रामलला की मूर्ति बनाने वाले कलाकार अरुण योगीराज ने उस हथौड़ी और छेनी की तस्वीर शेयर की है, जिसके जरिए उन्होंने रामलला की मूर्ति की आंखों को तराशा है।
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Ram Mandir News
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर देशभर में दीपोत्सव और आतिशबाजी, दिल्ली लौटते ही पीएम मोदी ने की इस योजना की घोषणा
Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में राम मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने पर पूरे देश में दिवाली जैसा माहौल देखा गया. लोगों ने अपने घरों में दीये जलाकर यह उत्सव मनाया. दीपोत्सव के साथ-साथ लोगों ने खुशी में आतिशबाजी भी चलाई. वहीं, दुनिया के कई देशों में भी हिंदू समुदाय की ओर से इस अवसर का उत्सव मनाया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और बीजेपी के कई अन्य नेताओं ने भी सोमवार को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद अपने आवास पर दीये जलाकर उत्सव मनाया.
ज्यादातर विपक्षी नेताओं ने इस प्राण प्रतिष्ठा के समारोह से दूरी बनाई और उनकी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आईं. कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन के कई दलों के नेताओं को इस समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था लेकिन उन्होंने जाने से इनकार कर दिया था.
सोमवार (22 जनवरी) को अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अभिजीत मुहूर्त में हुई. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत आदि लोग शामिल हुए.
पीएम मोदी ने की ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ की घोषणा
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने देशवासियों को संबोधित भी किया. अयोध्या से दिल्ली लौटने के तुरंत बाद पीएम मोदी ने सौर ऊर्जा को लेकर प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना की घोषणा की. पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर एक पोस्ट में कहा, ”…अयोध्या से लौटने के बाद मैंने पहला निर्णय लिया है कि हमारी सरकार 1 करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर लगाने के लक्ष्य के साथ “प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना” प्रारंभ करेगी. इससे गरीब और मध्यम वर्ग का बिजली बिल तो कम होगा ही, साथ ही भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी बनेगा.” इसके बाद पीएम मोदी ने शाम को दीये प्रज्जवलित किए.
ये अवसर सिर्फ विजय का नहीं, विनय का भी है- पीएम मोदी
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम मंंदिर से देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ”हमारे लिए ये अवसर सिर्फ विजय का नहीं, विनय का भी है. दुनिया का इतिहास साक्षी है कि कई राष्ट्र अपने ही इतिहास में उलझ जाते हैं, ऐसे देशों ने जब भी अपने इतिहास की उलझी हुई गाठों को खोलने का प्रयास किया, उन्हें सफलता पाने में बहुत कठिनाई आई, बल्कि कई बार तो पहले से ज्यादा मुश्किल परिस्थितियां बन गईं, लेकिन हमारे देश ने इतिहास की इस गांठ को जिस गंभीरता और भावुकता के साथ खोला है, वो यह बताती है कि हमारा भविष्य हमारे अतीत से बहुत सुंदर होने जा रहा है.”
मुंबई में दीया जलाते लोग
‘राम आग नहीं हैं, राम ऊर्जा हैं’
पीएम मोदी ने कहा, ”वो भी एक समय था जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी, ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जान पाए. रामलला के इस मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव और समन्वय का भी प्रतीक है. हम देख रहे हैं कि निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है. राम मंदिर समाज के हर वर्ग को एक उज्जवल भविष्य के पथ पर बढ़ने की प्रेरण लेकर आया है. मैं आज उन लोगों से आह्वान करूंगा, आइये, आप महसूस कीजिए, अपनी सोच पर पुनर्विचार कीजिए, राम आग नहीं हैं, राम ऊर्जा हैं, राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं, राम सिर्फ हमारे नहीं हैं, राम तो सबके हैं, राम सिर्फ वर्तमान ही नहीं, राम अनंतकाल हैं.”
