ज्ञानवापी के तहखाने में व्यास जी के तहखाने में वाराणसी की अदालत ने पूजा-पाठ की इजाजत दे दी है। अदालत ने सात दिन के अंदर पूजा-पाठ के प्रबंध करने का आदेश दिया है। जिला मजिस्ट्रेट को प्रबंध करना होगा।
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Kashi Vishwanath Temple
सुप्रीम कोर्ट में फिर टली ज्ञानवापी मामले की सुनवाई, अब इस तारीख को सुना जाएगा मामला
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के वाराणसी का ज्ञानवापी मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से टल गई है। कोर्ट ने सोमवार को काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद भूमि स्वामित्व विवाद से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई 1 दिसंबर तक के लिए टाल दी। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा पीठ समय की कमी के कारण मामले की सुनवाई नहीं कर सकी। पीठ ने पक्षों से इस दौरान एक पेज का नोट दाखिल करने को कहा।
कोर्ट में तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर हैं
बता दें कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। अपनी पहली याचिका में ज्ञानवापी-गौरीश्रृंगार परिसर के सर्वेक्षण के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए कहा गया है कि वाराणसी कोर्ट का आदेश प्रथम दृष्टया क्षेत्राधिकार के बिना है। मस्जिद समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने कहा कि सीपीसी (सिविल प्रक्रिया संहिता) के आदेश 26 नियम 9 के संदर्भ में आयुक्त की नियुक्ति सही नहीं है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को दी गई है चुनौती
वहीं दूसरी विशेष अनुमति याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें एएसआई को वुज़ू खाना को छोड़कर, ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के यह कहने के बाद कि साइट पर कोई खुदाई नहीं की जाएगी, सर्वेक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने पहले उच्च न्यायालय के एक और आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद में कथित तौर पर खोजे गए शिवलिंग की उम्र का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था। अपनी तीसरी याचिका में प्रबंधन समिति ने जिला अदालत के समक्ष दायर हिंदू उपासकों के मुकदमे की स्थिरता को बरकरार रखने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाया है।
Kashi Vishwanath Temple: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए ‘ड्रेस कोड’ लागू करने पर विचार
Varanasi News: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास यहां स्थित मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक ‘ड्रेस कोड’ (परिधान) लागू करने पर विचार कर रहा है. इसके लिए मंदिर न्यास की आगामी दिनों में होने वाली बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा. यह जानकारी न्याय के एक पदाधिकारी ने दी. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने कहा कि न्यास की आगामी बैठक में मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक परिधान (ड्रेस) निर्धारित करने पर प्रस्ताव रखा जाएगा. हालांकि उन्होंने बैठक की तारीख नहीं बताई, सिर्फ इतना कहा कि बैठक नवंबर माह में होगी. पांडेय ने कहा कि फिलहाल विश्वनाथ धाम आने वाले दर्शनार्थी शालीन और मर्यादित वस्त्र धारण करके आयें. उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को ऐसे मर्यादित वस्त्र पहनकर आना चाहिए जो देखने में अच्छा लगे. पांडेय ने यह भी बताया कि पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता और महिलाओं के लिए साड़ी पहन कर ही गर्भगृह में दर्शन पूजन करने को लेकर मंदिर न्यास की अगली बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि न्यास की बैठक में विचार-विमर्श के बाद ही इस पर फैसला लिया जाएगा.
काशी विश्वनाथ मंदिर के जनसम्पर्क अधिकारी पीयूष तिवारी ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शनार्थियों के लिए अभी कोई ‘ड्रेस कोड’ लागू नहीं है. उन्होंने बताया कि मात्र अर्चकों के लिए दो सेट पोशाक न्यास की तरफ से देने का निर्णय किया गया है, जिसे लागू किया जाएगा. उन्होंने बताया कि मंदिर में पुजारी अभी तक धोती पहनते हैं लेकिन अब उनके लिए जाड़े में चादर और गर्मी में दुपट्टा दिया जाएगा, इस पर न्यास का लोगो होगा, जो उनकी पहचान बताएगा.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ धाम के नये स्वरूप के निर्माण में लगभग पौने तीन वर्ष लगे और इस पर सात सौ करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. तेरह दिसंबर 2021 को मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ धाम के नये स्वरूप का लोकार्पण किया था. आठ मार्च, 2019 को वाराणसी का कायाकल्प करने वाली ‘श्री काशी विश्वनाथ धाम परियोजना’ की आधारशिला मोदी ने ही रखी थी.
एक सरकारी बयान के मुताबिक श्री काशी विश्वनाथ धाम परियोजना से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिला है. इसके अनुसार यह परियोजना पांच लाख वर्ग फुट में बनाई गई है और श्री काशी विश्वनाथ धाम मंदिर को गंगा के तट से जोड़ा गया है. बयान के मुताबिक इस परियोजना पर करीब 700 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.