<p style="text-align: justify;">उत्तरकाशी टनल हादसा से निटपने के देश के सामने बहुत ज्यादा इस तरह के उदाहरण नहीं थे. ऐसे में ये ऐतिहासिक कदम रहा है. इस चुनौती से निटपने में कहीं न कहीं अनुभव की कमी थी. इस तरह अगर टनल हादसा हो तो उसके बनने तक हम कोई दूसरा विकल्प ढूंढ पाएं, कैसे रेस्क्यू कर पाएं.</p>
<p style="text-align: justify;">उत्तरकाशी टनल हादसे में जिस तरह से सकुशल 41 लोगों को सुरंग से निकाला गया, उनके साथ मनोवैज्ञानिक तौर पर ढांढस बंधाया गया, यानी उनकी आवश्यकताओं की आपूर्ति तो की गई, इसके साथ ही जिस तरह से उनके साथ मानसिक तौर पर ट्रीट किया गया, उन्हें मजबूत बनाया, ये काफी अहम था.</p>
<p style="text-align: justify;">इससे पीछे जब एक के बाद एक सारे प्रयास फेल हो गए, ऑगर मशीन खराब हो गई, कोल माइनर्स होते हैं, कोयले-खदानों के, एक तरह से जैसे चूहे की तरह काटते हैं और आगे बढ़ते हैं, ठीक उसी तरह से आखिरी पलों में उनका बड़ा योगदान रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;">इन सब चीजों को मिलाकर ऐसी चित्र बनानी चाहिए कि जो घटना घटी, घटना के कारणों में कंस्ट्रक्शन हुआ, आप सुरंग बनाकर आगे बढ़ते चले गए, लेकिन पीछे से टनल को मजबूत नहीं किया. दूसरी जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वो ये कि जब इस तरह के टनल बनते हैं तो आप एग्जिट प्लान भी रखते हैं. साथ ही, पीछे-पीछे आप उसे मजबूत भी करते चलते हैं, तभी हम आगे बढ़ते हैं.</p>
<p><iframe title="YouTube video player" src="https://www.youtube.com/embed/EkxxcbCVsjI?si=N2ioCTuiZtxdVEPR" width="560" height="315" frameborder="0" allowfullscreen="allowfullscreen"></iframe></p>
<p style="text-align: justify;">उत्तरकाशी के मामले में हुआ कि पीछे बिना मजबूत किए ही आगे बढ़ते चले गए, लेकिन पीछे की तरफ मजबूती नहीं की. मेरी दृष्टि में ये सब बड़ा ऐतिहासिक तो है ही कि किस तरह से लोगों को बचाया जा सके. हालांकि, उत्तराखंड टनल हादसे ने बहुत बड़ा अनुभव तो दिया ही है और ये हमारे रिकॉर्ड का हिस्सा होना चाहिए, जो कुछ घटनाएं इस टनल को लेकर हुई है.</p>
<p style="text-align: justify;">मेरा ऐसा मानना है कि 500 मीटर या एक किलोमीटर की दूरी की टनल बनाते हो तो 20-25 किलोमीटर सड़क बचाते हो. इसके अलावा, सड़क में ज्यादा बड़े नुकसान होते हैं, जंगल काटना पड़ता है. उसके बावजूद एक खतरा रहता है. लेकिन आपने टनल में इस तरह का उदाहण नहीं देखा होगा.</p>
<p style="text-align: justify;"> जहां-जहां पर टनल मजबूत हो जाती है तो वहां पर ऊपर जंगल तो रहता ही है, साथ ही स्थिरता रहती है. टनल को काफी मजबूती के साथ बनाया जाता है. देहरादून के पास ही एक टनल है जो मुझे लगता है कि सौ-डेढ सौ साल पुरानी है. </p>
<p><iframe class="audio" style="border: 0px;" src="https://api.abplive.com/index.php/playaudionew/wordpress/1148388bfbe9d9953fea775ecb3414c4/e4bb8c8e71139e0bd4911c0942b15236/2548487?channelId=3" width="100%" height="200" scrolling="auto"></iframe></p>
<p style="text-align: justify;">ऐसे ही रुद्रप्रयाग से केदारनाथ के रास्ते पर टनल बनी है. टनल इतनी बड़ी नुकसान पर्यावरण को नहीं करती है, जितना बड़ा नुकसान हमारी सड़कों से होता है. कंस्ट्रक्श में टनल से जुड़े हुए जो लोग हैं, या फिर हमारे प्लान जब इस तरह से बनते हैं वो चाहे टनल के हों या सड़कों के तो ये घटना एक और बड़ा उदाहरण पेश करती है.</p>
