चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने मंगलवार को कहा, ‘समुद्री विवाद संबंधित देशों के बीच के मुद्दे हैं। तीसरे पक्ष को किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।’
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चीन
यह हमारा हिस्सा; बाज नहीं आ रहा चीन, पीएम मोदी के दौरे के बाद जताया अरुणाचल प्रदेश पर अपना हक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के कुछ दिन बाद चीन की सेना ने अरुणाच प्रदेश पर अपना दावा दोहराते हुए इसे चीन के क्षेत्र का स्वाभाविक हिस्सा बताया है।
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चीन का डेवलपमेंट सिस्टम दुनिया में कॉम्पिटिटिव प्रेशर कर रहा क्रिएट – India TV Hindi
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने शनिवार को कहा कि चीन की आर्थिक विकास प्रणाली या डेवलपमेंट सिस्टम दुनिया में कई प्रतिस्पर्धी दबाव पैदा कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक व्यापार के विविधीकरण का हवाला देते हुए पिछले साल अमेरिका-चीन द्विपक्षीय व्यापार में हुई भारी गिरावट को एक पॉजिटिव संकेत बताया। भाषा की खबर के मुताबिक, ताई ने बीबीसी से एक इंटरव्यू में बताया कि जब डब्ल्यूटीओ की स्थापना हुई थी, उस वक्त दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं अलग थीं। तब से कई अर्थव्यवस्थाएं बढ़ी हैं।
चीन एक अच्छा उदाहरण
खबर के मुताबिक, चीन इसका अच्छा उदाहरण है। यह 2001 में डब्ल्यूटीओ में शामिल हुआ। उस समय इसकी उपस्थिति आज की तुलना में छोटी थी। ताई ने अबू धाबी में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक में अपने संबोधन में कहा कि चीन का आर्थिक विकास दुनिया भर में कई प्रतिस्पर्धी दबाव पैदा कर रहा है और संस्था में अब सुधार की जरूरत है। डब्ल्यूटीओ उन दबावों को दूर करने के लिए और अधिक कोशिश कर सकता है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ में उन कॉम्पिटिटिव आर्थिक दबावों का समाधान खोजने की जरूरत है, जिन्हें कई लोग चीन और उसकी विशेष प्रणाली के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में महसूस कर रहे हैं।
अमेरिका-चीन के बीच निर्यात
ताई ने कहा कि 2023 में चीन के साथ अमेरिकी व्यापार में भारी गिरावट एक सकारात्मक घटनाक्रम हो सकता है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल अमेरिकी चीनी वस्तुओं का आयात कुल 427 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 20 प्रतिशत की गिरावट है। चीन को अमेरिकी निर्यात भी 2023 में लगभग चार प्रतिशत घटकर लगभग 148 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया। इसे देखते हुए व्यापार घाटा घटकर 279 अरब डॉलर रह गया। नतीजा यह हो सकता है कि चीन 17 वर्षों में पहली बार अमेरिका को शीर्ष निर्यातक देश का अपना स्थान खो सकता है।
यूएस-चीन व्यापार में सबसे बड़ी गिरावट
साल 1995 में सीमा शुल्क द्वारा अपना रिकॉर्ड शुरू करने के बाद से यह यूएस-चीन व्यापार में सबसे बड़ी गिरावट है और यह गिरावट 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट या 2018-19 में यूएस-चीन व्यापार युद्ध की शुरुआत से भी अधिक है। हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने रिपोर्ट दी। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के व्यापार विशेषज्ञ विलियम रेनश ने कहा कि पिछले साल अमेरिका-चीन व्यापार में गिरावट इस बात का संकेत प्रतीत होती है कि दोनों अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे से दूर जा रही हैं। लेकिन अगर आप दक्षिण पूर्व एशिया से संयुक्त राज्य अमेरिका में बढ़े हुए आयात को देखें, तो ऐसा प्रतीत होता है कि उस वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा चीनी कंपनियों से आ रहा है।
पाकिस्तान बोला- भारत हमारे घर में घुसकर आतंकियों को मार रहा है; चीन ने भी किया समर्थन
