31 साल के पैटनिबिन उत्तरी इजरायल के गलील में काम कर रहे थे। एक दिन पहले उन्होंने अपने पिता को फोन पर बताया कि मार्गालियट में जिस मुर्गी फार्म में वह काम कर रहे हैं वो अब सेफ नहीं है।
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सायरन की गूंज और शिविरों में ठिकाना, इजरायल से लौटे भारतीयों ने सुनाई आपबीती
इजरायल और हमास के बीचत भयानक जंग जारी है। इजरायल गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर बमबारी कर रहा है तो वहीं, हमास भी इजरायल की ओर लगातार रॉकेट लॉन्च कर रहा है। इस भयानक जंग से भारतीय लोगों को वापस लाने के लिए भारत सरकार ने मिशन अजय लॉन्च किया था। इस ऑपरेशन की मदद से 200 से अधिक भारतीयों का शुक्रवार को इजरायल से वापस भारत आ गया है। वापस आए लोगों ने इजरायल के हालात बयां किए हैं।
क्या बोले यात्री?
इजरायल से वापस आए लोगों ने बताया कि उनके कानों में अब भी हवाई हमले से सतर्क करने वाले सायरन, रॉकेट की आवाजें और लोगों की चीख-पुकार गूंज रही है। इजरायल में कृषि अनुसंधान करने वाले शाश्वत सिंह ने बताया कि वह हवाई हमले से सतर्क करने वाले सयरन की आवाज के साथ उठे। उन्होंने भारतीय दूतावास और पीएम मोदी को उन्हें भारत वापस लाने के लिए धन्यवाद दिया है। एक अन्य छात्र सुपर्नो घोष ने बताया कि शनिवार को कुछ रॉकेट दागे गए, लेकिन इजराइली सरकार ने हर जगह बनाए गए शिविरों के कारण हम सुरक्षित थे। जयपुर की मिनी शर्मा ने बताया कि वहां के आलात काफी डरावने हो गए थे। हम वहां सिर्फ विद्यार्थी के तौर पर थे इस कारण सायरन के बजते ही हमारे लिए हालात डरावने हो जाते थे।
स्थिति खराब और अस्थिर
एक अन्य छात्र दीपक ने बताया कि वहां लगातार हमले हो रहे थे और वह लोग धमाकों की आवाज सुन सकते थे। दीपक ने बताया कि वह घर आकर खुश हैं लेकिन इजरायल में फंसे अपने दोस्तों के लिए दुखी हैं। एक अन्य छात्रा द्युती बनर्जी ने बताया कि इजरायल में स्थिति काफी खराब और अस्थिर है। वहां सामान्य जीवन रुक गया है, लोग डरे और गुस्से में हैं। उन्होंने बताया कि जब वह निकल रही थी तब भी सायरन की आवाज आई उन्हें शिविर में जाना पड़ा।
सरकार को धन्यवाद
इजरायल से वापस लौटे छात्रों ने भारत सरकार, भारतीय दूतावास और इजरायली अधिकारियों को धन्यवाद कहा है। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर इजरायल से वापस लौटे भारतीयों का स्वागत करने दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। बता दें कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के मुताबिक इजरायल में करीब 18 हजार भारतीय हैं। वहीं, वेस्ट बैंक में करीब एक दर्जन और गाजा में तीन से चार भारतीय रह रहे हैं। (इनपुट: भाषा)
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