<p style="text-align: justify;"><strong>Uttarkashi Tunnel Rescue Successful:</strong> उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग में जैसे ही 17 दिनों तक चला बचाव अभियान समाप्त हुआ. सभी 41 मजदूरों को घटनास्थल से लगभग 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ में 40 बिस्तरों वाली स्वास्थ्य सुविधा में ले जाया गया, जहां उनकी जांच की जाएगी. </p>
<p style="text-align: justify;">इस संबंध में गढ़वाल मंडल के स्वास्थ्य निदेशक डॉ प्रवीण कुमार ने कहा, "हमारे स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री लगातार सुरंग स्थल पर मौजूद थे." उन्होंने कहा कि पहले दिन से हमारी टीमें उनका मनोबल बढ़ाने की कोशिश कर रही थीं."</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>’मजदूरों को कोई बड़ी बीमारी नहीं'<br /></strong>उन्होंने आगे कहा कि हमारी टीम फंसे हुए मजदूरों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश भी कर रही थीं. यही कारण है कि बचाए जाने के बाद श्रमिक अच्छी मानसिक स्थिति में हैं. कुमार ने आगे कहा कि मजदूरों को कोई बड़ी बीमारी नहीं हुई है. फिलहाल उनके लगातार पानी, जूस और भोजन दिया जा रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पीएम मोदी ने किया सीएम धामी को फोन<br /></strong>इस बीच प्रधानमंत्री <a title="नरेंद्र मोदी" href="https://www.abplive.com/topic/narendra-modi" data-type="interlinkingkeywords">नरेंद्र मोदी</a> ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन किया और मजदूरों की सुरक्षित निकासी पर शुभकामनाएं दीं. पीएम ने धामी से मजदूरों की स्थिति के बारे में जानकारी भी ली. धामी ने उन्हें श्रमिकों के स्वास्थ्य परीक्षण और उनकी घर वापसी के लिए किए गए इंतेजाम के बारे में भी बताया.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मजदूरों को ले जाया गया अस्पताल<br /></strong>धामी ने कहा कि उन्होंने पीएम को बताया कि रेस्क्यू के बाद सभी मजदूरों को सीधे चिन्यालीसौड़ के अस्पताल ले जाया गया है, जहां उनकी आवश्यक स्वास्थ्य जांच की जाएगी. उन्होंने कहा कि मजदूरों के परिवार के सदस्यों को भी चिन्यालीसौड़ ले जाया गया है, जहां से राज्य सरकार उनकी सुविधा के अनुसार उनके संबंधित घरों तक परिवहन की सभी व्यवस्था करेगी.</p>
<p style="text-align: justify;">मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल मार्गदर्शन के कारण ही यह रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हो सका है. उन्होंने कहा, ”केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सभी एजेंसियों के समन्वय से हम 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने में सफल रहे.”</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें- <a title="Uttarkashi Tunnel Rescue: ‘जिस भी चीज की पड़ी जरूरत, पीएम मोदी के मार्गदर्शन से वो मिली’, रेस्क्यू ऑपरेशन पर क्या बोले केंद्रीय मंत्री वीके सिंह?" href="https://www.abplive.com/news/india/uttarkashi-tunnel-rescue-operation-successful-vk-singh-said-success-achieved-under-the-guidance-of-pm-modi-silkyara-tunnel-2547629" target="_self">Uttarkashi Tunnel Rescue: ‘जिस भी चीज की पड़ी जरूरत, पीएम मोदी के मार्गदर्शन से वो मिली’, रेस्क्यू ऑपरेशन पर क्या बोले केंद्रीय मंत्री वीके सिंह?</a></strong></p>
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उत्तरकाशी सुरंग
सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए तीन प्लान तैयार, वर्टिकल ड्रिलिंग जारी
Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले स्थित सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का अभियान 16 वें दिन भी जारी है. मजदूरों के बाहर निकालने के लिए पाइप बिछाने का काम अबतक पूरा नहीं हो सका है. ऐसे में अब पहाड़ी के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही, जो लगभग 30 मीटर तक हो चुकी है.
हालांकि, वहां भी पानी निकलने की वजह से काम बंद हो गया है और अब मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रैट माइनर्स को बुलाया गया है. इस बीच एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, “ऑगर मशीन को फिर से इस्तेमाल करना कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि ऑगर लगातार फंस रहा था और इसे निकालने की प्रक्रिया में काफी समय लग रहा था.”
