इसके अलावा बार लाइसेंसधारक के परिसर से संबंधित भवन के दूसरे परिसर अथवा टेरेस में अतिरिक्त बार काउंटर की स्थापना के लिए भी आवेदन किया जा सकता है. इसके लिए लाइसेंस फीस का पांच प्रतिशत या 2.50 लाख रुपए, जो अधिक हो, शुल्क लिया जाएगा. कुछ बार लाइसेंस और क्लब बार की लाइसेंस फीस में वृद्धि की गयी है. इवेंट बार, समारोह बार लाइसेंस की अधिकतम अवधि 12 घंटे और रात 12 बजे तक ही होगी. प्रीमियम रिटेल दुकानों में बिक्री के लिए अनुमन्य एसेसरीज में टॉनिक वाटर और कॉकटेल मिक्सर्स शामिल होंगे. लेकिन, ऐसे नॉन एल्कोहलिक पेय पदार्थ अनुमन्य नहीं होंगे, जिनके ब्रांड के नाम, पैकिंग, लेबिल आदि किसी मदिरा ब्रांड से मिलते-जुलते हों, जिससे उपभोक्ताओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो.
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इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक कल, सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस का ये है प्लान, आप भी जानें
I.N.D.I.A Alliance Meet: साढ़े तीन महीने बाद मंगलवार (19 दिसंबर) की शाम दिल्ली में इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक होने जा रही है. बैठक में लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे और साझा घोषणापत्र को लेकर चर्चा होनी है.
सूत्रों का कहना है कि कुछ पार्टियां हालिया विधानसभा चुनावों में हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को जगह नहीं देने और बीजेपी की जीत का मुद्दा भी उठा सकती हैं. ऐसे में एक सवाल यह भी है कि क्या चौथी बैठक में इंडिया गठबंधन का कोई संयोजक तय होगा?
बैठक में कौन-कौन होगा शामिल?
इंडिया गठबंधन में शामिल सभी 27 दलों के नेता बैठक में शामिल होंगे. बैठक में कांग्रेस से मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, सोनिया गांधी भाग लेंगे. नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला, पीडीपी से महबूबा मुफ्ती, आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान, समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव और आरएलडी से जयंत चौधरी बैठक में शामिल होंगे.
इसके अलावा अपना दल कमेरावादी से कृष्णा पटेल, जेडीयू से नीतीश कुमार और ललन सिंह आरजेडी से लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव, सीपीआईएमएल से दीपांकर भट्टाचार्य ,सीपीएम से सीताराम येचुरी, सीपीआई से डी राजा, टीएमसी से ममता बनर्जी, एनसीपी से शरद पवार, शिवसेना से उद्धव ठाकरे, डीएमके से एमके स्टालिन, मुस्लिम लीग से कादेर मोहिदीन और जेएमएम से हेमंत सोरेन मीटिंग में शामिल होंगे.
बैठक में भाग लेने के लिए केरल कांग्रेस (एम) से जोश के मणि, आरएसपी से एनके प्रेमचंद्रन और वीसीके से थिरुमावलावन, एमडीएमके से वाइको, केरल कांग्रेस जोसेफ से पीसी थॉमस, फॉरवर्ड ब्लॉक से जी देवराजन, एमएमके से मोहम्मद जवाहिरुल्लाह, केएमडीके से ई आर ईश्वरन और पीडब्लूपी से जयंत प्रभाकर पाटिल दिल्ली आएंगे.
लोकसभा चुनाव में साथ लड़ने का संकल्प
इंडिया गठबंधन की पिछली बैठक अगस्त के अंत में हुई थी. इस बैठक में सभी दलों ने एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ने का संकल्प लिया था. यह भी तय हुआ था जहां तक संभव हो बीजेपी के खिलाफ साझा उम्मीदवार उतारा जाएगा. गठबंधन के कामकाज के लिए कई कमेटी बनाने का ऐलान भी हुआ था, लेकिन इसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई.
