<p style="text-align: justify;">हाल ही में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे. इनमें तीन राज्यों में यानी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की शानदार जीत भी हुई. इस बार के विधानसभा चुनाव की खास बात ये रही कि इन पांचो ही राज्यों में बीजेपी ने अपने 21 सांसदों को मैदान में उतार दिया था. इनमें से 12 उम्मीदवारों को जीत मिली और 9 को हार का सामना करना पड़ा.</p>
<p style="text-align: justify;">वर्तमान में बीजेपी के 10 सांसदों ने संसद सदस्यता छोड़ दी है. ऐसे में एक सवाल जो सबके मन में उठ रहा है वह यह है कि क्या सासंदी छोड़ विधायकी चुनने वाले नेताओं का डिमोशन हो रहा है या क्या उनकी सैलरी पहले से कम हो जाएगी. इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर एक विधायक और सांसद की तनख्वाह में कितना फर्क होता है और अगर ये नेता सांसद का पद छोड़कर विधायक बनने का फैसला लेते हैं तो इनकी सैलरी और सेवाएं पर कितना फर्क पड़ेगा?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सांसद को क्या सुविधाएं मिलती है और उनकी सैलरी कितनी होती है</strong></p>
<p style="text-align: justify;">किसी भी सांसद को मिलने वाली सैलरी और सुविधाएं संसद सदस्य अधिनियम, 1954 के तहत दी जाती है. वहीं भत्ता और पेंशन (संशोधन) अधिनियम, 2010 के तहत सांसदों की तनख्वाह 1 लाख रुपए प्रति महीने दी जाती है. सांसदों को हर महीने मिलने वाली सैलरी के अलावा भी कई तरह के भत्ते और लाभ मिलते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">जैसे उन्हें निर्वाचन क्षेत्र भत्ता (Constituency Allowance) के तौर पर हर महीने 70 हजार रुपए दिए जाते हैं. इसके अलावा सांसदों को ऑफिस के खर्चे के लिए भी 60 हजार रूपये दिए जाते हैं और संसद सत्र के दौरान हर दिन सांसदों को दो हजार रुपये का भत्ता अलग से भी मिलता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सांसदों को मिलने वाली सुविधा</strong></p>
<p style="text-align: justify;">- अगर कोई सांसद ट्रेन से यात्रा करता है, तो उन्हें एक्जीक्यूटिव क्लास यानी फर्स्ट क्लास कैटेगरी में एसी पास दिया जाता है. <br />- सासंद किसी भी एयरलाइंस से हवाई यात्रा करते हैं, तो उनका एक चौथाई हवाई किराया दिया जाता है. <br />- सड़क मार्ग यानी बाईरोड यात्रा करने पर सांसदों को 16 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं. <br />- इसके अलावा संसद सदस्य को अपने परिवार के साथ हर साल 34 सिंगल एयर ट्रैवल की सुविधा भी दी जाती है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अब विधायक की भी सैलरी जान लीजिए </strong></p>
<p style="text-align: justify;">विधायकों को भी कई सारी सुविधाएं मिलती है लेकिन ये सुविधाएं हर राज्य के हिसाब से अलग-अलग होती है. विधायक का वेतन राज्य सरकार ही निर्धारित करते हैं. उन्हें हर महीने एक निश्चित वेतन तो मिलता ही है. इसके अलावा अपने क्षेत्र में लोककल्याण कार्यों पर खर्च करने के लिए भी उन्हें अलग से विधायक फंड दिया जाता है. </p>
<p style="text-align: justify;">5 राज्य ऐसे हैं जिनके विधायकों को सबसे ज्यादा सैलरी मिलती है. उन राज्यों में तेलंगाना सबसे पहले स्थान पर है, जहां के विधायकों की सैलरी और अलाउंसेज मिलाकर हर उन्हें हर महीने 2.50 लाख रुपये दिया जाता है. हालांकि उनकी बेसिक सैलरी केवल बीस हजार रुपये ही है, लेकिन भत्‍ते के तौर पर उन्‍हें 2,30,000 रुपये मिलते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">इसके बाद नाम आता है मध्य प्रदेश का, यहां विधायकों की एक महीने की सैलरी लगभग 2.10 लाख है. हालांकि उनकी भी बेसिक सैलरी केवल 30 हजार ही है. ठीक इसी तरह राजस्थान के विधायकों की बेसिक सैलरी 40 हजार रुपये है लेकिन भत्तों को मिलकार यह सैलरी प्रतिमाह 1.25 लाख रुपये हो जाती है. </p>
<p style="text-align: justify;">छत्तीसगढ़ के एक विधायक को बेसिक सैलरी 20 हजार मिलती है. लेकिन उन्हें निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, टेलीफोन भत्ता, अर्दली भत्ता, दैनिक भत्ता और हेल्थ भत्ता भी मिलता हैं जिससे उनकी कुल सैलरी 1.10 लाख हो जाती है. त्रिपुरा के विधायकों को सबसे कम सैलरी मिलती है. यहां के विधायकों की सैलरी 34 हजार रुपये है. <br />अब समझिए की सांसदी छोड़ विधायकी चुनने वाले नेताओं को कितना फायदा?</p>
