उत्तराखंड में पीएम मोदी की रैली
पीएम मोदी आज उत्तराखंड का चुनावी दौरा करेंगे। वे ऋषिकेश में एक रैली को संबोधित करेंगे। सभा में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी भी मौजूद रहेंगे
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पीएम मोदी आज उत्तराखंड का चुनावी दौरा करेंगे। वे ऋषिकेश में एक रैली को संबोधित करेंगे। सभा में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी भी मौजूद रहेंगे
पश्चिम बंगाल का अलीपुरद्वार लोकसभा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ माना जाता है। लेकिन अब इसी अलीपुरद्वार में भारतीय जनता पार्टी में अंदरूनी कलह चल रही है। तृणमूल कांग्रेस अलीपुरद्वार सीट पर BJP की इसी अंदरूनी कलह का लाभ उठाने के चक्कर में है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) इस सीट पर एक दशक से जीत के लिए तरस रही है। वहीं भाजपा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू किये जाने को भुनाने की तैयारी में नजर आ रही है। यहां बीजेपी अब भी CAA को बाजी पलटने वाला मुद्दा मान रही है।
तृणमूल कांग्रेस एक दशक के बाद अलीपुरद्वार निर्वाचन क्षेत्र में अपनी जीत हासिल करने के लिए भाजपा के भीतर आतंरिक कलह को अवसर के रूप में देख रही है। सीएए लागू करने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा स्थानीय आदिवासियों के बीच जमीनी स्तर पर किए गए काम के वादे पर सवार होकर भाजपा ने अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर न केवल 2019 में जीत दर्ज की बल्कि 2021 में क्षेत्र के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों पर कब्जा जमाया। पार्टी ने निकटवर्ती जिलों की दो विधानसभा सीट भी जीती थीं।
हालांकि, इस बीच बहुत कुछ बदल गया लगता है क्योंकि भाजपा की स्थानीय इकाई के भीतर आंतरिक कलह तब तेज हो गई जब पार्टी ने अपने मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री जॉन बारला की जगह स्थानीय विधायक और पश्चिम बंगाल विधानसभा में मुख्य सचेतक मनोज तिग्गा को अलीपुरद्वार सीट से उतारने का फैसला किया। स्थानीय जनजातियों पर प्रभाव रखने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के नेता बारला टिकट कटने के बाद से चुनाव अभियान से दूरी बनाए हुए हैं। बारला ने आरोप लगाया है कि उन्हें चुनाव से बाहर रखने के लिए साजिश रची गई है। भाजपा ने 2019 में 2.5 लाख वोटों के रिकॉर्ड अंतर से यह सीट जीती थी। पार्टी ने उस साल उत्तर बंगाल की आठ लोकसभा सीट में से सात पर जीत हासिल की थी।
वहीं अलीपुरद्वार से बीजेपी के उम्मीदवार मनोज तिग्गा ने कहा, ‘‘इस बार भी हम रिकॉर्ड अंतर से सीट जीतेंगे। यहां के लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों के लिए वोट करते हैं। सीएए लागू होने से भी क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।’’ वहीं टीएमसी चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए अपने जिला अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य प्रकाश चिक बड़ाइक की लोकप्रियता पर भरोसा कर रही है। बड़ाइक ने कहा, ‘‘हमें यह सीट जीतने का भरोसा है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए विकास कार्यों का लाभ यहां के लोगों तक पहुंचा है।’’ टीएमसी नेता सौरव चक्रवर्ती ने दावा किया, ‘‘भाजपा ने पिछली बार एनआरसी और सीएए के वादे के भरोसे लोगों का विश्वास अर्जित किया था। असम में एनआरसी के अनुभव ने अब उनका भ्रम तोड़ दिया है। उन्हें यह भी एहसास हो गया है कि सीएए के नियम एक दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं हैं।’’
अलीपुरद्वार में चुनाव के नतीजों में अल्पसंख्यकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जहां स्थानीय आबादी में 65 फीसदी हिंदू हैं, जबकि 19 फीसदी ईसाई हैं, 11 फीसदी मुस्लिम और तीन फीसदी बौद्ध हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने 2019 में भाजपा की जीत का श्रेय हिंदुओं और ईसाइयों, दोनों के बीच बारला की पैठ को दिया। इस बार उनके मैदान से बाहर होने पर पर्यवेक्षकों का मानना है कि बारला के समर्थकों के दूरी बनाने से भाजपा की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
