समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी सीबीआई के रडार पर आ गए हैं। अवैध खनन के मामले में सीबीआई ने अखिलेश यादव को बतौर गवाह पूछताछ के लिए समन जारी किया है। सपा ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है।
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समाजवादी पार्टी
सपा की रार से निकली भाजपा की राह? योगी ने संभाली रणनीति, राज्यसभा में ऐसे जीती BJP
भारतीय जनताा पार्टी ने भले ही सभी आठ प्रत्याशियों को जीत दिलाने में कामयाबी हासिल की है लेकिन पूरे घटनाक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाल रखी थी। उन्होंने चाहे विधायकों को ट्रेनिंग हो या फिर रात्रि भोज के जरिये सपा विधायकों में सेंधमारी की आधारशिला रखी। ज्यादातर बागी विधायक उनसे मिलने के बाद ही भाजपा के पक्ष में वोट डालने के लिए राज़ी हुए। आठवां प्रत्याशी उतारने की भाजपा की राह सपा की रार से निकली थी। पहले भाजपा केवल सात प्रत्याशी ही उतारने वाली थी। सातों की घोषणा हुई और नामांकन भी हो गया। पल्लवी पटेल का बयान आते ही आठवां प्रत्याशी उतारने का फैसला हुआ औऱ उतार भी दिया गया है।
नामांकन के बाद से ही सभी प्रत्याशियों के साथ सहयोगी दलों के विधायकों से मुख्यमंत्री लगातार मुलाकात करते रहे हैं। रालोद द्वारा भाजपा में शामिल होने से पहले भी उन्होंने रालोद के नेताओं से अलग से भेंट की थी। विधानसभा सत्र के दौरान भी वह विपक्ष या यूं कहें भाजपा के प्रति साफ्ट कार्नर रखने वाले विधायकों राकेश सिंह, अभय सिंह, पूजा पाल आदि को अपना आशीष देते रहे हैं। राज्यसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री ने ही भाजपा संगठन के साथ कई दौर की बैठकें कीं।
इसमें महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह के अलावा वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना की अहम भूमिका रही। भाजपा से सहानुभूति रखने वाले एक-एक विधायकों से तो उन्होंने खुद बात की ही। पार्टी के विधायकों से भी वह लगातार संपर्क में रहे। यही नहीं वह कहीं कोई चूक न होने पाए लिहाजा, पार्टी के मुख्य कारिंदों को सचेत भी करते रहे। यह वजह रही कि वह विधायकों की बैठक में यह कहने से नहीं चूके कि अधिक आत्मविश्वास भी नहीं होना चाहिए।
सपा के मुख्य सचेतक रहे मनोज पाण्डेय व उनके साथियों ने भी जब तक मुख्यमंत्री से मिलकर मुलाकात नहीं कर ली, उन्होंने भाजपा को वोट देने का खुलासा नहीं किया। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद ही वह उनके रात्रि भोज में शामिल हुए। कुछ इसी तर्ज पर रालोद, सुभासपा और निषाद पार्टी के सहयोगी विधायकों ने भी एक-एक कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर उन्हें भाजपा को जीत का भरोसा दिलाया।
हर मोर्चे पर सपा पर भारी पड़ी भाजपा
भारतीय जनता पार्टी ने 10 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में आठवां प्रत्याशी भी जिताकर बड़ी लकीर खींच दी। दरअसल, पीडीए को लेकर सपा की रार ने भाजपा को आठवां प्रत्याशी उतारने की राह दिखाई। उसके बाद 10 खिलाड़ियों के मैच में 11वां उतारकर भाजपा ने इस चुनावी मैच को रोमांचक बना दिया।
प्रत्याशी चयन से लेकर चुनावी रणनीति तक हर मोर्चे पर भाजपा अपने विरोधी पर भारी पड़ी। सरकार और संगठन के बेहतर तालमेल से भगवा खेमे ने चुनावी मोर्चे पर सपा को चारों खाने चित कर दिया।
भाजपा ने पहले चरण में 7 प्रत्याशियों की घोषणा की थी। प्रत्याशी चयन में ही भाजपा ने जता दिया था कि ओबीसी और आधी आबादी उसकी प्राथमिकता में हैं। सात में चार प्रत्याशी आरपीएन सिंह, अमरपाल मौर्य, चौधरी तेजवीर सिंह और संगीता बलवंत बिंद ओबीसी कोटे से थे। दूसरी ओर सपा द्वारा घोषित तीन प्रत्याशियों पर पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य ने ही निशाना साधना शुरू कर दिया था।
