BJP JDS Alliance: दक्षिण भारत में बीजेपी को मिला एक और साथी, जेडीएस के साथ गठबंधन, देखें तस्वीरें
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कांग्रेस वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद को जारी करेगी कारण बताओ नोटिस, जानें क्या है मामला?
BK Hariprasad Show Cause Notice: कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति (डीएसी) ने मंगलवार (12 सितंबर) को कहा कि पार्टी के अनुशासन का कथित उल्लंघन करने की शिकायत मिलने के बाद इसने वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी करने का फैसला किया है. कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य हरिप्रसाद को 10 दिन के अंदर अपने आचरण के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहा जाएगा.
समिति के सदस्य तारिक अनवर ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष (मल्लिकार्जुन खरगे) को विधान परिषद सदस्य और कांग्रेस कार्य समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य बीके हरिप्रसाद की ओर से पार्टी का अनुशासन भंग किए जाने की शिकायत मिली थी. उन पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने और बीजेपी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेताओं के साथ नौ सितंबर 2023 को बेंगलुरु में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में मंच साझा करने का आरोप है.’’
कांग्रेस महासचिव अनवर ने कहा कि विषय डीएसी के पास भेजा गया था, जिसने हरिप्रसाद को अपने आचरण के बारे में 10 दिन के अंदर विस्तार से बताने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला किया है.
क्या कहा था बीके हरिप्रसाद ने?
हरिप्रसाद ने नौ सितंबर को कहा था कि धोती के साथ हब्लोट घड़ी पहनने वाले कुछ लोग समाजवादी होने का दावा नहीं कर सकते और कोई देवराज उर्स (सामाजिक सुधारों के लिए जाने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री) की कार में बैठकर उनकी तरह नहीं बन सकता.
उनकी इस टिप्पणी को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर परोक्ष हमला माना जा रहा है. हालांकि, हरिहप्रसाद ने अपने भाषण के दौरान किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी ओर से दिए गए संदर्भों से स्पष्ट था कि उनके निशाने पर सिद्धारमैया थे.
सिद्धारमैया 2016 में मुख्यमंत्री रहने के दौरान हीरे जड़ित हब्लोट घड़ी को लेकर विवाद में फंस गए थे. इस पर उन्होंने सफाई दी थी कि घड़ी उन्हें दुबई में रह रहे हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. गिरीश चंद्र वर्मा ने बतौर उपहार दी थी. सिद्धारमैया ने कथित तौर पर 70 लाख रुपये कीमत की उक्त घड़ी तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी थी और उनसे इसे राज्य की संपत्ति बनाने को कहा था.
सिद्धारमैया पर पहले भी कर चुके हैं टिप्पणी
यह पहली बार नहीं है जब हरिप्रसाद ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर निशाना साधा है. इससे पहले जुलाई में भी उन्होंने मंत्री और मुख्यमंत्री पदों के संबंध में टिप्पणी की थी जिसने पार्टी के साथ-साथ सिद्धारमैया को असहज कर दिया था.
हरिप्रसाद और सिद्धारमैया अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं. दोनों का संबंध क्रमश: एडिगा और कुरुबा समुदायों से है. हरिप्रसाद ने जी परमेश्वर (मौजूदा सरकार में गृह मंत्री) जैसे दलित नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए और अनुसूचित जनजाति से आने वाले सतीश जारकीहोली जैसे नेता के नाम पर उपमुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस की ओर से विचार नहीं किए जाने पर भी नाराजगी व्यक्त की थी. हरिप्रसाद के बारे में माना जाता है कि वह राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से कुछ समय से नाराज हैं.