राम मंदिर, अयोध्या
‘राम भारत की आस्था हैं’
पीएम मोदी ने कहा, ”ये मंदिर मात्र एक देव मंदिर नहीं है, ये भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है. ये राम को रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है. राम भारत की आस्था हैं, राम भारत का आधार हैं, राम भारत का विचार हैं, राम भारत का विधान हैं, राम भारत की चेतना हैं, राम भारत का भारत का चिंतन हैं, राम भारत की प्रतिष्ठा हैं, राम भारत का प्रताप हैं, राम प्रवाह हैं, राम प्रभाव हैं, राम नेति भी है, राम नीति भी है, राम नित्यतता भी हैं, राम निरंतरता भी हैं, राम विभु हैं, विषद हैं, राम व्यापक हैं, विश्व हैं, विश्वात्मा हैं और इसलिए जब राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव वर्षों या शताब्दियों तक ही नहीं होता, उसका प्रभाव हजारों वर्षों के लिए होता है.”
राम मंदिर रात में कुछ इस तरह जगमगा रहा है
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान एमपी, महाराष्ट्र और यूपी में हुआ बच्चों का जन्म
संयोग से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक पल के दौरान मध्य प्रदेश में इंदौर के एक अस्पताल में ऑपरेशन के जरिए तीन बच्चों का जन्म हुआ, महाराष्ट्र के ठाणे शहर में 42 वर्षीय एक महिला की ‘मुहूर्त डिलीवरी’ हुई, जबकि उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में एक मुस्लिम महिला ने बच्चे को जन्म दिया. मुस्लिम महिला ने अपने बच्चे का नाम हिंदू-मुस्लिम एकता को दर्शाने के लिए ‘राम रहीम’ रखा है.
किस राज्य में कैसे मना उत्सव?
सुबह से ही फूलों, दीयों, झंडों और पोस्टरों से सजे मंदिरों में लोगों का तांता लगा रहा. शाम को घरों, दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के बाहर दीये जलाए जाने से दीवाली जैसा माहौल हो गया.
केरल के त्रिशूर जिले में त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर में सुबह से ही अनुष्ठान शुरू हो गए थे. करुवन्नूर या थेवरा नदी के तट पर स्थित यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है. यह मंदिर नालम्बलम यात्रा के लिए प्रसिद्ध है. केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य की राजधानी के वजुथाकौड में स्थित रामादेवी मंदिर में पूजा-अर्चना की. बेंगलुरु में रामंजनेय गुड्डा मंदिर, पट्टाभिराम स्वामी मंदिर, राजाजीनगर में राम मंदिर और मल्लेश्वरम में रामदेवरा देवस्थान और बसवनगुडी स्थित राम मंदिर में विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की गईं.
अमृतसर की तस्वीर
जम्मू-कश्मीर के कई मंदिरों में भी प्रार्थनाएं की गईं, जिनमें श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर और शहर के अमीराकदल इलाके में झेलम नदी के तट पर स्थित हनुमान मंदिर शामिल हैं. हजारों लोगों ने जम्मू स्थित रघुनाथ मंदिर में दर्शन किए. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी इस उत्सव में शामिल हुए. उन्होंने कहा, ‘‘यह हम सभी के लिए एक बड़ा दिन है. हर देशवासी और महिला उत्सव के मूड में है.’’
झारखंड के 51,000 से ज्यादा मंदिर में हुई पूजा
झारखंड के 51,000 से अधिक मंदिरों में विशेष प्रार्थनाओं के आयोजन से राज्य में लोग धार्मिक उत्साह के रंग में सराबोर थे. केंद्रीय जनजातीय मामलों और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने जमशेदपुर के गोलमुरी में केबल टाउन स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के परिसर में 18,500 वर्ग फुट में विस्तृत भगवान राम को समर्पित एक विशाल रंगोली का उद्घाटन किया.
बिहार में कुछ ऐसा रहा महौल
बिहार में महिला भक्तों ने सुबह से ही पटना के बेली रोड पर प्रियदर्शी नगर के हनुमान मंदिर में ‘कीर्तन’ शुरू कर दिया, जबकि श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर से एक शोभायात्रा निकाली गई जिसमें लोग सिर पर ‘कलश’ और रामायण लेकर चल रहे थे. पटना के डाक बंगला चौक के पास श्री रामनवमी शोभायात्रा अभिनंदन समिति की ओर से अयोध्या मंदिर की प्रतिकृति प्रदर्शित की गई.
