पीएम नरेंद्र मोदी सोमवार को यूपी के संभल पहुंचे और कल्कि धाम का शिलान्यास किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने सारे अच्छे काम मेरे लिए छोड़ रखे थे। उम्मीद है कि आगे भी काम होंगे।
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Lok Sabha News
दो-तिहाई विपक्षी सांसदों के निलंबित, लोकसभा में विचार के लिए रखे गए आपराधिक कानून विधेयक
Congress On Criminal Law Bills: लोकसभा से 95 सांसदों के निलंबन के बाद निचले सदन में विपक्ष की ताकत घटकर एक तिहाई रह गई है. इस बीच केंद्र सरकार ने मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए विधेयकों को निचले सदन में रखा है.
केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार (19 दिसंबर) को लोकसभा में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 को विचार और पारित करने के लिए रखा गया.
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मोदी सरकार नहीं चाहती है कि देश के लोग विपक्ष की बात सुनें, जबकि इन विधेयकों पर बहस और विचार-विमर्श किया जाता है.
क्या कुछ बोले मल्लिकार्जुन खरगे?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार (19 दिसंबर) को अपने X हैंडल से एक पोस्ट में कहा, ”संसद से कुल 141 विपक्षी सांसदों का निलंबन हमारे इस आरोप की पुष्टि करता है कि निरंकुश बीजेपी देश में लोकतंत्र को ध्वस्त करना चाहती है…”
उन्होंने लिखा, ”…हम सभी जानते हैं कि आपराधिक कानून संशोधन जैसे प्रमुख विधेयक, जो कठोर शक्तियों वाले हैं और नागरिकों के अधिकारों में बाधा डालते हैं, सूचीबद्ध हैं. मोदी सरकार नहीं चाहती कि भारत के लोग विपक्ष की बात सुनें, जबकि इन विधेयकों पर बहस और विचार-विमर्श किया जाता है. इसलिए उन्होंने लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए सस्पेंड करने, बाहर फेंकने और बुलडोजर चलाने की रणनीति अपनाई है!”
उन्होंने लिखा, ”गंभीर सुरक्षा उल्लंघन पर केंद्रीय गृह मंत्री के संसद में बयान और उस पर विस्तृत चर्चा के बारे में हमारी सरल मांगें जैसी की तैसी बनी हुई हैं.”
किस विधेयक को किससे बदला जाना है?
बता दें कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता अधिनियम 1898 को भारतीय न्याय संहिता से, भारतीय दंड संहिता 1860 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता से और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को भारतीय साक्ष्य अधिनियम विधेयक से बदलने के लिए इन्हें अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था. बाद में उन्हें वापस ले लिया गया था और पिछले हफ्ते विधेयकों का नया संस्करण निचले सदन में पेश किया गया था. नए विधेयकों पर मंगलवार दोपहर को विचार किया गया.
कांग्रेस नेता मनीष तिवार ये बोले
निलंबित किए गए सांसदों में से एक कांग्रेस के मनीष तिवारी ने नए आपराधिक कानूनों पर विधेयक को लेकर कहा कि संसद को अवैध कर दिया गया है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, तिवारी ने कहा, ”यह संसद में सबसे कठोर कानून पारित करने का ढांचा तैयार करने के लिए है जो इस देश को एक पुलिस स्टेट में बदल देगा.”
क्या है सरकार का रुख?
वहीं, सरकार ने दावा किया है कि प्रस्तावित आपराधिक कानून जन-केंद्रित हैं और उनका मुख्य उद्देश्य नागरिकों के संवैधानिक, मानवीय और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करना है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि ब्रिटिश शासन के दौरान लाए गए कानूनों के उलट तीन विधेयकों का उद्देश्य सजा देने के बजाय न्याय प्रदान करना है.
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एथिक्स कमेटी की बैठक में हंगामा, महुआ मोइत्रा समेत विपक्ष के अन्य सांसदों ने किया वॉकआउट
Mahua Moitra Cash For Query: तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा पर सवाल के बदले पैसे लेने के आरोप के मामले में गुरुवार (2 नवंबर) को एथिक्स कमेटी की बैठक हुई. इस दौरान जमकर हंगामा हुआ और विपक्ष दलों के सांसदों ने मीटिंग से वॉकआउट कर दिया. महुआ मोइत्रा भी बैठक से बाहर आ गईं.
