जिला अदालत के परिसर में सीसीटीवी कैमरे खराब होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया है। अदालत ने पूछा है कि आखिर कैमरों का मेंटनेंस क्यों नहीं कराया गया। बेेंच की अगुवाई चीफ जस्टिस कर रहे थे।
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SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स का पूरा डेटा चुनाव आयोग को भेजा, सुप्रीम कोर्ट ने दिया था बड़ा झटका
कोर्ट ने आदेश दिया था कि एसबीआई 12 मार्च को कामकाजी घंटे खत्म होने तक इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को दे। एसबीआई ने मंगलवार शाम साढ़े पांच बजे तक पूरा डेटा निर्वाचन आयोग को भेज दिया है।
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SC: इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी के लिए समय सीमा बढ़ाने से कोर्ट का इनकार, कहा- कल ही जानकारी दे एसबीआई
सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : सोशल मीडिया
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चुनावी बॉन्ड मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई को राहत देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसबीआई कल तक ही जानकारी दे और 15 मार्च तक चुनाव आयोग उस जानकारी को सार्वजनिक करे। एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने के समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी। एसबीआई की तरफ से सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए। साल्वे ने कोर्ट को बताया कि सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद एसबीआई ने नए इलेक्टोरल बॉन्ड्स जारी करने पर रोक लगा दी है, लेकिन समस्या ये है कि जो इलेक्टोरल बॉन्ड जारी हुए हैं उस पूरी प्रक्रिया को पलटना होगा और इसमें समय लगेगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की दलील मानने से इनकार कर दिया और कल तक ही जानकारी देने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई को लगाई फटकार
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘आप (एसबीआई) कह रहे हैं कि दानदाताओं और राजनीतिक पार्टियों की जानकारी सील कवर के साथ एसबीआई की मुंबई स्थित मुख्य शाखा में है। मैचिंग प्रक्रिया में समय लगेगा, लेकिन हमने आपको मैचिंग करने के लिए कहा ही नहीं था और हमने सिर्फ स्पष्ट डिस्कलोजर मांगा था। मामले पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस खन्ना ने एसबीआई के वकील हरीश साल्वे से कहा कि ‘आपने बताया कि इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी एक सील कवर लिफाफे में रखी गई है तो ऐसे में आपको सिर्फ सील कवर खोलकर जानकारी देनी है।’ सीजेआई ने एसबीआई को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘हमने 15 फरवरी को आदेश दिया था और आज 11 मार्च है। ऐसे में बीते 26 दिनों में आपने क्या किया? यह बताया जाना चाहिए कि यह काम हुआ है और अब हमें और समय चाहिए…हम एसबीआई से स्पष्टवादिता की उम्मीद करते हैं।’ इस पर एसबीआई के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर आप मैचिंग नहीं चाहते हैं तो हम तीन हफ्ते में पूरी जानकारी दे सकते हैं। हालांकि कोर्ट ने एसबीआई की दलील मानने से इनकार कर दिया और एसबीआई को कल यानी कि 12 मार्च तक जानकारी देने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की याचिका खारिज कर दी। साथ ही कहा कि ‘आदेश के पालन के लिए एसबीआई चेयरमैन और एमडी हलफनामा दायर करें। हम इस बार एसबीआई के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम एसबीआई के नोटिस में ये बात लाना चाहते हैं कि कोर्ट के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने और तय समय में निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए बैंक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है।’
Supreme Court: पामेला गोस्वामी ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख; फर्जी मामले में फंसाने पर की मुआवजा देने की मांग
पामेला गोस्वामी (फाइल फोटो)
– फोटो : Facebook
