Tamil Nadu Flood Situation: तमिलनाडु में बाढ़ का कहर! डूबी सड़कें-गाड़ियां, हेलीकॉप्टर से गिराए गए फूड पैकेट्स, तस्वीरों में देखें तबाही
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17 दिनों के बाद मजदूरों के बाहर आने पर राजनेताओं ने भी जताई खुशी, जानें किसने क्या कह
नई दिल्ली: उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को 17 दिनों के बाद सफलता पूर्व रेस्क्यू कर लिया गया। सभी मजदूरों को सुरंग से निकालकर फिलहाल मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। इस ऑपरेशन की के बाद राजनेताओं ने भी खुशियां जताई है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सभी एजेंसियों ने विशेष रूप से PMO के मार्गदर्शन में भारत के सभी एजेंसी , उत्तराखंड के सरकार और वहां की स्थानीय जनता और सब लोगों ने रात दिन मेहनत की है। उसके बाद ये सफलता मिली है। जिन लोगों की जानबची उन सभी को बहुत -बहुत शुभकामनाएं। जिन-जिन एजेंसियों और सभी इंजीनियर इसमें जो काम किया मैं उनको आभार व्यक्त करता हूं। हम टनल का ऑडिट भी करने वाले हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘देश के लिए यह बहुत अच्छी खबर है कि उत्तरकाशी में एक सुरंग में फंसे हमारे सभी 41 श्रमिक भाइयों को सुरक्षित और स्वस्थ बचा लिया गया है। सुरंग में इतने लंबे समय तक ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करने के लिए राष्ट्र उनके(श्रमिकों) साहस को सलाम करता है। उन सभी लोगों और एजेंसियों को मेरा हार्दिक आभार जिन्होंने हमारे साथी नागरिकों की जान बचाने के लिए अथक प्रयास किए हैं।’
वहीं उत्तराखंड के सीएअम पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “इस पूरे अभियान में लगे हुए सभी कर्मचारियों, विशेषज्ञों, विज्ञानिकों, भारत संस्थाओं को मैं धन्यवाद करता हूं। पीएम मोदी लगातार मेरे संपर्क में थे और बचाव अभियान का अपडेट ले रहे थे। उन्होंने मुझे किसी भी तरह सभी को सुरक्षित बचाने की जिम्मेदारी दी। उनके समर्थन के बिना यह संभव नहीं होता। उन्होंने अभी मुझसे बात की और निर्देश दिया कि सभी का मेडिकल चेक-अप किया जाए। और उन्हें उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सुरंग हादसे में फंसे सभी श्रमिक बंधुओं के सुरक्षित बाहर निकल आने के समाचार से मुझे अत्यंत आनंद की अनुभूति हुई है।इस अभियान पर पूरे देश की निगाह लगी हुई थी। इसकी सफलता से पूरे देश ने राहत की साँस ली है। यह घड़ी सभी श्रमिक बंधुओं के परिजनों के लिए आनंद की घड़ी है। मैं उनके परिजनों को बधाई देता हूँ।
सिलक्यारा सुरंग से बाहर आते ही 41 मजदूरों के लिए बाहर क्या है तैयारी ? जानें
Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड में एक निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया, जिससे 41 मजदूर अंदर फंस गए। घटना के बाद मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान चलाया गया। हालांकि टीमों ने फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन एक के बाद एक चुनौतियां सामने आईं। रिपोर्टों में कहा गया है कि पतन एक भूवैज्ञानिक गलती के कारण हुआ होगा, जिसे “कतरनी क्षेत्र” के रूप में जाना जाता है। 1.5 किमी से अधिक लंबी सुरंगों के लिए आपातकालीन निकास की सिफारिश करने वाले सरकारी दिशानिर्देशों के बावजूद कथित तौर पर भागने का कोई रास्ता नहीं था।
देखें सुरंग के भीतर का लेटेस्ट वीडियो
सुरंग से निकालने के बाद क्या-क्या होगा, जानिए
*सिल्कयारा सुरंग से निकाले जाने के बाद फंसे हुए श्रमिकों की चिकित्सा जांच और देखभाल के लिए चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों वाला एक अस्पताल तैयार किया गया है।