एबीपी न्यूज को सूत्रों ने बताया कि मोइत्रा समेत अन्य सांसदों ने आरोप लगाया कि चेयरमैन और बीजेपी के सांसद विनोद कुमार सोनकर अनैतिक सवाल पूछे रहे थे. इस कारण बैठक के दौरान हंगामा हुआ. कमेटी में 15 सदस्य होते हैं. इनको लोकसभा स्पीकर ओम बिरला चुनते हैं.
इससे पहले सूत्रों ने बताया कि एथिक्स कमेटी में मोइत्रा लगातार दोहरा रहीं थी कि यह पूरा मामला उनका निजी है. इसको लेकर कमेटी में चर्चा की जरूरत नहीं है. मोइत्रा ने सवाल उठाते हुए पूछा कि निजी तौर पर उनको उनके किसी दोस्त से गिफ्ट मिलता है तो यह मामला एथिक्स कमेटी के सामने कैसे लाया जा सकता है.
क्या आरोप है?
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने लोकसभा में सवाल करने के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे लिए हैं. उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लिखे लेटर में दावा किया कि मोइत्रा ने हाल की दिन में 61 में 50 सवाल अडानी ग्रुप से जुड़े हुए किए थे.
दर्शन हीरानंदानी ने क्या कहा था?
निशिकांत दुबे के आरोप के बाद दर्शन हीरानंदानी का एक साइन किया हुआ एफिडेविट सामने आया. इसमें हीरानंदानी ने दावा किया कि मोइत्रा ने अडानी ग्रुप के मामले में पीएम मोदी की छवि खराब करने के लिए पैसे लिए. मोइत्रा को कई गिफ्ट भी दिए.
आज से शुरू होगा संसद का विशेष सत्र, किन मुद्दों पर होगी चर्चा और पेश किए जाएंगे कौन से विधेयक?
Parliament Special Session From Today: संसद का पांच दिवसीय सत्र सोमवार (18 सितंबर) से शुरू हो रहा है. सरकार ने इसकी घोषणा करते समय इसे ‘विशेष सत्र’ बताया था लेकिन बाद में स्पष्ट किया गया कि यह नियमित सत्र है. इसे मौजूदा लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र बताया गया है. सत्र 22 सितंबर तक चलेगा. इस दौरान सदन की कार्रवाई 11 बजे से दोपहर एक बजे और फिर अपराह्न दो बजे से शाम छह बजे तक चलेगी. संसद के 75 वर्ष के सफर पर चर्चा और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति समेत चार विधेयकों पर विचार किया जाना इस सत्र में प्रस्तावित है.
कैसा होगा संसद का विशेष सत्र?
इस सत्र की शुरुआत पुराने संसद भवन में होगी. अगले दिन (19 सितंबर) पुराने संसद भवन में ही एक फोटो सेशन रखा गया है. उसी दिन 11 बजे सेंट्रल हॉल में एक समारोह आयोजित किया जाना है. उसके बाद सांसद नए संसद भवन में पहुंचेंगे. 19 सितंबर को ही नए भवन में सत्र की बैठक होगी और 20 सितंबर से इसमें नियमित कामकाज शुरू होगा. गौरतलब है कि रविवार (17 सितंबर) सुबह उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नए संसद भवन में राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण किया.
विशेष सत्र में किन मुद्दों पर होगी चर्चा और पेश किए जाएंगे कौन से विधेयक?
सत्र के सूचीबद्ध एजेंडे का एक मुख्य विषय संविधान सभा से शुरू हुई संसद की 75 वर्षों की यात्रा पर चर्चा करना है. संसद के सफर की उपलब्धियों, अनुभव, यादों और सीख पर विशेष चर्चा होगी. मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के प्रावधानों वाले विधेयक को भी पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किया गया है. इसे मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया गया था.
लोकसभा के लिए अन्य सूचीबद्ध कार्यों में अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023, प्रेस और पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 शामिल हैं, जो तीन अगस्त 2023 को राज्यसभा में पहले ही पारित हो चुका है. इसके अलावा डाकघर विधेयक 2023 को भी लोकसभा की कार्यवाही में सूचीबद्ध किया गया है. यह विधेयक 10 अगस्त 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया था. कार्य सूची अस्थाई है और इसमें ज्यादा विषय जोड़े जा सकते हैं.
