साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में दावा किया गया है कि चीन ने भूटान की विवादित सीमा पर कई गांव बसा दिए हैं। वह भूटान से वार्ता भी कर रहा है और पीठ पीछे गांव भी बसा रहा है।
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Xi Jinping
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने क्यों नहीं आ रहे भारत? ये है 3 वजह
<p style="text-align: justify;">भारत की अध्यक्षता में जी-20 सम्मेलन नई दिल्ली में होने जा रहा है. इस दौरान एक तरफ जहां दुनियाभर के नेताओं का जमावड़ा लगने जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को अपने आपको दिखाने का भी ये एक बड़ा मौका होगा. इन सबके बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी-20 में हिस्सा लेने के लिए भारत खुद नहीं आ रहे हैं, बल्कि चीन के प्रधानमंत्री हिस्सा लेने आएंगे. दूसरी तरफ, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी भारत नहीं आएंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि जब ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात के दौरान जब शी जिनपिंग के भारत दौरे पर आने की बात कही गई थी, तो फिर वे क्यों नहीं आ रहे हैं? वे ऐसे वक्त पर भारत नहीं आ रहे हैं जब एक तरफ जहां एलएसी पर दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ हाल में वहां के नेचुरल रिसोर्सेज मिनिस्ट्री की तरफ से एक मैप जारी किया गया, और इसमें अरुणाचल और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया गया है. 2017 से लेकर अब तक चीन की तरफ से ऐसी चौथी हरकत है.</p>
<p style="text-align: justify;">बहरहाल, चीन के राष्ट्रपति के भारत नहीं आने के सवाल पर अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार हर्ष वी. पंत ने एबीपी डिजिटल टीम के साथ बात करते हुए कहा कि उनका ये मानना है कि इसमें कोई अचरज की बात नहीं है. उनका कहना है कि भारत और चीन के बीच ट्रस्ट फैक्टर इतना ज्यादा कम है कि उसके ऊपर भारत सरकार का विश्वास करना बहुत मुश्किल है. हाल में दोनों देशों के बीच मिलिट्री कमांडर्स की बैठक हुई, इसमें भी कुछ निकलकर सामने नहीं आया. पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान ये कहा गया कि तनाव घटाने की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे. इसमें अगर चीन सकारात्मक रुख दिखाएगा तो ये अच्छी बात है.</p>
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<p style="text-align: justify;"><span style="color: #e03e2d;"><strong>शी जिनपिंग के नहीं आने के हैं ये कारण</strong></span></p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के डीन और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में चाइनीज स्टडी के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने एबीपी डिजिटल टीम के साथ बात करते हुए शी जिनपिंग के भारत नहीं आने का कारण बड़े ही विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि पिछले महीने जब जोहान्सबर्ग में सुरक्षा प्रमुखों की बैठक हुई थी, जिसमें उन्होंने शायद कहा था कि शी जिनपिंग नई दिल्ली में जी 20 सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. लेकिन, शी जिनपिंग दिल्ली नहीं आ रहे हैं बल्कि वहां से चीन के प्रधानमंत्री आएंगे. इसी तरह रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगर नहीं आ रहे हैं तो चीन का एक अलगाव हो जाएगा. </p>