<p style="text-align: justify;">इस चुनाव में जितने भी नेताओं ने संसद की सदस्यता छोड़ विधायक बनने का फैसला लिया है. उन नेताओं को विधायक की सैलरी तो मिलेगी ही, लेकिन उस सैलरी के साथ-साथ उन्हें सांसद की पेंशन भी मिलेगी और जब ये नेता विधायक नहीं रहेंगे यानी अगर वह भविष्य में वह अपनी विधायकी छोड़ते हैं तो उस वक्त उन्हें सांसदी के साथ विधायकी की पेंशन भी मिलेगी. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भूतपूर्व संसद सदस्‍यों को कितना पेंशन मिलता है </strong></p>
<p style="text-align: justify;">15 सितंबर, 2006 से कोई भी व्यक्ति, संसद की किसी भी सभा का कितने भी समय के लिए सदस्‍य रहा हो, वह आठ हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन पाने का हकदार है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति पांच साल से ज्यादा समय तक संसद का सदस्‍य रहा हो तो उन्हें इन पांच सालों की अवधि के प्रत्‍येक वर्ष के लिए आठ सौ रुपये प्रति माह ज्यादा पेंशन दी जाएगी. यानी जितने पांच साल ज्यादा उतने 800 रुपये जुड़ते जाते हैं. पेंशन के अलावा पूर्व सांसद को नि:शुल्‍क रेल यात्रा सुविधा, चिकित्‍सा सुविधाएं जैसी तमाम सुविधाएं भी दी जाती है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मध्य प्रदेश से विधायक बनने वाले सांसद के नाम </strong></p>
<ul>
<li style="text-align: justify;">नरेंद्र सिंह तोमर – दिमनी सीट से विधायक बने, पहले केंद्रीय कृषि मंत्री थे</li>
<li style="text-align: justify;">प्रह्लाद पटेल- नरसिंहपुर से विधानसभा चुनाव जीतें </li>
<li style="text-align: justify;">राकेश सिंह – जबलपुर पश्चिम सीट से विधायक बनें </li>
<li style="text-align: justify;">राव उदय प्रताप सिंग – गाडरवार विधानसभा सीट से चुनाव जीतें </li>
<li style="text-align: justify;">रीति पाठक- सीधी से सांसद थीं, वहीं से विधायक भी बनीं</li>
</ul>
<p style="text-align: justify;"><strong>छतीसगढ़ से विधायक बने ये सांसद </strong></p>
<ul>
<li>गोमती साय- पत्थलगांव से विधायक बनीं </li>
<li>रेणुका – भरतपुर सोनहत से विधायक बनीं </li>
<li>अरुण साव- लोरमी सीट से विधायक बनें </li>
</ul>
<p><strong>राजस्थान से विधायक बनें सांसद </strong></p>
<ul>
<li>बाबा बालकनाथ – तिजारा सीटकिरोड़ी लाल – सवाईमाधोपुर सीट </li>
<li style="text-align: justify;">दीय कुमारी – विद्याधर नगर</li>
<li style="text-align: justify;">राज्यवर्द्धन राठौड़ – झोटावाड़ा सीट </li>
</ul>
<p style="text-align: justify;"><strong>पीएम को कितनी सैलरी मिलती है </strong></p>
<p style="text-align: justify;">ये तो हुई सांसदों की बात. एक सवाल ये भी उठता है कि देश के प्रधानमंत्री को एक महीने में कितनी सैलरी मिलती है. तो बता दें कि देश के प्रधानमंत्री का वेतन लगभग 20 लाख रुपये सालाना होता है. यानी प्रधानमंत्री को हर महीने लगभग 2 लाख रुपये दिए जाते हैं. प्रधानमंत्री को मिलने वाले इस वेतन में बेसिक सैलरी के अलावा डेली अलाउंस, सांसद भत्ता समेत अन्य कई भत्ते शामिल होते हैं.</p>
Source link
News Plus
दुल्हा-दुल्हन से भारत में ही शादी करने की अपील क्यों कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?
नवंबर की शुरुआत के साथ ही भारत में शादियों का सीजन भी शुरू हो गया है. यहां अलग अलग शहरों में शादी के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसके अनुसार अगले कुछ दिनों में यहां कम से कम 38 लाख शादियां होंगी और इन पर कम से कम 4.74 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे.
यह आंकड़ा व्यापारियों के एक राष्ट्रीय संगठन ने जारी किया है. जिसमें लगभग 50 हजार ऐसी शादियां भी हैं जिनका खर्च एक करोड़ से भी ज्यादा होगा. भारत में होने वाली शादियों की खास बात ये है कि यहां हर बीतते साल के साथ शादियों का आयोजन भव्य और शाही होता जा रहा है.
एक वक्त था जब लोग अपने गृह नगर से पूरे परंपरा और रिवाज के साथ शादियां करते थे, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बदल रहा है लोगों की पसंद भी बदलती जा रही है.
अब ज्यादातर लोग डेस्टिनेशन वेडिंग करने विदेशों में जाना पसंद कर रहे है. ऐसा करना भले ही उन्हें या उनके परिवार को अच्छा लग रहा हो लेकिन ऐसी शादियां देश की अर्थव्यवस्था पर जरूर असर डाल रही है.
दरअसल 26 नवंबर, 2023 को मन की बात के 107 वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश से बाहर होने वाले डेस्टिनेशन वेडिंग और देश से बाहर जाकर शादी करने को लेकर चिंता जाहिर की है.
प्रधानमंत्री ने अपने इस संबोधन में कहा कि भारत के लोग अगर देश के बाहर जाकर शादी करने के बजाए अपने ही देश में शादियां करते हैं तो देश का पैसा भीतर ही रहेगा और अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिलेगी.
