इजरायल ने आरोप लगाया है कि इस आतंकी हमले में संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNRWA के 190 कर्मचारी शामिल थे। इन आतंकवादियों का हमास और इस्लामिक जिहाद जैसे खूंखार आतंकी संगठनों से नाता रहा है।
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Israel Hamas War
Gaza War: यूएन एजेंसी के स्टाफ ने हमास के हमले में की थी मदद, इस्राइल के दावे के बाद कई देशों ने रोकी फंडिंग
कई देशों ने रोकी यूएन एजेंसी की फंडिंग
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
अमेरिका समेत कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थियों के लिए काम करने वाली एजेंसी की फंडिंग रोक दी है। दरअसल इस्राइल ने दावा किया है कि हमास द्वारा उनके देश पर 7 अक्तूबर को किए गए हमले में यूएन एजेंसी के स्टाफ ने भी मदद की थी। जिन देशों ने फंडिंग रोकी है, उनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और फिनलैंड शामिल हैं। जिस एजेंसी की फंडिंग रोकी गई है, वह यूएनआरडब्लूए (UNRWA) है।
‘इसका दाग हम सब पर लगेगा’
यूएनआरडब्लूए शरणार्थियों के लिए काम करने वाली एजेंसी हैं और गाजा में मानवीय मदद पहुंचाने में इसकी अहम भूमिका है। यही वजह है कि जब देशों ने एजेंसी की फंडिंग रोकने का एलान किया तो एजेंसी के कमिश्नर जनरल फिलिप लाजारनी ने इस पर दुख जताया और कहा कि ‘गाजा के फिलस्तीनियों को अब और सजा नहीं मिलनी चाहिए। इसका दाग हम पर सब पर लगेगा।’ लाजारनी ने कहा कि फंडिंग रोकने के फैसले से उनके द्वारा किए जा रहे मानवीय कार्य प्रभावित होंगे और खासकर गाजा में समस्या बढ़ेगी। यूएनआरडब्लूए ने शुक्रवार को बताया कि इसके स्टाफ पर जो आरोप लगे हैं, उसकी जांच की जा रही है।
1948 में शरणार्थियों की मदद के लिए हुआ था यूएनआरडब्लूए का गठन
इस्राइल के विदेश मंत्री इस्राइल काट्ज ने यूएनआरडब्लूए पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस एजेंसी के इस्लामिक आतंकियों से संबंध हैं और उन्होंने सलाह दी कि गाजा में लड़ाई समाप्त होने के बाद इस एजेंसी को किसी दूसरी एजेंसी से बदल देना चाहिए। यूएनआरडब्लूए का गठन साल 1948 में गाजा, लेबनान, जॉर्डन, सीरिया के शरणार्थियों की मदद के लिए बनाया गया था। इस्राइल द्वारा गाजा पर हमले के बाद से यही एजेंसी फिलस्तीनियों को मानवीय मदद पहुंचा रही है।
हमास को लेकर वायरल डॉक्यूमेंट पर विदेश मंत्रालय ने दी सफाई, कहा- तकनीकी सुधार की जरूरत
External Affairs Ministry Clarified On Hamas: हमास को भारत में आतंकवादी संगठन घोषित करने से संबंधित दस्तावेज के सोशल मीडिया पर वायरल होने से विवाद खड़ा हो गया है. कहा गया कि संसद में एक अतारांकित प्रश्न के जवाब में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, सांसद ने किसी भी कागज पर हस्ताक्षर नहीं करने की बात कही, जिसके बाद मामला और पेचीदा हो गया. अब इस मामले पर खुद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है.
दरअसल, केरल से कन्नूर लोकसभा सीट के सांसद सुधाकरन ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पूछा था कि क्या सरकार के पास हमास को भारत में आतंकवादी संगठन घोषित करने का कोई प्रस्ताव है? यदि हां, तो उसका विवरण दिया जाए. अगर ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, तो इसके क्या कारण हैं? उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या इजराइल सरकार ने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए भारत सरकार से बात की है? सुधाकरन ने सरकार से विवरण मुहैया कराने की मांग भी की थी.
इस सवाल के जवाब से जुड़े दस्तावेज के वायरल होने पर अब विदेश मंत्रालय ने शनिवार को स्पष्ट किया कि राज्य मंत्री वी मुरलीधरन को एक संसदीय प्रश्न का आधिकारिक उत्तर देने लिए सूचीबद्ध किया गया था. इस मामले पर अब राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि उन्होंने प्रश्न का उत्तर नहीं दिया है जैसा कि आधिकारिक वेबसाइटों पर पोस्ट किए दस्तावेजों में नजर आया है.
