CJI Chandrachud on Article 370 Abrogation and Same-Sex Marriage Verdicts: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की ओर से बरकरार रखे जाने के मुद्दे पर सोमवार (1 जनवरी) को किसी भी विवाद से बचने की कोशिश की. सीजेआई ने शीर्ष अदालत के सर्वसम्मत निर्णय की कुछ हलकों में हो रही आलोचनाओं पर टिप्पणी करने से इनकार किया. उन्होंने कहा कि न्यायाधीश किसी भी मामले में निर्णय ”संविधान एवं कानून के अनुसार करते हैं.”
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने एजेंसी को दिए विशेष साक्षात्कार में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने से इनकार करने वाले 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ के फैसले के बारे में भी खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि किसी मामले का परिणाम कभी भी न्यायाधीश के लिए व्यक्तिगत नहीं होता है. देश के 50वें प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि समलैंगिक जोड़ों ने अपने अधिकारों के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया और यह बात उनके ध्यान में थी.
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था लेकिन समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकारों और उनकी सुरक्षा की बात कही थी.
‘न्यायाधीश के लिए नतीजे कभी भी व्यक्तिगत नहीं होते’
उन्होंने कहा, ”एक बार जब आप किसी मामले पर फैसला कर लेते हैं तो आप परिणाम से खुद को दूर कर लेते हैं. एक न्यायाधीश के रूप में हमारे लिए नतीजे कभी भी व्यक्तिगत नहीं होते. मुझे कोई पछतावा नहीं है. हां, कई बार जिन मामलों में फैसला सुनाया गया उनमें मैं बहुमत वाले फैसलों में था और कई बार अल्पमत वाले फैसलों में था.”
EXCLUSIVE | VIDEO: “I don’t think it will be appropriate for me either to respond to the criticism or mount a defence to my judgement. What we have said in our judgment is reflected in the reason present in the signed judgement and I must leave it at that,” Chief Justice of India… pic.twitter.com/4lLhH0C0K3
— Press Trust of India (@PTI_News) January 1, 2024
उन्होंने कहा, ”एक न्यायाधीश के जीवन में महत्वपूर्ण बात कभी भी खुद को किसी मुद्दे से नहीं जोड़ना है. किसी मामले का फैसला करने के बाद, मैं इसे वहीं छोड़ देता हूं.”
‘फैसले के बाद सार्वजनिक संपत्ति बन जाते हैं न्यायाधीश के निर्णय’
अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और इसकी आलोचना पर उन्होंने कहा कि न्यायाधीश अपने निर्णय के माध्यम से अपनी बात कहते हैं जो फैसले के बाद सार्वजनिक संपत्ति बन जाती है. वहीं, एक स्वतंत्र समाज में लोग हमेशा इसके बारे में अपनी राय बना सकते हैं.
‘संविधान और कानून के मुताबिक करते हैं फैसला’
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ”जहां तक हमारा सवाल है तो हम संविधान और कानून के मुताबिक फैसला करते हैं. मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए आलोचना का जवाब देना या अपने फैसले का बचाव करना उचित होगा. हमने इस संबंध में जो बात कही है वह हस्ताक्षरित फैसले में परिलक्षित होती है.”
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