कांग्रेस पर ज्यादा सीटों छोड़ने का दबाव
सबसे बड़ा मुद्दा सीट बंटवारे का है. गठबंधन में शामिल ज्यादातर दल कांग्रेस पर ज्यादा सीटों छोड़ने का दबाव बना रहे हैं. राजनीतिक परिस्थितियों के मुताबिक कांग्रेस करीब 310 सीटों पर लड़ सकती है और करीब 230 सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ सकती है. बात बन गई तो इंडिया गठबंधन में कांग्रेस अलग-अलग राज्यों में जितनी सीटें लड़ सकती है उसका स्वरूप कुछ ऐसा हो सकता है –
जम्मू कश्मीर में 2
लद्दाख में 1
पंजाब में 6
चंडीगढ़ में 1
हिमाचल प्रदेश में 4
हरियाणा में 10
दिल्ली में 3
राजस्थान में 25
गुजरात 26
मध्य प्रदेश में 29
छत्तीसगढ़ में 11
यूपी में 15 से 20
उत्तराखंड में 5
बिहार में 6 से 8
झारखंड में 7
ओडिशा में 21
बंगाल में 6 से 10
आंध्र प्रदेश में 25
तेलांगना में 17
कर्नाटक में 28
महाराष्ट्र में 16 से 20
तमिलनाडु में 8
केरल में 16
पूर्वोत्तर में 25
गोवा में 2
सीट बंटवारे पर आसानी से नहीं बनेगी बात
सीटों के बंटवारे पर चर्चा आसान है, लेकिन इसे लागू करना बेहद कठिन. बीजेपी से ज्यादा इंडिया गठबंधन की बड़ी चुनौती यही है. वैसे भी विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद साफ है कि यदि विपक्षी दल एकसाथ नहीं लड़े तो बीजेपी के सामने चुनौती की औपचारिकता भी नहीं होगी.
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विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद 6 दिसंबर को होगी I.N.D.I.A. गठबंधन की अगली बैठक
I.N.D.I.A. Meeting Opposition Parties: लोकसभा चुनाव से पहले लिटमस टेस्ट माने जाने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में से 4 पर आज परिणाम घोषित होंगे. वोटों की गिनती जारी है, रुझानों के मुताबिक तीन राज्यों में बीजेपी को बंपर बढ़त मिली है. राजस्थान-मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार गठन की ओर आगे बढ़ रही है. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता से बीजेपी को उखाड़ फेंकने की मंशा लिए बने विपक्षी गठबंधन “इंडिया” को झटका लगा है. ऐसे में इंडिया गठबंधन की रणनीति में फेरबदल की तैयारियां भी शुरू हो गई है. सूत्रों ने बताया है कि सोमवार (4 दिसंबर) को पांच राज्यों के चुनाव परिणाम स्पष्ट हो जाने के बाद, छह दिसंबर को दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक होगी.
लोकसभा चुनाव की रणनीति पर होगी चर्चा
सूत्रों ने बताया है कि विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर इस बैठक में गहन चर्चा होनी है. यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर होगी. इसमें इंडिया गठबंधन के प्रमुख 14 दलों के नेता शामिल होंगे. सूत्रों ने बताया है कि बैठक को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने सहयोगी दलों के नेताओं से बात की है. माना जा रहा है कि इस बैठक में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा हो सकती है.
गठबंधन के संयोजकों की होगी बैठक
आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के समय ही कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ किया था कि 5 राज्यों मे चुनाव नतीजे आने के बाद विपक्षी गठबंधन की बैठक बुलाई जाएगी. वैसे तो इस गठबंधन में 26 पार्टियां हैं, लेकिन 14 दलों को मिलाकर जो संयोजक समिति बनी है, उन्हीं की बैठक होनी है. माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी और बीजेपी के खिलाफ टूट पड़ने में विपक्षी गठबंधन कोई भी कोर कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहता.
गठबंधन में शामिल हैं कौन-कौन से दल
आपको बता दें कि बीजेपी के नेतृत्व में केंद्र में चल रही एनडीए सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए, लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस, टीएमसी, राजद, जदयू, आप, सपा, डीएमके समेत 26 विपक्षी दल एक साथ आए हैं. इन विपक्षी दलों के गठबंधन को ‘INDIA’ नाम दिया गया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के सुझाव पर ‘INDIA’ गठबंधन की पहली बैठक पटना में हुई थी. जबकि दूसरी बैठक बेंगलुरु और तीसरी बैठक मुंबई में आयोजित की गई थी.
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मध्य प्रदेश में कहां कैसा है बीजेपी और कांग्रेस का समीकरण, क्या SP और BSP बिगाड़ेगी खेल?
MP Election 2023: मध्य प्रदेश में प्रचार के अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं. प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग बदलाव दिखने लगे हैं. शुरुआत में जिन इलाकों में कांग्रेस बढ़त पर थी अब वहां पर बीजेपी मुकाबले में आ गई है. ऐसे ही कई जगहों पर बीजेपी आगे थी तो कांग्रेस उसको टक्कर देने के करीब है. ऐसे में सभी जिलों में समीकरण बदल रहे हैं. ये समीकरण क्यों बदल रहे हैं. विशेषज्ञों से समझते हैं.
मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार अपने अंतिम दौर में आ गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सभाएं जोरों पर है. बसपा सुप्रिमो मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी प्रदेश में सभाएं कर अपनी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है. राज्य के चुनाव को हम इलाकों के आधार पर बांट कर इन दिनों बह रही हवा का रुख जानने की कोशिश करें तो कुछ यूं होगा.