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Election Commission of India
– फोटो : Social Media
चुनाव आयोग द्वारा इलेक्टॉरल बॉन्ड का डेटा नए सिरे से जारी होने के बाद नई जानकारियां सामने आ रही हैं। डेटा के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस को सबसे अधिक दान 540 करोड़ सैंटियागो मार्टिन की कंपनी फ्यूचर गेमिंग से मिला है। 540 करोड़ के साथ फ्यूचर गेमिंग टीएमसी का सबसे बड़ा दानकर्ता बन गया है। टीएमसी के अलावा, फ्यूचर गेमिंग ने डीएमके, वाईएसआर कांग्रेस, भाजपा और कांग्रेस को भी दान दिया है। फ्यूचर गेमिंग ने सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को भी 10 करोड़ का दान दिया है।
फ्यूचर गेमिंग ने इन पार्टी को दिया इतना चंदा
स्पाइसजेट और टेंक महिंद्रा ने आप को दिया दान
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के मामले में फ्यूचर गेमिंग देश का सबसे बड़े दानकर्ता बन के उभरा है। इसके अलावा, मेघा इंजीनियरिंग देश का दूसरा सबसे बड़ा दानकर्ता बना है, जिसने भाजपा, बीआरएस और डीएमके सहित विभिन्न दलों को 966 करोड़ रुपये दान दिए हैं। वहीं, चुनावी बांड के जरिये आम आदमी पार्टी को चंदा देने वालों में स्पाइसजेट और टेक महिंद्रा भी शामिल हैं।
रिलायंस से जुड़ी क्विक सप्लाई ने भाजपा को दिए 385 करोड़
नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (डीएकेसी) में पंजीकृत पते वाली और रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़ी कंपनी क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड ने भाजपा को 395 करोड़ रुपये और शिव सेना को 25 रुपये दिए हैं। रिलायंस लिंक वाली एक अन्य कंपनी हनीवेल प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड ने भी 8 अप्रैल 2021 को 30 करोड़ रुपये के बांड खरीदे और सभी भाजपा को दे दिए। ताजा आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है।
क्विक सप्लाई कंपनी ने भाजपा और शिवसेना को छोड़ किसी अन्य राजनीतिक दल को कोई पैसा नहीं दिया। क्विक सप्लाई ने 2021-22 और 2023-24 के बीच 410 करोड़ रुपये के बांड खरीदे थे। इसमें 25 करोड़ रुपये को छोड़कर बाकी सभी भाजपा को दिए। 2022 में शिवसेना को उसने 25 करोड़ रुपये दिए थे।
नेक्सजी डिवाइसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 35 करोड़ के चुनावी बांड खरीदे
एक अन्य कंपनी नेक्सजी डिवाइसेज प्राइवेट लिमिटेड ने मई 2019 और नवंबर 2022 में 35 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे। यह कंपनी सुरेंद्र लूनिया से जुड़ी है। लूनिया से जुड़ी एक अन्य कंपनी इन्फोटेल बिजनेस सॉल्यूशंस ने मई 2019 में 15 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे। लूनिया वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने रिलायंस से जुड़ी कंपनियों की एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी अडानी समूह को बेच दी थी।
डेटा जारी होने पर चुनाव आयोग का बयान
चुनाव आयोग ने गुरुवार को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में एसबीआई ने 21 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा मुहैया कराया। आयोग ने पूरी जानकारी- जिस स्थिति में मिला वैसे ही आधार पर (as is where is basis) वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा 900 से अधिक पन्नों में आम जनता भी देख सकती है।
यहां देखें एसबीआई की तरफ से मुहैया कराया गया 938 पन्नों का पूरा डेटा-
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे निर्देश
दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक ने 2018 में योजना की शुरुआत के बाद से 30 किस्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था। एसबीआई चुनावी बॉन्ड जारी करने के लिए अधिकृत वित्तीय संस्थान है।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन को लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे, वह सच साबित हुए हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी अकेले चुनाव लड़ेगी। आज एक जनसभा के दौरान पार्टी ने 42 की 42 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने चार मौजूदा सांसदों का टिकट काटा है। वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ पूर्व क्रिकेटर युसूफ पठान को मौका दिया गया है।