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पश्चिम बंगाल के भाजपा युवा मोर्चा की नेता पामेला गोस्वामी ने कोकीन बरामदगी के फर्जी मामले में फंसाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। भाजपा नेता ने इस मामले में फंसाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मुआवजा दिलाने की अपील की है। पामेला का यह कदम उन्हें मामले में बरी किए जाने के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद आया है।
पामेला ने शीर्ष कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि वह एक आपराधिक साजिश का शिकार हुईं हैं। उन्हें बिना किसी गलती के इस मामले में फंसाया गया था। इसके चलते उन्हें एनडीपीएस मामले में आपराधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ा था। उन्होंने याचिका में यह दलील भी दी कि इस दौरान याचिकाकर्ता को 19 फरवरी, 2021 से 10 दिसंबर, 2021 तक कुल 295 दिन तक पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में रखा था। उन्होंने दलील दी कि भाजपा की एक प्रमुख युवा नेता होने के नाते इन झूठे आरोपों के कारण उनकी व्यक्तिगत और सार्वजनिक प्रतिष्ठा को हानि पहुंची है।
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने 29 फरवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट के 16 मार्च 2023 के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपने फैसले में पामेला गोस्वामी को कोकीन रखने के आरोप से बरी कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि कोलकाता पुलिस को पूरी पूछताछ में गोस्वामी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला था। अदालत ने यह भी कहा था कि जांच से खुलासा हुआ कि एक अन्य भाजपा नेता राकेश सिंह ने व्यक्तिगत द्वेष के कारण उनके पास कोकीन छिपाई थी।
बता दें कि फरवरी 2021 में कोलकाता के न्यू अलीपुर थाने की पुलिस ने 100 ग्राम कोकीन के साथ पामेला गोस्वामी और दो अन्य लोगों को उनकी कार से 76 ग्राम कोकीन बरामद होने के बाद गिरफ्तार किया था। पामेला गोस्वामी साल 2019 में भाजपा में शामिल हुई थीं। उन्होंने मॉडलिंग से अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद एयर होस्टेस का भी काम किया। फिर बंगाली टेलीविजन की दुनिया में कदम रखा था।
‘अतिक्रमण कर बना है आम आदमी पार्टी का ऑफिस, 15 जून तक करें खाली- सुप्रीम कोर्ट – India TV Hindi
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कई नेताओं के जेल जाने के बाद अब पार्टी को अपना केंद्रीय कार्यालय ही खाली करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पार्टी को अपना दफ्तर खाली करना का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि लोकसभा चुनावों को देखते हुए 15 जून तक का वक्त दिया जाता है।
यह दिल्ली हाईकोर्ट को दी गई जमीन पर अतिक्रमण
कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि यह दिल्ली हाईकोर्ट को दी गई जमीन पर अतिक्रमण है। इस जमीन का उद्देश्य राउज एवेन्यू कोर्ट के लिए अतिरिक्त कोर्टरूम का निर्माण करना है। वहीं आम आदमी पार्टी की तरफ से पक्ष रखते हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 2015 के दौरान यह आप को यह जमीन दी गई थी। पार्टी देश की 6 राष्ट्रीय पार्टियों में से एक है और उसे भूखंड की जरुरत है।
AAP नए दफ्तर के लिए सरकार को आवेदन दे सकती है
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि AAP नए दफ्तर के लिए सरकार को आवेदन दे सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि संबंधित विभाग AAP के आवेदन पर 4 सप्ताह में फैसला ले। बता दें कि इस मामले में 14 फरवरी को भी सुनवाई हुई थी। इस दौरान चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि इसमें कानूनों को तोड़ा जा रहा है और वह इसकी इजाजत किसी को भी नहीं दे सकते हैं।
केंद्र सरकार ने कोर्ट को भ्रमित किया – AAP
गौरतलब है कि कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके कहा गया था कि आप का दफ्तर दिल्ली हाईकोर्ट को आवंटित राउज एवेन्यू के प्लॉट पर चल रहा है। यहां पहले दिल्ली के ट्रांसपोर्ट मंत्री का आवास था, लेकिन बाद में इसमें AAP ने अपना दफ्तर बना लिया। वहीं इस मामले में आम आदमी पार्टी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने कोर्ट को भ्रमित किया है। यहां कोई अतिक्रमण नहीं हुआ है। यह जमीन दिल्ली सरकार के द्वारा आप को दी गई है।