राम मंदिर, अयोध्या
कोलकाता में निकाली गई शोभायात्रा
पश्चिम बंगाल में कोलकाता में गणेश टॉकीज के पास स्थित बैकुंठ नाथ मंदिर से एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई जिसमें शामिल झांकी में भगवान राम को देवी दुर्गा की पूजा करते हुए चित्रित किया गया. इस यात्रा का समापन चितरंजन एवेन्यू में स्थित 80 साल से अधिक पुराने राम मंदिर पर हुआ. अरुणाचल प्रदेश भी धार्मिक उत्साह में सराबोर दिखा. राजधानी ईटानगर में बाजार स्वेच्छा से बंद रहे और बड़ी संख्या में निजी स्कूलों ने भी छुट्टी की घोषणा की.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पहुंचे थे ओरछा
विभिन्न स्थानों पर एलईडी स्क्रीन लगाई गईं और अयोध्या में समारोह का सीधा प्रसारण किया गया. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने निवाड़ी जिले के ओरछा, जिसे छोटी अयोध्या भी कहा जाता है, में मंदिर में पूजा-अर्चना की. भक्तों का मानना है कि भगवान राम दिन में ओरछा में रहते हैं और रात में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में अयोध्या चले जाते हैं.
राजस्थान भी हुआ राममय, बीएसएफ जवानों ने किया रामायण पाठ
पूरे राजस्थान में कई स्थानों पर मंदिरों में भजन, कीर्तन और रामायण पाठ के साथ धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए. जयपुर सहित विभिन्न स्थानों पर शोभा यात्रा निकाली गई. राज्य के जैसलमेर जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित तनोट माता मंदिर में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने रामायण का पाठ किया. हिमाचल प्रदेश के शिमला में भगवान राम को समर्पित एक मंदिर में ‘अखंड रामायण’ पाठ का आयोजन किया गया.
कानपुर में आतिशबाजी
आंध्र प्रदेश में उल्लास के साथ मनाया गया उत्सव
पूरे आंध्र प्रदेश में लोगों ने सोमवार को धार्मिक उत्साह के साथ प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में जश्न मनाया. इस दौरान लोगों ने अपने घरों पर भगवा ध्वज फहराया, रैलियां निकालीं और सामूहिक भोज तथा अन्य गतिविधियों का आयोजन किया. गुंटूर जिले के पेनुमाका गांव में कई ग्रामीणों ने समूहिक भोज में भाग लिया. उत्तर प्रदेश में राम मंदिर निर्माण के सम्मान में तिरुमाला के धर्मगिरि वेद विज्ञान पीठम में ‘वाल्मीकि रामायण’ के पाठ का आयोजन किया गया.
राजमहेंद्रवरम शहर में रामालय जंक्शन के माध्यम से एक शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें भगवान राम, सीता, हनुमान और अन्य की मूर्तियों के साथ एक पालकी शामिल थी. वाईएसआरसीपी नेता और राजमहेंद्रवरम के लोकसभा सदस्य एम भरत राम ने भी उत्सव में भाग लिया.
कोलकाता में खुशी में आतिशबाजी चलाता एक शख्स
तेलंगाना में राज्यपाल ने भी की पूजा
तेलंगाना में भी उत्सव का माहौल था. राज्य की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने राजभवन में भगवान राम की पूजा की और श्रीराम नाम संकीर्तनम में भाग लिया. उन्होंने भगवान राम से देश की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की. सौंदराराजन ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री और बीजेपी नेता जी किशन रेड्डी के साथ निजाम कॉलेज मैदान में आयोजित समारोह में हिस्सा लिया, जहां प्राण प्रतिष्ठा समारोह का प्रसारण बड़ी स्क्रीन पर प्रदर्शित किया गया.
गुजरात कई जगहों पर निकाली गईं शोभा यात्राएं
गुजरात में भी श्रद्धालु जश्न मनाते दिखे और बड़ी संख्या में लोग पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिरों में एकत्र हुए. राज्य भर में जगह-जगह शोभायात्रा निकाली गई. अहमदाबाद, पाटन, नवसारी, मेहसाणा, दाहोद, गांधीनगर, भावनगर, भरूच गिर सोमनाथ, वड़ोदरा और कच्छ जिलों के विभिन्न कस्बों और शहरों में शोभायात्रा निकाली गईं.