ममता की सोच में कायरता और चालाकी- अधीर रंजन
वहीं टीएमसी के टिकट बंटवारे के बाद अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला है। अधीर रंजन ने कहा कि ममता बनर्जी खुद इंडिया गठबंधन की प्रवक्ता के रूप से जानी जाती थीं। उन्होंने आज साबित कर दिया कि हिदुस्तान की कोई राजनीतिक पार्टी ममता जैसी नैत्री पर भरोसा न करें तो बेहतर होगा। ममता बनर्जी की जुबान का कोई मतलब नहीं, कोई अहमियत नहीं है। ममता की सोच में कायरता और चालाकी है। उन पर भरोसा न करना ही ठीक है।
अधीर रंजन ने कहा कि ममता को डर है कि अगर इंडिया गठबंधन में शामिल होंगे तो मोदी से लड़ना पड़ेगा। अगर ऐसा होगा तो ED/CBI को मोदी जी उनके द्वार भेज देंगे। अगर ऐसा हो गया तो टीएमसी पार्टी पर खतरा बढ़ सकता है। उन्हें लगता है कि पीएम को गुस्सा ना आये, इसलिए गठबंधन से खुद को अलग कर लो। गठबंधन से अलग होकर संदेश भेज दिया गया है कि मैं गठबंधन में नहीं हूं, मुझसे नाराज मत हो और मैं बीजेपी के खिलाफ नहीं लड़ रही हूं।
वहीं युसूफ पठान को उनके खिलाफ चुनावी मैदान में उतारने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि यह उनकी आजादी है। उन्होंने कहा कि टीएमसी वाले कह रहे हिं कि इस तरह से वो युसूफ पठान का सम्मान कर रहे हैं। अगर वह युसूफ का सम्मान करना ही चाहते थे तो उन्हें कुछ दिनों पहले हुए राज्यसभा चुनाव में टिकट देते। बंगाल में बाहर के लोगों को राज्यसभा का एमपी बनाया गया है, तो युसूफ पठान को भी बनाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि यूसुफ पठान के बारे में अगर ममता कुछ अच्छा सोचतीं तो कम से कम गुजरात में गठबंधन से एक सीट की मांग कर लेतीं।
कुणाल घोष ने सीएम ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। इस बीच वो लगातार टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय पर हमले कर रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर सुदीप बंदोपाध्याय पर हमला करते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी और सीबीआई से मांग की है कि सांसद सुदीप बनर्जी के बैंक खातों और उनकी ओर से अपोलो भुवनेश्वर को किए गए भुगतान की जांच की जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की है कि क्या जब वो पुलिस हिरासत में थे, तो क्या उन्हें बड़ी राशि का भुगतान किया गया था, या उन्होंने या उनकी ओर से किसी ने भी अस्तपाल प्रशासन को भुगतान किया था या नहीं।
कुणाल घोष ने सुदीप बंदोपाध्याय पर हमला करते हुए सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखा। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा, सांसद सुदीप बनर्जी के बैंक खातों की जांच की जानी चाहिए, जिसके जरिए उन्होंने भुवनेश्वर के अपोलो अस्पताल को भुगतान किया था। वह जब हिरासत में थे, तो उनकी ओर से अस्पताल को बड़ी रकम दी गई। रकम का भुगतान अस्पताल को किया गया या नहीं, इसकी जांच भी की जानी चाहिए। यदि यह तथ्य पर आधारित है तो इसका संबंध कोयला घोटाले से हो सकता है।
उन्होंने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि आगे की जांच के लिए सुदीप बनर्जी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। अगर एजेंसियां इससे बचने की कोशिश करती है तो मुझे एलडी कोर्ट में जाकर इस मामले की जांच की गुहार लगानी चाहिए। कुणाल घोष ने अपने इस पोस्ट में सीबाआई हेडक्वार्टर और प्रवर्तन निदेशालय को भी टैग किया है। इससे पहले उन्होंने सुदीप बनर्जी और अधीर रंजन चौधरी को नरेंद्र मोदी का आदमी बताया था। बता दें कि शुक्रवार को ही कुणाल घोष ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इससे पूर्व उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से टीएमसी से संबंध के नामों निशान को मिटा दिया था।
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