राज्यसभा चुनाव में योगी सरकार और भाजपा ने सधी हुई रणनीति और सटीक चालों से आठवीं सीट पर बाजी पलट दी।
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Rajya Sabha elections
सपा की रार से निकली भाजपा की राह? योगी ने संभाली रणनीति, राज्यसभा में ऐसे जीती BJP
भारतीय जनताा पार्टी ने भले ही सभी आठ प्रत्याशियों को जीत दिलाने में कामयाबी हासिल की है लेकिन पूरे घटनाक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाल रखी थी। उन्होंने चाहे विधायकों को ट्रेनिंग हो या फिर रात्रि भोज के जरिये सपा विधायकों में सेंधमारी की आधारशिला रखी। ज्यादातर बागी विधायक उनसे मिलने के बाद ही भाजपा के पक्ष में वोट डालने के लिए राज़ी हुए। आठवां प्रत्याशी उतारने की भाजपा की राह सपा की रार से निकली थी। पहले भाजपा केवल सात प्रत्याशी ही उतारने वाली थी। सातों की घोषणा हुई और नामांकन भी हो गया। पल्लवी पटेल का बयान आते ही आठवां प्रत्याशी उतारने का फैसला हुआ औऱ उतार भी दिया गया है।
नामांकन के बाद से ही सभी प्रत्याशियों के साथ सहयोगी दलों के विधायकों से मुख्यमंत्री लगातार मुलाकात करते रहे हैं। रालोद द्वारा भाजपा में शामिल होने से पहले भी उन्होंने रालोद के नेताओं से अलग से भेंट की थी। विधानसभा सत्र के दौरान भी वह विपक्ष या यूं कहें भाजपा के प्रति साफ्ट कार्नर रखने वाले विधायकों राकेश सिंह, अभय सिंह, पूजा पाल आदि को अपना आशीष देते रहे हैं। राज्यसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री ने ही भाजपा संगठन के साथ कई दौर की बैठकें कीं।
इसमें महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह के अलावा वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना की अहम भूमिका रही। भाजपा से सहानुभूति रखने वाले एक-एक विधायकों से तो उन्होंने खुद बात की ही। पार्टी के विधायकों से भी वह लगातार संपर्क में रहे। यही नहीं वह कहीं कोई चूक न होने पाए लिहाजा, पार्टी के मुख्य कारिंदों को सचेत भी करते रहे। यह वजह रही कि वह विधायकों की बैठक में यह कहने से नहीं चूके कि अधिक आत्मविश्वास भी नहीं होना चाहिए।
सपा के मुख्य सचेतक रहे मनोज पाण्डेय व उनके साथियों ने भी जब तक मुख्यमंत्री से मिलकर मुलाकात नहीं कर ली, उन्होंने भाजपा को वोट देने का खुलासा नहीं किया। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद ही वह उनके रात्रि भोज में शामिल हुए। कुछ इसी तर्ज पर रालोद, सुभासपा और निषाद पार्टी के सहयोगी विधायकों ने भी एक-एक कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर उन्हें भाजपा को जीत का भरोसा दिलाया।
हर मोर्चे पर सपा पर भारी पड़ी भाजपा
भारतीय जनता पार्टी ने 10 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में आठवां प्रत्याशी भी जिताकर बड़ी लकीर खींच दी। दरअसल, पीडीए को लेकर सपा की रार ने भाजपा को आठवां प्रत्याशी उतारने की राह दिखाई। उसके बाद 10 खिलाड़ियों के मैच में 11वां उतारकर भाजपा ने इस चुनावी मैच को रोमांचक बना दिया।
प्रत्याशी चयन से लेकर चुनावी रणनीति तक हर मोर्चे पर भाजपा अपने विरोधी पर भारी पड़ी। सरकार और संगठन के बेहतर तालमेल से भगवा खेमे ने चुनावी मोर्चे पर सपा को चारों खाने चित कर दिया।