इसलिए उतारे गए संजय सेठ
सपा की रार और एनडीए के पास कुछ अतिरिक्त वोटों के चलते पार्टी नेतृत्व ने अंतिम दिन नामचीन बिल्डर संजय सेठ को आठवें प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार दिया। संजय कभी सपा नेतृत्व के करीबी थे। सपा में उनके निजी संबंधों का लाभ भी भाजपा को मिल सके, यही सोचकर पार्टी ने उन पर दांव लगाया। नामांकन के बाद से ही भाजपा ने जरूरी वोटों का जुगाड़ शुरू कर दिया था।
लखनऊ से लेकर दिल्ली तक इसकी कवायद चली। सबसे पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और उपमुख्यमंत्री द्वय केशव मौर्य व ब्रजेश पाठक की मौजूदगी में सहयोगी दलों के प्रमुखों संग पार्टी के विधान मंडल दल कार्यालय में बैठक की। फिर राजा भैया, बसपा के एक मात्र वोट के साथ ही सपा में सेंधमारी शुरू की गई। आठवें प्रत्याशी ने सहयोगी दलों के नेताओं के फीलगुड का भी पूरा ध्यान रखा गया।
कोई दिल्ली तो कोई लखनऊ के आश्वासन से माना
सपा के कई विधायक या तो दिल्ली का आश्वासन चाहते थे या फिर सीएम योगी आदित्यनाथ का। जिसके लिए जहां जरूरी था, वहां बात भी कराई गई। भाजपा पहले से ही जरूरी वोटों से ज्यादा के जुगाड़ में लगी थी ताकि कोई वोट इधर-उधर होने की स्थिति में विकल्प उपलब्ध रहे। मनोज पांडेय और पूजा पाल का सवाल है तो इनके भाजपा में आने की चर्चाएं दारा सिंह चौहान की आमद के साथ ही तेज हो गई थीं। गायत्री जेल में हैं। अब उनकी पत्नी द्वारा चुनाव में सहयोग के बाद गायत्री की मुश्किलें कुछ कम हो सकती हैं।
मतदान के लिए भी बनाई प्रभावी रणनीति
भाजपा ने मतदान के लिए भी प्रभावी रणनीति बनाई। सभी विधायकों को प्रशिक्षण देने के साथ ही वोट अलॉटमेंट में खासी सतर्कता बरती गई। हर प्रत्याशी के एक इलेक्शन एजेंट और दो पोलिंग एजेंट के अलावा भी उसे आवंटित वोटों को सही मतदान कराने के लिए पूरी सावधानी बरती गई। मंत्रियों और विधान परिषद सदस्यों को निगरानी के लिए लगाया गया।
पार्टी ने पहले चरण में 22 विधायकों को मतदान से रोका। उनसे पहली के साथ ही दूसरी वरीयता का मतदान भी कराया गया। सीएम योगी सुबह से ही मतदान स्थल पर पहुंच गए थे। जीत के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही वे वहां से हटे। वहीं प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी व उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक अंत तक मोर्चा संभाले रहे।
राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने अखिलेश को दी बड़ी मात, क्रॉस वोटिंग से सभी कैंडिडेट जीते, सपा के आलोक रंजन हारे
यूपी में राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने सपा को मात देते हुए अपने सभी प्रत्याशियों को जीत दिलाने में सफलता हासिल कर ली है। बीजेपी ने सपा में बड़ी सेंध लगाई है। सपा के सात विधायकों ने क्रास वोटिंग की है।
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अफजाल अंसारी ने किसको बता दिया हनुमान? अखिलेश यादव के लिए कह दी बड़ी बात – India TV Hindi
यूपी में लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और सपा ने गठबंधन किया है, जिसमें समाजवादी पार्टी 63 सीटों पर और कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सपा के खाते में गाजीपुर की लोकसभा सीट आई है। इस सीट पर सपा ने बाहुबली मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और बसपा सांसद अफजाल अंसारी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। सपा के उम्मीदवार घोषित होने के बाद अफजाल अंसारी रविवार को पहली बार पार्टी कार्यालय पहुंचे जहां कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया।