कई भक्तों ने भगवान राम के स्वागत के लिए अपने घर और कार्यालय के प्रवेश द्वारों को सुंदर ‘रंगोली’ और मालाओं से सजाया और ‘दीये’ जलाए. इस अवसर पर मुख्यमंत्री पटेल ने सभी गुजरातवासियों की ओर से देश को भव्य राम मंदिर का तोहफा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया.
जयपुर में सिख समुदाय के लोगों ने चलाई आतिशबाजी
दिल्ली में जेएनयू और डीयू में हुआ हवन, भंडारा और सुंदरकांड का आयोजन
प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों के समूहों ने सोमवार को ‘हवन’, ‘भंडारे’ और सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाते हुए सैकड़ों छात्रों ने ‘शोभायात्रा’ में भाग लिया. विश्वविद्यालय के छात्रावासों में भी हवन और भंडारे का आयोजन किया गया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक आशुतोष सिंह ने कहा कि दिल्ली में छात्रों ने बड़ी संख्या में उत्सव में भाग लिया. उन्होंने कहा, ‘‘हमने विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन से हंसराज कॉलेज तक 2.5 लाख दीये भी जलाए.’’
हिमाचल प्रदेश में भी दिखा दिवाली जैसा माहौल
हिमाचल प्रदेश में दिवाली जैसा माहौल दिखा और जगह-जगह धार्मिक आयोजन किए गए. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने हमीरपुर के अवध देवी मंदिर में पूजा-अर्चना में हिस्सा लिया.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हनुमान मंदिर में की पूजा
हिमाचल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने राज्य की राजधानी में भगवान राम मंदिर में पूजा-अर्चना में भाग लिया. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला के जाखू में भगवान हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर भगवान राम के समर्पित अनुयायी भगवान हनुमान की पूजा की.
पटना में जलाए गए दीये
कमलनाथ बोले- बीजेपी ने समारोह को राजनीतिक रंग दे दिया
कांग्रेस नेता कमलनाथ ने सोमवार को कहा कि बीजेपी ने अयोध्या में नए राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को राजनीतिक रंग दे दिया है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट पर हालांकि एक पोस्ट में सोमवार को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में एक भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर लोगों को बधाई दी. कमलनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण किया गया है. उन्होंने कहा कि चूंकि केंद्र और उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकारें हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना उनकी जिम्मेदारी थी.
उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह भाजपा ने इस कार्यक्रम को राजनीतिक रंग दे दिया है और राजनीतिक मंच पर धर्म को लाने की कोशिश की, वह दुर्भाग्यपूर्ण एवं दुखद है. भगवान राम हमेशा से हम सभी के आस्था के केंद्र रहे हैं और हमेशा रहेंगे. इस पर राजनीति धार्मिक स्वतंत्रता एवं परंपराओं के साथ खेलने जैसा है.’’
राम मंदिर, अयोध्या
दुनिया के कई देशों में मनाया गया उत्सव
अमेरिका में न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर पर बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के सदस्य एकत्र हुए. उन्होंने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सीधा प्रसारण देखा. लोगों को पारंपरिक पोशाक पहने, नृत्य करते, भजन और अन्य गीत गाते देखा गया. वाशिंगटन में वर्जीनिया के फेयरफैक्स काउंटी में स्थित एसवी लोटस टेम्पल में सिख, मुस्लिम और पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदाय के सदस्य भी इस समारोह में शामिल हुए.
अमेरिकी शेयर बाजार ‘नैस्डैक’ की स्क्रीन पर भी राम मंदिर की तस्वीरें प्रदर्शित की गईं. लॉस एंजेलिस में इस अवसर का जश्न मनाने के लिए 1,000 लोगों ने एक कार रैली में भाग लिया. रैली में करीब 250 कारें शामिल हुईं.
अमेरिका और कनाडा में की गई राम मंदिर यात्रा की घोषणा
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न होने के तुरंत बाद ‘विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ऑफ अमेरिका‘ और ‘विश्व हिंदू परिषद ऑफ कनाडा’ ने दोनों देशों में एक हजार से अधिक मंदिरों के दर्शन के लिए ‘राम मंदिर यात्रा’ की घोषणा की.
