक्र किया और खुद ऐलान किया कि राम मंदिर बनाने के लिए सरकार ने एक और कदम बढ़ा दिया है.
2020 को किए रामलला के दर्शन
इसके बाद राम मंदिर के निर्माण के लिए जब ट्रस्ट बनाया गया तो राम जन्मभूमि पर विशाल मंदिर बनने का रास्ता भी साफ हो गया और पीएम मोदी की प्रतिज्ञा पूरी होने की ओर बढ़ी. 6 महीने बाद पीएम मोदी एक बार फिर अयोध्या पहुंचे और 5 अगस्त 2020 को उन्होंने 29 बरस बाद पहली बार रामलला का दर्शन किए.
इस दौरान प्रधानमंत्री राम मंदिर का शिलान्यास किया और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हिंदस्तान के प्रधानमंत्री ने राम मंदिर की आधारशिला रखी. मंदिर निर्माण को लेकर पीएम मोदी कितने उत्सक थे उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शिलान्यास करने के बाद वह मंदिर कैंपस में घूम-घूमकर एक इंच-इंच की स्थिति के बारे में जानकारी ले रहे थे.
आज जब नरेंद्र मोदी अयोध्या में रामनगरी को विकास की विराट सौगात दे रहे थे और राम भक्तों को संबोधित कर रहे थे, तब भी उन्होंने अपनी राम प्रतिज्ञा पर एक शब्द भी नहीं कहा, क्योंकि यह भक्त और भगवान के बीच का गुप्त संवाद था.
‘मुझे निमंत्रण नहीं मिला लेकिन…’ राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर बोले शशि थरूर
Ram Mandir Opening: 22 जनवरी 2024 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर राजनीति भी अपने चरम पर है. मामले पर कांग्रेस सांसद और दिग्गज नेता शशि थरूर ने कहा कि मंदिर किसी सरकार का मामला नहीं है बल्कि वो धर्म को एक व्यक्तिगत विशेषता के रूप में देखते हैं न कि राजनीतिक दुरुपयोग के लिए.
कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “प्रेस ने मुझसे पूछा कि क्या मैं 22 जनवरी को अयोध्या जा रहा हूं या नहीं. मैंने उनसे कहा कि मुझे इन्विटेशन नहीं मिला है. मैंने धर्म को एक व्यक्तिगत विशेषता के रूप में देखा न कि राजनीतिक (गलत) उपयोग के रूप में.”
‘राम मंदिर से राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं’
उन्होंने बीजेपी का नाम लिए बिना आगे लिखा, “मैंने ये भी बताया कि जिस घटना के बारे में पहले से ही कुछ समय से पता है, उसे इतनी बड़ी खबर बनाकर मीडिया उन लोगों के हाथों में खेल रहा जो अपने शासन की विफलताओं से जनता का ध्यान भटकाते हुए राम मंदिर से राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं. मंदिर सरकार के मामले नहीं होते बल्कि बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, लोक कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले सरकार के हैं. लेकिन मीडिया मंदिर के मुद्दे पर सवाल करके उन मुद्दों से ध्यान हटाने का काम करता है.”
‘कभी कभार मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहिए’
इसके अलावा कांग्रेस के दूसरे नेता सैम पित्रोदा ने कहा कि धर्म को राजनीति के साथ नहीं जोड़ना चाहिए. समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे किसी धर्म से कोई दिक्कत नहीं है. कभी कभार मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहिए लेकिन आप उसे एक प्रमुख मंच नहीं बना सकते. 40 प्रतिशत लोग बीजेपी को वोट करते हैं और 60 प्रतिशत लोग ऐसा नहीं करते. वो हर किसी के प्रधानमंत्री हैं न कि किसी पार्टी के और यही मैसेज भारत के लोग उनसे चाहते हैं.’
उन्होंने आगे कहा, “रोजगार के बारे में बात करें, मुद्रास्फीति के बारे में बात करें, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और चुनौतियों के बारे में बात करें. उन्हें (लोगों को) तय करना होगा कि असली मुद्दे क्या हैं- क्या राम मंदिर असली मुद्दा है? या बेरोजगारी एक वास्तविक मुद्दा है. क्या राम मंदिर असली मुद्दा है या महंगाई असली मुद्दा है?”