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<p style="text-align: justify;">क्योंकि जी 20 बाकी सम्मेलन के दौरान पिछले साल 2:18 यानी एक तरफ रूस-चीन और दूसरी तरफ उनके खिलाफ 18 देशों ने एक रिजॉल्यूशन पास किया था. ऐसे में शायद चीन को ये लग रहा होगा कि उनका अलगाव हो जाएगा और यूक्रेन संकट पर 18 देश उनकी आलोचना करेंगे. एक ये भी वजह हो सकती है, जिसके चलते राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत दौरे पर नहीं आ रहे हैं. </p>
<p style="text-align: justify;"><span style="color: #e03e2d;"><strong>ग्लोबल साउथ का मुद्दा उठने का डर</strong></span></p>
<p style="text-align: justify;">श्रीकांत कोंडापल्ली आगे बताते हैं कि चीन को शायद ऐसा भी लग रहा होगा कि भारत की तरफ से जो ग्लोबल साउथ का मुद्दा उठाया जा रहा है, इसमें चीन का इन्फ्लूएंश नहीं होगा, इसलिए शायद चीन ने सोच रहा होगा कि ग्लोबल साउथ देशों के इन्फ्लूएंश में भारत का पलड़ा ज्यादा भारी होगा. इसके साथ ही, भारत ये कह रहा है कि जी 20 की मीटिंग में अफ्रीकन यूनियन को मेंबर बनाएं. अफ्रीकन यूनियन में कुल 55 देश हैं और अगर अफ्रीकन यूनियन की मेंबरशिप होती है तो चीन का जो प्रभाव वहां पर है, वो शायद कम हो जाएगा. इसलिए, चीन नहीं देखना चाहता है कि भारत का ग्लोबल साउथ इन्फ्लूएंस बढ़े.</p>
<p style="text-align: justify;">तीसरा गलवान हिंसा और इसके बाद मैप में नाम बदलने का जो विवाद हुआ, उसके बाद चीन के खिलाफ भारत की जनता के मन में आक्रोश है. ऐसे में चीन को ये लग रहा होगा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ठीक समय नहीं है, भारत पहुंचने का. शी जिनपिंग इस साल सिर्फ दो देश गए थे, मास्को और साउथ अफ्रीका. ऐसे में शी जिनपिंग को लगेगा का काफी लोग उनका विरोध करेंगे, इसलिए ये उचित समय नहीं है.</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, इतना जरूर है कि इस वक्त चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दौरा कर अगर भारत आते तो न सिर्फ इससे दोनों देशों के संबंधों के बीच एक साकारात्मक संदेश जाता, बल्कि जहां पर दुनियाभर के देश एकजुट हो रहे हैं, ऐसे में यहां पर शामिल होकर वैश्विक बिरादरी के सामने वे बखूबी अपनी बातें भी रख सकते थे. लेकिन, अलगाव से लेकर कई मुद्दों पर डर ने शायद शी जिनपिंग को अपना कदम रोकने पर मजबूर किया है.</p>
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G-20 सम्मेलन के दौरान प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए दिल्ली पुलिस की विशेष तैयारी
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को दुनियाभर के सभी बड़े नेताओं का जमावड़ा लगेगा। मौका होगा जी-20 सम्मेलन का। इन दो दिनों के लिए दिल्ली को छावनी में तब्दील कर दिया जाएगा। कम शब्दों में कहें तो 8 सितम्बर से 10 सितम्बर तक दिल्ली पूरी तरह से बंद रहेगी। G20 के लिए सब तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। दिल्ली पुलिस ने भी सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये हैं। किसी भी तरह की समस्या निपटने के लिए पुलिस ने कई ख़ास इंतजाम किए हैं।
दिल्ली पुलिस के जवानों को दिए जाएंगे चेन कटर
जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस को जी20 शिखर सम्मेलन के लिए चेन और बोल्ट कटर दिए जाएंगे ताकि वे किसी भी तरह के असामान्य तरीकों से विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों से निपट सकें। सूत्रों के अनुसार, कटर खरीदने की मंजूरी कुछ खुफिया जानकारी के बाद दी गई थी। इसमें बताया गया था कि कुछ प्रदर्शनकारी शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। साथ ही कुछ उपद्रवियों के बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना को उनके होटल में निशाना बनाने की योजना है। इनसे निपटने के लिए पुलिस ने कई तैयारियां की हैं।
चेन-बोल्ट कटर का कैसे इस्तेमाल होगा?