<p style="text-align: justify;">ये कंस्ट्रक्शन फैल्योर है. मुझे लगता है कि जो कंस्ट्रक्शन करने वाली कंपनी थी, उस पर इस बात की बहस की शुरुआत होनी चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ? उनकी दृष्टि में इसकी जवाबदेही इसको लेकर क्या है. उसके बाद ही अगले कदम की तैयारी होगी. </p>
<p style="text-align: justify;">जो इसके लिए जिम्मेदारी एजेंसी थी, उससे जरूर बात करनी चाहिए. उत्तरकाशी टनल हादसा को देखने के बाद मैं यही कहूंगा कि इस तरह से हम किसी के जीवन को दांव पर नहीं लगा सकते हैं. सबसे ज्यादा आवश्यकता इसी बात को लेकर है कि हम जब भी भविष्य का कंस्ट्रक्शन करें डिजास्टर फ्री डेवलपमेंट पर काम करना चाहिए. आपदा स्वतंत्र विकास पर हमें काम करना चाहिए. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ़ लेखक ही ज़िम्मेदार हैं.]</strong></p>
Source link
tunnel rescue
सुरंग से बाहर निकले मजदूरों को दी जा रही क्या डाइट? गढ़वाल के स्वास्थ्य अधिकारी ने दी जानकारी
<p style="text-align: justify;"><strong>Uttarkashi Tunnel Rescue Successful:</strong> उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग में जैसे ही 17 दिनों तक चला बचाव अभियान समाप्त हुआ. सभी 41 मजदूरों को घटनास्थल से लगभग 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ में 40 बिस्तरों वाली स्वास्थ्य सुविधा में ले जाया गया, जहां उनकी जांच की जाएगी. </p>
<p style="text-align: justify;">इस संबंध में गढ़वाल मंडल के स्वास्थ्य निदेशक डॉ प्रवीण कुमार ने कहा, "हमारे स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री लगातार सुरंग स्थल पर मौजूद थे." उन्होंने कहा कि पहले दिन से हमारी टीमें उनका मनोबल बढ़ाने की कोशिश कर रही थीं."</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>’मजदूरों को कोई बड़ी बीमारी नहीं'<br /></strong>उन्होंने आगे कहा कि हमारी टीम फंसे हुए मजदूरों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश भी कर रही थीं. यही कारण है कि बचाए जाने के बाद श्रमिक अच्छी मानसिक स्थिति में हैं. कुमार ने आगे कहा कि मजदूरों को कोई बड़ी बीमारी नहीं हुई है. फिलहाल उनके लगातार पानी, जूस और भोजन दिया जा रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पीएम मोदी ने किया सीएम धामी को फोन<br /></strong>इस बीच प्रधानमंत्री <a title="नरेंद्र मोदी" href="https://www.abplive.com/topic/narendra-modi" data-type="interlinkingkeywords">नरेंद्र मोदी</a> ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन किया और मजदूरों की सुरक्षित निकासी पर शुभकामनाएं दीं. पीएम ने धामी से मजदूरों की स्थिति के बारे में जानकारी भी ली. धामी ने उन्हें श्रमिकों के स्वास्थ्य परीक्षण और उनकी घर वापसी के लिए किए गए इंतेजाम के बारे में भी बताया.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मजदूरों को ले जाया गया अस्पताल<br /></strong>धामी ने कहा कि उन्होंने पीएम को बताया कि रेस्क्यू के बाद सभी मजदूरों को सीधे चिन्यालीसौड़ के अस्पताल ले जाया गया है, जहां उनकी आवश्यक स्वास्थ्य जांच की जाएगी. उन्होंने कहा कि मजदूरों के परिवार के सदस्यों को भी चिन्यालीसौड़ ले जाया गया है, जहां से राज्य सरकार उनकी सुविधा के अनुसार उनके संबंधित घरों तक परिवहन की सभी व्यवस्था करेगी.</p>
