Photo: सीएम एकनाथ शिंदे समेत किन 16 विधायकों की बरकरार रही सदस्यता, पढ़ें पूरी लिस्ट
Source link
shiv sena
उद्धव ठाकरे को नहीं मिला प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता, उस दिन का बनाया ये खास प्लान
Ram Mandir Pran Pratistha Ceremony: आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा आयोजन की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से आयोजन का निमंत्रण पत्र विशिष्ट लोगों को भेजा जा रहा है. ऐसे में कई राजनीतिक दलों की ओर से अभी तक राम मंदिर उद्घाटन का न्योता नहीं मिलने की चर्चा भी हो रही है. शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे को भी अब तक तक अयोध्या समारोह का न्योता नहीं मिला है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह और उनकी पार्टी के नेता उस दिन नासिक में कालाराम मंदिर जाएंगे और गोदावरी नदी तट पर ‘महाआरती’ करेंगे. उद्धव ने अपनी मां दिवंगत मीना ठाकरे को शनिवार (6 जनवरी) को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पत्रकारों को यह जानकारी दी.
गोदावरी नदी के तट पर करेंगे महाआरती
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव का कहना है कि उनका जब भी उनका मन होगा, वह अयोध्या जाएंगे. अयोध्या में होने जा रहे प्रभु श्रीराम के मंदिर का अभिषेक गौरव और स्वाभिमान का विषय है. उस दिन (22 जनवरी) को शाम 6.30 बजे कालाराम मंदिर जाएंगे, जहां डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और (समाज सुधारक) साने गुरुजी ने विरोध प्रदर्शन किया था. उसी दिन शाम को 7.30 बजे गोदावरी नदी के तट पर ‘महाआरती’ करेंगे.
वनवास के समय पत्नी सीता व भाई के साथ रूके थे भगवान राम
नासिक का पंचवटी क्षेत्र स्थित कालाराम मंदिर भगवान राम (Lord Ram) को समर्पित है. मंदिर का नाम काले पत्थर से बनी भगवान राम की मूर्ति से लिया गया है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान पत्नी सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ पंचवटी में विश्राम किया था.
संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर ने 1930 में कालाराम मंदिर में दलितों के प्रवेश को लेकर आवाज उठाई थी और इसको लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया था.
उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि 23 जनवरी को उनके पिता और शिवसेना संस्थापक दिवंगत बाला साहेब ठाकरे की जयंती हैं और पार्टी की तरफ से नासिक में रैली भी निकाली जाएगी.
‘राम मंदिर आंदोलन में शिवसेना का बड़ा योगदान’
उद्धव ठाकरे ने बीते सप्ताह भी पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा था, ”मुझे अभी तक कोई निमंत्रण नहीं मिला है और अयोध्या जाने के लिए किसी न्योते की जरूरत नहीं है क्योंकि राम लला सभी के हैं. जब भी मेरा मन होगा, मैं वहां जाऊंगा. राम मंदिर आंदोलन के लिए शिवसेना ने बहुत योगदान दिया था.”
यह भी पढ़ें: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले मुसलमानों को बदरुद्दीन अजमल ने दी नसीहत, बोले- ’20 से 26 जनवरी तक घर में ही रहें’
मुंबई: पूर्व मेयर दत्ता दलवी गिरफ्तार, CM के खिलाफ इस्तेमाल की थी आपत्तिजनक भाषा
मुंबई: पूर्व मेयर और शिवसेना (यूबीटी) नेता दत्ता दलवी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ये जानकारी भांडुप पुलिस ने दी है। मिली जानकारी के मुताबिक, शिवसेना नेता संजय राउत अपने कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचे हैं।
किन धाराओं में मामला दर्ज
दत्ता दलवी के खिलाफ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल की वजह से मामला दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ मुंबई के भांडुप पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। भांडुप पुलिस ने आईपीसी की धारा 153A(1)(a),153B(1)(b),153A(1)(C),294,504, और 505 के तहत मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है।
क्या है पूरा मामला?
भांडुप पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, भांडुप स्टेशन के पास उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से सभा का आयोजन किया गया था और उस सभा में दत्ता दलवी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद एकनाथ शिंदे गुट के विभाग प्रमुख के तरफ से दत्ता दलवी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया था।
पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने सीएम शिंदे को कहा था नालायक
इससे पहले महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने सीएम एकनाथ शिंदे को नालायक कहा था। उन्होंने कहा था कि जो नेता अपना राज्य छोड़कर दूसरे राज्य में जाता है, वो नालायक है। महाराष्ट्र में बेमौसम बरसात की वजह से फसलें बर्बाद हो गईं। करीब 100 मवेशियों की मौत हो गई है लेकिन किसानों को मदद पहुंचाने के बजाय मुख्यमंत्री दूसरे राज्य में घूम रहे हैं। सीएम शिंदे तेलंगाना में हैं, क्या जाकर कहेंगे वहां? कि कैसे गुवाहाटी, सूरत गए थे?