‘बारिश की वजह से नहीं आएगी बाधा’
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में जो भी मशीन इस्तेमाल की जा किया जा रहा है, वह थोड़ी धीमी है, लेकिन विश्वसनीय है. उन्होंने कहा, “मौसम विभाग ने उत्तराखंड में बारिश की संभावना जताई है और येलो अलर्ट जारी किया है, जिसका मतलब है कि हल्की बारिश हो सकती है. हालांकि, इसकी कोई संभावना नहीं है कि बारिश की वजह से रेस्क्यू के काम में कोई बाधा आए.
‘वर्टिकल ड्रिलिंग जारी’
अता हसनैन वे कहा, “ऑगर मशीन का टूटा हुआ हिस्सा और मलबा सुरंग के सिल्क्यारा छोर से हटा दिया गया है. वर्टिकल ड्रिलिंग करने में हमने कल 15 मीटर तक खोदाई कर की थी. आज हम लगभग 30 मीटर पार कर चुके हैं. इसके अलावा बगल में लगभग 6-8 इंच की एक और वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही है, जो लगभग 76 मीटर तक पहुंच गई है.”
उन्होंने बताया कि मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू का काम तीन जगहों से किया जा रहा है, जिनमें से टॉप-डाउन ड्रिलिंग और वर्टिकल ड्रिलिंग बिल्कुल विश्वसनीय हैं.
‘लोगों को बचाने के लिए सभी संसाधन लाए गए’
एनडीएमए अधिकारी ने कहा, “इस प्रकार के ऑपरेशन में जब भूविज्ञान हमारे विरुद्ध हों और टेक्नोलॉजी नाकाम हो रही हो तो हम कोई अनुमान नहीं लगा सकते. हालांकि, हम लोगों को बाहर निकालने के लिए हर संभव संसाधन ला रहे हैं.”
‘प्रयासों में कोई कमी नहीं’
हसनैन ने बताया कि जब ऑगर मशीन खराब हो गई थी तो उसी रात पूरे देश में लेजर कटर, मैग्ना कटर का पता लगाने की कोशिश की गई और भारतीय वायु सेना की मदद से उन्हें तुरंत यहां लाया गया और काम शुरू किया गया. इससे पता चलता है कि हम अपने प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं.
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10 दिन के बाद भी टनल में फंसे हैं मजदूर, पाइप लाइन से पहुंचाया जा रहा खाना | बड़ी बातें
Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 लोगों को सकुशल वापस निकालने के लिए राहत और बचाव काम जारी है. इस बीच मंगलवार (21 नवंबर) को उनसे वॉकी टॉकी से बात की गई. कुछ मजदूरों के परिवार वालों ने फंसे हुए मजदूरों से बात भी की.
फंसे हुए मजदूरों में से एक जयदेव ने सुरंग ढहने वाली जगह पर सुपरवाइजर से बात करते हुए बांग्ला में कहा, ” मां, मेरी चिंता मत करो, मैं ठीक हूं. कृपया आप और पिताजी समय पर खाना खाएं.”
बड़कोट छोर से भी सुरंग में ड्रिलिंग का काम शुरू
मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बड़कोट छोर से भी सुरंग में ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है. इसके लिए टीएचडीसी की आठ से 10 लोगों की टीम मौके पर पहुंच गई है. यहां से दो से ढाई मीटर व्यास की सुरंग तैयार की जाएगी.
पाइपलाइन पहुंच रहा खाने-पीने का सामान
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि जीवन रक्षा के लिए राशन, दवा और अन्य आवश्यक चीजें कंप्रेसर की मदद से मजदूरों तक पहुंचाई जा रही हैं. मजदूरों को 4 इंच की पाइपलाइन सूखे मेवे और अन्य खाने-पीने का सामान भेजा रहा है.
उन्होंने कहा कि सुरंग के अंदर पर्याप्त पानी, ऑक्सीजन शक्ति और रोशनी है. फिलहाल हमारा ध्यान ऑगर मशीन से हॉरिजोंटल ड्रिलिंग करने पर है .सुरंग पहले से ही बनी होने के कारण वहीं 2 किमी तक जगह मौजूद है.
वॉकी-टॉकी से मजदूरों से हुई बात
सड़क और परिवहन के अतिरिक्त सचिव महमूद अहमद ने कहा, “6 इंच की पाइपलाइन के माध्यम से, हमने अंदर एक वॉकी-टॉकी भेजा और बात की गई. हमें एक वीडियो भी मिला जिससे पता चला है कि सभी मजदूर सुरक्षित हैं.”