सरकार को सूचीबद्ध एजेंडे से इतर संसद में कुछ नए कानून या अन्य विषय पेश करने का विशेषाधिकार प्राप्त है. हालांकि, किसी संभावित नए कानून को लेकर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इस बीच लोकसभा और राज्य विधानसभाओं जैसी निर्वाचित विधायिकाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने वाले विधेयक के बारे में चर्चा जोरों पर है.
संसद सत्र के दौरान जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता, चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग और आजादी के 75 साल पूरे होने के विषय पर भी चर्चा हो सकती है. अटकलें ये भी हैं कि इस सत्र में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ और देश का नाम ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ करने का प्रस्ताव भी लाया जा सकता है.
कब और क्यों होता है विशेष सत्र, अब तक कितनी बार बुलाया गया?
संविधान में ‘विशेष सत्र’ का उल्लेख नहीं है लेकिन यह अहम विधायी और राष्ट्रीय हित की घटनाओं से जुड़े हालात में राष्ट्रपति के आदेश के बाद सरकार की ओर से बुलाया जा सकता है. ऐसे सत्र में प्रश्नकाल को रखना अनिवार्य नहीं है. अब तक सात बार विशेष सत्र बुलाए गए हैं. इनमें पहला विशेष सत्र 1977, दूसरा सत्र 1991, तीसरा सत्र 1992, चौथा सत्र 1997, पांचवां सत्र 2008, छठा सत्र 2015 और सातवां सत्र 2017 में बुलाया गया था.
आमतौर पर संसद में कितने सत्र होते हैं?
असामान्य समय में सत्र बुलाए जाने को लेकर कई नेता हैरत में हैं क्योंकि आम तौर पर संसद में तीन सत्र आयोजित होते हैं, जिनमें बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र शामिल हैं. इस बार मानसून सत्र जुलाई-अगस्त में आयोजित किया गया था. शीतकालीन सत्र नवंबर-दिसंबर में आयोजित किया जाएगा. बजट सत्र हर साल जनवरी के आखिर से शुरू होता है. वहीं, दो सत्र के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतर नहीं हो सकता है.
नई संसद में मंत्रियों को आवंटित हो चुके हैं कमरे
इससे पहले नई संसद में केंद्रीय मंत्रियों के लिए कमरों के आवंटन की सूचना आई थी. जिसमें अपर ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर पर मंत्रियों को कमरे आवंटित किए गए हैं.
बीजेपी और कांग्रेस ने सत्र को लेकर अपने-अपने सांसदों से क्या कहा?
बीजेपी और कांग्रेस संसद सत्र में अपने-अपने सांसदों को मौजूद रहने के लिए पहले ही व्हिप जारी कर चुकी हैं. कांग्रेस ने अपने सांसदों से कहा था कि वे 18 से 22 सितंबर तक संसद सत्र में मौजूद रहें और पार्टी के रुख का समर्थन करें. वहीं, बीजेपी ने अपने सांसदों को अहम विधेयकों पर चर्चा करने और सरकार के रुख का समर्थन करने के लिए कहा था.
सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक
केंद्र सरकार के निमंत्रण पर सत्र शुरू होने से एक दिन पहले (17 सितंबर को) सर्वदलीय बैठक संपन्न हुई. इसमें विभिन्न दलों के नेताओं को सत्र में प्रस्तावित कामकाज की जानकारी दी गई और उनसे विचार-विमर्श किया गया. हालांकि, कांग्रेस ने आशंका जताई कि परदे के पीछे कुछ और हो सकता है.
कांग्रेस का सरकार पर निशाना
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर संसद के विशेष सत्र के एजेंडे को साझा करते हुए कहा था, ‘‘जो एजेंडा सामने आया है, उसमें कुछ भी नहीं है. इन सबके लिए नवंबर में शीतकालीन सत्र तक प्रतीक्षा की जा सकती है.’’ उन्होंने कहा था, ‘‘मुझे यकीन है कि विधायी हथगोले हमेशा की तरह आखिरी क्षण में फूटने के लिए तैयार हैं. परदे के पीछे कुछ और है.”
