केंद्र सरकार ने 18 से 22 अगस्त तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। इस विशेष सत्र में सरकार महिला आरक्षण बिल पेश कर सकती है। उपराष्ट्रपति के एक बयान के बाद महिला आरक्षण की अटकलें तेज हो गई हैं।
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संसद विशेष सत्र
Parliament Special Session: ‘यह तानाशाही है’, कांग्रेसी नेता ने विशेष सत्र को लेकर दिया बयान
Parliament Special Session: केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर को संसद का विशेष सत्र बुलाया है. हालांकि अब तक इसके एजेंडे को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है. संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने को कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने तानाशाही करार दिया.
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा, ”(सत्र के एजेंडे पर) सस्पेंस है. अगर आप (सरकार) विशेष सत्र बुलाना चाहते हैं तो पहले आपको विपक्ष को विश्वास में लेना चाहिए. यह तानाशाही है.”
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार (31 अगस्त) को संसद के विशेष सत्र की जानकारी दी. विशेष सत्र बुलाने का निर्णय राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति सीसीपीए ने ली है.
कब-कब बुलाए गए विशेष सत्र?
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, देश में पहले भी कई बार संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है. तमिलनाडु और नगालैंड में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के लिए फरवरी 1977 में दो दिनों के लिए राज्यसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था. इसके अलावा अनुच्छेद 356(3) के तहत हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए 3 जून 1991 को एक और दो दिवसीय विशेष सत्र (158वां सत्र) आयोजित किया गया. जुलाई 2008 में मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था.
संसद के विशेष सत्र में पेश हो सकते हैं कई बिल
संसद के विशेष सत्र के बुलाए जाने के बाद विपक्ष की ओर से कयास लगाए जा रहे हैं कि सत्र के दौरान कुछ विधेयक पेश किए जा सकते हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस दौरान वन नेशन वन इलेक्शन पर विधेयक लाया जा सकता है. इसके साथ ही कुछ अन्य विधेयक भी लाए जाने की संभावना जताई जा रही है.
1 सितंबर को केंद्र सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर एक समिति बनाई है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है.
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संसद के विशेष सत्र को लेकर क्या-क्या अटकलें हैं? विपक्षी नेताओं ने भी जताई है ये आशंका
Parliament Special Session: केंद्र सरकार की ओर से संसद का विशेष सत्र बुलाने के फैसले के बाद सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलें तेज हो गई हैं. गुरुवार (31 अगस्त) को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि ये स्पेशल सेशन 18 से 22 सितंबर तक चलेगा और इसमें पांच बैठकें होंगी.
सूत्रों के मुताबिक, नए संसद भवन में होने वाले इस सत्र में 10 से ज्यादा बिल पेश किए जा सकते हैं. इस सत्र में अमृतकाल के जश्न पर चर्चा हो सकती है. संसदीय कार्य मंत्री ने भी अपनी पोस्ट में इस ओर इशारा किया है. उन्होंने लिखा है कि अमृतकाल के बीच संसद में सार्थक चर्चा और बहस का इंतजार कर रहा हूं.
अधीर रंजन चौधरी ने क्या कहा?
विशेष सत्र बुलाने पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा, “ऐसी क्या इमरजेंसी पैदा हो गई कि ये सत्र बुलाना पड़ा. पता नहीं सरकार की क्या मंशा है. शायद पीएम मोदी नए भवन पूजा पाठ करना चाहते हैं. हमें कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है. सरकार मनमर्जी से संसद चला रही है.”
ये बिल हैं अहम
स्पेशल सेशन बुलाने पर चर्चाओं का बाजार गर्म है. यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) और महिला आरक्षण से जुड़ा बिल अहम माना जा रहा है. इन सबके बीच अनुच्छेद 370 पर सुनवाई चल रही है.
जम्मू-कश्मीर में चुनाव के लिए तैयार है सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिलेगा. इसपर केंद्र सरकार ने आज कहा है कि इसपर फैसला होगा. साथ ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव को लेकर कहा है कि हम चुनाव के लिए तैयार हैं.
विपक्षी नेताओं ने जताई ये आशंका
ऐसे समय में संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है जब पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इसके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन समेत कई विपक्षी नेता समय से पहले लोकसभा चुनाव होने की आशंका जता चुके हैं.
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