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए 2 किमी लंबी सुरंग भी बनाई गई है. उत्तरकाशी सुरंग बचाव कार्य को लेकर ओएनजीसी की एक्सपोलेरेशन डायरेक्टर सुषमा रावत ने कहा कि बचाव प्रयासों की निगरानी की जा रही है और हमें सभी आवश्यक सहायता मिल रही है.
मीडिया के लिए एडवाइजरी जारी
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने टेलीविजन चैनलों को एक सलाह जारी की है कि वे उत्तराखंड के सिल्कयारा में चल रहे बचाव अभियान को सनसनीखेज बनाने से बचें और सुरंग स्थल के लाइव पोस्ट/वीडियो न दिखाएं .
क्या बोले पुष्कर सिंह धामी?
इससे पहले राहत और बचाव कार्यों को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि छह इंच की पाइपलाइन के माध्यम से सुरंग में फंसे हुए मजदूरों के साथ संचार स्थापित किया गया है. यह एक बड़ी सफलता और उत्साहजनक संकेत है.
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडर ग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर आर्नल्ड डिक्स ने कहा, “मुझे लगता है कि यहां टीम ने अद्भुत काम किया है. यह बहुत शानदार है.” बता दें कि दिवाली के दिन उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग के धंसने के कारण 41 मजदूर फंस गए थे. 10 दिन के बाद भी अभी तक मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका है.
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बौख नाग देवता का प्रकोप! गांव वालों ने कहा- मंदिर हटाते ही टनल पर आई मुसीबत
देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के काम में तेजी आई है। अब मजदूरों तक 6 इंच के व्यास वाली पाइप आर-पार होकर पहुंच गई है और इसके जरिए उन तक खाना और सारे जरूरी सामान पहुंचाए जा रहे हैं। आज सुबह आए एक वीडियो में सुरंग के भीतर मजदूर स्वस्थ नजर आए और उन्होंने बात भी की। वहीं, हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि सुरंग बनाने के दौरान निर्माण करने वाले लोगों ने सिलक्यारी में एक पुराने मंदिर को हटा दिया था, जिसके प्रकोप के चलते ये हादसा हुआ है।
स्थानीय लोगों ने कंंस्ट्रक्शन कंपनी के मैनेजमेंट को दिया दोष
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रोजेक्ट के शुरू होने से पहले सुरंग के मुंह के पास एक छोटा-सा मंदिर बनाया गया था और स्थानीय मान्यताओं को सम्मान देते हुए अधिकारी और मजदूर पूजा करने के बाद ही सुरंग के अंदर दाखिल होते थे, लेकिन दिवाली से कुछ दिन पहले कंस्ट्रक्शन करने वाले कंपनी के मैनेजमेंट ने मंदिर को वहां से हटवा दिया। लोगों का कहना है कि मंदिर को हटाने के बाद ही सुरंग में यह हादसा हुआ और अब तक तमाम तरह की कोशिशें करने के बावजूद मजदूरों का रेस्क्यू नहीं हो पाया है।
मंदिर के हटने के बाद प्रोजेक्ट के सामने आईं कई परेशानियां
यह सच है कि मंदिर के हटने के बाद ही तमाम तरह की दिक्कतों से सामना हो रहा है। पहले तो ठीक दीपावली के दिन मजदूर सुरंग में फंस गए। उसके बाद जब उन्हें निकालने की कोशिश की गई, तो कभी भूस्खलन की वजह से काम में रुकावट आई तो कभी ऑगर मशीन ही खराब हो गई। जब सारे उपाय विफल हो गए तब कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारियों ने बौखनाग देवता के पुजारी को बुलाकर उनसे क्षमा याचना की और पूजा की। ग्रामीणों के दबाव को देखते हुए कंपनी मैनेजमेंट ने सुरंग के बाहर बौखनाग देवता का मंदिर फिर से स्थापित कर दिया।
मंदिर की स्थापना के कुछ घंटे बाद मजदूरों तक पहुंचा कैमरा
मंदिर की स्थापना के बाद पहली सफलता तब मिली जब 6 इंच का पाइप मलबे के पार होकर मजदूरों तक पहुंच गया। इस पाइप की मदद से मजदूरों तक अब आसानी से दलिया, खिचड़ी समेत कई तरह के खाद्य पदार्थ भेजे जा सकते हैं। वहीं, पाइप से भेजे गए कैमरे की मदद से मजदूरों से बात भी हुई जिसमें वे स्वस्थ लग रहे थे। सुरंग के अंदर फंसे एक मजदूर ने अपने संदेश में कहा कि वह पूरी तरह ठीक है और खाना भी वक्त पर मिल जा रहा है। उसने कहा कि उन्हें सुरंग में फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है।