Ram Mandir Inauguration: राम मंदिर में मूर्तियों को कौन कौन से आभूषण पहनाए गए? सोने के दरवाजे सहित क्या-क्या है बेहद महंगा
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राम मंदिर के लिए किस राज्य से क्या योगदान आया? चंपत राय ने दी पूरी जानकारी – India TV Hindi
अयोध्या में राम मंदिर का भूतल बनकर तैयार हो चुका है। सोमवार को राम मंदिर के गर्भ गृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा पूरी हो चुकी है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया है। प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर रामजन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बड़ी जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि राम मंदिर के निर्माण में देश के कोने-कोने से योगदान आया है।
देशभर से आया दान
चंपत राय ने बताया है कि राम मंदिर के लिए देशभर से दोनों हाथों से दान किया है। उन्होंने कहा कि देश का ऐसा कोई कोना नहीं रहा जहां से प्रभु राम के लिए कोई उपहार न आया हो। उन्होंने बताया है कि मंदिर के लिए घंटा कासगंज से आया तो नीचे पड़ने वाली राख रायबरेली से आई है। मध्य प्रदेश के छतरपुर से गिट्टी तो वहीं, तेलांगाना से ग्रेनाइट आया है।
मार्बल मकराना से आया
मंदिर के पत्थर राजस्थान के भरतपुर और मार्बल मकराना से आए हैं। राम मंदिर के दरवाजों की लकड़ी महाराष्ट से आई है और उसपर सोने और डायमंड का काम मुंबई के एक व्यापारी ने किया है। उन्होंने बताया कि लकड़ी के काम के कारीगर तमिलनाडु के कन्याकुमारी के हैं। वहीं, भगवान के वस्त्र दिल्ली के एक युवक ने बनाए हैं। भगवान के आभूषण लखनऊ से बनवाए गए हैं।
41 साल के हैं अरुण योगीराज
चंपत राय ने बताया है कि रामलला की मूर्ति का पत्थर कर्नाटक का है। इसे बनाने वाले अरुण योगीराज भी कर्नाटक के हैं और वह केवल 41 साल के हैं। उन्होंने इससे पहले इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति भी डिजाईन की है। चंपत राय ने ये भी बताया कि भगवान राम के आभूषणों की नक्काशी राजस्थान में की गई है।
रामलला के दर्शन करने पहुंचीं देशभर की हस्तियां
रामलला के दर्शन करने के लिए देशभर की हस्तियां पहुंची हैं। बिजनेस जगत से मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी परिवार समेत पहुंचे हैं। फिल्म जगत से अमिताभ बच्चन, रणवीर कपूर, विक्की कौशल, कटरीना कैफ, रोहित शेट्टी, आलिया भट्ट पहुंची हैं। क्रिकेट जगत से सचिन तेंदुलकर पहुंचे हैं। गायकी की दुनिया से सोनू निगम, अनु मलिक, शंकर महादेवन, अनुराधा पौडवाल पहुंची हैं।
जब पैदा हुए रामलला, तब अयोध्या में कैसा था माहौल? जानिए रामचरितमानस में क्या है वर्णन
Ram Lalla Birth Story: अयोध्या में आज यानी सोमवार (22 जनवरी) को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है. इसको लेकर सारी तैयारियां पहले ही कर दी गई है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य पूजा में भाग लेंगे. इसके अलावा उनके साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी होंगे. राम मंदिर तीन मंजिला है और इसका निर्माण नागर शैली में किया गया है.
इस अवसर पर आइए तुलसीदास के जरिए अवधी भाषा में लिखी गई रामचरितमानस का हिंदी अनुवाद जानते हैं. इसमें भगवान श्री राम के जन्म से लेकर विजय होने तक की कहानी दी गई है. इसमें सबसे पहली कहानी है प्रभु श्री राम के जन्म से जुड़ी हुई.