*बचाव कर्मियों ने कहा कि अस्पताल पहुंचने के बाद श्रमिकों की विस्तृत चिकित्सा जांच की जाएगी। एक अधिकारी ने कहा, *बचाव अभियान पूरा करने के बाद, हमारा ध्यान निर्माण की कमियों की पहचान करने के लिए व्यापक जांच करने पर केंद्रित होगा।
*घायल श्रमिकों को अस्पताल ले जाने के लिए साइट पर लगभग 30 एम्बुलेंस मौजूद थीं। हिमालयी राज्य उत्तराखंड में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद फंसे हुए लोगों को लेने के लिए एम्बुलेंसों को सुरंग के प्रवेश द्वार के मुहाने की ओर बढ़ते देखा गया।
* एक अधिकारी ने कहा, अगर जरूरत पड़ी तो जवानों को हेलीकॉप्टर से भी उठाया जा सकता है।
*तस्वीरों में बचाव दल को कंक्रीट और मलबे के बीच ड्रिलिंग समाप्त होने पर मुस्कुराते और विजय चिन्ह चमकाते हुए देखा गया।
*थके हुए लोगों को 57 मीटर (187 फीट) स्टील पाइप के माध्यम से बाहर निकालने के लिए विशेष रूप से पहियों के साथ स्ट्रेचर लगाए गए हैं।
*सरकार ने कहा कि उसने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को पूरे भारत में बनाई जा रही 29 सुरंगों का ऑडिट करने का भी आदेश दिया है।
सुरंग में फंसे मजदूरों के बचाव कार्य में टेंशन बढ़ा सकती हैं कमजोर चट्टानें! रिपोर्ट में दावा
Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिल्क्यारा में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग रविवार (26 नंवबर) शुरू कर दी गई. वर्टिकल ड्रिलिंग के जरिए पहाड़ी को लगभग 110 मीटर तक खोदा जाना है. अब तक मशीन पहाड़ी में लगभग 20 मीटर ड्रिल कर चुकी है.
सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग प्रोजेक्ट के शुरू होने से पहले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) को सौंपी गई एक भूवैज्ञानिक रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रस्तावित सुरंग में कई कमजोर चट्टानें हो सकती हैं. ऐसे में इन चट्टानों को सहारा देने के लिए सपोर्ट की जरूरत होगी.
’30 प्रतिशत चट्टानें कमजोर’
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरफेस जियोलॉजी से यह अनुमान लगाया गया था कि डायवर्जन टनल के साथ जाने वाली 20 प्रतिशत चट्टाने अच्छा होती हैं, 50 फीसदी बढ़िया, 15 फीसदी खराब और 15 पर्सेंट बहुत खराब हो सकती हैं.
रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र की चट्टानें कमजोर तलछटी वाली हैं. इनमें स्लेट, वेजेज और सिल्टस्टोन शामिल हैं. ऐसे में निर्माण योजना के दौरान इसका ध्यान रखा जाना जरूरी है. अधिकारियों ने कहा कि इन वेजेज का प्रभाव ढलानों की स्थिरता, रॉक मैकेनिक और भू-तकनीकी इंजीनियरिंग पर पड़ सकता है.
‘संवेदनशील हिमालय क्षेत्र में परियोजना शुरू करना गलत’
हिमालय क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले भूविज्ञानी डॉ नवीन जुयाल ने कहा, ” इस रिपोर्ट के आधार पर अगर संवेदनशील हिमालय क्षेत्र में 4.5 किमी सड़क सुरंग परियोजना शुरू की गई, तो यह ठीक नहीं है. केवल तीन ड्रिलिंग से कोई चट्टानों के प्रकार को नहीं जान सकता.”
‘अच्छी गुणवत्ता वाली चट्टान नहीं’
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिस क्षेत्र में सुरंग बनाई जा रही थी, वहां कोई बहुत अच्छी गुणवत्ता वाली चट्टान नहीं थी. केवल 20% चट्टान अच्छी गुणवत्ता की है, बाकी अच्छी और घटिया और बहुत घटिया है. जुयाल ने स्पष्ट किया कि वह यह नहीं कह रहे कि इस क्षेत्र में सुरंग नहीं बनाई जा सकती थी और उन्होंने बस सुरंग के निर्माण में इस्तेमाल की गई विधि पर सवाल उठाया.