(इनपुट भाषा से भी)
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संसद में आज पेश हो सकता है दिल्ली सेवा बिल, ‘INDIA’ के सांसद बनाएंगे रणनीति, फिर बवाल के आसार
Parliament Monsoon Session 2023: 20 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र के दौरान अब तक संसद का काफी समय हंगामे की भेंट चढ़ चुका है. अब सबकी नजरें सोमवार (31 जुलाई) को होने वाली सदन की कार्यवाही पर हैं. मानसून सत्र में अब तक दो मुद्दे सबसे ज्यादा छाए रहे हैं. पहला मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग और दूसरा दिल्ली अध्यादेश की जगह लाया जाने वाला विधेयक.
पीएम मोदी के बयान की मांग पर अड़े विपक्षी गठबंधन की ओर से संसद में अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया गया है, जिस पर चर्चा और वोटिंग होना बाकी है. माना जा रहा है कि दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित दिल्ली सेवा बिल सोमवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है, क्योंकि लोकसभा सांसदों को इसे सर्कुलेट किया गया है. इस बिल का नाम ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक’ है.
दिल्ली अध्यादेश की जगह लाए जाने वाले बिल पर निगाहें
दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कई दिनों से विपक्षी दलों से इस बिल के विरोध में समर्थन जुटा रहे हैं. विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की दूसरी बैठक में आम आदमी पार्टी इसी शर्त पर शामिल हुई थी कि पहले कांग्रेस अध्यादेश वाले मुद्दे पर उसका समर्थन करे. कई विपक्षी दलों ने केजरीवाल को समर्थन करने की बात कही है.
28 जुलाई को केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जानकारी दी थी कि दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लाए गए अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक को अगले सप्ताह लोकसभा में लाया जाएगा.
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 25 जुलाई को ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक’ को मंजूरी दी गई थी. यह 19 मई को केंद्र की ओर से लाए गए अध्यादेश की जगह लेने के लिए पेश किया जाएगा.
विपक्ष के नेता के चेंबर में INDIA गुट के नेताओं की होगी बैठक
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सोमवार को सदन के पटल पर अपनी रणनीति के बारे में चर्चा करने के लिए विपक्षी गठबंधन INDIA के नेता सुबह साढ़े नौ बजे विपक्ष के नेता यानी मल्लिकार्जुन खरगे के चेंबर में एक बैठक करेंगे.
इस बैठक में हिंसा प्रभावित मणिपुर का दो दिवसीय दौरा करके आ चुके विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे नेता अपने गठबंधन साथियों को यात्रा की जानकारी देंगे.
विपक्षी दल मानसून सत्र की शुरुआत से ही मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे हैं. वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा और जवाब की मांग कर रहे हैं. वहीं, बीजेपी का कहना है कि वह चर्चा के लिए तैयार है लेकिन विपक्षी दल ही इससे किनारा कर रहे हैं.
‘…व्यवधान नहीं होना चाहिए’, सत्र से पहले बोले लोकसभा अध्यक्ष
इस बीच संसद सत्र से पहले रविवार (30 जुलाई) को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हर गंभीर मुद्दे पर राज्य विधानसभाओं और संसद में चर्चा होनी चाहिए, लेकिन कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए, क्योंकि लोगों को ‘लोकतंत्र के इन मंदिरों’ से बहुत उम्मीदें हैं.
लोकसभा अध्यक्ष की यह टिप्पणी मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में जारी गतिरोध की पृष्ठभूमि में आई है. रविवार को गुवाहाटी में असम विधानसभा के नए भवन का उद्घाटन करने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों के विधायकों, सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा विभिन्न मुद्दों पर सहमति और असहमति भारत के लोकतंत्र की विशेषता है.
उन्होंने कहा, ”लोकतंत्र के मंदिर में हर गंभीर मुद्दे पर बहस, चर्चा, संवाद और बातचीत होनी चाहिए लेकिन राज्य विधानसभाओं और लोकसभा में कोई व्यवधान या गतिरोध नहीं होना चाहिए. लोगों को राज्य विधानसभाओं और लोकसभा से बहुत सारी उम्मीदें हैं. लोग आपको बहुत उम्मीदों के साथ यहां भेजते हैं.”
(इनपुट भाषा से भी)
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