गुरू वशिष्ठ के पास दुखी मन से गए राजा दशरथ
अवधपुरी में रघुकुल शिरोमणि राजा दशरथ का नाम वेदों में विख्यात है. भगवान राम के पिता राजा दशरथ धर्म और गुणों के भण्डार व ज्ञानी थे. उनकी पत्नी कौशल्या आदि प्रिय रानियां सभी पवित्र आचरणवाली थीं. हालांकि, राजा दशरथ का एक भी पुत्र नहीं था. इससे वे काफी दुखी रहते थे. इस बात को मन में लेकर वो अपने गुरू वशिष्ठ जी के पास गए. वहां उन्होंने अपने मन में चल रही बातों को बताया. इस पर गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को समझाया कि हिम्मत रखो राजन्, तुम्हारे चार पुत्र होंगे. जो तीनों लोकों में प्रसिद्ध और भक्तों के भय को हरने वाले होंगे, तब वशिष्ठ जी ने शृङ्गी ऋषि को बुलवाया और उनसे शुभ पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराया.
गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को खीर दी. साथ में उन्होंने कहा कि इस खीर को अपने मन के मुताबिक हर रानी को खिला देना. इस तरह से उन्होंने आधा खीर कौशल्या को दिया. फिर बचे हुए आधे भाग को कैकेयी को दिया. उसके बाद बचे हुए आधे भाग में से सुमित्रा को दिया. इसके लिए उन्होंने बचे हुए खीर के आखिरी भाग पर कौशल्या और कैकेयी के हाथ पर रखकर सुमित्रा दिया. इसके बाद उन्हें सुख की प्राप्ति हुई.
प्रभु श्री राम के जन्म के वक्त उत्सव का माहौल
गुरु वशिष्ठ के तरफ से दिए गए खीर को खाने के बाद श्री हरि गर्भ में आए. इसके बाद सब चारों लोक में सुख और समृद्धि छा गई. इसके बाद खुशी से भरा पल आ गया. धीरे-धीरे वक्त गुजरता गया और आखिर में एक पल आया, जब प्रभु श्री राम को प्रकट पैदा होना था. योग, लगन, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गए. जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गए क्योंकि श्रीराम का जन्म सुख का मूल है.
प्रभु श्री राम का जन्म ऐसे वक्त हुआ, जब न अधिक गर्मी थी और न ही सर्दी. वो महीना था चैत का. नवमी तिथि को शुक्ल पक्ष वो दिन था, जब उनका जन्म हुआ. ये वक्त भगवान श्री राम के जन्म लेने का सबसे अनुकूल समय था. उनके पैदा होने की खबर सुनकर सारे देवतागण खुश थे. निर्मल आकाश देवताओं के समूहों से भर गया. गन्धर्वों के दल गुणों का गान करने लगे और सुंदर हाथों में सजा-सजाकर पुष्प बरसाने लगे. बादलों में नगाड़े बजने लगे.
श्री राम जन्म स्तुति
राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या जी के गर्भ से प्रभु श्री राम का जन्म हुआ. जन्म के बाद माता कौशल्या काफी खुश हुई. प्रभु श्री राम का शरीर मेघ के समान श्याम था. बड़ी-बड़ी आंखें थीं.
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी।
हर्षित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ।।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी।।
इसका मतलब है कि भगवान के अद्भुत रूप का विचार कर माता कौशल्या हर्ष से भर गई. भगवान ने अपनी भुजाओं को आयुध बनाया. भगवान के शरीर का रंग घनश्याम है. भगवान के नेत्र बड़े-बड़े हैं. भगवान ने भूषणों की माला पहनी हुई है. भगवान सोभासिंधु खरारी हैं.
कलाकार ने माचिस की तीलियों से बनाई अयोध्या के राम मंदिर की प्रतिकृति, सामने आया VIDEO – India TV Hindi
पुरी: यूपी के अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देशभर में जश्न का माहौल है। इस मौके पर कलाकार भी अपनी-अपनी कला के अनुसार राम मंदिर को कुछ न कुछ समर्पित कर रहे हैं। जो गायक हैं, वह राम भजन गा रहे हैं। जो एक्टर हैं, वह राम नाटक का मंचन कर रहे हैं। सभी अपनी-अपनी कला, श्रद्धा के अनुसार भगवान राम के चरणों में कुछ न कुछ समर्पित कर रहे हैं। ऐसे में ओडिशा के पुरी में एक मूर्तिकार ने माचिस की तीलियों से अयोध्या के राम मंदिर की प्रतिकृति बनाई है।
कौन है ये मूर्तिकार?
