महाराष्ट्र की सियासत में मचा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। सियासी तूफान की जद में सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ आए विधायक ही आ रहे हैं। मंत्रालय को लेकर छिड़ी जंग में अब नए समीकरण शिंदे के साथ आए विधायकों को आने वाले विधानसभा के चुनाव में टिकट न मिलने का भी बनने लगा है। दरअसल दो दिन पहले एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कुछ ऐसा ही बयान दे दिया कि उसके बाद शिंदे गुट के विधायकों में खलबली मची हुई है। शिंदे गुट के विधायकों को अब डर सता रहा है कि अगर वह लगातार एकनाथ शिंदे के साथ बने रहे, तो कहीं ऐसा न हो अजीत पवार के गठबंधन में शामिल होने से उनकी सियासी गणित डगमगा जाए और आने वाले विधानसभा के चुनाव में टिकट ही ना मिले। दरअसल में सियासी गणित में टिकटों की दावेदारी ऐसी हो रही है कि शिंदे गुट के 40 विधायकों में सब को टिकट मिलने का संकट पैदा हो रहा है।
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यह खेला है अजीत पवार ने दांव
महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुए एनसीपी के नेता अजित पवार ने आते ही सियासी दांव चलने शुरू कर दिए हैं। अजित पवार ने आने वाले विधानसभा के चुनावों में 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है। महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से समझने वालों का कहना है कि अगर 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात अजित पवार की मान ली जाती है, तो यह एकनाथ शिंदे उनके साथ आए विधायकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हिमांशु शीतोले कहते हैं कि महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटें हैं। ऐसे में अगर समूचे महाराष्ट्र की तकरीबन 35 फ़ीसदी से ज्यादा सीटों पर अजित पवार चुनाव लड़ने का दावा करेंगे, तो बची हुईं 65 फ़ीसदी सीटों पर टिकट की जंग भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच में होगी। चूंकि महाराष्ट्र में 2019 के हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी में 164 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। ऐसे में उसकी दावेदारी इस बार भी उतनी ही सीटों की तो होगी।
कुछ इस तरह फंसा है 34 की सियासत का फेर
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र के चुनावों में सीटों की गणित के बीच में एकनाथ शिंदे के साथ आए विधायकों के सियासी सफर पर ब्रेक लगता हुआ नजर आ रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा पिछले चुनाव में शिवसेना के साथ गठबंधन में थी। उस दौरान भारतीय जनता पार्टी ने 164 विधानसभा सीटों के साथ मैदान में हाथ आजमाया था। आने वाले चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी योजना के मुताबिक उतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह कहते हैं कि अगर भारतीय जनता पार्टी 164 विधानसभा सीटों पर आगामी विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारती है, तो बची सीटों पर अपने सहयोगियों को उसे चुनाव लड़ाना होगा। हाल में ही एकनाथ शिंदे और फडणवीस की सरकार में शामिल हुए एनसीपी के नेता अजित पवार ने 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी की है। ऐसे में एनसीपी और भारतीय जनता पार्टी की सीटों को जोड़ा जाए तो 254 सीटों पर तो सिर्फ यही दो पार्टी की दावेदारी मानी जा रही है। प्रदीप सिंह कहते हैं अब बचती हैं महज 34 सीटें। बस महाराष्ट्र की सियासत में यही 34 सीटों की सियासत का फेर अब भारी पड़ने वाला है। क्योंकि यह संख्या तो एकनाथ शिंदे के साथ आए विधायकों की संख्या से भी कम है।
विधायक 40, सीटें बच रहीं 34, कैसे निभेगा गठबंधन
सियासी जानकार कहते हैं कि एकनाथ शिंदे और फडणवीस के गठबंधन में 34 सीटों का सियासी फेर बड़ी मुसीबत में डालने वाला है। जानकारों का कहना है कि भाजपा की पुरानी 164 सीटें और अजित पवार की ओर से मांगी गई 90 सीटों के बाद बच रहीं 34 सीटें, तो एकनाथ शिंदे के साथ आए 40 विधायकों का कोटा भी नहीं पूरा कर पा रही हैं। बस यही सबसे बड़ा पेंच अब एकनाथ शिंदे के साथ फंस रहा है और उनके विधायकों को अखरने लगा है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि जो 40 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ गए हैं, उनको भी अब आने वाले चुनावों में टिकट मिलने का संकट हो रहा है। ऐसे में अब एकनाथ शिंदे के साथ आए विधायक उद्धव ठाकरे से संपर्क कर रहे हैं। शिवसेना के वरिष्ठ नेता और सांसद विनायक राऊत कहते हैं कि एकनाथ शिंदे के साथ गए आठ से ज्यादा विधायक उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर चुके हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जो विधायक शिंदे के साथ हैं उनको टिकटों के सियासी उलटफेर में अपना भविष्य स्पष्ट नजर नहीं आ रहा है। वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु शीतोले कहते हैं कि अगर अजित पवार को अपनी मांगी गई तय संख्या के मुताबिक सीटें मिलती हैं, तो निश्चित तौर पर एकनाथ शिंदे के साथ आए विधायकों के लिए दिक्कतें तो पैदा ही होने वाली हैं।
इसलिए कर रहे हैं अजित पवार 90 सीटों की मांग
महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा यह भी हो रही है कि आखिर अजित पवार 90 सीटों की मांग क्यों कर रहे हैं। क्योंकि अजित पवार के साथ तो इस वक्त उनकी पार्टी से जुड़े हुए सभी 53 विधायक भी नहीं है। इसके पीछे का तर्क देते हुए अजीत पवार के साथ गए एक वरिष्ठ एनसीपी नेता कहते हैं कि उनके साथ एनसीपी के जो विधायक नहीं आए हैं, वह भी उनके साथ हैं। अजित पवार सभी 53 विधायकों का अपने साथ होने का दावा कर रहे हैं। यही वजह है कि अजित पवार उन सभी 53 सीटों पर टिकट की दावेदारी तो कर ही रहे हैं, साथ में वह उन 45 सीटों की दावेदारी भी कर रहे हैं, जिन पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा और जीत कर सदन में गए। अजित पवार के साथ गए एनसीपी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि 2019 के चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी ने आपसी सहयोग के साथ चुनाव लड़ा था। जो सीटें कांग्रेस को मिली हैं, उसमें भी एनसीपी के बड़े वोट बैंक का सीधा-सीधा ट्रांसफर हुआ था। इसलिए कांग्रेस की जीती हुईं सीटों पर भी अजित पवार अपनी दावेदारी कर रहे हैं। कांग्रेस और एनसीपी की सीटों को मिलाकर वह 90 सीटों की दावेदारी ठोक रहे हैं।
शिंदे गुट के विधायकों में पनप रही नाराजगी
एकनाथ शिंदे गुट से जुड़े विधायकों का कहना है कि जिस तरीके का सियासी माहौल बन रहा है, उससे उनका भविष्य फिलहाल इस गठबंधन के साथ बहुत दिनों तक बनते हुए नहीं नजर आ रहा है। इसी रविवार को शिंदे गुट से जुड़े विधायकों ने एक बड़ी बैठक कर मंत्रिमंडल में होने वाले विस्तार और मंत्रियों को दिए जाने वाले महकमे को लेकर भी आपत्ति जताई थी। शिंदे गुट से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर अजित पवार कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, तो हमारे हिस्से में आने वाली सीटें कम हो जाएंगी। उनका कहना है कि वह और उनकी पार्टी इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर उनको सीटें कम मिलती हैं, तो उनके कुछ विधायक अपने भविष्य का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हो सकते हैं।