दिल्ली की एक तस्वीर
त्रिनिदाद और टोबैगो में हुआ कार्यक्रम
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व संध्या पर त्रिनिदाद और टोबैगो में हजारों की संख्या में लोग एक कार्यक्रम में शामिल हुए जिनमें बड़ी संख्या भारतीय समुदाय के सदस्यों की थी. रविवार को आयोजित इस समारोह में 5,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए. इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोकप्रिय भजन एवं गीत भी गाए गए. इस कार्यक्रम में 550 दीये भी जलाए गए.
मॉरीशस में दी गई थी दो घंटे की विशेष छुट्टी
मॉरीशस सरकार ने इस ऐतिहासिक अवसर पर देशभर में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए हिंदू धर्म मानने वाले कर्मचारियों को दो घंटे की विशेष छुट्टी दी. मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘आइए श्री राम के अयोध्या लौटने पर खुशी मनाएं. उनका आशीर्वाद और शिक्षाएं, शांति और समृद्धि की दिशा में हमारा मार्ग प्रशस्त करती रहें. जय हिंद! जय मॉरीशस!’
राम मंदिर, अयोध्या
मेक्सिको के क्वेरेटारो में हुई भगवान राम के पहले मंदिर की स्थापना
अयोध्या में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह की पूर्व संध्या पर मेक्सिको के क्वेरेटारो शहर में भगवान राम के पहले मंदिर की स्थापना हुई. इस कार्यक्रम में भारतीय मूल के 250 से ज्यादा प्रवासी भारतीय शामिल हुए. इसके अलावा फिजी के सुवा में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और फिजी की श्री सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा ने 18 से 22 जनवरी तक रामलला उत्सव का आयोजन किया था.
(भाषा इनपुट के साथ)
जब पैदा हुए रामलला, तब अयोध्या में कैसा था माहौल? जानिए रामचरितमानस में क्या है वर्णन
Ram Lalla Birth Story: अयोध्या में आज यानी सोमवार (22 जनवरी) को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है. इसको लेकर सारी तैयारियां पहले ही कर दी गई है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य पूजा में भाग लेंगे. इसके अलावा उनके साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी होंगे. राम मंदिर तीन मंजिला है और इसका निर्माण नागर शैली में किया गया है.
इस अवसर पर आइए तुलसीदास के जरिए अवधी भाषा में लिखी गई रामचरितमानस का हिंदी अनुवाद जानते हैं. इसमें भगवान श्री राम के जन्म से लेकर विजय होने तक की कहानी दी गई है. इसमें सबसे पहली कहानी है प्रभु श्री राम के जन्म से जुड़ी हुई.
गुरू वशिष्ठ के पास दुखी मन से गए राजा दशरथ
अवधपुरी में रघुकुल शिरोमणि राजा दशरथ का नाम वेदों में विख्यात है. भगवान राम के पिता राजा दशरथ धर्म और गुणों के भण्डार व ज्ञानी थे. उनकी पत्नी कौशल्या आदि प्रिय रानियां सभी पवित्र आचरणवाली थीं. हालांकि, राजा दशरथ का एक भी पुत्र नहीं था. इससे वे काफी दुखी रहते थे. इस बात को मन में लेकर वो अपने गुरू वशिष्ठ जी के पास गए. वहां उन्होंने अपने मन में चल रही बातों को बताया. इस पर गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को समझाया कि हिम्मत रखो राजन्, तुम्हारे चार पुत्र होंगे. जो तीनों लोकों में प्रसिद्ध और भक्तों के भय को हरने वाले होंगे, तब वशिष्ठ जी ने शृङ्गी ऋषि को बुलवाया और उनसे शुभ पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराया.
गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को खीर दी. साथ में उन्होंने कहा कि इस खीर को अपने मन के मुताबिक हर रानी को खिला देना. इस तरह से उन्होंने आधा खीर कौशल्या को दिया. फिर बचे हुए आधे भाग को कैकेयी को दिया. उसके बाद बचे हुए आधे भाग में से सुमित्रा को दिया. इसके लिए उन्होंने बचे हुए खीर के आखिरी भाग पर कौशल्या और कैकेयी के हाथ पर रखकर सुमित्रा दिया. इसके बाद उन्हें सुख की प्राप्ति हुई.