ऐसे में इस रिपोर्ट में जानते हैं दूल्हा दुल्हन विदेश में शादियां करना क्यों पसंद कर रहे हैं, डेस्टिनेशन वेडिंग के नाम पर देश का कितना पैसा बाहर जा रहा है और जानिए क्यों पीएम मोदी को करनी पड़ी देश में शादी करने की अपील….
पहले समझते हैं भारत में होने वाली शादियों में कितना खर्च होता है
व्यापारिक संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल राजधानी दिल्ली में ही इस सीजन चार लाख शादियां होने की उम्मीद है. उन शादियों पर सवा लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे. जिसमें से देश में लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होने की संभावना है. वहीं जितनी शादियां भारत से बाहर किसी अन्य देश में होगी उतना ही भारत के अर्थव्यवस्था को भी झटका लगेगा.
व्यापारिक संगठन कैट ने जो शादियों का अनुमान लगाया है उसके आधार पर, इस साल लगभग 7 लाख शादियां 3 लाख रुपये के खर्च पर होंगी. वहीं 8 लाख शादियां ऐसी हो सकती है, जिनमें हर शादियों पर 6 लाख रुपये खर्च होंगे और 10 लाख शादियां, 10 लाख रुपये प्रति शादी के खर्च के हिसाब से होंगी.
इसी रिपोर्ट के अनुसार 7 लाख शादियां ऐसी होंगी, जिन पर 15 लाख रुपये के हिसाब से खर्च किए जाएंगे. पांच लाख शादियां, ऐसी होंगी, जिन पर 25 लाख रुपये के हिसाब से खर्च होगा और 50 हजार शादियां, 50 लाख रुपये के खर्च वाली होंगी. वहीं 50 हजार शादियां ऐसा होंगी जिसमें 1 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा के खर्च होने की उम्मीद है.
भारत से बाहर कहां ज्यादातर लोग कर रहे हैं शादियां
कैव इवेंट प्लानर के संस्थापक क्रिश एंड्रयू ने एबीपी से बातचीत में बताया कि किसी एक जगह का नाम लेना सही नहीं है. दरअसल जिस व्यक्ति के पास जितना पैसा है वह अपनी शादियों में भी उसी हिसाब से जगह चुनते हैं, कुछ लोग कम खर्च करने के लिए आसपास के देशों में चले जाते हैं. पिछले कुछ सालों में दुबई, आबू धाबी, कतर, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे जगह पर शादी की डिमांड काफी बढ़ी हैं.
वहीं जो कपल अपने देश में ही लक्जरी वेडिंग करना चाहते हैं तो पह किसी पैलेस या फोर्ट में शादी करते हैं. ऐसे लोग उदयपुर, जयपुर, गोवा, केरल आदि डेस्टिनेशन पसंद करते हैं. इससे कम बजट वालों के बीच कलिमपोंड, वायनाड, धर्मशाला, आगरा जैसे जगह लोकप्रिय हैं.
डेस्टिनेशन वेडिंग क्यों बन रहा सबकी पहली पसंद
इवेंट प्लानर नताशा गोखले इस सवाल के जवाब में एबीपी से बातचीत में कहती हैं कि इसके पीछे कई कारण है. एक कारण तो सबको पता है कि हर किसी को अपनी शादी का दिन खास और यादगार बनाना होता है. इसके अलावा एक और कारण ये भी है कि ज्यादातर शादी में सजावट से लेकर हर छोटी छोटी चीजों की झंझट से खुद को बचाना चाहते हैं. अपने घर के बजाय वह किसी होटल में शादी करते हैं तो ये होटल मैनेजमेंट की जिम्मेदारी होगी कि शादी से जुड़े सारे सामानों का बंदोबस्त ठीक तरीके से हो. ऐसे में परिवारों को न सिर्फ इन जिम्मेदारियों से छुटकारा मिलता है बल्कि वह इस खास दिन को इंजॉय भी कर पाते हैं
विदेश में शादी करने पर भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान कैसा?
कैव इवेंट एजेंसी के संस्थापक क्रिश एंड्रयू कहते हैं, किसी भी शादी में 50 प्रतिशत का खर्च सामान की खरीदारी में हो जाती है. बाकी बचे 50 प्रतिशत होटल बुकिंग वगैरह में जाती है. अब इसे ऐसे समझिए कि अगर किसी व्यक्ति ने शादी की खरीदारी पूरी तरह भारत में ही की है और शादी किसी और देश में करने जा रहे हैं तो भले ही उन्होंने सामान का 50 प्रतिशत खर्च भारत में किए हो लेकिन होटल से लेकर रहने के व्यवस्था का जो खर्च है वो दूसरे देश के पास जा रहा है.
क्रिश आगे कहते हैं, शादी का सीजन कई लोगों के लिए साल भर की कमाई का जरिया भी होता है. उदाहरण के लिए हमें ही ले लीजिए, या फिर फोटोग्राफर को , इन लोगों की ज्यादातर कमाई शादियों के सीजन में ही होती है. शादी के सीजन में ये इतना कमा लेते हैं कि किसी महीने काम कम भी मिला तो उनके पास बैकअप होता है. ऐसे में अगर ज्यादातर दुल्हा दुल्हन देश से बाहर शादियां करने लगें तो इन्हें भी नुकसान झेलना पड़ता है.
क्यों इतनी महंगी शादियां करते हैं भारतीय
क्रिश कहते हैं भारत में इतनी महंगी शादियां होने का एक कारण भारतीय सिनेमा या बॉलीवुड सिनेमा है. हमने बचपन से ही फिल्मों में भव्य शादियां देखी हैं. आमतौर पर लड़के और लड़कियां इन्ही से प्रेरित होते हैं. उन्होंने कहा कि मेरे पास कई ऐसे जोड़े आते हैं जिनका मांग ही फिल्मों जैसी शादी होती है. मतलब उन्हें सब कुछ फिल्मों जैसा ही चाहिए. कपड़े से लेकर सजावट तक. यही एक कारण भी है कि भारत की सारी शादियों एक ही तरह की होती है.
