Aligarh Muslim University Case: CJI की अध्यक्षता में सात जजों की संविधान पीठ इस मामले की कानूनी जांच कर रही है कि संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत क्या AMU अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे का दावा कर सकता है?
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी न्यूज
AMU में अपॉइंटमेंट के लिए सिलेक्शन कमेटी रद्द करने की मांग को लेकर छात्र बाबे सैयद गेट पर धरने पर बैठे
अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU ) में कार्यवाहक कुलपति की कार्य शैली को लेकर छात्रों ने मोर्चा खोल दिया हैय. देर रात मांगें पूरी न करने पर छात्र बाबे सैयद गेट पर धरने पर बैठे गये है. 24 घंटे पहले कार्यवाहक कुलपति को अपॉइंटमेंट संबंधी सिलेक्शन कमिटी कैंसिल करने की मांग छात्रों ने की थी. छात्रों का कहना है कि कार्यवाहक कुलपति अपने फायदे के काम कर रहे है. जब कि छात्रों की समस्याओं को नहीं सुना जा रहा है. कार्यवाहक कुलपति न तो रेगुलर कुलपति की नियुक्ति के लिए पैनल गठन की कवायद कर रहे है. और न ही स्टूडेंट यूनियन के चुनाव करा रहे है. वहीं एप्वांटमेंट के लिए सेलेक्शन कमेटी करा रहे है. छात्रों ने सिलेक्शन कमेटी कैंसिल करने की मांग की थी. लेकिन कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने छात्रों की मांगों को नजर अंदाज कर दिया है. छात्रों ने कार्यवाहक कुलपति पर AMU एक्ट के उल्लंघन का आरोप लगाया है. वहीं छात्र मांगों को लेकर AMU के बाबे सैयद गेट पर धरने पर बैठ गये हैं.
AMU एक्ट को बाईपास कर अपॉइंटमेंट कर रहे कार्यवाहक कुलपति
छात्रों ने गुरुवार को जनरल बॉडी मीटिंग का आयोजन किया था. जिसमें उन्होंने छात्र संघ चुनाव करने की मांग रखी थी. AMU एक्ट के तहत छात्र संघ होना चाहिए , छात्र यासिर अख्तर ने बताया कि कार्यवाहक कुलपति जिस मकसद से आए थे. वह उस जिम्मेदारी को पूरा करें. रेगुलर कुलपति नियुक्त करने को लेकर पैनल का गठन करें. कुलपति को जिस चीज को करना चाहिए वह नहीं कर रहे हैं. छात्र यासिर अख्तर ने कहा कि सिलेक्शन कमिटी अवैध है . कार्यवाहक कुलपति को अपॉइंटमेंट की पावर नहीं है. मिनिस्ट्री की तरफ से कार्यवाहक कुलपति ऑर्डर मांगते हैं. शिक्षा मंत्रालय की तरफ से इन्हें आर्डर दिया जाता है, जो AMU एक्ट का वायलेशन है. AMU एक्ट को बाईपास कर अपॉइंटमेंट करना चाह रहे हैं. इसके विरोध में छात्र धरने पर बैठे हैं. छात्र पहले रेगुलर कुलपति का पैनल और छात्र संघ चुनाव की मांग पर अड़े हैं. यासिर ने बताया कि हमारी डिमांड जब तक पूरी नहीं होती है, बाबे सैयद गेट पर धरना जारी रहेगा.
छात्रसंघ चुनाव की कर रहे मांग
कार्यवाहक कुलपति पिछले 5 महीने से कुर्सी पर बैठे हैं. पिछले कुलपति डॉ तारिक मंसूर ने नए कुलपति को लेकर कोई कवायद नहीं की, इस्तीफा देखकर वह भाजपा से एमएलसी बन गए, छात्रों ने कार्यवाहक कुलपति पर स्टूडेंट की समस्याओं को अनदेखी करने का आरोप लगाया है. छात्र आमिर ने बताया कि न तो रेगुलर कुलपति बनाने के लिए पैनल का गठन किया जा रहा है, न ही छात्रसंघ चुनाव कराए जा रहे हैं . कुलपति अपने फायदे के काम कर रहे हैं. छात्रों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. आमिर ने कि अगर विश्वविद्यालय ठीक से चल रहा है तो फिर स्टूडेंट यूनियन का चुनाव क्यों नहीं कराया जा रहा है. छात्र अब अपनी मांग को लेकर आर – पार लड़ाई को तैयार है.
