शिवसेना (यूबीटी) सुप्रीमो ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर धर्म के नाम पर भेदभाव पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ''धर्मों के बीच भेदभाव पैदा कर झगड़े और दंगे कराना चाहते हैं। ''
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Uddhav Thackeray
BJP के साथ जाने की तैयारी में हैं उद्धव और शरद पवार? प्रकाश आंबेडकर का सनसनीखेज दावा – India TV Hindi
मुंबई: महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के घटक दलों के बीच टिकटों के बंटवारे ने एक दिलचस्प मोड़ ले लिया है। वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने दावा किया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) और शिवसेना(UBT) के नेताओं ने यह आश्वासन लिखित में देने से इनकार कर दिया है कि लोकसभा चुनावों के बाद वे BJP और RSS के साथ नहीं जाएंगे। प्रकाश आंबेडकर के इस दावे से महाराष्ट्र के सियासी हलकों में हलचल मच गई है।
क्या कहा प्रकाश आंबेडकर ने?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता जितेंद्र आव्हाड को लिखे पत्र में प्रकाश आंबेडकर ने चौंकाने वाले दावे किए हैं। उन्होंने लिखा है कि सीट शेयरिंग पर MVA की बैठक में जब हमारे प्रतिनिधियों ने कहा कि ‘हमें मतदाताओं को यह भरोसा दिलाना होगा कि चुनाव के बाद हम BJP या RSS के साथ नहीं जाएंगे’, तब आपके सभी नेता खामोश बैठे रहे। वंचित बहुचन अघाड़ी के नेता ने पत्र में लिखा, ‘उन्होंने एक तरह से इस प्रस्ताव का मौन विरोध किया।’
‘संजय राउत ने साफ इनकार किया’
आव्हाड को लिखे पत्र में आंबेडकर ने कहा, ‘सिर्फ अपने ही कहा था कि ये बात लिखित में देने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए लेकिन उस बैठक में मौजूद संजय राउत ने लिखित आश्वासन देने से साफ-साफ इनकार कर दिया। पहले भी एक बार आपकी पार्टी BJP के साथ समझौता कर चुकी है, इसीलिए MVA से गठबंधन करने से पहले वंचित बहुजन अघाड़ी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि चुनाव के बाद आपकी पार्टी (NCP-SP) बीजेपी के साथ नहीं जाएगी।’
MVA में नहीं हो पाया है टिकट बंटवारा
बता दें कि अगले कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनावों का ऐलान संभव है लेकिन अभी तक महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन में टिकटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। न सिर्फ शिवसेना और कांग्रेस के बीच टिकटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है, बल्कि प्रकाश आंबेडकर को भी सीटें देने पर स्थिति साफ नहीं हो पाई है। पिछले लोकसभा चुनावों में शिवसेना और बीजेपी साथ थीं लेकिन इस बार शिवसेना और NCP में 2 फाड़ हो चुका है और इन दोनों पार्टियों का एक गुट बीजेपी के साथ तो दूसरा विपक्ष में है।
उद्धव गुट के नेता की FB LIVE के दौरान हत्या, हमलावर ने खुद को भी उड़ाया; हमले का खौफनाक वीडियो
उद्धव गुट की शिवसेना के नेता अभिषेक घोसालकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई। एक फेसबुक लाइव के दौरान इस हत्या को अंजाम दिया गया। गोली मारने के बाद हमलावर ने भी सुसाइड कर लिया है।
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उद्धव ठाकरे ने छोड़ा साथ, तो मुश्किल में आ जाएगा ‘हाथ’? अब महाराष्ट्र में सुगबुगाहट
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शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए बदले सुर ने महाराष्ट्र की राजनीति से लेकर देश की राजनीति तक अटकलों का नया दौर शुरू हो गया है। इससे जहां विपक्षी गठबंधन INDIA में संशय पैदा हुआ है, वहीं भाजपा नेताओं ने भी दबे सुर कहना शुरू कर दिया है कि राजनीति में दरवाजे कभी बंद नहीं होते हैं।
विपक्षी गठबंधन के दो बड़े मजबूत माने जाने वाले राज्य बिहार और महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव दिखने लगे हैं। बिहार में तो नीतीश कुमार ने राजग में आकर ‘INDIA’ को करारा झटका दिया ही है, अब महाराष्ट्र में भी वैसी ही सुगबुगाहट है?
उद्धव ठाकरे ने एक दिन पहले एक रैली में कहा कि वह मोदी को बताना चाहते हैं कि हम कभी आपके दुश्मन नहीं थे। आज भी दुश्मन नहीं है। वह और शिवसेना उनके साथ थी। हमने पिछली बार अपने गठबंधन के लिए प्रचार किया था। आप प्रधानमंत्री बने। बाद में आपने हमें खुद से दूर कर दिया। हमारा हिंदुत्व और भगवा ध्वज आज भी कायम है।
ठाकरे का यह बयान उस समय आया है जबकि लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ दरक रहा है और भाजपा नए पुराने साथियों को जोड़ रही है। महाराष्ट्र में भाजपा ने दो दलों शिवसेना और एनसीपी को तोड़कर अपने साथ लिया है। दोनों ही दलों के अधिकांश नेता भाजपा के साथ हैं। ऐसे में विपक्षी गठबंधन बेहद कमजोर हुआ है। उद्धव ठाकरे सदन से लेकर अदालत व चुनाव आयोग तक पार्टी व चुनाव चिन्ह की लड़ाई हार चुके हैं। एनसीपी और कांग्रेस के साथ चुनाव में जाने पर उनकी दिक्कतें और बढ़ सकती हैं।
उद्धव को ही बालासाहब ठाकरे का उत्तराधिकारी माना जाता है
भाजपा के लिए शिवसेना के ठाकरे गुट का साथ आना लाभ का सौदा होगा। दरअसल जमीन पर जनता के बीच अभी भी उद्धव ठाकरे को ही बालासाहब ठाकरे और शिवसेना का उत्तराधिकारी माना जाता है। राज्य की जनता ने बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे की पार्टी को स्वीकार नहीं किया था। ऐसे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना को जनता कितना स्वीकार कर पाएगी?
एनसीपी की अधिकांश ताकत अजित पवार के साथ पहले ही भाजपा के साथ है। ऐसे में अगर उद्धव ठाकरे की राजग में वापसी होती है तो महाराष्ट्र में ‘INDIA’ का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। भाजपा के एक प्रमुख नेता ने ठाकरे के बयान पर कहा है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं और दरवाजे कभी बंद नहीं होते हैं।
सबसे बड़ा असर कांग्रेस पर पड़ेगा
इसका सबसे बड़ा असर कांग्रेस पर पड़ेगा, जो गठबंधन राजनीति में लगातार अलग थलग पड़ती जा रही है। जिन नेताओं और दलों पर उसे ज्यादा भरोसा था वही साथ छोड़ रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा की कोशिश कांग्रेस को अलग थलग कर उसे और ज्यादा निचले स्तर पर ले जाने और खुद को चार सौ पार ले जाने पर है।
मोदीजी, हम आपके दुश्मन नहीं हैं; नीतीश कुमार के बाद अब उद्धव ठाकरे का भी डोल रहा मन?
रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, ”मैं मोदीजी को बताना चाहता हूं कि हम कभी भी आपके दुश्मन नहीं थे। आज भी हम दुश्मन नहीं हैं। हम आपके साथ थे।”
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