1, ग्वालियर चंबल इलाका
प्रदेश के इस उत्तरी इलाके में कुल 34 सीटें हैं. इनमें कांग्रेस को 27 बीजेपी को पांच और दो अन्य के खाते में गई थी. बीजेपी सरकार के गिरने का यह ही इलाका कारण बना था. राजनीतिक विश्लेषक गिरिजाशंकर ने कहा कि प्रचार जब शुरू हुआ तो बीजेपी को भरोसा था कि कांग्रेस से बीजेपी में आए नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के यहां पर बीजेपी के पक्ष में माहौल बदलेगा. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर को भी इसी इलाके की दिमनी से चुनाव मैदान में उतारा गया, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कमोबेश सीटों का गुणा भाग में ज्यादा बदलाव दिख नही रहा. वजह यहां के जातीय समीकरण है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के मजबूत नेताओं ने टिकट नहीं मिलने पर बसपा का दामन थामा है. ऐसे में बसपा फिर दो से तीन सीटें जीतने की स्थिति में है.
2. बुंदेलखंड बघेलखंड
उत्तर प्रदेश की सीमा से जुडा ये बडा इलाका है. यहां की 56 सीटों पर पिछली बार बीजेपी ने बढ़त बनायी थी और विंध्य से कांग्रेस का सफाया हो गया था. बीजेपी ने 38 और कांग्रेस ने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन सारे विश्लेषक मान रहे हैं कि कांग्रेस ने अपनी स्थित बेहतर की है. खासकर विंध्य इलाके में और पार्टी सीटों की संख्या बढाएगी. नवदुनिया के संपादक संजय मिश्रा ने कहा कि बीएसपी की उपस्थिति यहां पर कई पार्टियों का खेल प्रभावित करेगी.
3, महाकौशल
मध्य भारत का ये इलाका हमेशा से बीजेपी कांग्रेस दोनों का गढ़ रहा है. पिछली बार कांग्रेस ने यहां बेहतर करने की कोशिश की थी. इलाके की 38 सीटों में से कांग्रेस ने 24 तो बीजेपी ने 13 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार कांग्रेस के लिए आसान नहीं है. राजनीतिक विश्लेषक गिरिजाशंकर ने बताया कि ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी ने अपने दो सांसदों को उतार कर कांग्रेस को घेरा है. इस इलाके में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी अपना प्रभाव है जो कि असर डालेगा.
4, मध्य भारत
भोपाल के आसपास के जिलों का ये इलाका हमेशा से बीजेपी का गढ़ रहा है. बीजेपी ने यहां से हर चुनाव में बहुत सीटें जीती है. कुल 36 में से 23 बीजेपी ने तो 13 कांग्रेस के खाते में गई थी. इस बार के ओपिनियन पोल में भी इस इलाके में बीजेपी को बढ़त मिली है, ये ही कारण है कि कि यहां मुकाबला बीजेपी कांग्रेस के बीच सीधा होता है. कोई तीसरी पार्टी का जोर यहां पर नही है. कमोबेश स्थिति में बदलाव नहीं होगा.
5, मालवा निमाड़
सरकार की चाबी हमेशा से मालवा निमाड के पास रही है. 66 सीटों वाले इस इलाके में पिछली बार बीजेपी ने 28 तो कांग्रेस ने 35 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस कारण बीजेपी सत्ता में नहीं आ पाई. इस इलाके में बडी संख्या में आदिवासी सीटें हैं, जो कि कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है.
राजनीतिक विश्लेषक गिरिजाशंकर ने कहा कि पिछली बार आदिवासी वोटर बीजेपी से नाराज थे और जयस ने भी बीजेपी को नुकसान पहुंचाकर कांग्रेस की बढ़त बनाई, लेकिन इस बार मुकाबला कांटे वाला है. बीजेपी को फिर यहां से सीटें जीतने की उम्मीद है.
संजय मिश्रा ने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस को कुछ सीटों पर बीएसपी एवं सपा से कडी टक्कर मिल रही है. बीजेपी और कांग्रेस ने जिन नेताओं को टिकट नहीं दिया तो उन्होंने इन पार्टियों का हाथ थामा है. इस कारण कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया हे. बीएसपी और सपा दोनों पार्टियों (कांग्रेस और बीजेपी) को कहीं पर भी नुकसान पहुंचा सकतीं है.
