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डीआरडीओ ने फिर किया कमाल, हाई-स्पीड फ्लाइंग विंग यूएवी का किया सफलतापूर्वक परीक्षण
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग में स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज से स्वदेशी हाई-स्पीड फ्लाइंग विंग यूएवी, ऑटोनोमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर के उड़ान का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। टेललेस कॉन्फिगरेशन में इस उड़ान के साथ ही भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिन्होंने फ्लाइंग विंग कॉन्फिगरेशन के नियंत्रण में महारत हासिल कर ली है। न्यूज एजेंसी एएनआई पर इसका एक वीडियो भी शेयर किया गया है, जिसमें यूएवी को उड़ान भरते और लैंड करते देखा जा सकता है। इस यूएवी को उड़ान भरता देख अमेरिका के एक लड़ाकू विमान की तस्वीर अचानक दिमाग में आ जाती है।
डीआरडीओ ने फिर किया कमाल
दरअसल हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका की। अमेरिकी वायुसेना में Northrop Grumman B-2 Spirit नाम का एक लड़ाकू विमान है। दरअसल यह एक बॉम्बर विमान है। जो किसी एलियन शिप की तरह दिखता है। भारत में जिस यूएवी का डीआरडीओ ने परीक्षण किया है, उसका लुक भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है। बी 2 स्पिरिट के एक विमान की कीमत 2.1 बिलियन डॉलर है। इसे साल 1989 में पहली बार लॉन्च किया गया था और समय-समय पर इसे अपडेट किया गया है। बता दें कि यह विमान 50 हजार फीट की ऊंचाई से भी हमले की योजना को सफल बनाने में कारगर है।
प्रलय मिसाइल का किया था परीक्षण
इससे पहले डीआरडीओ ने सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। इस मिसाइल का नाम प्रलय रखा गया है। बता दें कि इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है। ट्रैकिंग उपकरणों से मिसाइल की ट्रैजेक्टरी का विश्लेषण किया गया। प्रलय मिसाइल की रेंज 350-500 किमी है और यह 500-1000 किलो पेलोड ले जाने में सक्षम है। प्रलय मिसाइल एलएसी और एलओसी पर तैनाती के लिए विकसित की गई है। रक्षा अधिकारियों का इस बाबत कहना हा कि चीन डोंग फेंग 12 और रूस की इस्केंडर मिसाइलों की तुलना भारत की प्रलय मिसाइल से हो सकती है।
सिलक्यारा सुरंग की साइट पर पहुंची PMO की टीम, NDMA ने बताया- बारिश नहीं बनेगी बाधा
Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. इस पूरे ऑपरेशन का जायजा लेने के लिए सोमवार (27 नवंबर) को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, उत्तराखंड के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू और अन्य कई सीनियर अधिकारी मौके पर पहुंचे. इस बात की जानकारी उत्तराखंड सरकार के सचिव नीरज खैरवाल ने दी.
उत्तरकाशी सुरंग मामले पर केंद्र सरकार की ओर से प्रेस ब्रीफिंग की गई. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी के सदस्य ले.जन.(रिटा.) सैयद अता हसनैन ने कहा कि सब ठीक है. खाना-पीना, दवा सब अंदर जा रहे हैं.
मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा रहा
सैयद अता हसनैन ने बताया कि मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जा रहा. परिवार से उनकी बात करवाई जा रही है. सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जरूरत के मुताबिक नई मशीनें भी लाई जा रही हैं.
‘बारिश की वजह से नहीं पड़ेगा कोई विशेष असर’
उन्होंने कहा कि बारिश की संभावना है लेकिन इससे विशेष असर नहीं पड़ेगा. हमारे सभी भाई सुरक्षित बाहर आएंगे, यह मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं. सबके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जा रही है. उन्हें बाहर निकालने के लिए हम किसी भी एजेंसी की मदद लेने को तैयार हैं.
#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Principal Secretary to PM, Dr PK Mishra visited the Silkyara tunnel and communicated with the workers trapped there. He also spoke with the families of the trapped workers. He also took a report of the food items being sent to the… pic.twitter.com/VaZ0HmoaPa
— ANI (@ANI) November 27, 2023
‘सिलक्यारा की तरफ से फंसी ऑगर मशीन को निकाला गया’
हसनैन ने कहा कि सिलक्यारा की तरफ से फंसी ऑगर मशीन को निकाला जा चुका है. आज शाम से 2-2 की टोली में जाकर मैनुएल खुदाई की जाएगी. वर्टिकल ड्रिलिंग में भी 30-32 मीटर के जरिए हम पहुंच चुके हैं.
Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Principal Secretary to PM, Dr PK Mishra visited the Silkyara tunnel and communicated with the workers trapped there. He also spoke with the families of the trapped workers. He also took a report of the food items being sent to the workers. pic.twitter.com/rnPvSc4JFI
— ANI (@ANI) November 27, 2023
‘पाइप लाइन 75 मीटर तक पहुंची, 86 मीटर का लक्ष्य’
उन्होंने बताया कि तीसरी लाइफ लाइन के रूप में 6-8 इंच की पाइप लाइन 75 मीटर तक पहुंच चुकी है और 86 मीटर तक जाना है. परपेंडिकुलर ड्रिलिंग पर काम नहीं शुरू हो पाया है. बरकोट की तरफ हॉरिजोंटल लाइन बनाने के लिए आज छठा ब्लास्ट किया गया है.
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41 जिंदगियां, रेस्क्यू ऑपरेशन का 10वां दिन… साइट पर पहुंचे विदेशी एक्सपर्ट
Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 लोगों को सकुशल वापस निकालने के लिए राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है. सोमवार (20 नवंबर) को श्रमिकों से संवाद स्थापित करने और उन तक खाने पीने की चीज पहुंचाने के लिए 6 इंच का पाइप डालने का काम पूरा कर लिया गया था.
मंगलवार (21 नवंबर) सुबह राहत भरी खबर आई कि उनसे वॉकी टॉकी पर बात हो रही है और सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है. इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने थोड़ी राहत की सांस ली है और बचाव कार्य में किए जा रहे प्रयासों को और तेज कर दिया गया है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर मीडिया के साथ जानकारी को साझा किया है. मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी (NDMA) के सदस्य ले. जनरल (रिटा.) सय्यद अता हसनैन भी मौजूद रहे.
‘कई देशों से रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर ली सलाह’
ले. जनरल (रिटा.) सय्यद अता हसनैन ने कहा कि सुरंग में लोग दोनों तरफ से बंद हो जाने की वजह से फंस गए. वहां पर NDRF, SDRF और कई तकनीकी एजेंसियां काम में जोर शोर से जुटी हैं. कई देशों से भी रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर सलाह ली गई है. वहीं 3-4 विदेशी एक्सपर्ट भी हादसा साइट पर पहुंचे हैं.
‘खाने पीने साथ दवाई व ऑक्सीजन भी पहुंचा रहे’
उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि सुरंग में लोग बहुत छोटी जगह में नहीं फंसे हैं. वह कुछ किलोमीटर लंबी जगह है. बिजली लाइन नहीं कटी, तो वहां बिजली भी है. शुरू में जो छेद किया गया, उससे खाना, पानी, दवाई जैसे जरूरी सामान पहुंचाया जा रहा है, वहां ऑक्सीजन भी है.
‘सुरंग में फंसे लोगों के कई परिवार भी साइट पर पहुंचे’
एनडीआरएफ अधिकारी का कहना है कि सुरंग में फंसे लोगों में से कुछ के परिवार भी वहां पहुंचाया गया है. वहीं, जिन राज्यों के लोग फंसे हैं, वहां के प्रतिनिधि भी वहां हैं. जिला प्रशासन ने सबके लिए समुचित व्यवस्था भी की है.
’20 मीटर पर पहुंचे, 60 मीटर तक जाने का लक्ष्य’
सदस्य हसनैन के मुताबिक, 5 जगह पर ड्रिलिंग के जरिए प्रयास किए जा रहे हैं. इनमें से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग वाली एक जगह पर सबसे सघन प्रयास हो रहे हैं. वहीं, 20-21 मीटर के बाद चट्टान आ जाने के चलते दिक्कत आ रही है. उसका समाधान भी निकाला जा रहा है. रेस्क्यू एजेंसियों की ओर से वर्टिकल प्रयास भी किए जा रहे हैं. ब्लास्टिंग भी हो रही है. पर यह धीमा तरीका है. इसलिए पुराने हॉरिजॉन्टल रास्ते पर काम बढ़ाया गया है. उन्होंने बताया कि अभी तक 20-21 मीटर जा चुके हैं लेकिन 60 मीटर तक जाना है.