पीएम ने अभी ही क्यों किया इस बात का जिक्र
दरअसल डेस्टिनेशन वेडिंग को लेकर पीएम मोदी ने अभी इसलिए भी चिंता जताई है, क्योंकि भारत में तेजी से अमीरों की संख्या बढ़ती जा रही है. साल 2022 में 8 करोड़ या उससे ज्यादा की नेटवर्थ वाले अमीरों की संख्या 7,97,714 थी. अनुमान है कि साल साल 2027 तक यह बढ़कर 16,57,272 हो जाएगी. ऐसे में जाहिर है कि पैसा आने के साथ ही लोग डेस्टिनेशन वेडिंग करना चाहेंगे और अपनी शादी का ज्यादा से ज्यादा यादगार बनाना चाहेंगे.
व्यावसायिक संगठन कैट का भी ऐसा ही मानना है. बीबीसी की एक रिपोर्ट में खंडेलवाल का कहना है कि लोगों के हाथों में पैसा आ जाता है. इसलिए लड़के-लड़की की शादी में हाथ खोल कर खर्च कर देते हैं.
कम बजट की शादी में भी कम से कम 1 लाख का खर्चा
एबीपी ने कम बजट में शादी करने वाले परिवार से भी बात की. नाम न बताने की शर्त पर एक परिवार ने कहा कि भारत में चाहे कितना भी कम खर्च करने की क्यों न सोचे लेकिन 1 लाख तो लग ही जाते हैं. उन्होंने कहा कि हाल ही में मेरी बेटी की शादी हुई है. हमने इस शादी को जितना सिंपल हो सकता था उतना रखा. लेकिन फिर भी हमारा डेढ़ लाख के करीब खर्चा हो ही गया.
हंगर इंडेक्स 2023 की रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने क्यों कर दिया खारिज, क्यों पिछड़ रहा है भारत
साल 2023 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स की लिस्ट जारी हुई है. इस लिस्ट में भारत को न सिर्फ 125 देशों में से 111वां स्थान मिला है. बल्कि 28.7 स्कोर के साथ भारत में भुखमरी की स्थिति को गंभीर भी बताया गया है. लिस्ट के अनुसार भारत की हालत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश से भी बदतर है. दरअसल हंगर इंडेक्स की लिस्ट में पाकिस्तान को 102, बांग्लादेश की 81, नेपाल की 69 और श्रीलंका की 60 रैंकिंग मिली है.
इसी के साथ ही यह लगातार तीसरा साल है जब भारत की रैंकिंग में गिरावट दर्ज की गई है. इससे पहले साल 2022 भारत को 107वां स्थान दिया गया था. इस साल भी भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान 99वें पायदान पर था और साल 2021 में भारत को 101वीं रैंक मिली थी.
ऐसे में इस रिपोर्ट में जानेंगे कि आखिर ये हंगर इंडेक्स है क्या, भारत की रैंकिंग में गिरावट क्यों हो रही है? साथ ही भारत ने इस लिस्ट पर क्या कहा है?
भारत ने इस लिस्ट पर क्या दी प्रतिक्रिया
भारत सरकार की तरफ हंगर इंडेक्स की इस रिपोर्ट को गलत और भ्रामक बताया गया है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि ये रिपोर्ट भारत की वास्तविक स्थिति को नहीं दर्शाती है. भारत का आरोप है कि इस इंडेक्स के जरिए भारत की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है.
केंद्र के अनुसार हंडर इंडेक्स के चार में से तीन इंडिकेटर केवल बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े हुए हैं. यह देश की पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हैं. जबकि चौथा इंडिकेटर ओपिनियन पोल पर आधारित है.
सरकार ने अपने बयान ये भी कहा कि उनके कार्यकाल में मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 (मिशन पोषण 2.0) के तहत देश में कुपोषण की समस्या निपटने के लिए कई प्रमुख कार्यों को प्राथमिकता दी है.”
इसके अलावा सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों के लिए 28 महीनों में योजना के तहत लगभग 1118 लाख टन खाद्यान्न की कुल मात्रा आवंटित की गई थी.
पिछले साल भी केंद्र सरकार ने रिपोर्ट पर उठाए थे सवाल
बता दें कि ये पहली बार नहीं जब भारत सरकार ने हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है. साल 2023 की रिपोर्ट के एक साल पहले यानी 2022 की रिपोर्ट को लेकर भी केंद्र सरकार की तरफ सवाल उठाए गए थे और इसे गलत रिपोर्ट कहा गया था. केंद्र सरकार ने कहा था, ‘गलत जानकारी देना ग्लोबल हंगर इंडेक्स का हॉलमार्क लगता है. इस रिपोर्ट में भारत को ऐसा देश दिखाया जाता है जो अपनी आबादी के लिए फूड सिक्योरिटी और पोषण की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है. इसमें जो तरीका इस्तेमाल किया जाता है वह भी गंभीर रूप से गलत है.