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लोकसभा चुनाव से पहले JDS ने उठाया ये कदम, पार्टी की मजबूती के लिए नई कोर कमेटी गठित
जनता दल सेक्युलर यानी JDS ने पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक जी टी देवेगौड़ा की अध्यक्षता में 21 सदस्यीय नई कोर कमेटी का गठन किया। इसका मकसद आगामी चुनावों का प्रभावी तरीके से सामना करना और पार्टी को मजबूत करना है। पूर्व विधायक वाईएसवी दत्ता को कोर कमेटी का संयोजक बनाया गया है। खास बात यह है कि पार्टी के संरक्षक और पूर्व प्रधान मंत्री एचडी देवेगौड़ा के परिवार का कोई भी सदस्य कोर कमेटी का हिस्सा नहीं है।
देवेगौड़ा के निर्देश पर कोर कमेटी गठित
जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष सी एम इब्राहिम ने शुक्रवार को विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी समेत दल के अन्य नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि दल के संरक्षक एच डी देवेगौड़ा के निर्देश पर कोर कमेटी का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एच डी देवेगौड़ा के नेतृत्व में 07 अगस्त को हुई पार्टी नेताओं की बैठक में नए अध्यक्ष और कोर कमेटी के सदस्यों के चयन को अंतिम रूप दिया गया।
“पार्टी के पदाधिकारियों में होगा बदलाव”
इब्राहिम ने कहा कि 21 सदस्यीय कोर कमेटी में पूर्व मंत्री सा रा महेश, बंदेप्पा खशेमपुर, एच के कुमारस्वामी, वेंकटराव नादगौड़ा, सीएस पुट्टाराजू, अलकोडे हनुमंथप्पा, कई विधायक, एमएलसी और पार्टी के नेता शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कोर कमेटी को पूरा अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि बैठक में दल को संगठित और मजबूत करने, आगामी लोकसभा चुनावों के साथ-साथ तालुका, पंचायत, जिला पंचायत और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) चुनावों की तैयारी और उम्मीदवारों के चयन पर चर्चा हुई। इब्राहिम ने बताया कि दल के नेता जी टी देवेगौड़ा के नेतृत्व में 20 से 30 सितंबर तक राज्य का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि सितंबर में कमेटी से रिपोर्ट मिलने के बाद पार्टी के पदाधिकारियों में बदलाव किया जाएगा।
क्या कर्नाटक में BJP को झटका देने जा रहे हैं 2 विधायक? बैठक में गैरमौजूदगी के बाद उठे सवाल तो ब
Karnataka Politics: कर्नाटक में कांग्रेस दावा कर रही है कि कई बीजेपी नेता उनकी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं. हाल ही में पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के घर पर हुई मीटिंग में पूर्व मंत्री एसटी सोमशेखर और बिरथी बसवराज निजी कारण का हवाला देते हुए शामिल नहीं हुए. दोनों नेता मौजूदा समय में विधायक हैं. इससे राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चा शुरू हो गई कि क्या वो घर वापसी यानी कांग्रेस में फिर से शामिल होंगे. हालांकि बीजेपी ने इसे खारिज कर दिया है.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शुक्रवार (18 अगस्त) तमाम अटकलों को खारिज करते हुए कहा, ”बीजेपी का कोई विधायक हमें नहीं छोड़ रहा है. कुछ स्थानीय मुद्दे. इसे हमने राज्य के अध्यक्ष के सामने रखा है. जल्द ही हम इसे सुलझा लेंगे. हम सब एकजुट हैं. कांग्रेस में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद शामिल है. ये लोग झूठी स्टोरी बोल रहे हैं.”
कांग्रेस ने क्या दावा किया था?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कर्नाटक के डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा है कि कई राजनीतिक कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल होने के इच्छुक हैं. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में इसका मत प्रतिशत बढ़ाने के उद्देश्य से पार्टी के हित को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाएगा.
Bengaluru: Former Karnataka CM and BJP leader Basavaraj Bommai, says, “None of the BJP MLAs will leave the party. There are some local issues. We have brought it to the attention of the state president. We will sort everything out. We are all united. The Congress consists of… pic.twitter.com/aLGclEGJmd
— ANI (@ANI) August 18, 2023
मामला क्या है?
दावा किया जा रहा था कि बीजेपी के मौजूदा विधायक कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. इनमें ज्यादातर वो एमएलए हैं, जिन्होंने कि 2018 में कांग्रेस छोड़ दी थी. इस कारण कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन वाली सरकार गिर गई थी. कांग्रेस और जेडीएस की सरकार 2018 में 17 विधायकों के इस्तीफा देने के कारण गिरी थी. इन लोगों के बीजेपी में शामिल होने के कारण वो सत्ता में आ गई थी.
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