प्रभु श्री राम के जन्म के वक्त उत्सव का माहौल
गुरु वशिष्ठ के तरफ से दिए गए खीर को खाने के बाद श्री हरि गर्भ में आए. इसके बाद सब चारों लोक में सुख और समृद्धि छा गई. इसके बाद खुशी से भरा पल आ गया. धीरे-धीरे वक्त गुजरता गया और आखिर में एक पल आया, जब प्रभु श्री राम को प्रकट पैदा होना था. योग, लगन, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गए. जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गए क्योंकि श्रीराम का जन्म सुख का मूल है.
प्रभु श्री राम का जन्म ऐसे वक्त हुआ, जब न अधिक गर्मी थी और न ही सर्दी. वो महीना था चैत का. नवमी तिथि को शुक्ल पक्ष वो दिन था, जब उनका जन्म हुआ. ये वक्त भगवान श्री राम के जन्म लेने का सबसे अनुकूल समय था. उनके पैदा होने की खबर सुनकर सारे देवतागण खुश थे. निर्मल आकाश देवताओं के समूहों से भर गया. गन्धर्वों के दल गुणों का गान करने लगे और सुंदर हाथों में सजा-सजाकर पुष्प बरसाने लगे. बादलों में नगाड़े बजने लगे.
श्री राम जन्म स्तुति
राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या जी के गर्भ से प्रभु श्री राम का जन्म हुआ. जन्म के बाद माता कौशल्या काफी खुश हुई. प्रभु श्री राम का शरीर मेघ के समान श्याम था. बड़ी-बड़ी आंखें थीं.
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी।
हर्षित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ।।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी।।
इसका मतलब है कि भगवान के अद्भुत रूप का विचार कर माता कौशल्या हर्ष से भर गई. भगवान ने अपनी भुजाओं को आयुध बनाया. भगवान के शरीर का रंग घनश्याम है. भगवान के नेत्र बड़े-बड़े हैं. भगवान ने भूषणों की माला पहनी हुई है. भगवान सोभासिंधु खरारी हैं.
‘मुझे विश्वास है कि यह ऐतिहासिक क्षण…’, राम मंदिर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पत्र लिख दीं शुभकामनाएं तो क्या बोले पीएम मोदी?
Ram Mandir Pran Pratishtha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से भेजे के गए एक पत्र का जवाब देते हुए कहा है कि यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय विरासत और संस्कृति को और समृद्ध करने के साथ ही देश की विकास यात्रा को नए उत्कर्ष पर ले जाएगा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुभकामनाएं देते हुए पत्र लिखा. पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक X हैंडल से राष्ट्रपति की ओर से भेगे पत्र को शेयर किया है. इसी के साथ पीएम मोदी ने लिखा, ”माननीय राष्ट्रपति जी, अयोध्या धाम में राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर शुभकामनाओं के लिए आपका बहुत-बहुत आभार. मुझे विश्वास है कि यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय विरासत एवं संस्कृति को और समृद्ध करने के साथ ही हमारी विकास यात्रा को नए उत्कर्ष पर ले जाएगा.”
माननीय @rashtrapatibhvn जी,
अयोध्या धाम में राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर शुभकामनाओं के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। मुझे विश्वास है कि यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय विरासत एवं संस्कृति को और समृद्ध करने के साथ ही हमारी विकास यात्रा को नए उत्कर्ष पर ले जाएगा। https://t.co/GdPmx6cluS
— Narendra Modi (@narendramodi) January 21, 2024
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पत्र में ये लिखा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में कहा, ”अयोध्या धाम में नए मंदिर में प्रभु श्रीराम की जन्म स्थली पर स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आप विधिवत तपश्चर्या कर रहे हैं. इस अवसर पर मेरा ध्यान इस महत्वपूर्ण तथ्य पर है कि उस पावन परिसर में आपके द्वारा संपन्न की जाने वाली अर्चना से हमारी अद्वितीय सभ्यतागत यात्रा का एक ऐतिहासिक चरण पूरा होगा.”