विपक्ष ने साधा केंद्र पर निशाना
एक तरफ जहां केंद्र ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह गलत बता दिया है. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी नेता इस रिपोर्ट को साझा करते हुए केंद्र को नाकाम बता रहे हैं. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने हंगर इंडेक्स के रिपोर्ट के वायरल होने के बाद एक ट्वीट कर लिखा…
“गुरुवार को जारी वैश्विक भुखमरी सूचकांक-2023 (Global Hunger Index- 2023) के मुताबिक भारत दुनिया के 125 देशों में 111वें स्थान पर है. भारत का स्कोर 28.7% है, जो इसे ऐसी कैटेगरी में लाता है जहां भूख और भुखमरी की स्थिति अति गंभीर और चिंताजनक है.”
वहीं कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने भी इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए केंद्र पर निशाना साधा है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘उत्तर कोरिया, सीरिया, इथियोपिया और जिम्बाब्वे ऐसे कुछ देश हैं, जो ग्लोबल हंगर इंडेक्स, 2023 में भारत से बेहतर रैंक पर हैं. 2022 में रैंक 107 से, भारत अब इस साल 111वें स्थान पर है. यही भा की सबसे बड़ी उपलब्धि है.
इसी ट्वीट में वे कहते हैं, ‘ दुनिया भर में घूमने वाले देश के प्रधानमंत्री ने अपने ही साथी नागरिकों को धोखा दिया है और देश के गरीबों को उनके हाल पर छोड़ दिया है. आजादी के बाद से, लगातार आईएनसी सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए बड़े कदम उठाए कि भारत एक खाद्य सुरक्षित राष्ट्र बन जाए. आज इस निर्दयी सरकार ने सारी प्रगति पर पानी फेर दिया है.”
आखिर क्या है ये हंगर इंडेक्स और इसे कैसे मापा जाता है
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) दुनियाभर के देशों में वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को मापने का एक ज़रिया है. आसान भाषा में समझे तो हंगर इडेक्स हर साल दुनिया में किस देश में कितने लोग भूखमरी का शिकार होते हैं उसे मापता है.
यह चार पैमानों पर मापा जाता है. जिसमें सबसे पहला है कुपोषण, उम्र के हिसाब के बच्चों की हाइट यानी ठिगनापन, उम्र के हिसाब से बच्चों का वजन और देश में 5 साल के कम उम्र के बच्चों की मौत की संख्या शामिल है.
हंगर इंडेक्स का कुल स्कोर 100 प्वॉइंट का होता है. जिसके आधार पर किसी भी देश में भूख की गंभीरता का पता लगाया जाता है. अगर किसी देश का स्कोर 0 प्वॉइंट है तो इसका साफ मतलब है कि उस देश की स्थिति अच्छी है. लेकिन वहीं अगर यह स्कोर 100 है, तो इसका मतलब है कि उस देश की स्थिति बेहद खराब स्थिति है.
ये है इंडेक्स को बनाने का फॉर्मूला
अलांस 2015 पहले और चौथे पैमाने को 33.33% वेटेज देता है. यानी 100 स्कोर स्केल में 66.66 अंक कुपोषण और चाइल्ड मोर्टलिटी से तय होते हैं. वहीं चाइल्ड वेस्टेज और चाइल्ड स्टंटिंग दोनों को 16.66 फीसदी वेटेज मिलता है. इस तरह 100 अंक के स्केल पर अलग अलग देशों का स्कोर तय किया जाता है और फिर जो भी स्कोर प्राप्त होता है उसके हिसाब से देशों की रैंकिंग तय की जाती है.
भारत को इस रिपोर्ट में कितने प्वाइंट मिले है
इस साल हंगर इंडेक्स के रिपोर्ट में भारत को 28.7 प्वाइंट मिला है. इस स्कोर के देश को ‘गंभीर’ की स्थिति में रखा जाता है. वहीं भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान का स्कोर 26.6 है. वहीं बांग्लादेश का 19.0, नेपाल का 15.0 और श्रीलंका का 13.3 है. ये तीनों ही देश भारत के बेहतर स्थिति में बताए गए हैं.
भारत में कमजोरी की दर सबसे ज्यादा
हंगर इंडेक्स की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा दर बच्चों की कमजोरी का है. रिपोर्ट के अनुसार भारत के लगभग 18.7 प्रतिशत बच्चे कमजोर हैं जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा है. यह इस देश की अति कुपोषण को दर्शाती है. इसके अलावा इस देश में अल्पपोषण की दर 16.6 प्रतिशत और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.1 प्रतिशत है. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत की 58.1 प्रतिशत महिलाएं जिनकी उम्र 15 से 24 साल की है, एनीमिया की शिकार हैं.
आखिर क्यों पिछड़ रहा भारत
दरअसल इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में बच्चों में वेस्टिंग रेट दुनिया के अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा है. आसान भाषा में समझे तो यहां के बच्चों का वजन उनकी हाइट के हिसाब से कम है. रिपोर्ट के अनुसार यहां के बच्चों में वेस्टिंग रेट 18.7 फीसदी है. जबकि, 35.5% बच्चे ऐसे हैं ज उम्र के हिसाब से कम हाइट के हैं.