ये भी पढ़ें:
Uttarkashi Tunnel Rescue: ये हैं टनल से निकाले गए उन 41 मजदूरों के नाम, जो जिंदगी की जंग जीतकर लौटे
टनल के अंदर क्या-क्या करते थे श्रमिक? पीएम मोदी को सुनाया पूरा किस्सा
‘जल्द देंगे सरप्राइज’, शिवसेना विधायकों के अयोग्यता मामले पर शिंदे गुट के वकील और क्या बोले?
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों के आयोग्यता मामले को लेकर बुधवार (22 नवंबर) को लगातार दूसरे दिन भी सुनवाई जारी रही. विधान भवन में सुबह 11:30 बजे विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुनवाई की शुरुआत की.
मंगलवार की तरह ही बुधवार के दिन भी शिंदे गुट के वकील महेश जेठमलानी ने उद्धव गुट के विधायक और मुख्य सचेतक सुनील प्रभु से कई सारे सवाल पूछे, जिसका सुनील प्रभु ने उत्तर दिया. ज्यादातर समय इनके बीच बहस में ही निकल गया. इस दौरान उद्धव ठाकरे के वकील देवदत्त कामत भी मौजूद रहे.
एकनाथ शिंदे गुट के वकील महेश जेठमलानी ने उद्धव गुट के विधायक और मुख्य सचेतक सुनील प्रभु से विटनेस बॉक्स में करीबन 6 घंटे तक क्रॉस एग्जामिनेशन किया. इस दौरान सुनील प्रभु से पिछले साल जून महीने में हुए विधान परिषद चुनाव के समय व्हिप जारी करने को लेकर कई सवाल पूछे गए.
उद्धव ठाकरे गुट के विधायक और मुख्य सचेतक से महेश जेठमलानी की तरफ से पूछे गए सवाल
- विधान परिषद की मतगणना की तारीख क्या थी?
- आपने किस समय व्हिप तैयार किया था?
- आपने विधायकों को व्हिप कैसे दिया?
- उस दिन आपने किन-किन विधायकों को व्हिप जारी किया था?
- 20 जून 2022 को जिन विधायकों को आपने व्यक्तिगत रूप से व्हिप दिया था, क्या आपने उन विधायकों के पास से लिखित रूप में यह लिखवाकर लिया था कि व्हिप उन विधायकों को मिल गया है?
- आपको व्हिप जारी करने के लिए किसने कहा था?
- क्या आप इस बात को मानते हैं कि आपने व्हिप एक्नॉलेज किया?
सुनील प्रभु ने सभी सवालों का दिया जवाब
महेश जेठमलानी की तरफ से पूछे गए सवालों की लिस्ट लंबी थी. सुनील प्रभु ने एक-एक कर महेश जेठमलानी के सभी सवालों का जवाब दिया. इस बीच सुनील प्रभु शिंदे गुट के वकील और उद्धव ठाकरे गुट के वकील के बीच हल्की नोक झोंक भी देखने को मिली.
विधानसभा स्पीकर ने बीच-बचाव करते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार मुझे इस मामले में अपनी सुनवाई 31 दिसंबर तक पूरी करनी है. कृपया आप सभी सुनवाई पूरी करने में सहयोग करें. बेवजह की बातों को लेकर समय न बर्बाद करें.”
16 दिनों में पूरी करनी है सुनवाई- विधानसभा स्पीकर
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा, ”अगर सार्वजनिक छुट्टी और अधिवेशन को छोड़ दिया जाए तो मेरे पास इस पूरे मामले की सुनवाई करने के लिए महज 16 दिन का समय बचा है. मुझे इन 16 दिनों में अपनी सुनवाई पूरी करनी है.”
सुनवाई खत्म होने के बाद महेश जेठमलानी ने कहा, “उद्धव ठाकरे गुट के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु की ओर से कतिथ तौर पर जारी किया गया व्हिप फर्जी है. 21 जून को कोई व्हिप जारी नहीं किया गया था.” आने वाले दिनों में अन्य विटनेस को बुलाए जाने के सवाल पर महेश जेठमलानी ने कहा कि आने वाले दिनों में हम आपको सरप्राइस देंगे.
28 नवंबर से 3 दिसंबर तक होगी सुनवाई
शिवसेना विधायकों के अयोग्यता वाले मामले को लेकर 22 नवंबर से 24 नवंबर और तीन दिनों के अवकाश के बाद 28 नवंबर से 3 दिसंबर तक लगातार सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को अयोग्यता मामले की सुनवाई 31 दिसंबर तक पूरी करनी है.
ये भी पढ़ें: Karnataka News: ‘कांग्रेस अपनी लाइन पर कायम लेकिन…’, जाति जनगणना को लेकर बोले डीके शिवकुमार
SC के आदेश के बाद अब MNS की चेतावनी- दुकानों के बाहर 4 दिन में लगाएं मराठी साइन बोर्ड वरना…
Marathi Signboards: सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर तक मुंबई स्थित सभी दुकानदारों को मराठी साइन बोर्ड के नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया है. इस आदेश के आने के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने बुधवार (22 नवंबर) को मुंबई के चेंबूर इलाके में पोस्टर लगाकर मुंबईकरों को 4 दिनों का अल्टीमेटम दिया है. पोस्टर में मनसे ने धमकी भरे लहजे में लिखा है कि अगर मराठी साइन बोर्ड नहीं लगाया तो मनसे का एक्शन देखना.