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पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि भारत पाकिस्तान में घुसकार वहां के नागरिकों और आतंकवादियों की हत्या कर रहा है। पाक के इन आरोपों का चीन ने भी समर्थन किया है। ड्रैगन ने कहा कि इस्लामाबाद द्वारा किए गए दावे पर ध्यान देने की आवश्यक्ता है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मानकों का विरोध करते हैं।
आपको बता दें कि भारत लगातार चीन पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों पर संयुक्त राष्ट्र के द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के प्रयास को रोकने का आरोप लगाता है। कई मौके ऐसे आए हैं जब चीन ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग कर ऐसा नहीं होने दिया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि आतंकवाद मानवता का साझा दुश्मन है।’ प्रवक्ता ने आगे कहा कि चीन आतंकवाद के सभी रूपों से संयुक्त रूप से लड़ने के लिए सभी देशों के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को मजबूत करने का पक्षधर है।
पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसके पास भारतीय एजेंटों और पिछले साल दो आतंकवादियों की हत्या के बीच संबंधों के प्रयाप्त सबूत हैं। भारत ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि यह देश आतंकवाद का केंद्र रहा है और जो बोएगा वही काटेगा।
तालिबान की बुलाई मीटिंग में शामिल हुआ भारत, रूस समेत अन्य दस देशों ने भी लिया हिस्सा – India TV Hindi
काबुल: अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार की बुलाई गई एक मीटिंग में भारत ने भी हिस्सा लिया है। जानकारी के अनुसार, तालिबान के विदेश मंत्रालय ने कई देशों में प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया था। सोमवार को हुई इस बैठक में भारत के अलावा रूस, चीन, ईरान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्की और इंडोनेशिया के राजनयिकों ने भी भाग लिया। वहीं रूस का प्रतिनिधित्व अफगानिस्तान के लिए उसके विशेष प्रतिनिधि ज़मीर काबुलोव ने किया।
भारत ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया
काबुल में हुई इस बैठक पर भारतीय अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। वहीं इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारतीय दूतावास द्वारा अबू धाबी में गणतंत्र दिवस समारोह के लिए कार्यवाहक अफगान दूत बदरुद्दीन हक्कानी को आमंत्रित किया गया था। बता दें कि भारत सरकार ने अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं दी है। लेकिन इस बैठक के बाद तालिबान विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता हाफिज जिया अहमद ने कहा कि भारत हमारा समर्थन करता है।
‘भारत अफगानिस्तान के विकास में देता है सहयोग’
बैठक में शामिल हुए भारतीय प्रतिनिधि के हवाले से तालिबान विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता ने कहा, “नई दिल्ली अफगानिस्तान की स्थिरता पर केंद्रित सभी पहलों का समर्थन करती है।” अहमद ने एक्स पर एक पोस्ट में भारतीय प्रतिनिधि के हवाले से कहा, “भारत अफगानिस्तान के संबंध में अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय पहलों में सक्रिय रूप से भाग लेता है और अफगानिस्तान की स्थिरता और विकास के लिए हर प्रयास का समर्थन करता है।”
तालिबान के विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान क्षेत्र के देशों के साथ संबंधों को महत्वपूर्ण मानते हैं और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन देशों को अफगानिस्तान के साथ सकारात्मक बातचीत बढ़ाने और जारी रखने के लिए क्षेत्रीय बातचीत करनी चाहिए। वहीं विदेश मंत्री अमीरखान मोट्टाकी ने कहा कि मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि अफगानिस्तान में किसी भी अन्य देश की तरह ही समस्याएं हैं। देश लगभग आधी सदी से कब्जे, विदेशी हस्तक्षेप और गृहयुद्ध का निशाना रहा है।