वहीं अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता राजेश शर्मा मानते हैं कि भारत के ऐसी स्थिति के जिम्मेदार केंद्र सरकार की नीतियां हैं. उन्होंने एबीपी से बात करते हुए कहा कि हंगर इंडेक्स और नेशनल हेल्थ सर्वे की पिछले कुछ सालों की रिपोर्ट उठाकर देखें तो पता चलेगा कि पीएम मोदी के कार्यकाल में बच्चों के पोषण के मामले में कुछ खास प्रगति नहीं हुई है. साल 2020 में जब कोरोना के कारण लॉकडाउन हुआ था उस वक्त हालत बहुत ज्यादा खराब हुई. साल 2020 की हंगर-वॉच के सर्वे के अनुसार देश के 66 फीसदी लोग उस वक्त कम खा रहे हैं. लेकिन बावजूद इसके भारत सरकार की योजनाओं में शामिल मिड-डे मील और आईसीडीएस जैसी योजनाओं का बजट लगातार कम होता गया. जबकि इन योजनाएं को देश में बढ़ रहे कुपोषण और भूख को देखते हुए और मजबूती से जनता के सामने लाना चाहिए था.”
राजेश शर्मा के मुताबिक़, “देखा जाए तो केंद्र में जो सरकार है वह सिर्फ़ आर्थिक वृद्धि को ही विकास मानती है, लेकिन ऐसा नहीं है. किसी भी देश में विकास की परिभाषा सिर्फ आर्थिक वृद्धि तक सीमित नहीं होनी चाहिए. विकास का मतलब न सिर्फ किसी देश में प्रति व्यक्ति आय या उसकी जीडीपी बढ़े, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, डेमोक्रसी, सामाजिक सुरक्षा की हालत में भी सुधार हो.”
पड़ोसी मुल्कों की स्थिति भी दान लेते हैं
पाकिस्तान: भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की 37.6 प्रतिशत आबादी कुपोषित है. जबकि 18.5 फीसदी बच्चों का वजह उनकी हाइट के हिसाब से कम है और 7.1% बच्चे ऐसे हैं जिनका कद उनके उम्र के हिसाब से कम है. वहीं इस देश का बाल मृत्यु दर 6.3% है.
बांग्लादेश: बांग्लादेश की कुपोषित आबादी 23.6 फीसदी है और यहां 11% बच्चे ऐसे हैं जिनका वजह उनके कद के हिसाब से कम है, जबकि 11.2% बच्चों की उम्र के हिसाब से कद कम है. इस देश में बाल मृत्यु दर 2.7 फीसदी है.
श्रीलंका: वहीं श्रीलंका में कुल आबादी का 13.1% आबादी कुपोषित है. 13.1% बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उसकी हाइट के हिसाब से कम है, और 5.3 फीसदी बच्चों की उम्र के हिसाब से हाइट कम है. और इस देश का बाल मृत्यु दर 0.7% है.
नेपालः इस देश में 24.8% आबादी कुपोषित है. 7.7 फीसदी बच्चों का वजह उनकी कद की तुलना में कम है, और 5.4% बच्चों की उम्र के हिसाब से कद कम है और इस देश में होने वाले बच्चों की मृत्यु का दर 2.7% है.
अफगानिस्तानः इस देश की 44.7% आबादी कुपोषित है. 30.1% बच्चों का वजह कद के हिसाब से कम है और 3.7% बच्चों की उम्र के हिसाब से हाइट कम है. और मरने वाले बच्चों का दर यानी बाल मृत्यु दर 5.6% है.
पठानकोट हमले के मास्टर माइंड शाहिद लतीफ को भारत सरकार ने क्यों छोड़ा था?
<div id=":qg" class="Ar Au Ao">
<div id=":qc" class="Am Al editable LW-avf tS-tW tS-tY" tabindex="1" role="textbox" spellcheck="false" aria-label="Message Body" aria-multiline="true" aria-owns=":t1" aria-controls=":t1">
<p style="text-align: justify;">कुछ दिन पहले ही विदेशी जमीन पर बैठकर भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या ने भारत और कनाडा के रिश्तों में खटास ला दिया था. अब एक बार फिर ऐसा ही मामला आया है. दरअसल 11 अक्टूबर को अज्ञात हमलावरों ने भारत के मोस्ट वॉन्टेड अपराधी शाहिद लतीफ को पाकिस्तान के पंजाब में मारा गिराया. इस हमले में लतीफ के दो साथियों की भी मौत हुई है. </p>
<p style="text-align: justify;">बताया जा रहा है कि 11 अक्टूबर की सुबह शाहिद लतीफ ने तय समय पर मस्जिद में नमाज अदा किया और अपने साथियों के साथ वो मस्जिद से बाहर आ गया. शाहिद जैसे ही बाहर निकला, उसी वक्त उनके सामने एक मोटरसाइकिल आकर रुकी. इस बाइक पर तीन हथियार लैस लोग सवार थे. उन्होंने उसे देखते ही धुंआधार फायरिंग शुरू कर दी. </p>
<p style="text-align: justify;">जब गोलियों की आवाज शांत हुई तो मस्जिद के बाहर तीन लाशें पड़ी नजर आईं. जिनमें से एक लाश जैश ए मोहम्मद के आतंकवादी शाहिद लतीफ की थी और दो उसके साथियों की.</p>
<p style="text-align: justify;">सियालकोट की पुलिस ने हत्या की पुष्टि की है और घटना की विस्तार से जानकारी भी दी है. सियालकोट पुलिस के अनुसार यह घटना बुधवार सुबह की नमाज़ के दौरान दस्का तहसील में हुई.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कौन था आतंकी शाहिद लतीफ</strong></p>
<p style="text-align: justify;">भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों में से एक शाहिद लतीफ, पाकिस्तान के गुजरांवाला शहर का रहने वाला था और उसका जन्म 1970 में हुआ था. शाहिद के पिता का नाम अब्दुल लतीफ था. उसका परिवार मरकज़ अब्दुल्लाह बिन मुबारक, तहसील दस्का, जिला सियालकोट, पाकिस्तान का रहने वाला था. जबकि वो खुद मोरे अमीनाबाद, गुजरांवाला, पंजाब, पाकिस्तान का स्थायी निवासी था. </p>
<p style="text-align: justify;"> शाहिद लतीफ़ पर चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े होने का आरोप था और पठानकोट हमले में भारत को उसकी तलाश थी. शाहिद लतीफ को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के लॉन्चिंग कमांडर के रूप में जाना जाता था. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लतीफ ने पाकिस्तान में बैठे-बैठे ही चार जैश आतंकवादियों के साथ कॉर्डिनेट किया और उन्हें एयरबेस पर हमला करने के लिए पठानकोट भेजा. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भारत ने कर दिया था रिहा </strong></p>