अफजाल अंसारी ने क्यों कहा-ये हमारे हनुमान
कार्यकर्ताओं के स्वागत से खुश हुए अफजाल अंसारी ने उन्हें हनुमान बता दिया और उन्हें अपनी शक्ति याद दिलाई। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर करारा बोला और रावण और मारीच से तुलना कर दी।उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को हनुमान बताते हुए उनकी शक्ति को याद दिलाया कि किस तरह से उन्हें 2004 और 2019 में उन्हें जीत दिलाई थी। हनुमान कहने की बात पर उन्होंने बताया कि कार्यकर्ता किसी भी दल की रीढ़ की हड्डी होता है। भगवान राम जब समुद्र पर पुल बनाने गए तब सभी कार्यकर्ता हनुमान बन गए थे।
जब उनसे पूछा गया कि हनुमान कैसे लड़ पाएंगे. तब उन्होंने कहा कि राम कौन है, भगवान राम करोड़-करोड़ लोगों की आस्था है। भगवान राम किसी के रिजर्वेशन में हैं क्या कि वह किसी से परमिशन लेंगे। उन्होंने कहा हनुमान एक शक्ति का प्रतीक हैं इसलिए मैं कहूंगा कि हमारे कार्यकर्ता ही हमारे हनुमान हैं। यही समुद्र में पुल बनाएंगे इन लोगों को भगवान मत कहिए इनको मारीच कहिए इन्हें रावण कहिए यह भेष बदलने वाले लोग हैं।
अखिलेश यादव की यूं तारीफ कर दी
इतना ही नहीं अफजाल अंसारी ने अपना दर्द भी बयां किया और अखिलेश यादव की तारीफ की। उन्होंने कहा कि जब मैं गर्दिश में था तब जिनके(मायावती) हाथ मे हाथ मिलाकर चलता था, उन्होंने तो सहारा नहीं दिया लेकिन उस बुरे वक्त में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें सहारा दिया।
कांग्रेस-सपा को गाजीपुर में हो सकती है संकट
बता दें कि गाजीपुर से अफजाल के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने से सबसे बड़ा धर्मसंकट कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के लिए खड़ा होने वाला है क्योंकि अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय हत्याकांड में अफजाल अंसारी का भाई और बाहुबली मुख्तार अंसारी नामजद आरोपी था। मुख्तार को इस मामले में सजा भी सुनाई जा चुकी है। ऐसे में अवधेश राय हत्याकांड को लेकर मुख्तार अंसारी और अजय राय के बीच लंबे समय से मनमुटाव चल रहा है। अब अजय राय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं तो वहीं, मुख्तार के भाई अफजाल सपा के गाजीपुर से उम्मीदवार। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच की केमिस्ट्री क्या होगी? ये देखने वाली बात होगी।
कच्ची-पक्की हुई AAP-सपा और कांग्रेस की दोस्ती, आसान है क्या भाजपा से मुकाबला? – India TV Hindi
लोकसभा चुनाव की रणभेड़ी बजने ही वाली है, इससे पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष जोर-शोर से चुनाव की तैयारियों में जुटा हुआ है। जोड़-तोड़ और दोस्ती की राजनीति और वादे-इरादे चरम पर हैं। एक तरफ सत्ता पक्ष भाजपा नीत एनडीए ने 400 सीटों पर इसबार जीत का दावा किया है तो वहीं विपक्ष भी एकजुच होने के प्रसास में लगा हुआ है। कमजोर विपक्ष मजबूत सत्तापक्ष का कैसे मुकाबला करेंगे ये देखने वाली बात होगी लेकिन प्रयास जारी हैं। काफी पहले बने विपक्षी इंडिया गुट ने अब एकजुट होने की कवायद तेजी से शुरू कर दी है। पहले यूपी में राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया और अब उसने आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर पांच राज्यों में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
