बीते चुनाव की बात करें तो घोषणापत्र में भाजपा ने अवैध घुसपैठ के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में सांस्कृतिक और भाषाई पहचान पर गंभीर संकट का जिक्र करते हुए एनआरसी को लागू करने का वादा किया था। इस बार एनआरसी का जिक्र नहीं है।
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Lok Sabha 2024 : शहाबुद्दीन के गढ़ से राजद के अवध बिहारी का टिकट फाइनल, हिना शहाब को किया दरकिनार
अवध बिहारी चौधरी के साथ लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव
– फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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पांच दिन पहले अवध बिहारी चौधरी का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें यह कहा जा रहा था कि मो. शहाबुद्दीन के गढ़ सीवान से राष्ट्रीय जनता दल ने हिना शहाब को दरकिनार कर अवध बिहारी चौधरी को सीवान से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। लेकिन उस वीडियो पर अधिकारिक मोहर उस समय नहीं लग पाई। अब फिर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें अवध बिहारी चौधरी के साथ लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव दिख रहे हैं। इस तस्वीर में ख़ास बात यह है कि इस बड़े लिफाफा को तीनों ने पकड़ रखा है, जिसको देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से टिकट मिल गया है और उन्हें सीवान के लिए राजद का उम्मीदवार बनाया गया है।
ऐसे बदल गये रास्ते
मो. शहाबुद्दीन के इंतकाल के बाद से यह परिवार कई बार मुश्किलों में घिरा। बीच में जब महागठबंधन की सरकार थी, तब भी मो. शहाबुद्दीन के बेटे को कई बार मुसीबतों में घिरा देख मां हिना शहाब को लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और राजद से बहुत सारी उम्मीदें की, लेकिन वह उम्मीदें पूरी नहीं हुई। फिर हिना शहाब अपने बलबूते किसी तरह उन हालातों का सामना किया। फिर राजद के कार्यक्रमों से भी इन्हें अलग रखा जाने लगा जिस वजह से राष्ट्रीय जनता दल से हिना शहाब की दूसरी लगातार बढ़ती चली गई।
राजद की अब बढ़ सकती हैं मुश्किलें
हिना शहाब और राजद की दूसरी इतनी बढ़ गई कि इन्होने अब अपना रास्ता ही बदला लिया। कभी खुद को राजद का सिपाही बताने वाली जुबान अब खुद को न्यूट्रल कहने लगी। खुद अपने आप पर से राजद की पहचान हटाकर खुद मैदान में निर्दलीय उतरने की तैयारी करने लगी। अब तक राजद इन सब चीजों से बेफिक्र था लेकिन अब राजद को इस सीट के साथ ही मुसलमान वोट बैंक पर खतरा दिखना लाजमी है। ऊपर से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का बाहर से हिना शहाब को सपोर्ट करना राष्ट्रीय जनता दल की मुश्किलें जरुर बढ़ा सकती हैं।
जानिए कौन-कौन हैं सीवान से उम्मीदवार
सीवान में एनडीए प्रत्याशी जदयू कोटे से विजयलक्ष्मी कुशवाहा चुनावी मैदान में है। दूसरी तरफ राजद से अवध बिहारी चौधरी और निर्दलीय प्रत्याशी हिना शहाब हैं। , स्थानीय लोगों का कहना है कि अबकी बार सीवान में त्रिकोणीय लड़ाई होगी। वहीं चर्चा यह भी है कि हिना शहाब को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम बाहर से अपना समर्थन देगी।
Election 2024: सूची में नाम हो तो कहीं से भी बने पहचान पत्र से डाल सकेंगे वोट, चुनाव आयोग ने कही यह बात
निर्वाचन आयोग
– फोटो : पीटीआई
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चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता पहचान पत्र न होने पर भी अन्य पहचान पत्र दिखाकर मतदान कर सकेंगे। आयोग ने राज्यों के चुनाव अधिकारियों से कहा है कि यदि पहचान पत्र के जरिये किसी मतदाता की पहचान हो जाती है तो उसे मतदाता पहचान पत्र की लिपिकीय या वर्तनी की त्रुटियों को नजरअंदाज करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कोई भी वास्तविक मतदाता मतदान के अपने अधिकार से वंचित न हो।