भाजपा ने पहले चरण में 7 प्रत्याशियों की घोषणा की थी। प्रत्याशी चयन में ही भाजपा ने जता दिया था कि ओबीसी और आधी आबादी उसकी प्राथमिकता में हैं। सात में चार प्रत्याशी आरपीएन सिंह, अमरपाल मौर्य, चौधरी तेजवीर सिंह और संगीता बलवंत बिंद ओबीसी कोटे से थे। दूसरी ओर सपा द्वारा घोषित तीन प्रत्याशियों पर पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य ने ही निशाना साधना शुरू कर दिया था।
इसलिए उतारे गए संजय सेठ
सपा की रार और एनडीए के पास कुछ अतिरिक्त वोटों के चलते पार्टी नेतृत्व ने अंतिम दिन नामचीन बिल्डर संजय सेठ को आठवें प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार दिया। संजय कभी सपा नेतृत्व के करीबी थे। सपा में उनके निजी संबंधों का लाभ भी भाजपा को मिल सके, यही सोचकर पार्टी ने उन पर दांव लगाया। नामांकन के बाद से ही भाजपा ने जरूरी वोटों का जुगाड़ शुरू कर दिया था।
लखनऊ से लेकर दिल्ली तक इसकी कवायद चली। सबसे पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और उपमुख्यमंत्री द्वय केशव मौर्य व ब्रजेश पाठक की मौजूदगी में सहयोगी दलों के प्रमुखों संग पार्टी के विधान मंडल दल कार्यालय में बैठक की। फिर राजा भैया, बसपा के एक मात्र वोट के साथ ही सपा में सेंधमारी शुरू की गई। आठवें प्रत्याशी ने सहयोगी दलों के नेताओं के फीलगुड का भी पूरा ध्यान रखा गया।
कोई दिल्ली तो कोई लखनऊ के आश्वासन से माना
सपा के कई विधायक या तो दिल्ली का आश्वासन चाहते थे या फिर सीएम योगी आदित्यनाथ का। जिसके लिए जहां जरूरी था, वहां बात भी कराई गई। भाजपा पहले से ही जरूरी वोटों से ज्यादा के जुगाड़ में लगी थी ताकि कोई वोट इधर-उधर होने की स्थिति में विकल्प उपलब्ध रहे। मनोज पांडेय और पूजा पाल का सवाल है तो इनके भाजपा में आने की चर्चाएं दारा सिंह चौहान की आमद के साथ ही तेज हो गई थीं। गायत्री जेल में हैं। अब उनकी पत्नी द्वारा चुनाव में सहयोग के बाद गायत्री की मुश्किलें कुछ कम हो सकती हैं।
मतदान के लिए भी बनाई प्रभावी रणनीति
भाजपा ने मतदान के लिए भी प्रभावी रणनीति बनाई। सभी विधायकों को प्रशिक्षण देने के साथ ही वोट अलॉटमेंट में खासी सतर्कता बरती गई। हर प्रत्याशी के एक इलेक्शन एजेंट और दो पोलिंग एजेंट के अलावा भी उसे आवंटित वोटों को सही मतदान कराने के लिए पूरी सावधानी बरती गई। मंत्रियों और विधान परिषद सदस्यों को निगरानी के लिए लगाया गया।
पार्टी ने पहले चरण में 22 विधायकों को मतदान से रोका। उनसे पहली के साथ ही दूसरी वरीयता का मतदान भी कराया गया। सीएम योगी सुबह से ही मतदान स्थल पर पहुंच गए थे। जीत के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही वे वहां से हटे। वहीं प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी व उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक अंत तक मोर्चा संभाले रहे।
राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने अखिलेश को दी बड़ी मात, क्रॉस वोटिंग से सभी कैंडिडेट जीते, सपा के आलोक रंजन हारे
यूपी में राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने सपा को मात देते हुए अपने सभी प्रत्याशियों को जीत दिलाने में सफलता हासिल कर ली है। बीजेपी ने सपा में बड़ी सेंध लगाई है। सपा के सात विधायकों ने क्रास वोटिंग की है।
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राज्यसभा चुनाव आज : सपा की बैठक से गायब रहे आठ विधायक, क्रॉस वोटिंग की अटकलें
सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक। सांकेतिक तस्वीर।