‘मीनाक्षी लेखी का दावा-किसी भी कागज पर नहीं किए हस्ताक्षर’
दस्तावेजों के सामने आने के बाद पता चला कि लेखी ने इस सवाल का जवाब दिया था लेकिन ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने “इस प्रश्न और इसके उत्तर के साथ किसी भी कागज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.”
कई घंटे के बाद विदेश मंत्रालय प्रवक्ता का आया बयान
इस सब प्रकरण के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कई घंटों के बाद स्पष्ट किया कि दस्तावेजों में “तकनीकी सुधार” की जरूरत है.
प्रवक्ता बागची ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ”हमने देखा है कि 8 दिसंबर 2023 को लोकसभा अतारांकित प्रश्न (Lok Sabha Unstarred Question) संख्या 980 के दिए गए उत्तर में राज्य मंत्री वी मुरलीधरन (V Muraleedharan) को संसद प्रश्न का उत्तर देने के संदर्भ में तकनीकी सुधार की आवश्यकता है.”
‘राज्य मंत्री वी मुरलीधरन का नाम लिखे जाने की तकनीकी सुधार की जरूरत’
उन्होंने इस मामले में गलती किस तरह से हुई, इसको लेकर कोई डिटेल देने की बजाय कहा, ”यह उचित तरीके से किया जा रहा है. संसद में प्रश्न का उत्तर देने वाले राज्य मंत्री के रूप में मुरलीधरन का नाम लिखे जाने के लिए तकनीकी सुधार की जरूरत है. इसके लिए जरूरी और उपयुक्त पहल की जा रही है.
‘घटना की जांच व दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्देश’
केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भी मामले पर वक्तव्य देते हुए कहा था कि इस उल्लंघन की सूचना प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर को दे दी गई है. विदेश सचिव को भी फोन किया गया है. घटना की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.
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‘…इजरायल की कार्रवाई नरसंहारक’, गाजा युद्ध पर कांग्रेस ने जारी किया नया बयान
Congress On Israel Hamas War: इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध पर कांग्रेस ने शुक्रवार (17 नवंबर) को नया बयान जारी किया. कांग्रेस ने इजरायल की कार्रवाई को नरसंहार करार देते हुए इसकी निंदा की.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की ओर से जारी बयान में कहा गया, ”अपने नागरिकों पर हमास के निंदनीय हमले के बाद इजरायल की कार्रवाई नरसंहारक है. नागरिकों, महिलाओं और बच्चों, अस्पतालों और आश्रयों को निशाना बनाना मानवता के मूल्यों और युद्ध के हर अंतरराष्ट्रीय मानदंड का उल्लंघन है.”
‘अब अस्पतालों को निशाना बनाया जा रहा है’
बयान में कहा गया, ”ईंधन, बिजली, दवाओं, एनेस्थेटिक्स और मानवीय सहायता को कई हफ्तों तक अवरुद्ध करने के बाद, अब अस्पतालों को सैन्य रूप से निशाना बनाया जा रहा है, यहां तक कि समय से पहले जन्मे शिशुओं को भी चिकित्सा देखभाल से वंचित कर दिया गया है, यह युद्ध के समय में भी एक भयावह और अभूतपूर्व घटनाक्रम है.”
‘दिए जा रहे नरसंहार के इरादे के बयान’
जयराम रमेश ने बयान में कहा, ”10,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं जिनमें से आधे से ज्यादा हमारे बच्चे हैं. डब्ल्यूएचओ ने दर्ज किया कि गाजा में हर 10 मिनट में एक बच्चा मारा जा रहा है. यह सब तब हो रहा है जब शीर्ष इजरायली नेतृत्व की ओर से नरसंहार के इरादे के बयान दिए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने खुद गाजा के कुछ हिस्सों को मलबे में बदलने का आह्वान किया है और पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की बेतहाशा हत्या को कॉलेटरल डैमेज कहा है.”
‘यूक्रेन और गाजा में लागू किया जा रहा दोहरा मानक’
कांग्रेस नेता ने बयान में कहा, ”कुछ इजरायली मंत्रियों की ओर से फिलिस्तीनियों पर जिस तरह की अमानवीय भाषा का इस्तेमाल किया गया वह प्रलय से पहले की भाषा की तरह है.”