<p style="text-align: justify;">मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल मार्गदर्शन के कारण ही यह रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हो सका है. उन्होंने कहा, ”केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सभी एजेंसियों के समन्वय से हम 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने में सफल रहे.”</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें- <a title="Uttarkashi Tunnel Rescue: ‘जिस भी चीज की पड़ी जरूरत, पीएम मोदी के मार्गदर्शन से वो मिली’, रेस्क्यू ऑपरेशन पर क्या बोले केंद्रीय मंत्री वीके सिंह?" href="https://www.abplive.com/news/india/uttarkashi-tunnel-rescue-operation-successful-vk-singh-said-success-achieved-under-the-guidance-of-pm-modi-silkyara-tunnel-2547629" target="_self">Uttarkashi Tunnel Rescue: ‘जिस भी चीज की पड़ी जरूरत, पीएम मोदी के मार्गदर्शन से वो मिली’, रेस्क्यू ऑपरेशन पर क्या बोले केंद्रीय मंत्री वीके सिंह?</a></strong></p>
Source link
सुरंग में फंसे 41 मजदूर निकले बाहर, 8 राज्य में परिजनों के गांवों में जश्न का माहौल
Uttarkashi Tunnel: उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में पिछले 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. जिससे देश भर में जश्न का माहौल हैं. पूरा देश इन श्रमिकों के सकुशल बाहर आने का इंतजार कर रहा था. परिवार के लोग पलकें बिछाए अपने लोगों का इन्तजार कर रहे थे. ऐसे में मजदूरों के बाहर आने के बाद मौके पर मौजूद कई लोगों की आंखें भर आई. परिजनों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है.
देश के आठ राज्यों के रहने वाले इन 41 श्रमिकों के यहां जश्न का माहौल है. एक मज़दूर के रिश्तेदार ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि वो पिछले दो हफ़्तों से इस दिन का इंतज़ार कर रहे थे. आज उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं है. सबसे ज्यादा जश्न का माहौल झारखण्ड में है, क्योंकि टनल के अंदर झारखंड के 15 लोग फंसे हुए थे. इसके साथ ही यूपी के 8, उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का एक , बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2 और ओडिशा के 5 मजदूर फंसे हुए थे.
बांटी जा रहीं मिठाइयां
गौरतलब है कि दिवाली के दिन अचानक निर्माणाधीन सुरंग भूस्खलन के बाद धंस गई थी,जिसमें 41 मजदूर फंस गए हैं. इस हादसे के बाद से इन मजदूरों को टनल से बाहर निकालने का अभियान चलाया जा रहा रहा था. कई दिन बीत जाने की वजह से इनके परिजनों में निराशा और नाराजगी बढ़ रही थी. लेकिन अब इन श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने के बाद परिजनों के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे हैं. झारखंड के रहने वाले अनिल बेदिया के परिवार के सदस्यों ने उनके बाहर आने पर मिठाइयां बांटी हैं.
रिश्तेदार मना रहे जश्न
वहीं एक अन्य मज़दूर के रिश्तेदार ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि इससे ज्यादा ख़ुशी हमारे लिए और क्या हो सकती है कि हम जिसका हफ़्तों से इन्तजार कर रहे थे, वे सकुशल बाहर आ गए हैं. बता दें कि इससे पहले सुरंग के अंदर फंसे अपने परिवार के सदस्यों की हिफाजत की दुआ करने के लिए सैकड़ों लोग जमा हुआ हुए थे.
