महाराष्ट्र की राजनीतिक बड़ी दिलचस्प हो गई है। यहां आगामी लोकसभा चुनावों के लिए जब चारों ओर नजर दौड़ाएंगे तो एक अलग ही समीकरण देखने को मिलेगा। जो पहले प्रतिद्वंद्वी थे वो अब सहयोगी बन गए हैं।
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लोकसभा चुनाव 2024: BJP की 7वीं लिस्ट में नवनीत राणा का नाम, महाराष्ट्र NDA में बवाल – India TV Hindi
लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की सातवीं लिस्ट जारी कर दी है जिसमें भाजपा ने अमरावती सीट से नवनीत राणा को टिकट दिया है। अब इसे लेकर महाराष्ट्र एनडीए में विवाद खड़ा हो गया है। अमरावती से बीजेपी ने नवनीत राणा को उम्मीदवारी दी है पर महायुति गठबंधन में राणा को लेकर भारी विरोध सामने आया है। शिंदे शिवसेना गुट के आनंदराव अड़सुल ने कहा मैं भी अब इसी सीट से चुनाव लड़ूंगा। इसके साथ ही प्रहार जनशक्ति के बच्चू कडूकाबजी ने भी नवनीत राणा के नाम को लेकर विरोध जताया है। नवनीत राणा अमरावती से सांसद हैं। नवनीत राणा ने 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अमरावती से चुनाव लड़ा था और उन्होंने शिवसेना के आनंदराव अडसुल को हराया था।
नागपुर में बीजेपी दफ़्तर में नवनीत राणा बीजेपी ज्वाइन करेंगी। इससे पहले बुधवार को सीएम शिंदे के निवास वर्षा बंगलो पर रात 10 बजे बाद मीटिंग बुलाई गई है। शिवसेना के नेता और जिन सांसदों का टिकट काटा जा सकता है उनके साथ भी बैठक होगी। इसके अलावा सीएम शिंदे, देवेंद्र फाडणवीस और अजीत पवार भी मीटिंग करेंगे। कहा जा रहा है कि मीटिंग में सीट बंटवारे को फ़ाइनल किया जाएगा ताकि कल इसकी घोषणा की जा सके। इसके साथ ही अपनी-अपनी पार्टी के नाराज़ नेताओ को भी समझाया जाएगा।
महाराष्ट्र में भाजपा अजित पवार की पार्टी राकांपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है और अब शिदें गुट के आनंदराव अड़सुल ने नवनीत राणा को भाजपा से टिकट दिए जाने का विरोध किया है।
कर्नाटक में बीजेपी-जेडीएस गठबंधन
भाजपा ने कर्नाटक की चित्रदुर्ग सीट से गोविंद करजोल को चुनाव मैदान में उतारा है। बता दें कि कर्नाटक में बीजेपी जेडीएस के साथ गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ रही है और समझौते के अनुसार, जद (एस) तीन सीटों – मांड्या, हासन और कोलार पर चुनाव लड़ेगी।
जेडीएस ने साल 2018 में 14 महीने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन में सरकार बनाई थी, जिसमें कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे। दोनों पार्टियों ने 2019 का लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ा था और उन्हें सिर्फ एक-एक सीट मिली थी, जबकि बीजेपी ने 25 सीटें हासिल की थीं। इस बार भी भाजपा-जेडीएस के साथ गठबंधन किया है और जीत सुनिश्चित करने के लिए सोच-समझकर अपने उम्मीदवार उतार रही है।
महाराष्ट्र कांग्रेस को लग सकता है एक और बड़ा झटका, प्रिया दत्त छोड़ सकती है पार्टी – India TV Hindi
महाराष्ट्र में कांग्रेस को एक और झटका लगा सकता है। मिलिंद देवड़ा बाबा सिद्दीकी और अशोक चव्हाण जैसे बड़े नामों के बाद इन दिनों प्रिया दत्त को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, अब प्रिया दत्त भी कांग्रेस से अपनी राह जुदा कर सकती हैं। एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना चाहती है कि प्रिया शिवसेना से जुड़ें। एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना का एक बड़ा वर्ग पार्टी को बड़ा करने और मजबूत करने के पक्ष में है।
हार के बाद पार्टी ने कोई जिम्मेदारी नहीं दी
जानकारी दे दें कि प्रिया दत्त साल 2019 की लोकसभा चुनाव में पूनम महाजन के सामने उत्तर मध्य मुंबई से हार गई थीं तब से वह कांग्रेस पार्टी में हाशिए पर भी है, उन्हें पार्टी ने भी कोई जिम्मेदारी नहीं दी है। इससे कयास बढ़ जा रहे हैं कि प्रिया दत्त पार्टी का हाथ छोड़ सकती हैं। जानकारी के लिए बता दें कि प्रिया बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की बहन हैं।
क्या कहा प्रिया ने?