मनसे नेता संदीप देशपांडे ने एबीपी न्यूज को बताया कि उनकी पार्टी पिछले कई सालों से मराठी साइन बोर्ड को लेकर आवाज उठाती रही है. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इनका लगाना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि अगर इन आदेशों का पालन नहीं किया गया तो फिर मनसे स्टाइल में करवाया जाएगा.
ट्रेडर्स एसोसिएशन की सलाह- मराठी साइन बोर्ड नहीं लगाने वाले रहें अलर्ट
मनसे की पोस्टरबाजी पर फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेन शाह ने एबीपी न्यूज को बताया कि एमएनएस के पोस्टर्स का स्वागत करते हैं. वो हमारा काम आसान कर रहे हैं. इससे वो लोग सतर्क रहेंगे जिन्होंने मराठी साइनबोर्ड नहीं लगाए हैं.
80 फीसदी दुकानदारों ने किया नियमों का पालन
इस बीच देखा जाए तो मुंबई में 5.5 से 6 लाख दुकानदार हैं जिनमें से 80 फीसदी दुकानों ने नियमों का पालन किया है. मनसे के पोस्टर्स मामले से लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति खराब नहीं हो, इसे सुनिश्चित करने का काम मुंबई पुलिस का है. बीएमसी खुद करवाई करेगी. आदेशों का अनुपालन नहीं होने की स्थिति में बीएमसी 1 लाख रुपए का जुर्माना भी वसूलेगी. वहीं, प्रति दिन 2,000 रुपये का जुर्माना भी लगेगा जब तक बोर्ड नहीं बदले जाते हैं.
चेंबूर इलाके में कई दुकानों पर दिखे अंग्रेजी भाषा के बोर्ड
मुंबई में मराठी साइन बोर्ड लगाने के आदेश के अनुपालन को लेकर एबीपी न्यूज ने अधिकतर इलाकों की ग्राउंड रिपोर्ट ली, जहां अधिकांश दुकानों पर मराठी भाषा लिखे बोर्ड लगे थे. चेंबूर के स्टेशन परिसर में कई ऐसी दुकानें नजर आईं जहां मराठी साइन बोर्ड नहीं लगाए गए थे. केवल अंग्रेजी भाषा के बड़े नाम देखे गए. यहां पर मनसे ने पोस्टर लगाए हैं.
मनसे की चेतावनी के बाद जल्द बदले जाएंगे बोर्ड
नियमों के अनुसार, मराठी भाषा भी अंग्रेजी के बराबर ही बोर्ड पर लिखी होनी चाहिए. फैशन वर्ल्ड, टाटा टेक्सटाइल और समसोनाइट के मालिकों ने एबीपी न्यूज को बताया कि उन्होंने न्यूज नहीं पढ़ी. कुछ ने मराठी साइनबोर्ड लगाए थे लेकिन बारिश के कारण खराब हो गए. कुछ का कहना है कि 4 दिनों के भीतर यह कार्य हो जाएगा. मनसे की चेतावनी पर कहा कि जल्द से जल्द बोर्ड बदले जाएंगे.
मनसे नेता बोले- शत-प्रतिशत साइन बोर्ड पर काम हो
चेंबूर विधानसभा के मनसे नेता मौली थोरावे की तरफ से क्षेत्र में पोस्टर लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि यह सभी मुंबईवासियों के लिए एक चेतावनी और रिमाइंडर है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं होता है तो मनसे अपनी स्टाइल में तोड़फोड़ करके यह करवाएगा. ट्रेडर्स एसोसिएशन के 80 फीसदी काम पूरा होने के बयान पर मौली ने कहा कि यह शत-प्रतिशत पूरा होना जरूरी है.
इस मामले पर आम मुंबईकरों का कहना है कि अन्य राज्यों जैसे कि दक्षिण भारत और गुजरात में जहां जगह-जगह उनकी मातृभाषा का सम्मान किया जाता है, मुंबई में सभी लोग मतलबी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन अनिवार्य है. मुंबईकरों ने मनसे के पोस्टरों का समर्थन भी किया.
शिवसेना-यूबीटी और कांग्रेस नेताओं ने जाहिर की प्रतिक्रिया
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के प्रवक्ता आनंद दुबे ने एबीपी न्यूज को बताया कि कोर्ट से बड़ा कोई नहीं. इसमें महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को बीच में आने की जरूरत नहीं है, अल्टीमेटम दिया, ठीक है, लेकिन कानून हाथ में लेना गलत बात है. वहीं, कांग्रेस के नेता अतुल लोंढे ने बताया कि अदालती आदेशों का पालन करना अनिवार्य है.
यह भी पढ़ें: Marathi Signboards: मुंबई में दुकानों के बाहर मराठी साइनबोर्ड न लगाने वालों की आई शामत, अब बीएमसी करेगी कड़ी कार्रवाई