दिल्ली में पक्ष और कर्नाटक में विपक्ष शक्ति प्रदर्शन कर रहा है। एक प्रदर्शन महाराष्ट्र में भी चल रहा है। महाराष्ट्र के राजनीतिक प्रदर्शन पर न केवल पूरे देश की, बल्कि पक्ष और विपक्ष दोनों की निगाह टिकी हैं। केंद्र में एनसीपी के प्रमुख शरद पवार हैं। निगाह भी बस एक ही सवाल पर टिकी है कि क्या पवार अपने भतीजे अजीत पवार को माफ करके उन्हें आशीर्वाद दे देंगे। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) की मुराद है कि शरद पवार भतीजे अजित और उसके साथ गए लोगों को अयोग्य घोषित कराएं। शरद पवार गुट के एनसीपी के नेता भी कुछ इसी तरह की मंशा रखते हैं। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और शरद पवार के करीबी अनिल देशमुख तो साफ कहते हैं कि अजीत पवार को माफी नहीं मिलने वाली है।
अमर उजाला से विशेष बातचीत में अनिल देशमुख कहते हैं कि अजित पवार और उनके साथ शरद पवार के दिल में रहने वाले भरोसे के लोग चाहे जितना पैर पकड़ लें, माफी मांगने की कोशिश कर लें, लेकिन एनसीपी प्रमुख टस से मस नहीं होने वाले। अनिल देशमुख कहते हैं कि 18 जुलाई को शरद पवार बेंगलुरु जाएंगे। विपक्ष की एकता बैठक में भाग लेंगे। महाराष्ट्र विधानसभा में उनमें भरोसा रखने वाली एनसीपी महाविकास अघाड़ी की सहयोगी कांग्रेस और शिवसेना के साथ बैठेगी। देशमुख का कहना है कि पवार साहब महाराष्ट्र में भाजपा और उसकी सरकार तथा भाजपा की तोडफ़ोड़ की नीतियों के विरुद्ध राजनीति करेंगे। आवाज उठाएंगे।
शिवसेना की मुराद कि एनसीपी शुरू करे अयोग्यता वाली कार्यवाही
शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने अपने नेता उद्धव ठाकरे का हवाला देकर शरद पवार के प्रभुत्व वाले एनसीपी को नसीहत दे दी है। संजय राउत ने कहा कि एनसीपी को साथ छोड़कर गए नेताओं के लिए अपने दरवाजे बंद करने चाहिए। सोमवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार सहयोगियों के साथ तीसरी बार अपने चाचा शरद पवार से मिलने के लिए वाईबी चव्हाण सेंटर गए। अनुरोध किया। माफी और एनसीपी को एकजुट रखने का मार्ग दर्शन मांगा। संजय राउत के मुताबिक एनसीपी को भी उद्धव ठाकरे की तरह बागियों के विरुद्ध उन्हें अयोग्य घोषित कराने की कार्यवाही करनी चाहिए।
दिल में रहते थे अजित, प्रफुल्ल, छगन, दिलीप…अब नहीं
अनिल देशमुख कहते हैं कि वह कोई आज से शरद पवार को नहीं जानते। उन्हें पता है कि वह अपने भतीजे अजित पवार को कितना स्नेह करते थे। प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल, तटकरे सब उनके कितने करीब थे। लेकिन इन सभी लोगों ने पवार साहब की सोच, इच्छा, विचारधारा और राजनीतिक प्रतिबद्धता के विपरीत जाने का काम किया है। एनसीपी के बागियों ने शरद पवार के दिल को ठेस पहुंचाई है। देशमुख कहते हैं कि एनसीपी से सरकार में गए लोग बार-बार शरद पवार से मिल रहे हैं। आशीर्वाद, माफी सब मांग रहे हैं, लेकिन एनसीपी प्रमुख ने अपने मुंह से अभी तक कुछ नहीं कहा है। वह अपनी सोच और निर्णय पर टिके हैं। पूर्व मंत्री के मुताबिक यह 2023 है 2019 नहीं (2019 में भी अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली)। अगले साल 2024 में चुनाव है। शरद पवार महाराष्ट्र में निकले तो जनता ने उन्हें अभूतपूर्व समर्थन दिया है और सभी को पता है कि बिना शरद पवार के एनसीपी को छोड़कर जाने वालों की चुनाव में क्या स्थिति रहने वाली है। शरद पवार से मिलकर अपना पक्ष रखने के बाद प्रफुल्ल पटेल की एक प्रतिक्रिया भी चर्चा का विषय बनी है। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि पवार साहब ने हमारी बात और समस्या को गंभीरता से सुना, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि समझ में नहीं आता कि पवार साहब के मन में क्या है?
क्यों एनसीपी, शिवसेना (उद्धव) और कांग्रेस के नेताओं को शरद पवार में है भरोसा
कांग्रेस के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि शरद पवार से जुड़ी किसी भी राजनीतिक घटना में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। हमें भी पता है कि अजित पवार के दूसरी बार भाजपा के साथ हाथ मिलाने से पवार साहब की राजनीतिक साख को झटका लगेगा। शरद पवार इस उम्र में अपनी साख से समझौता नहीं कर सकते। शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के बीडी चुतर्वेदी भी यही कहते हैं। बीडी चतुर्वेदी का कहना है कि लोगों के दिमाग में अभी इस बगावत को लेकर कई सवाल तैर रहे हैं। शरद पवार को इसकी जानकारी है। इसलिए वह अपने तरीके से न केवल राजनीतिक साख को मजबूत करेंगे, बल्कि स्थिति भी स्पष्ट करेंगे। एनसीपी के नेता अनिल देशमुख का संकेत भी इसी तरफ है। अनिल देशमुख कहते हैं कि अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल जैसे नेताओं को सोचना चाहिए था कि आखिर वह क्या करने जा रहे हैं?
न संभले अजित पवार तो एकनाथ शिंदे से बुरा होगा हश्र
एनसीपी के शरद पवार के वफादार नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अब महाराष्ट्र में अपनी राजनीतिक हैसियत का आभास है। सूत्र कहते हैं कि अजित पवार के साथ गए नेता नहीं संभले तो इनकी स्थिति एकनाथ शिंदे से भी खराब होने वाली है। अनिल देशमुख इस बात पर जोर का ठहाका भी लगाते हैं। अनिल देशमुख कहते हैं कि अजित पवार को सारी सच्चाई पता है। वह शरद पवार की छाया में कई दशक की राजनीति कर चुके हैं। उन्हें महाराष्ट्र में भाजपा की जमीन और शरद पवार का असर भी मालूम है। पवार साहब महाराष्ट्र में घूम रहे हैं, तो जनता इसे उनके साथ हुए बड़े धोखे के रूप में ले रही है। अनिल देशमुख का कहना है कि तोड़ फोड़ की यह राजनीति भाजपा का बड़ा नुकसान करेगी। पहले उन्होंने शिवसेना के साथ यही किया और लोग भूल भी नहीं पाए थे कि एनसीपी में भी तोड़फ़ोड़ की। इससे 2024 के लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा की जमीन खिसक रही है। देशमुख तो कहते हैं कि भाजपा को पिछले साल ही अपनी खराब स्थिति का पता चल चुका था।