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सपा ने सोमवार को भी अपने विधायकों के साथ बैठक कर राज्यसभा चुनाव के लिए मंगलवार को होने वाले मतदान को लेकर चर्चा की। सपा अध्य्क्ष अखिलेश यादव ने रात में अपने विधायकों को पार्टी कार्यालय में भोज भी दिया। इसमें 7-8 विधायकों के गैर हाजिर रहने की बात सामने आई है। सपा अपने विधायकों को एकजुट करने में पिछले तीन दिनों से जुटी हुई है। क्रास वोटिंग की अटकलों पर सपा की ओर से दावा किया गया है कि हम एकजुट हैं।
सपा ने अपने सभी विधायकों को मंगलवार की सुबह 10 बजे पार्टी कार्यालय में बुलाया है। वहीं पर सभी विधायकों को उम्मीदवारों का कोटा आवंटित किया जाएगा। इसमें बताया जाएगा कि कौन से विधायक किसको किस वरियताक्रम में वोट करेगा। इसके बाद सभी विधायक एक साथ विधान भवन के लिए जाएंगे और वोट करेंगे।
सपा खेमे से भाजपा उम्मीदवारों के लिए संभावित क्रॉस वोटिंग की अटकलें सोमवार को दिनभर लगाई जाती रही। तीन ब्राह्मण, दो क्षत्रिय, एक पूर्व मंत्री की विधायक पत्नी को लेकर अटकलें हैं। हालांकि, सपा नेतृत्व का कहना है कि कोई क्रॉस वोटिंग नहीं होगी। सपा के वरिष्ठ नेता अपने विधायकों के साथ शनिवार से लगातार बैठकें कर रहे हैं और उन्हें वोट करने का तरीका समझा रहे हैं।
सपा ने तीन उम्मीदवार उतारे हैं। जया बच्चन, आलोक रंजन और रामजी लाल सुमन को उम्मीदवार बनाया है। यूपी विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने कहा है कि हमारे तीनों उम्मीदवार जीतेंगे। हमारे पास संख्या बल है। सपा के पास मौजूदा समय 108 विधायक हैं। इनमें से दो विधायक उसके जेल में हैं। कांग्रेस के दो विधायक हैं।
UP: 2018 का इतिहास दोहराएगी BJP? राज्यसभा चुनाव के नतीजों पर पड़ेगा दूसरी वरीयता के मतों का प्रभाव, जानें गणित
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– फोटो : अमर उजाला
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लखनका भाजपा आठ प्रत्याशी मैदान में उतारकर 2018 का इतिहास दोहराने की तैयारी में जुट गई है। 2018 के राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा के पास आठ प्रत्याशी ही जिताने के लिए पर्याप्त मत थे, लेकिन उसने डॉक्टर अनिल अग्रवाल को 9वें प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा दिया था।
डॉ. अग्रवाल भी कई शिक्षण संस्थानों के संचालक और पूंजीपति हैं। उस दौरान भाजपा ने बसपा विधायक अनिल सिंह, सपा के तत्कालीन विधायक नितिन अग्रवाल, रालोद के सहेंद्र सिंह रमाला का वोट हासिल किया था। डॉ. अनिल अग्रवाल सर्वाधिक वोटों से जीते थे।
इस बार भी भाजपा ने 8वें प्रत्याशी संजय सेठ को जिताने के लिए सपा में से सेंधमारी की तैयारी शुरू की है। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह समेत अन्य नेताओं को इस कार्य में लगाया गया है। सपा के कुछ विधायकों की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा की शीर्ष नेताओं से भी बातचीत कराई जा सकती है।
विधायक अनुपस्थित हुए तो कम हो जाएगी न्यूनतम मतों की संख्या
निर्वाचन अधिकारी ब्रजभूषण दूबे का कहना है कि विधानसभा में सदस्य संख्या फिलहाल 399 है। उसके आधार पर एक प्रत्याशी को जीतने के लिए न्यूनतम 37 मतों का आकलन किया गया है। उनका कहना है कि जितने विधायक मतदान करेंगे उनकी कुल संख्या के आधार पर एक राज्यसभा प्रत्याशी को जीतने के लिए आवश्यक न्यूनतम मतों का आकलन किया जाएगा। यदि विधायक अनुपस्थित रहते हैं तो जीत के लिए आवश्यक न्यूनतम मतों की संख्या में कमी भी हो सकती है।