AMU : वीसी ने निकाली भर्ती तो भड़क गए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र, रात में ही शुरू कर दिया प्रदर्शन
अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कार्यवाहक कुलपति को लेकर विवाद थम नहीं रहा है. कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज को चार्ज मिले करीब 6 महीने हो चुके हैं. एएमयू में नए कुलपति के सिलेक्शन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. एग्जीक्यूटिव काउंसिल और यूनिवर्सिटी कोर्ट की ज्यादातर सीटें भी खाली हैं. विश्वविद्यालय में स्थायी नियुक्ति का मुद्दा ठंडा भी नहीं हुआ कि कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने विश्वविद्यालय में परमानेंट अपॉइंटमेंट करने की तैयारी शुरू कर दी है. सिलेक्शन कमेटी का नोटिस जारी होते ही छात्र भड़क गए और रात को ही जनरल बॉडी की मीटिंग बुलाई. कार्यवाहक कुलपति के साथ राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन प्रॉक्टर को सौपा है. मांग की गई है कि सेलेक्शन कमेटी को नियुक्ति करने से रोका जाए.
एप्वांइटमेंट करने को लेकर कार्यवाहक कुलपति पर सवाल
एएमयू के कार्यवाहक कुलपति द्वारा एप्वांइटमेंट करने को लेकर हंगामा खड़ा हो गया है. इसे गैर संवैधानिक कार्य बताया गया है. इससे एएमयू बिरादरी भड़का हुआ है. कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने विश्वविद्यालय में परमानेंट अपॉइंटमेंट करने के लिए सलेक्शन कमेटी का नोटिस निकाल दिया है. जिस पर सवाल उठ रहे हैं. सबका कहना है कि यह सिलेक्शन कमिटी पूर्ण रूप से असंवैधानिक और गैरकानूनी है. ज्ञात रहे की 9 अक्टूबर 2014 को एचआरडी मिनिस्ट्री की तरफ से एक लेटर विश्वविद्यालय को आया था, जिसमें यह कहा गया था कि कार्यवाहक कुलपति यूनिवर्सिटी के स्टेट्यूट्स को नहीं बदल सकता, न ही नए ऑर्डिनेंस ला सकता है, न ही उनमें कोई बदलाव कर सकता है और इसके साथ-साथ टीचिंग और नॉन टीचिंग के परमानेंट अपॉइंटमेंट भी नहीं कर सकता, न ही कोई नई पोस्ट लागू कर सकता है.
दावा, कार्यवाहक कुलपति को परमानेंट अपॉइंटमेंट की पावर नहीं
इस पत्र को 22 मई 2015 में होने वाली एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में सहमति मिलने के बाद पारित किया गया और पारित करके यूनिवर्सिटी की सबसे बड़ी गवर्निंग बॉडी यूनिवर्सिटी कोर्ट को भेज दिया गया. उसके बाद यूनिवर्सिटी कोर्ट की 10 सितंबर 2016 में होने वाली स्पेशल मीटिंग के अंदर इस पत्र को सर्व सहमति से पारित कर दिया गया. इसके बाद यह पत्र यूनिवर्सिटी एक्ट के स्टेट्यूटस 2(7) में ऐड होकर एएमयू एक्ट का हिस्सा बन गया, जो आज तक लागू है और इस पत्र के हिसाब से कार्यवाहक कुलपति को परमानेंट अपॉइंटमेंट करने की पावर आज भी नहीं है.