बता दें कि मध्य प्रदेश के हर इलाके में अलग-अलग तरीके से चुनाव लडा जाता है. मुद्दे और प्रचार के तरीके अलग होते हैं, लेकिन शुरुआत में इन इलाकों में जो बढ़त देखी गई है वो कुछ कम हो रही है. कितनी कम होगी और जीत हार का अंतर कितना होगा? ये तो तीन दिसंबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम से ही पता लेगगा.
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I.N.D.I.A. की पहली रैली रद्द? कांग्रेस नेताओं को ही जानकारी नहीं, जानें अब तक किसने क्या कहा
I.N.D.I.A Alliance Bhopal Rally Cancel: मध्य प्रदेश के भोपाल में होने वाली विपक्षी गठबंधन इंडिया की पहली रैली रद्द हो गई है. एमपी कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ (Kamalnath) ने शनिवार (16 सितंबर) को ये जानकारी दी. इस फैसले के बाद बीजेपी (BJP) नेताओं की ओर से विपक्षी दलों पर कटाक्ष किया गया. आपको बताते हैं कि इस सियासी हलचल पर किसने क्या कहा.
पूर्व सीएम कमलनाथ और कांग्रेस के मध्य प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को भोपाल में पीसी की. इस दौरान कमलनाथ ने रैली को लेकर कहा, “अक्टूबर में होने वाली विपक्षी गठबंधन इंडिया की प्रस्तावित रैली अब नहीं हो रही है. इसे रद्द कर दिया गया है.”
इंडिया की रैली रद्द होने पर क्या बोले कांग्रेस नेता?
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “कांग्रेस अध्यक्ष और इंडिया गठबंधन के दूसरे पार्टनर के साथ चर्चा जारी है. रैली कब होगी, कहां होगी, अभी आखिरी फैसला नहीं हुआ है. फैसला लेने के बाद हम इसकी पुष्टि करेंगे.” वहीं कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने रैली को रद्द किए जाने पर कहा कि उन्हें रैली रद्द होने की कोई जानकारी नहीं है.
“जनता के गुस्से के कारण उठाया गया कदम”
विपक्षी गठबंधन इंडिया की पहली रैली रद्द होने पर बीजेपी नेता और मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि ये कदम द्रमुक नेताओं की ओर से सनातन धर्म के खिलाफ की गई टिप्पणी पर जनता के गुस्से के कारण उठाया गया है.
“हमारी आस्था पर चोट की गई”
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “इंडी गठबंधन के नेताओं ने सनातन का अपमान किया है इसलिए जनता में आक्रोश है. सनातन का अपमान एमपी की जनता सहन नहीं करेगी. ये लोग समझ लें कि हमारी आस्था पर चोट की गई है. ये हमला किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा. अब जनता छोडे़गी नहीं.
शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा, “इनकी लीडरशिप में दम नहीं है. बीजेपी में जहां भी चुनाव होते हैं, सभी काम पर लग जाते हैं. कांग्रेस में लट्ठम लट्ठ मचा हुआ है. ये आपस में लड़ रहे हैं कि किसका फोटो लगे और किसका नहीं.”
इंडिया गठबंधन की पहली रैली नागपुर में?
सूत्रों के मुताबिक, इंडिया गठबंधन की पहली रैली अब भोपाल की बजाय नागपुर में हो सकती है. नागपुर में आरएसएस का मुख्यालय भी है. भोपाल रैली क्यों रद्द हुई इसको लेकर तमाम कयास भी लगाए जा रहे हैं. सवाल है कि क्या डीएमके नेताओं की ओर से सनातन विरोधी बयानों से मध्य प्रदेश में संभावित नुकसान के डर से कमलनाथ ने भोपाल में इंडिया गठबंधन की पहली रैली रद्द करवा दी?
कई तरह के कयास शुरू
दूसरा सवाल ये है कि क्या विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के एमपी में चुनाव लड़ने से इंडिया गठबंधन की एकजुटता की तस्वीर पेश करने में दिक्कत आती इसलिए इंडिया गठबंधन के रणनीतिकारों ने प्लान बदल दिया? बहरहाल सूत्रों का दावा है कि चुनावी व्यस्तता के मद्देनजर इंडिया गठबंधन की रैलियां फिलहाल गैर-चुनावी राज्यों में होगी. इसलिए भोपाल की रैली रद्द हुई.
समन्वय समिति की पहली बैठक में हुआ था फैसला
गौरतलब है कि 13 सितंबर को दिल्ली में एनसीपी चीफ शरद पवार के आवास पर इंडिया गठबंधन की समन्वय समिति की पहली बैठक हुई थी. जिसमें घोषणा की गई थी कि गठबंधन की पहली रैली अक्टूबर की शुरुआत में मध्य प्रदेश के भोपाल में की जाएगी. मध्य प्रदेश एक चुनावी राज्य हैं. यहां इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं.
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