वहीं, इस बारे में प्रिया दत्त का कहना है कि वह राजनीति में सक्रिय नहीं है लेकिन अपने एनजीओ के जरिए लगातार लोगों के संपर्क में है और सामाजिक कामों में लगी रहती है। सेवा करने के लिए राजनीति में होना ही जरूरी नहीं होता और वो आरोप प्रत्यारोप की राजनीति नहीं करती। प्रिया ने आगे कहा कि सामाजिक कामों को करना ही राजनीति है फिलहाल उन्होंने किसी भी पार्टी से टिकट मांगा नहीं है।
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NCP को लेकर शरद पवार से पहले सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अजित पवार, दाखिल किया कैविएट – India TV Hindi
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर कब्जा जमाने के बाद अब अजीत पवार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। अजीत गुट ने कैविएट दाखिल कर कोर्ट से अपील की है कि चुनाव चिन्ह से जुड़ी अपील कर शरद पवार गुट की तरफ से दाखिल की जाती है तो उनका भी पक्ष सुना जाए। बता दें कि एक वादी द्वारा कैविएट आवेदन यह सुनिश्चित करने के लिए दायर किया जाता है कि उसका पक्बिष ना सुने उसके खिलाफ कोई आदेश पारित न किया जाए।
चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे शरद पवार
दरअसल, चुनाव आयोग ने अजीत पवार गुट को असली एनसीपी करार देते हुए चुनाव चिन्ह घड़ी भी उन्हें सौंप दिया है। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ शरद पवार गुट सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान किया है। समाचार लिखे जाने तक शरद गुट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कोई अपील दाखिल नहीं की गई है। शरद गुट से पहले ही अजीत गुट आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर कैविएट कर दिया है।
प्रियंका चतुर्वेदी ने बीजेपी पर साधा निशाना
एनसीपी के नाम और चुनाव चिह्न के मामले में चुनाव आयोग द्वारा अजीत पवार के पक्ष में फैसला सुनाए जाने पर शिवसेना(UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बुधवार को कहा कि ऐसा माहौल बनाया हुआ है पूरे देश में कि पैसा फेक तमाशा देख, जनता के पैसों का दुरुपयोग हो रहा है, विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही है। शरद पवार वरिष्ठ नेता है वे यह लड़ाई भी डटकर लड़ेंगे।
शरद पवार गुट ने कही थी ये बातें
शरद पवार गुट के जयंत पाटिल ने मंगलवार को कहा था कि अजित पवार के खेमे को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) घोषित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। एनसीपी (शरद पवार) गुट की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख पाटिल ने कहा, हम उच्चतम न्यायालय जाएंगे क्योंकि हमारी आखिरी उम्मीद वही है। हम उम्मीद करते हैं कि उच्चतम न्यायालय निर्वाचन आयोग के फैसले पर रोक लगाएगा। हमें शरद पवार के पीछे मजबूती से खड़ा रहना है। पार्टी कार्यकर्ताओं को चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि राकांपा की स्थापना शरद पवार ने की थी, उन्होंने इसे जमीनी स्तर पर बढ़ाया और राजनीतिक करियर में आगे बढ़ने में कई नेताओं की मदद की।
उद्धव ठाकरे ने छोड़ा साथ, तो मुश्किल में आ जाएगा ‘हाथ’? अब महाराष्ट्र में सुगबुगाहट
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शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए बदले सुर ने महाराष्ट्र की राजनीति से लेकर देश की राजनीति तक अटकलों का नया दौर शुरू हो गया है। इससे जहां विपक्षी गठबंधन INDIA में संशय पैदा हुआ है, वहीं भाजपा नेताओं ने भी दबे सुर कहना शुरू कर दिया है कि राजनीति में दरवाजे कभी बंद नहीं होते हैं।
विपक्षी गठबंधन के दो बड़े मजबूत माने जाने वाले राज्य बिहार और महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव दिखने लगे हैं। बिहार में तो नीतीश कुमार ने राजग में आकर ‘INDIA’ को करारा झटका दिया ही है, अब महाराष्ट्र में भी वैसी ही सुगबुगाहट है?