परमानेंट अपॉइंटमेंट करने की पावर कार्यवाहक कुलपति को नहीं
कार्यवाहक कुलपति ने कुलपति कार्यालय का काम काज संभालने के कुछ दिन बाद ही एचआरडी मिनिस्ट्री को पत्र लिखकर परमानेंट अपॉइंटमेंट करने की इजाजत मांगी थी, जिसके जवाब में 28 अगस्त को पत्र भेजकर उनको यह पावर दी गई, लेकिन यहां गौर करने की बात यह है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मिनिस्ट्री के पत्र को सीधे तौर पर स्वीकृत करके लागू नहीं किया जा सकता, जब तक वह यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल और कोर्ट से पारित होकर एक्ट का हिस्सा न बन जायें, इसलिए इस पत्र के आ जाने के बाद भी परमानेंट अपॉइंटमेंट करने की कार्यवाहक कुलपति को कोई पावर नहीं है.
कार्यवाहक कुलपति एएमयू एक्ट का कर रहे उल्लंघन
इस पूरे प्रकरण को छात्रों ने पूर्ण रूप से एएमयू एक्ट का उल्लंघन कहा है. छात्र एएमयू एक्ट बचाने की तैयारी शुरू करने की बात करने लगे हैं और इसके लिए आज दोपहर एक बजे छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल कार्यकारी कुलपति से मिलने उनके दफ्तर पहुंचा. जिस पर प्रॉक्टर भी वहां पहुंचे और उन्होंने बताया कि कुलपति अलीगढ़ से बाहर कुछ देर पहले ही चले गए हैं. इसलिए मिल नहीं पाएंगे.
छात्रों ने कार्यवाहक कुलपति का किया विरोध प्रदर्शन
छात्रों ने एएमयू प्रॉक्टर डा वसीम अहमद से इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए कि आप कानून के प्रोफेसर हैं तो आप बताएं यह सही हो रहा है या गलत? तो प्रॉक्टर डा वसीम साहब छात्रों के सवालों से बचते हुए दिखाई दिए और कोई जवाब नहीं दे सकें. इसके बाद छात्रों ने आज शाम 8 बजे मगरिब की नमाज के बाद लाइब्रेरी कैंटीन पर जनरल बॉडी मीटिंग का आह्वान किया, जिसमें एएमयू परिसर में होने वाले इस गैर कानूनी कामों की जमकर विरोध किया गया.
गैरकानूनी तरीके से होने वाली सिलेक्शन कमेटी को रोका जाएं
विरोध करते हुए छात्रों ने एक रेजोल्यूशन पास किया. जो कार्यकारी कुलपति और देश के राष्ट्रपति के नाम संबोधित था. रेजोल्यूशन में कहा गया कि एएमयू एक्ट के तहत वाइस चांसलर का पैनल जानबूझकर टालना ठीक नहीं है. रेगुलर कुलपति का गठन किया जायें. छात्र संघ का चुनाव न करना भी एएमयू एक्ट का उल्लघन है, क्योंकि एएमयू एक्ट में साफ तौर पर लिखा है कि हर एकेडमिक सेशन में छात्र संघ का होना अनिवार्य है. गैर कानूनी तरीके से होने वाली इस सिलेक्शन कमिटी को पूर्ण रूप से रोका जाए. पीएचडी एडमिशन में होने वाली देरी भी छात्रों के गुस्से की वजह है. एडमिशन प्रक्रिया को भी पारदर्शी बनाया जाएं. गैरकानूनी तरीके से होने वाली सिलेक्शन कमिटी को अगर नहीं रोका गया तो छात्रों ने अल्टीमेटम देते हुए कल तक का समय दिया है. सिलेक्शन कमिटी कैंसिल होने का पत्र नहीं आता है तो छात्र संवैधानिक तरीके से क्लास बॉयकॉट कर धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे.