<p style="text-align: justify;">शाहिद लतीफ का अपराध के रिश्ता काफी पुराना है. उसने साल 1993 में पाक अधिकृत कश्मीर के ज़रिए जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की थी. हालांकि एक साल बाद यानी 1994 में उसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद शाहिद आतंकी मसूद अजहर के साथ 16 साल तक कोट बलवल, जम्मू की जेल में बंद रहा. हालांकि साल 2010 में भारत ने 24 अन्य आतंकवादियों के साथ भारत सरकार ने उसे भी रिहा कर दिया था. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इन आतंकियों की रिहाई आखिर क्यों की गई</strong></p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से नई दिल्‍ली की उड़ान भरने वाले इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 को आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था. इसमें हरकत उल मुजाहिदीन के आतंकियों का हाथ था. अपहरण के वक्त इस विमान में 176 पैसेंजर सहित क्रू के कुल 15 सदस्य मौजूद थे. </p>
<p style="text-align: justify;">आतंकियों ने हाइजैक किए गए इस विमान को कंधार एयरपोर्ट पर उतारा. उन्होंने अपने 26 आतंकी साथियों की रिहाई और 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर की फिरौती की मांगी. शाहिद लतीफ भी उन 25 पाकिस्तानी आतंकियों की लिस्ट में शामिल था. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>बीजेपी ने इसी घटना को याद कर कांग्रेस पर साधा निशाना </strong></p>
<p style="text-align: justify;">अब शाहिद लतीफ के हत्या की खबरें फैलने के बाद सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं का बयान भी सामने आने लगा है. बीजेपी के कई नेताओं ने इस खबर को अपने सोशल प्लैटफॉर्म पर साझा करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला है. </p>
<p style="text-align: justify;">तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने अपने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा, शाहिद लतीफ उन 25 पाकिस्तानी आतंकियों में से एक था जिन्हें 2010 में सोनिया गांधी ने पाकिस्तान के प्रति सद्भावना संकेत के तहत रिहा किया था. इसके 6 साल बाद ही शाहिद ने पठानकोट हमले को अंजाम दिया. वह जम्मू की जेल में 16 साल तक रहा था. भारत में सजा पूरी करने के बाद उसे वाघा के रास्ते पाकिस्तान डिपोर्ट किया गया था.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पठानकोट एयरफोर्स एयरबेस हमला</strong></p>
<p style="text-align: justify;">शाहिद लतीफ को भारत से रिहा होने के 6 साल बाद पठानकोट में 2 जनवरी 2016 को एयरफोर्स एयरबेस पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने हमला कर दिया था. लगभग चार दिनों तक चली गोलीबारी में सात सुरक्षाकर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई थी. इस मुठभेड़ में चार हमलावर भी मारे गये थे.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके 1 दिन के बाद यानी 3 जनवरी को आईईडी विस्फोट के बाद एयरबेस पर एक और सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई. हमले की जांच से पता चला कि हमलावर आतंकवादी जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह से थे. इसके बाद मार्च में पठानकोट आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपने हाथ में ले ली थी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पिछले कुछ दिनों से किसी से बात नहीं करता था शाहिद </strong></p>
<p style="text-align: justify;">बीबीसी की एक रिपोर्ट में शाहिद लतीफ़ के एक करीबी रिश्तेदार ने बताया कि, "मौलाना इन दिनों अधिक सतर्क थे और उन्होंने लोगों से मिलना-जुलना भी बंद कर दिया था."</p>
<p style="text-align: justify;">शाहिद के एक और रिश्तेदार ने नाम न छापने की शर्त पर ने बीबीसी को बताया कि "वो बीते दिनों काफ़ी सावधानी बरत रहे थे. उन्होंने अपनी गतिविधियां भी सीमित कर ली थीं. उन्होंने कई बार ज़िक्र किया था कि उनकी जान को खतरा है."</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>हरदीप सिंह निज्जर की भी हुई थी हत्या</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इस साल जून के महीने में 18 तारीख को कनाडा में खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की ब्रिटिश कोलंबिया के सर्रे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई. हत्या के बाद से ही कनाडा में खालिस्तान समर्थक समूहों ने भारत की तरफ उंगली उठाना शुरू कर दिया. पंजाब पुलिस के डोजियर के मुताबिक, हरदीप सिंह निज्जर जालंधर के भारसिंह पुरा गांव का रहने वाला था. वह 1996 में कनाडा चला गया. कनाडा पहुंचने पर निज्जर ने एक प्लंबर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की. </p>
<p style="text-align: justify;">निज्जर ने भारत में खालिस्तानी समर्थकों की पहचान करने, उन्हें ट्रेनिंग देने और फंडिंग करने का काम किया. इसकी वजह से उसके ऊपर 10 से ज्यादा एफआईआर भी दर्ज है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>नमाज के दौरान इनकी हुई हत्या </strong></p>