आयोग ने यह भी कहा कि किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र के चुनाव पंजीकरण अधिकारी की ओर से जारी मतदाता पहचान पत्र पहचान के लिए स्वीकार किया जाएगा बशर्ते मतदाता का नाम उस मतदान केंद्र की मतदाता सूची में हो जहां वह मत डालने गया हो। फोटो बेमेल होने की स्थिति में मतदाता को चुनाव आयोग की ओर से सूचीबद्ध वैकल्पिक फोटो दस्तावेज में से एक को पेश करना होगा। पिछले महीने जारी एक आदेश में चुनाव आयोग ने कहा कि जो मतदाता पहचान पत्र पेश नहीं कर पाए हैं, उन्हें पहचान स्थापित करने के लिए फोटो पहचान पत्रों में से कोई एक प्रस्तुत करना होगा। इनमें आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक या डाकघर से जारी फोटोयुक्त पासबुक, श्रम मंत्रालय से जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के तहत भारत के रजिस्ट्रार जनरल से जारी स्मार्ट कार्ड शामिल हैं।
ये दस्तावेज भी होंगे मान्य
भारतीय पासपोर्ट, फोटो के साथ पेंशन दस्तावेज, केंद्र या राज्य सरकारों या पीएसयू के कर्मचारियों को जारी किए गए फोटो वाले सेवा आई-कार्ड, सांसदों, विधायकों और एमएलसी को जारी आधिकारिक पहचान पत्र और सामाजिक न्याय मंत्रालय से जारी विशिष्ट दिव्यांगता आई-कार्ड भी स्वीकार किए जाएंगे। अपने भारतीय पासपोर्ट में विवरण के आधार पर मतदाता सूची में पंजीकृत प्रवासी भारतीय की पहचान मतदान केंद्र पर केवल उनके मूल पासपोर्ट के आधार पर की जाएगी और कोई अन्य पहचान दस्तावेज नहीं।
Affidavit: मैसूर से भाजपा के शाही उम्मीदवार के पास सात किलो सोना, 40 किग्रा चांदी; नहीं है गाड़ी, जमीन और मकान
यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार
– फोटो : AMAR UJALA
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लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस चरण में 26 अप्रैल को 13 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की 89 सीट पर मतदान होगा। इन राज्यों में दक्षिण भारत से कर्नाटक भी शामिल है। इस लोकसभा चुनाव की कुछ सीटें ऐसी भी हैं जो उम्मीदवारों की वजह से चर्चा में हैं। ऐसी ही एक लोकसभा सीट है मैसूर। यहां से भाजपा ने मैसूर के पूर्व शाही परिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार को अपना उम्मीदवार बनाया है।
वाडियार ने मैसूर लोकसभा सीट से अपना नामांकन भी कर दिया है। शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले भाजपा नेता के चुनावी हलफनामे से कई रोचक जानकारियां सामने आई हैं। वाडियार ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि उनके नाम पर कोई मकान, जमीन या गाड़ी नहीं है। आइये जानते हैं वाडियार ने अपने शपथ पत्र में क्या बताया है…
भाजपा ने पश्चिम बंगाल में संदेशखाली की पीड़िता को दिया लोकसभा का टिकट, बशीरहाट से चुनाव लड़ेंगी रेखा पात्रा – India TV Hindi
भाजपा ने पश्चिम बंगाल में अपने एक फैसले से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चारों खाने चित्त कर दिया है। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने संदेशखाली मामले की पीड़िता को दिया लोकसभा का टिकट देकर पश्चिम बंगाल की सियासत में खलबली मचा दी है। बीजेपी ने संदेशखाली मामले में यौन उत्पीड़न का केस दर्ज कराने वाली रेखा पात्रा को बशीरहाट से चुनाव के मैदान में उतारा है। पश्चिम बंगाल के चुनाव में इस बार संदेशखाली में महिलाओं के साथ हुई दरिंगदगी सबसे बड़ा मुद्दा है। ऐसे में भाजपा ने संदेशखाली पीड़िता को चुनाव मैदान मैदान में उतार कर तृणमूल कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती पेश कर दी है।
भाजपा ने आज अपनी पांचवीं सूची में रेखा पात्रा को बशीरहाट लोकसभा सीट से टिकट दिया है। संदेशखाली मामला भाजपा के लिए पश्चिम बंगाल में टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है। पीएम मोदी ने आरामबाग की अपनी रैली में कहा था, ”संदेशखाली की माताओं और बहनों” पर हुए अत्याचार से पूरे देश का सिर शर्म से झुक गया है। उन्होंने संदेशखली में अपराध करने वालों को बचाने की कोशिश करने के लिए ममता को दोषी ठहराया था। क्योंकि आरोपी लोग उनकी ही पार्टी के थे। मोदी ने कहा ममता बनर्जी पर सीधा आरोप लगाते कहा था कि बिना राजनीतिक संरक्षण के कोई अपराधी खुद को 56 दिनों तक कैसे बचा सकता है.” उन्होंने यह भी पूछा कि इंडिया ब्लॉक में ममता के गठबंधन सहयोगी संदेशखाली मुद्दे पर चुप क्यों हैं।