बाब-ए-सैयद गेट बंद कर किया प्रदर्शन
छात्रों ने जनरल बॉडी मीटिंग में रेजोल्यूशन पास होने के बाद रेजोल्यूशन की कॉपी कार्यवाहक कुलपति को देने का निर्णय किया, जिसके लिए सभी छात्र इकट्ठा होकर लाइब्रेरी कैंटीन से पीवीसी लॉज गए, लेकिन वहां पर किसी के न आने की वजह से आगे बढ़ते हुए बाब-ए-सैयद गेट जाकर बंद किया, जिस पर एक घंटे बाद प्राक्टर डॉक्टर वसीम अहमद पहुंचे और छात्रों का रेजोल्यूशन राष्ट्रपति और कार्यवाहक कुलपति तक पहुंचाने का आश्वासन दिया.
AMU में रेगुलर कुलपति के पैनल गठन की मांग को लेकर शिक्षकों ने दिया धरना
अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में रेगुलर कुलपति का पैनल बनाए जाने की मांग को लेकर शिक्षक आंदोलित हो गए हैं. बुधवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन (AMUTA) के पदाधिकारी एकदिवसीय धरने पर बैठ गए. अमूटा और शिक्षक कार्यवाहक कुलपति मोहम्मद गुलरेज को कई पत्र लिख चुके हैं. लेकिन उन्होंने कोई कवायद नहीं की.
शिक्षक-छात्र दोनों नाराज
AMU में रेगुलर कुलपति के पैनल बनाने में हो रही देरी से शिक्षक और छात्र दोनों नाराज है. छात्र भी प्रोटेस्ट कर चुके हैं. वहीं अब शिक्षक संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है. शिक्षकों ने बताया कि रेगुलर कुलपति के लिए पैनल बनाना कोई बहुत बड़ा काम नहीं है, लेकिन इसमें देरी की जा रही है. अमूटा के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद खालिद ने बताया कि धरने की एक सप्ताह से पहले प्लानिंग थी. इसमें सिर्फ रेगुलर कुलपति बनाए जाने की मांग की जा रही है.
पांच महीने से नहीं है स्थायी कुलपति
उन्होंने बताया कि कार्यवाहक कुलपति को अंतरिम जिम्मेदारी दी जाती है . जब किसी भी वाइस चांसलर का कार्यकाल पूर्ण हो जाता है, तो प्रो वॉइस चांसलर को चार्ज दिया जाता है और उम्मीद की जाती है कि वह एक्ट और संवैधानिक नियमों का पालन करते हुए एक पैनल बनाने की कोशिश करेंगे. लेकिन 5 महीने के बाद भी कार्यवाहक कुलपति ने कोई कवायद नहीं की. शिक्षक, ईसी मेंबर ने पत्र भेजा लेकिन कार्यवाहक कुलपति पर कोई असर नहीं पड़ा. रेगुलर कुलपति के लिए पैनल गठन नहीं किया गया. जिससे विश्वविद्यालय संचालन में दिक्कत आ रही हैं.
कुलपति चयन का पैनल बनाने में देरी समझा से बाहर
प्रोफेसर मोहम्मद खालिद ने कहा कि रेगुलर कुलपति का पैनल बनाने में देरी की वजह नहीं समझ में आ रही है, लेकिन पैनल बनाने में जो देरी की जा रही है. उससे ऐसा लगता है कि विश्वविद्यालय के संवैधानिक नियमों को दरकिनार कर दिया गया है. जिसे AMU बिरादरी स्वीकार नहीं करेगी. कार्यवाहक कुलपति को बहुत से काम करने की आजादी नहीं होती है. विश्वविद्यालय भी ठीक से नहीं चल सकता.
17 अक्तूबर को बड़ा आंदोलन
AMUTA अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद खालिद ने कहा कि अगर हमारी आवाज नहीं सुनी गई, तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा . रेगुलर कुलपति पैनल को लेकर अगर आगे कार्रवाई नहीं होती है तो बड़ी मुहिम चलाएंगे . एएमयू के ओल्ड बॉयज संगठन , स्टूडेंट AMU कर्मचारियो को साथ लेकर 17 अक्टूबर को बड़ी मुहिम चलाने जा रहे हैं.