कई देशों में यह देखा गया है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ लोग खुद को लोहे की जंजीर से बांध लेते हैं ताकि पुलिस उन्हें मौके से ना हटा सके और वो वहीं डटे रहकर अपना विरोध जारी रख सकें। ऐसी स्थिति में पुलिस के पास कोई जरिया नहीं होता, जिससे वो इन प्रदर्शनकारियों को तुरंत वहां से हटा पाएं। दिल्ली पुलिस की इसी तरह से प्रदर्शन करने वालों से निपटने की तैयारी है।
आयोजन स्थल और मार्गों में तैनात किए जाएंगे विक्रांत
इसके साथ ही पुलिस प्रगति मैदान के भारत मंडपम समेत कई प्रमुख स्थलों के समीप विक्रांत नामक विशेष वाहनों की तैनाती करेगी, जिसमें एंटी-रॉयट्स इक्यूपमेंट मौजूद रहेंगे। मुख्य आयोजन स्थल के पास 6 लोकेशन पर ऐसे ट्रक तैनात किए जाएंगे। इन ट्रकों में 100 पुलिसकर्मियों के लिए उपकरण मौजूद रहेंगे। पुलिस की कोशिश घटनास्थल पर खुद की जान देने का प्रयास करने वाले लोगों को रोकने की भी है। जानकारी के अनुसार, इन ट्रकों में आंसू गैस के गोले, डंडे और कम से कम 100 पुलिसकर्मियों के लिए गियर जैसे दंगा-रोधी उपकरण होंगे।
साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में खास अंदाज में हुआ पीएम मोदी का स्वागत, देखें तस्वीरें
BRICS Summit: साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में खास अंदाज में हुआ पीएम मोदी का स्वागत, देखें तस्वीरें
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ब्रिक्स समिट में भाग लेने के लिए आज दक्षिण अफ्रीका रवाना होंगे पीएम मोदी
BRICS Summit South Africa: विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह (22 अगस्त) को जोहान्सबर्ग के लिए रवाना होंगे. जहां वह मंगलवार (22 अगस्त) से शुरू हो रहे 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. पीएम मोदी सुबह 7 बजे दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की 4 दिन की यात्रा पर रवाना होंगे.
पीएम की यह यात्रा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामफोसा के निमंत्रण पर होगी. यह सम्मेलन 24 अगस्त को समाप्त होगा. उन्होंने बताया कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के बाद पीएम मोदी ग्रीस जाएंगे.
विदेश सचिव ने कहा, “15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए भारत से एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी साऊथ अफ्रीका जाएगा. यह प्रतिनिधिमंडल बिजनेस ट्रैक्स मीटिंग्स, ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल, ब्रिक्स महिला बिजनेस एलायंस और ब्रिक्स बिजनेस फोरम की बैठकों में भाग लेगा.
पीएम के कार्यकर्म को दिया जा रहा अंतिम रूप
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने सोमवार को कहा कि जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर बैठक से इतर प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय बैठकों के कार्यक्रमों को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक की संभावना के बारे में पूछे गए सवालों का हालांकि कोई सीधा जवाब नहीं दिया.
कोविड 19 के बाद पहली इन-पर्सन समिट
क्वात्रा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण लगातार तीन सालों तक ब्रिक्स की मीटिंग वर्चुअल मोड में आयोजित की गई थी. महामारी के बाद यह पहला मौका है, जब ब्रिक्स समिट इन-पर्सन समिट होगी.
भारत से जाएगा प्रतिनिधिमंडल
उन्होंने कहा कि भारत से एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी जाएगा, जो बिजनेस ट्रैक्स मीटिंग, ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल, ब्रिक्स महिला बिजनेस एलायंस और ब्रिक्स बिजनेस फोरम की बैठकों में भाग लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका भी जाएगा.
25 अगस्त को ग्रीस जाएंगे पीएम
उन्होंने कहा, “जोहान्सबर्ग में अपने कार्यक्रम पूरे करने के बाद प्रधानमंत्री ग्रीस के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर 25 अगस्त को आधिकारिक यात्रा के लिए ग्रीस जाएंगे.”
द्विपक्षीय संबंधों मजबूत करने में होगी मदद
विदेश सचिव ने बताया “पीएम मोदी की ग्रीस यात्रा के दौरान दोनों देश व्यापार, इंवेस्टमेंट, डिफेंस और सिक्योरिटी पार्टनर्शिप और बुनियादी ढांचे में सहयोग पर चर्चा करेंगे. इस यात्रा से दोनों देशों को फायदा होगा.” इस यात्रा से दोनों पक्षों को क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा करने और द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक और मजबूत करने में मदद मिलेगी.
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