सुरंग बनाने वाली जगह पर कमजोर चट्टानें
एक अन्य भूविज्ञानी वाई पी सुंदरियाल ने कहा, “रिपोर्ट के मुताबिक, जिस क्षेत्र में सुरंग बनाई गई है, वहां स्लेट, सिल्टस्टोन जैसी कमजोर चट्टाने हैं. निर्माण के दौरान उचित योजना और एक सहायता प्रणाली की आवश्यकता होती है. ऐसा लगता है कि सिल्क्यारा में इसे एजेंसी ने नजरअंदाज कर दिया.
परियोजना के तहत बनना था बाहर जाने का रास्ता
मलबा डंपिंग परियोजना से संबंधित एक अन्य रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि परियोजना रिपोर्ट में बाहर निकलने के लिए एक रास्ता प्रस्तावित किया गया था, लेकिन बनाया नहीं गया. सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार, 1.5 किमी से अधिक लंबी सुरंगों के लिए एक निकास मार्ग होना चाहिए, जबकि सिल्कयारा सुरंग 4.5 किमी लंबी है.
13 नवंबर को ढह गई थी सुरंग
बता दें कि सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग 13 नवंबर की सुबह ढह गई थी, जिसमें 41 मजदूर फंस गए थे. मजदूरों को बचाने के लिए ऑगुर मशीन का उपयोग किया गया, लेकिन अब तक कामयाबी नहीं मिल सकी. इतना ही नहीं टनल का ढहा हुआ हिस्सा पहले दिन 55 मीटर से बढ़कर 80 मीटर से अधिक हो गया है.
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सिलक्यारा सुरंग की साइट पर पहुंची PMO की टीम, NDMA ने बताया- बारिश नहीं बनेगी बाधा
Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. इस पूरे ऑपरेशन का जायजा लेने के लिए सोमवार (27 नवंबर) को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, उत्तराखंड के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू और अन्य कई सीनियर अधिकारी मौके पर पहुंचे. इस बात की जानकारी उत्तराखंड सरकार के सचिव नीरज खैरवाल ने दी.
उत्तरकाशी सुरंग मामले पर केंद्र सरकार की ओर से प्रेस ब्रीफिंग की गई. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी के सदस्य ले.जन.(रिटा.) सैयद अता हसनैन ने कहा कि सब ठीक है. खाना-पीना, दवा सब अंदर जा रहे हैं.
मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा रहा
सैयद अता हसनैन ने बताया कि मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जा रहा. परिवार से उनकी बात करवाई जा रही है. सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जरूरत के मुताबिक नई मशीनें भी लाई जा रही हैं.
‘बारिश की वजह से नहीं पड़ेगा कोई विशेष असर’
उन्होंने कहा कि बारिश की संभावना है लेकिन इससे विशेष असर नहीं पड़ेगा. हमारे सभी भाई सुरक्षित बाहर आएंगे, यह मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं. सबके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जा रही है. उन्हें बाहर निकालने के लिए हम किसी भी एजेंसी की मदद लेने को तैयार हैं.
#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Principal Secretary to PM, Dr PK Mishra visited the Silkyara tunnel and communicated with the workers trapped there. He also spoke with the families of the trapped workers. He also took a report of the food items being sent to the… pic.twitter.com/VaZ0HmoaPa
— ANI (@ANI) November 27, 2023
‘सिलक्यारा की तरफ से फंसी ऑगर मशीन को निकाला गया’
हसनैन ने कहा कि सिलक्यारा की तरफ से फंसी ऑगर मशीन को निकाला जा चुका है. आज शाम से 2-2 की टोली में जाकर मैनुएल खुदाई की जाएगी. वर्टिकल ड्रिलिंग में भी 30-32 मीटर के जरिए हम पहुंच चुके हैं.
Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Principal Secretary to PM, Dr PK Mishra visited the Silkyara tunnel and communicated with the workers trapped there. He also spoke with the families of the trapped workers. He also took a report of the food items being sent to the workers. pic.twitter.com/rnPvSc4JFI
— ANI (@ANI) November 27, 2023
‘पाइप लाइन 75 मीटर तक पहुंची, 86 मीटर का लक्ष्य’
उन्होंने बताया कि तीसरी लाइफ लाइन के रूप में 6-8 इंच की पाइप लाइन 75 मीटर तक पहुंच चुकी है और 86 मीटर तक जाना है. परपेंडिकुलर ड्रिलिंग पर काम नहीं शुरू हो पाया है. बरकोट की तरफ हॉरिजोंटल लाइन बनाने के लिए आज छठा ब्लास्ट किया गया है.
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