राष्ट्रपति ने लिखा, ”आपके द्वारा किया गया 11 दिवसीय कठिन अनुष्ठान पवित्र धार्मिक पद्धतियों का अनुसरण मात्र नहीं है, बल्कि त्याग की भावना से प्रेरित सर्वोच्च आध्यात्मिक कृत्य है तथा प्रभु श्रीराम के प्रति संपूर्ण समर्पण का आदर्श है. आपकी अयोध्या धाम की यात्रा के इस पावन अवसर पर मैं आपको अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं. अयोध्याधाम में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के उद्घाटन से जुड़े देशव्यापी उत्सवों के वातावरण में भारत की चिरंतन आत्मा की उन्मुक्त अभिव्यक्ति दिखाई देती है. यह हम सभी का सौभाग्य है कि हम सब अपने राष्ट्र के पुनरुत्थान के एक नए कालचक्र के शुभारंभ के साक्षी बन रहे हैं.”
उन्होंने लिखा, ”प्रभु श्रीराम द्वारा साहस, करुणा और अटूट कर्तव्यनिष्ठा जैसे जिन सार्वभौमिक मूल्यों की प्रतिष्ठा की गई थी उन्हें इस मंदिर के माध्यम से जन जन तक पहुंचाया जा सकेगा.”
‘प्रभु श्रीराम हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के सर्वोत्तम आयामों के प्रतीक’
राष्ट्रपति मुर्मू ने पत्र में लिखा, ”प्रभु श्रीराम हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के सर्वोत्तम आयामों के प्रतीक हैं. वे बुराई के विरुद्ध निरंतर युद्धरत अच्छाई का आदर्श प्रस्तुत करते हैं. हमारे राष्ट्रीय इतिहास के अनेक अध्याय प्रभु श्रीराम के जीवन चरित्र और सिद्धांतों से प्रभावित रहे हैं तथा रामकथा के आदर्शों से राष्ट्र निर्माताओं को प्रेरणा मिली है. गांधी जी ने बचपन से ही राम नाम का आश्रय लिया और उनकी अंतिम सांस तक राम नाम उनकी जिव्हा पर रहा. गांधीजी ने कहा था कि यद्यपि मेरी बुद्धि और हृदय ने बहुत पहले ही ईश्वर के सर्वोच्च गुण और नाम को सत्य के रूप में अनुभव कर लिया था, मैं सत्य को राम के नाम से ही पहचान ता हूं. मेरी अग्निपरीक्षा के सबसे कठिन दौर में राम का नाम ही मेरा रक्षक रहा है और अब भी वह नाम ही मेरी रक्षा कर रहा है.”
उन्होंने लिखा, ”लोगों की सामाजिक पृष्ठभूमि से प्रभावित हुए बिना भेदभाव से मुक्त रहकर हर किसी के साथ प्रेम और सम्मान का व्यवहार करने के प्रभु श्रीराम के आदर्शों का हमारे पथ प्रदर्शक विचारकों की बौद्धिक चेतना पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है.”
दिखाई देता है प्रभु श्रीराम की रीति का प्रभाव- राष्ट्रपति मुर्मू
राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे लिखा, ”न्याय और जन कल्याण पर केंद्रित प्रभु श्रीराम की रीति का प्रभाव हमारे देश के शासन संबंधी वर्तमान दृष्टिकोण पर भी दिखाई देता है. इसका उदाहरण हाल ही में आपके द्वारा अति पिछड़े जन-जातीय समुदायों के कल्याण हेतु ‘पीएम जनमन’ पहल के तहत अनेक लाभकारी सहायताओं की पहली किस्त जारी करने में स्पष्ट दिखाई दिया. आपके द्वारा अपने संबोधन में माता शबरी का उल्लेख करने से एक हृदयस्पर्शी अनुभूति हुई. निश्चय ही प्रभु श्रीराम के मंदिर के साथ-साथ जन कल्याण कार्यो को देखकर माता शबरी को दोहरा संतोष प्राप्त होगा.”
उन्होंने लिखा, ”प्रभु श्रीराम हमारी भारत-भूमि के सर्वोत्तम आयामों का प्रतीक हैं. वस्तुतः वे पूरी मानवता के सर्वोत्कृष्ट पक्षों के प्रतीक हैं. मेरी प्रार्थना है कि प्रभु श्रीराम विश्व-समुदाय को सही मार्ग पर ले जाएं, वे सभी के जीवन में सुख और शांति का संचार करें. सियावर रामचन्द्र की जय!”