‘हर स्थिति पर रिहर्सल कर रहा एनडीआरएफ दस्ता’
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि 6 इंच की एक पाइप लाइन वहां पहुंचने से वहां पर कम्युनिकेशन की कोई लाइन बनाने का प्रयास किया जा सकता है. इस पाइप लाइन से पहले वहां पर 4 इंच की एक पाइप लाइन पहले से ही थी. उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ का दस्ता हर स्थिति के लिए रिहर्सल कर रहा है. जैसे भी हालात बनेंगे, यह दस्ता और दूसरी एजेंसियां तुरंत सक्रिय हो जाएंगी.
‘कई तरीकों का अपना कर चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन’
एक सवाल के जवाब में एनडीआरएफ सदस्य हसनैन ने बताया कि जल्द ही उनसे कम्युनिकेशन पूरी तरह स्थापित हो जाएगा. तब हम उनकी स्थिति को और बेहतर जान सकेंगे. मामले की तकनीकी जटिलता को देखते हुए उन्हें निकाल पाने की कोई समय सीमा पर टिप्पणी करना अभी सही नहीं होगा. अभी इतना ही कह सकता हूं कि सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए जा रहे हैं. 4-5 अलग-अलग तरीके एक साथ लगाए जा रहे हैं जिस तरीके से भी सबसे जल्दी कामयाबी मिल जाए. हम इस पर नहीं बैठे हैं कि 1 तरीका फेल हो तो दूसरा अपनाएं.
‘सब ठीक रहा तो ‘ऑगर’ मशीन 2 दिन में भीतर पहुंचा देंगे’
मंत्रालय सचिव अनुराग जैन ने कहा कि सेना की टीम भी अपने तरीके से रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है. हमें पूरा विश्वास है कि सब सही सलामत वापस आएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर सारी स्थितियां साथ रहीं और चट्टान के चलते दिक्कत नहीं आई तो ‘ऑगर’ मशीन 2 से ढाई दिन में हम अंदर तक उसको पहुंचा देंगे. हालांकि, फिलहाल इस तरीके या किसी भी और तरीके से कामयाबी की कोई समय सीमा बताना सही नहीं होगा.
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कर्नाटक में दुर्घटनाग्रस्त हुआ ड्रोन, किसी को नहीं पहुंचा नुकसान, जांच शुरू
कर्नाटक में चित्रदुर्ग जिले के एक गांव में रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित एक मानव रहित वायु यान (यूएवी) दुर्घटनाग्रस्त हो गया। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह ड्रोन तापस 07 ए-14, जिले के हिरियूर तालुक स्थित वड्डिकेरे गांव के बाहर खेतों में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। सूत्रों के मुताबिक, यह घटना उस वक्त हुई जब डीआरडीओ का ड्रोन परीक्षण उड़ान पर था। इस घटना पर डीआरडीओ के अधिकारियों की टिप्पणी नहीं मिल पायी है।
परीक्षण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुआ ड्रोन
घटना से जुड़ी वीडियो और तस्वीरों से पता चलता है कि दुर्घटना के बाद ड्रोन टूट गया और उसके पुर्जे आसपास बिखर गये। दुर्घटना के वक्त तेज आवाज आने के बाद ग्रामीण मौके पर पहुंचे और स्थानीय प्राधिकारियों को इसकी सूचना दी। डीआरडीओ का कहना हा कि तकनीकी खराबी के कारण यह दुर्घटना हुई है। इस बाबत जांच की जा रही है, हालांकि इस हादसे में किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।
दुर्घटना के कारणों की हो रही जांच
रक्षा अधिकारी ने कहा कि डीआरडीओ द्वारा विकसित किया जा रहा एक तापस ड्रोन आज कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले के एक गांव में परीक्षण उड़ान के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। डीआरडीओ ने रक्षा मंत्रालय को इस दुर्घटना के बारे में जानकारी दे दी है। दुर्घटना के पीछे के विशिष्ट कारणों की जांच की जा रही है।