विपक्ष की बात करें तो वह भले ही एकजुटता दिखाने की बात करे लेकिन उसे मजबूत होने के लिए और एनडीए से मुकाबला करने के लिए काफी काम करना होगा। आप और कांग्रेस ने शनिवार को आगामी लोकसभा चुनावों के लिए दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, चंडीगढ़ और गोवा में सीट-बंटवारे समझौते की घोषणा की, जो इस साल अप्रैल-मई में होने की संभावना है। गुजरात में कांग्रेस 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, आम आदमी पार्टी 2 सीटों पर; हरियाणा में कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, AAP एक सीट पर; दिल्ली में AAP चार सीटों पर चुनाव लड़ेगी तो कांग्रेस 3 सीटों पर। लेकिन पंजाब में सहमति नहीं बन पाई…. इसलिए वहां फ्रेंडली फाइट होगी।
गठबंधन को लेकर कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने कहा कि AAP दिल्ली में तीन सीटों – नई दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस चांदनी चौक, शेष तीन सीटों, पूर्वी और उत्तर, पश्चिमी दिल्ली से चुनाव लड़ेगी। वासनिक ने कहा, हरियाणा में कांग्रेस नौ लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ेगी, जबकि कुरूक्षेत्र से एक सीट आप को दी गई है। कांग्रेस गुजरात में 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि आम आदमी पार्टी भावनगर और भरूच सीटों पर अपनी किस्मत आजमाएगी। कांग्रेस चंडीगढ़ और गोवा की दो लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।
वासनिक ने कहा कि आप और कांग्रेस दोनों अपने-अपने चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़ेंगे, वे लोकसभा चुनाव संयुक्त रूप से लड़ेंगे। कांग्रेस नेता ने कहा, “भारतीय लोकतंत्र के खिलाफ प्रतिकूल चुनौतियों से लड़ने” के लिए सीट-बंटवारे सौदे की घोषणा की गई है, गठबंधन के लिए, “देश महत्वपूर्ण है, कोई पार्टी नहीं।”
वासनिक ने कहा, “विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है। किसानों को अत्याचार का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी दलों ने अपने मतभेदों को दरकिनार कर दिया है और एक साथ आ गए हैं। हम भाजपा की रणनीति को विफल कर देंगे। पार्टियाँ न केवल व्यक्तिगत रूप से चुनाव लड़ रही हैं, हम इंडिया ब्लॉक के तहत संयुक्त रूप से लड़ रहे हैं।”
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस से वासनिक, अरविंदर सिंह लवली और दीपक बाबरिया शामिल हुए। आप का प्रतिनिधित्व आतिशी, सौरभ भारद्वाज और संदीप पाठक ने किया। पाठक ने कहा, “यह देखते हुए कि कैसे चुनाव लूटे जा रहे हैं, किसानों का शोषण किया जा रहा है और संस्थानों से समझौता किया जा रहा है, हमने अपने मतभेदों को किनारे रखकर एक मजबूत विकल्प देने का फैसला किया है। हमारा गठबंधन भाजपा के समीकरण को बिगाड़ देगा।”
आप-कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर सहमति कांग्रेस और अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच आगामी लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में सीट बंटवारे पर सहमति बनने के बाद आई है।
कांग्रेस यूपी में 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और शेष 63 सीटें सपा और इंडिया ब्लॉक के अन्य गठबंधन सहयोगियों के लिए होंगी। समझौते के मुताबिक, कांग्रेस अपने गढ़ों-रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार उतारेगी। कांग्रेस कानपुर नगर, फ़तेहपुर सीकरी, बासगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महाराजगंज, अमरोहा, झाँसी, बुलन्दशहर, ग़ाज़ियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी और देवरिया में भी चुनाव लड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारेगी.