अयोध्या पर जवाहरलाल नेहरू का आदेश टालने वाले IAS अफसर की पूरी कहानी!
Ram Mandir Ayodhya Latest News: अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर पूरे देश में उत्साह है. घर से लेकर बाजार तक, हर तरफ राम का रंग नजर आ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद लोग इसे दिवाली की तरह मनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं. कई राज्यों में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जा चुका है. केंद्र सरकार ने भी आधे दिन की छुट्टी का ऐलान कर दिया है. हर कोई इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनना चाहता है, लेकिन यह पल यूं ही नहीं आया है. इसके पीछे कई वर्षों का संघर्ष, हजारों लोगों का समर्पण और कुर्बानी छिपी हुई है.
राम मंदिर के संघर्ष में कई ऐसे भी हीरो हैं जिन्होंने इसमें काफी योगदान दिया, लेकिन उनकी कुर्बानी को या तो गिना ही नहीं गया या लोगों ने भुला दिया. इस संघर्ष के एक ऐसे ही एक हीरो थे के.के. नायर. इन्होंने राम मंदिर के लिए जो योगदान दिया है, उनके बारे में आज के युवा शायद ही कुछ जानते हों. यहां हम बताएंगे के.के. नायर से जुड़ी खास बातें.
कौन थे के.के. नायर?
के.के. नायर का पूरा नाम कंडांगलाथिल करुणाकरण नायर था. इनका जन्म 11 सितंबर, 1907 को केरल में हुआ था. इनका बचपन केरल के अलाप्पुझा के कुट्टनाड गांव में बीता था. यहां अपनी बेसिक शिक्षा पूरी करने के बाद नायर हायर एजुकेशन के लिए इंग्लैंड चले गए. वहां से लौटकर भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा मात्र 21 साल की उम्र में पास कर ली. सिविल सेवा पास करने के बाद उन्हें फैजाबाद का उपायुक्त सह जिला मैजिस्ट्रेट पद पर तैनाती मिली थी..
दो बार नहीं माना नेहरू का आदेश
आईएएस केके नायर 1949 में फैजाबाद के डीएम बन चुके थे. तब 22-23 दिसंबर 1949 की रात में कुछ लोगों ने विवादित ढांचे के गर्भगृह में रामलला की मूर्तियां रख दी थीं. इसके बाद काफी बवाल हुआ. इसे देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उत्तर प्रदेश के सीएम गोविंद बल्लभ पंत से मूर्तियां हटवाने को कहा. इसके बाद गोविंद बल्लभ पंत ने इन मूर्तियों को हटाने के आदेश डीएम के.के. नायर को दिए, लेकिन डीएम के.के. नायर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.
पीएम के कहने पर सीएम ने दूसरी बार भी के.के. नायर को आदेश दिया, लेकिन उन्होंने ये कहते हुए मूर्तियां हटवाने से इनकार कर दिया कि इससे हिंदुओं की भावना आहत होगी और दंगे भड़क सकते हैं. दूसरी बार में के.के. नायर ने लिखा कि मूर्ति हटाने से पहले मुझे हटाया जाए. माहौल को देखते हुए सरकार पीछे हट गई, लेकिन पीएम और सीएम के आदेश न मानने पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. वह हाई कोर्ट गए और वहां से स्टे पाकर फिर से फैजाबाद के डीएम बन गए थे.
पति और पत्नी दोनों ही पहुंचे संसद
इस घटना के बाद से के.के. नायर मशहूर हो चुके थे. उन्होंने कुछ साल तक नौकरी की और फिर 1952 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. इसके कुछ दिन बाद वह राजनीति में आ गए. चौथी लोकसभा के लिए हुए बहराइच सीट से जनसंघ के टिकट पर खड़े हुए और विजयी होकर संसद तक पहुंचे. उनकी पत्नी शकुंतला नायर भी राजनीति में आ गईं और कैसरगंज लोकसभा सीट से तीन बार जनसंघ के टिकट पर विजय रहीं.
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