उद्धव ठाकरे ने एक दिन पहले एक रैली में कहा कि वह मोदी को बताना चाहते हैं कि हम कभी आपके दुश्मन नहीं थे। आज भी दुश्मन नहीं है। वह और शिवसेना उनके साथ थी। हमने पिछली बार अपने गठबंधन के लिए प्रचार किया था। आप प्रधानमंत्री बने। बाद में आपने हमें खुद से दूर कर दिया। हमारा हिंदुत्व और भगवा ध्वज आज भी कायम है।
ठाकरे का यह बयान उस समय आया है जबकि लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ दरक रहा है और भाजपा नए पुराने साथियों को जोड़ रही है। महाराष्ट्र में भाजपा ने दो दलों शिवसेना और एनसीपी को तोड़कर अपने साथ लिया है। दोनों ही दलों के अधिकांश नेता भाजपा के साथ हैं। ऐसे में विपक्षी गठबंधन बेहद कमजोर हुआ है। उद्धव ठाकरे सदन से लेकर अदालत व चुनाव आयोग तक पार्टी व चुनाव चिन्ह की लड़ाई हार चुके हैं। एनसीपी और कांग्रेस के साथ चुनाव में जाने पर उनकी दिक्कतें और बढ़ सकती हैं।
उद्धव को ही बालासाहब ठाकरे का उत्तराधिकारी माना जाता है
भाजपा के लिए शिवसेना के ठाकरे गुट का साथ आना लाभ का सौदा होगा। दरअसल जमीन पर जनता के बीच अभी भी उद्धव ठाकरे को ही बालासाहब ठाकरे और शिवसेना का उत्तराधिकारी माना जाता है। राज्य की जनता ने बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे की पार्टी को स्वीकार नहीं किया था। ऐसे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना को जनता कितना स्वीकार कर पाएगी?
एनसीपी की अधिकांश ताकत अजित पवार के साथ पहले ही भाजपा के साथ है। ऐसे में अगर उद्धव ठाकरे की राजग में वापसी होती है तो महाराष्ट्र में ‘INDIA’ का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। भाजपा के एक प्रमुख नेता ने ठाकरे के बयान पर कहा है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं और दरवाजे कभी बंद नहीं होते हैं।
सबसे बड़ा असर कांग्रेस पर पड़ेगा
इसका सबसे बड़ा असर कांग्रेस पर पड़ेगा, जो गठबंधन राजनीति में लगातार अलग थलग पड़ती जा रही है। जिन नेताओं और दलों पर उसे ज्यादा भरोसा था वही साथ छोड़ रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा की कोशिश कांग्रेस को अलग थलग कर उसे और ज्यादा निचले स्तर पर ले जाने और खुद को चार सौ पार ले जाने पर है।