माचिस की तीलियों से राम मंदिर की प्रतिकृति बनाने वाले मूर्तिकार का नाम सास्वत रंजन है। सास्वत ने माचिस की तीलियों का बखूबी इस्तेमाल किया है और हूबहू राम मंदिर जैसी रचना की है। इसका वीडियो भी सामने आया है।
आज अयोध्या राममंदिर में विराजेंगे रामलला
आज रामलला अयोध्या में नए बने मंदिर में विराजित हो जाएंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे। वह आज सुबह लगभग 10:30 पर अयोध्या पहुंचेंगे। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम मंदिर के गर्भगृह में दोपहर 12:05 पर शुरू होगा। गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान दोपहर 1 बजे तक चलेगा।
पीएम मोदी हटाएंगे रामलला की आंखों से पट्टी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला की आंखों से पट्टी हटायेंगे। इसके बाद वह रामलला की आंखों में सोने की श्लाका से काजल लगाएंगे। काजल लगाने के बाद पीएम मोदी रामलला को शीशा दिखाएंगे और इसी के साथ प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण हो जाएगी। इसके बाद कार्यक्रम में मौजूद लोग रामलला के दर्शन कर सकेंगे। वहीं आम लोग 23 जनवरी से अपने रामलला के दर्शन कर सकेंगे।
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आज अयोध्या राममंदिर में विराजेंगे रामलला, इस शुभ मुहूर्त में होगी प्राण प्रतिष्ठा – India TV Hindi
अयोध्या: जिस घड़ी का कई सदियों से इंतजार किया जा रहा था, वह घड़ी अब आ चुकी है। आज अयोध्या में रामलला नए बने मंदिर में विराजित हो जाएंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे। वह आज सुबह लगभग 10:30 पर अयोध्या पहुंचेंगे। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम मंदिर के गर्भगृह में दोपहर 12:05 पर शुरू होगा। गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान दोपहर 1 बजे तक चलेगा।
पीएम मोदी हटाएंगे रामलला की आंखों से पट्टी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला की आंखों से पट्टी हटायेंगे। इसके बाद वह रामलला की आंखों में सोने की श्लाका से काजल लगाएंगे। काजल लगाने के बाद पीएम मोदी रामलला को शीशा दिखाएंगे और इसी के साथ प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण हो जाएगी। इसके बाद कार्यक्रम में मौजूद लोग रामलला के दर्शन कर सकेंगे। वहीं आम लोग 23 जनवरी से अपने रामलला के दर्शन कर सकेंगे।
राम मंदिर को महल की भांति सजाया गया
प्राण प्रतिष्ठा से पहले नवनिर्मित राम मंदिर को महल की भांति सजाया गया है। पूरे प्रांगण को फूल-पत्तियों से सजाया गया है। इसके साथ ही लाइटों के उजाले से मंदिर बेहद ही भव्य और मनमोहक दिख रहा है। बता दें कि मंदिर के गर्भगृह में केवल रामलला की ही मूर्ति को स्थापित किया जाएगा। वहीं भगवान राम के साथ लक्ष्मण, माता जानकी, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी के साथ का मंदिर पर्थम तल पर बनाया जाएगा।
रामलला की मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम
गर्भगृह में रामलला की मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। मूर्ति की ऊंचाई 4.24 फीट और चौड़ाई तीन फीट है। मूर्ति को एक ही पत्थर पर बनाया गया है। इसमें कोई और पत्थर को नहीं जोड़ा गया है। रामलला की इस मूर्ति के साथ पत्थर से ही एक फ्रेमनुमा आकार बनाया गया है। इस पर भगवान विष्णु के दस अवतार बनाए गए हैं। जिसमें मत्स्य, कुर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतार बनाए गए हैं। इसके साथ ही प्रतिमा के एक तरफ गरुण हैं तो दूसरी तरफ हनुमान जी नजर आ रहे हैं।