बयान में कहा गया, ”यह चौंकाने वाली बात है कि कई प्रभावशाली देश जो सुविधाजनक होने पर मानवाधिकार और न्याय की भाषा बोलना चुनते हैं, वे इजरायल के कार्यों को अपना समर्थन दे रहे हैं. यूक्रेन और गाजा में लागू किया जा रहा दोहरा मानक स्पष्ट है.”
‘तुरंत युद्धविराम की घोषणा की जाए’
बयान में कहा गया, ”समय की मांग है कि तनाव कम किया जाए और तुरंत युद्धविराम की घोषणा की जाए. दुनिया चुपचाप नहीं देख सकती क्योंकि दूसरा नकबा सामने आ रहा है और फिलिस्तीनियों का जातीय सफाया और उन्हें बेदखल करना, जैसा कि 1948 में किया गया था, एक बार फिर दंड-मुक्ति के साथ किया जा रहा है.”
कांग्रेस ने भारत सरकार से किया ये आग्रह
बयान में कहा गया, ”भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत सरकार से अमेरिका, इजरायल और यूरोपीय संघ की सरकारों पर दबाव बनाने के लिए हर संभव प्रयास करने का आग्रह करती है ताकि वे गाजा में इजरायल की ओर से की जा रही हिंसा को रोकने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग कर सकें.” बयान में आखिर में कहा गया, ”हमारी सामूहिक चेतना को जगाने से पहले और कितनी जानें लेनी होंगी?”
Our statement on the extremely horrifying situation in Gaza. pic.twitter.com/KhQrJiLXNE
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 17, 2023
कांग्रेस पहले भी जारी कर चुकी है बयान
बता दें कि शुक्रवार के बयान से पहले कांग्रेस ने इजरायल-हमास मुद्दे पर कम से कम दो बयान जारी किए थे. अपने पहले बयान में कांग्रेस ने इजरायल पर हमले की निंदा की थी और कहा था कि हिंसा कभी कोई समाधान नहीं देती.
कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद पार्टी ने एक और बयान जारी किया था, जिसमें उसने फिलिस्तीनी लोगों के भूमि, स्वशासन और सम्मान के साथ जीने के अधिकार के प्रति अपने समर्थन को रेखांकित किया था.
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बाल दिवस पर पिनरई विजयन ने उठाया फलस्तीनी बच्चों की सुरक्षा का मुद्दा
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंगलवार (14 नवंबर) को बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार की जिम्मेदारी पर जोर दिया और इजराइल के साथ चल रहे संघर्ष से प्रभावित फलस्तीनी बच्चों को इस दुर्दशा से बाहर निकालने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया.
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इस अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने युद्ध के बीच फलस्तीनी बच्चों की स्थिति को रेखांकित किया. उन्होंने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके पुनर्वास के लिए सामूहिक कदम उठाने का आग्रह किया.
और क्या बोला पिनरई विजयन
पिनरई विजयन ने कहा कि पौष्टिक भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता दुनिया में जन्म लेने वाले हर बच्चे का अधिकार है. उन्होंने कहा कि इन अधिकारों की रक्षा करना सरकारों की मौलिक जिम्मेदारी है. पंडित जवाहर लाल नेहरू समेत संविधान के निर्माताओं के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि एक ऐसे भारत की कल्पना की थी जहां बच्चों के खिलाफ हिंसा और शोषण को खत्म किया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा- इजरायली हमलों से गाजा में मारे गए करीब 5,000 बच्चे
सीएम विजयन ने ऐसी घटनाओं के हृदय विदारक प्रभाव को स्वीकार करते हुए वैश्विक स्तर पर बच्चों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, ‘फलस्तीन के खिलाफ इजराइली हमले में अकेले गाजा में 4,609 बच्चे मारे जा चुके हैं.’ मुख्यमंत्री ने गंभीर रूप से घायल और अनाथ बच्चों के चेहरों को मानवीय चेतना पर एक दाग बताया. उन्होंने दुनिया भर की सुधारवादी ताकतों से एकजुट होने आवाज उठाने का आह्वान किया.
फलस्तीनी बच्चों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए कदम उठाने का किया आग्रह
पिनरई विजयन ने फलस्तीनी बच्चों की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक कदम उठाने का भी आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने बाल अधिकारों के मामले में केरल को पूरे देश के लिए एक मॉडल घोषित करने पर भी गर्व महसूस किया. फेसबुक पोस्ट में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी सरकार बच्चों के खिलाफ हिंसा से जुड़े मामलों में कोई समझौता नहीं करेगी.
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