ये भी पढ़ें: Uttarkashi Tunnel Rescue: कैसे टनल में फंसे 41 मजदूर? क्या हुआ था 17 दिन पहले, जानिए पूरी कहानी
उत्तरकाशी टनल मामले पर बड़ी खबर, मजदूरों को बचाने के लिए भारतीय सेना करेगी मैनुअल ड्रिलिंग
उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बनाई जा रही सिलक्यारा सुरंग में 41 श्रमिकों की जिंदगी दांव पर लगी हुई है। बीते 14 दिनों से इन्हें सही सलामत निकालने का प्रयास जारी है। इसी क्रम में अब भारतीय सेना के मद्रास सैपर्स के जवान भी शामिल हो गए हैं। यह जवान कुछ सिविलियन्स के साथ मिलकर मैनुअल ड्रिलिंग का काम करेंगे। इसके लिए कुल 20 विशेष लोगों को बुलाया गया है। वहीं बचाव कार्य के लिए प्लाज्मा कटर भी पहुंच गया है और इससे कटाई शुरू कर दी गई है।
12-14 घंटे में पूरा हो सकता है काम
अमेरिकन ऑगर की प्लाज्मा कटर के साथ अव्वल लेजर कटर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर शाम तक इन कटर्स के द्वारा अमेरिकन ऑगर मशीन को निकाल लिया जाए, तो 12-14 घंटे में उसके बाद ये टनल का काम पूरा हो सकता है। वर्टिकल ड्रिलिंग की संभावनाएं बिलकुल न के बराबर हैं, क्योंकि इस समय टनल के अंदर सभी 41 लोग आराम से हैं। उनको खाना और सब कुछ मिल रहा है।
टनल के अंदर की जाएगी चूहा बोरिंग
अगर वर्टिकल ड्राइविंग करते हैं तो संभावनाएं हैं कि टनल के ऊपर प्रेशर बने और मलबे की वजह से उनकी पाइप टूट सकती है। इसलिए वर्टिकल ड्रिलिंग का सामान ऊपर पहुंचा दिया गया है। वहीं मैनुअल ड्रिलिंग करने के लिए भारतीय सेना सिविलियन लोगों के साथ मिलकर टनल के अंदर ही चूहा बोरिंग करेगी। इस दौरान हाथों से और हथौड़ी छैनी जैसे हथियारों से खोदने के बाद मिट्टी निकाली जाएगी और फिर ऑगर के ही प्लेटफॉर्म से पाइप को आगे धकेला जाएगा।
47 मीटर के बाद रुका काम
वहीं नेशनल डिसास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य ले. जनरल सैय्यद अता हसनैन ने राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राहत की बात ये है कि जो भी श्रमिक वहां फंसे हुए हैं उनसे बात हो रही है। वे लोग ठीक हैं। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन में कुछ अड़चने आ गई हैं। हम मलबे में 62 मीटर तक जाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन मशीन 47 मीटर के बाद रुक गई है। अब वहां कटर का काम ज्यादा बचा है। जिससे कटा हुआ हिस्सा बाहर निकाला जा सके उसके बाद मैनुअल काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक मशीन भारतीय वायुसेना ने एयरलिफ्ट की है। उनका कहना है कि 6 इंच का पाइप काम कर रहा है।
यह भी पढ़ें-
तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने कार एक्सीडेंट में बचाई लोगों की जान, VIDEO शेयर कर कही दिल की बात
Uttarkashi Tunnel Rescue: सुंरग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, पढ़ें लाइव अपडेट्स
मजदूरों की उनके परिजनों से कराई जाएगी बात
उत्तरकाशी टनल के पास चल रहे बचाव अभियान के दौरान वहां से अभी के फुटेज सामने आए हैं। यहां टनल के अंदर बचाव दल के लोग काम कर रहे हैं। यहां प्रोटेक्शन अम्ब्रेला अभियान की तैयारी चल रही है।
फंसे हुए श्रमिकों को अपने परिवार के सदस्यों से बात करने में सक्षम बनाने के लिए बीएसएनएल द्वारा यहां एक लैंडलाइन सुविधा स्थापित की गई है।