गठबंधन के कारण कांग्रेस की आम आदमी पार्टी और सपा से दोस्ती महंगी पड़ सकती है, क्योंकि उसके उम्मीदवार नाराज हो सकते हैं। यूपी में कई ऐसी सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में चली गई हैं। जहां से कांग्रेस पहले चुनाव लड़ती रही है। गुजरात में भरूच सीट की बात करें तो यह आप के खाते में चली गई है। इसे लेकर कांग्रेस नेताओं की नाराजगी सामने आई है और ये नेता विकल्प चुन सकते हैं। गुजरात में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे दिवंगत अहमद पटेल की बेटी मुमताज पटेल को उम्मीद थी कि पार्टी भरूच से उन्हें या उनके भाई फैसल को अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाएगी लेकिन दोस्ती में ये संभव नहीं है।
बता दें कि भरूच अहमद पटेल की पारंपरिक सीट रही है और वह यहां से 3 बार लोकसभा के सांसद रहे हैं। अब कांग्रेस और AAP के बीच गठबंधन के बाद मुमताज पटेल ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा, ‘गठबंधन में भरूच लोकसभा सीट सुरक्षित नहीं कर पाने के लिए हमारे जिला कैडर से दिल की गहराइयों से माफी मांगती हूं। मैं आपकी निराशा समझ सकती हूं। साथ मिलकर, हम कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए फिर से संगठित होंगे। हम अहमद पटेल की 45 साल की विरासत को व्यर्थ नहीं जाने देंगे’।
वहीं यूपी में कांग्रेस और सपा की दोस्ती की वजह से यूपी की फर्रुखाबाद सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद नाराज हैं. क्योंकि इस दोस्ती के बाद यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में चली गई है। सलमान खुर्शीद ने अपने X हैंडल के पोस्ट में लिखा,
‘फ़र्रुखाबाद से मेरे रिश्तों के कितने इम्तहान का सामना करना पड़ेगा? सवाल मेरा नहीं, पर हमारे सब के मुस्तकबिल का है। आने वाली नस्लों का है। किस्मत के फैसलों के सामने कभी झुका नहीं, टूट सकता हूं, झुकूंगा नहीं। तुम साथ देने का वादा करो, मैं नगमे सुनाता रहूं।’
लखीमपुर खीरी सीट से कांग्रेस के रवि वर्मा अपनी बेटी पूर्वी वर्मा को टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे लेकिन गठबंधन के बाद यह सीट अब सपा के खाते में चली गई है। बसपा को छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री नकुल दुबे सीतापुर और लखनऊ सीटों में से किसी एक पर टिकट की आस लगाए बैठे थे, लखनऊ सीट अब सपा के पास चली गई है। वहीं सीतापुर से कांग्रेस पूर्व विधायक राकेश राठौर को उतारने की तैयारी में है। पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी जालौन से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन यह सीट भी सपा ने ले ली है तो इन सीटों पर चुनावी कणित गड़बड़ हो सकता है।
कांग्रेस यूपी में सपा के साथ गठबंधन में जिन 17 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी उनमें रायबरेली, अमेठी, कानपुर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलदंशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी और देवरिया शामिल हैं।