<p style="text-align: justify;">शाहिद लतीफ़ की हत्या से पहले जैशे-मोहम्मद के इब्राहिम मिस्त्री, हिज़्बुल-मुजाहिदीन के इम्तियाज़ आलम और लश्कर-ए-तैयबा के अबू कासिम को भी मस्जिद में नमाज़ के दौरान निशाना बनाया जा चुका है. जानकारों के अनुसार हमलावरों ने सुबह का ही समय इसलिए चुना क्योंकि उस वक्त उनके पास कोई हथियार नहीं होता और वह अपनी सुरक्षा नहीं कर सकते. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पाकिस्तान में इस साल आतंकवादियों की हत्या</strong></p>
<p style="text-align: justify;">पाकिस्तान में इस साल कई ऐसे आतंकवादियों की हत्या हुई है, जो भारत में मोस्ट वांटेड थे. उनमें से रियाज अहमद उर्फ अबू कासिम को पिछले महीने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एक मस्जिद के अंदर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी गई थी.</p>
<p style="text-align: justify;">उससे पहले मार्च में प्रतिबंधित हिजबुल मुजाहिदीन के एक शीर्ष कमांडर की पाकिस्तान के रावलपिंडी में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. वहीं फरवरी में अज्ञात बंदूकधारियों ने बंदरगाह शहर कराची में अल-बद्र मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर सैयद खालिद रज़ा की गोली मारकर हत्या कर दी थी.</p>
</div>
</div>
Source link
इजरायल-हमास युद्ध: भारत में कांग्रेस क्यों है सतर्क, क्या ये मुद्दा भी बदल सकता है चुनाव का रुख
<p style="text-align: justify;">इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जंग के हालात बन गए हैं. 7 अक्टूबर की सुबह लगभग 8 बजे इजरायल पर फिलिस्तीन संगठन हमास ने महज 20 मिनट में 5 हजार रॉकेट दागे. ये रॉकेट इजरायल के रिहायशी इमारतों पर गिरे जिससे 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग घायल हुए हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">हमले के तुरंत बाद ही इजरायल ने ‘युद्ध’ की घोषणा कर दी और जवाबी कार्रवाई करते हुए गाजा पट्टी में हमास के 17 सैन्य ठिकानों और 4 हेडक्वार्टर पर हवाई हमला किया जिसमें, 250 लोगों की मौत हो गई. फिलहाल दोनों देशों के बीच हालात बिलकुल खराब है. </p>
<p style="text-align: justify;">इन दोनों देशों के बीच जारी जंग और मासूमों की हो रही हत्या पर दुनिया के अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भी अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. ज्यादातर देश हमास के इस हमले की कड़ी निंदा कर रहे हैं. भारत ने इजरायल पर हुए हमले की निंदा की है और खुद को इजरायल के साथ खड़ा बताया है. लेकिन पीएम ने इस हमले को आतंकवादी हमला बताकर भी सबको हैरान कर दिया है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भारत में कांग्रेस क्यों है सतर्क</strong></p>
<p style="text-align: justify;">देश में कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में कांग्रेस नहीं चाहती की उनका एक भी बयान चुनावी माहौल में उनके खिलाफ जाए. यही कारण है कि फिलिस्तीन का समर्थक माने जाने वाले कांग्रेस ने इस पूरे मामले पर संतुलित बयान जारी किया है और पीएम के इजरायल के समर्थन में किए गए बयान की आलोचना नहीं की.</p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक बयान में जहां एक तरफ इजरायल के लोगों पर हुए भीषण हमले की निंदा की है. वहीं दूसरी तरफ उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि इस तरह की हिंसा कभी कोई समाधान नहीं देती है और इस पर रोक लगनी चाहिए. </p>
<p style="text-align: justify;">कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश कहते हैं कि, ‘कांग्रेस का हमेशा यह मानना रहा है कि फिलिस्तीन के लोगों की वैध आकांक्षाएं बातचीत के माध्यम से अवश्य ही पूरी की जानी चाहिए, वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी इजराइली चिंताओं का भी समाधान सुनिश्चित किया जाना चाहिए.'</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कांग्रेस ने हमेशा किया फिलिस्तीन का समर्थन </strong></p>
<p style="text-align: justify;">कांग्रेस भले ही वर्तमान परिस्थिति में संतुलित बयान देकर किसी भी तरह के विवाद में फंसने से बचना चाह रहा हो लेकिन कांग्रेस ने हमेशा ही फिलिस्तीनी का समर्थन किया है. कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए उस पर फिलिस्तीन के साथ पहले किए गए कमिटमेंट से हटने और अपना समर्थन पूरी तरह से इजरायल को देने का आरोप लगाया था. इसके अलावा साल 2021 के जून महीने में कांग्रेस ने गाजा में इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच चल रहे संघर्ष पर भारत के रुख की आलोचना की थी. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या इजरायल फिलिस्तीन मुद्दा बदल सकता है भारत में चुनाव का रुख </strong></p>
<p style="text-align: justify;">बीजेपी ने शनिवार (7 अक्टूबर) को इजराइल हमले को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला. इस दौरान मुंबई आतंकी हमले सहित देशभर में विभिन्न आतंकी घटनाओं का उदाहरण देते हुए बीजेपी ने कहा, "इजरायल आज जो झेल रहा है, वही भारत ने 2004-14 के बीच झेला. कभी माफ मत करो, कभी मत भूलो…". बीजेपी की ओर से जारी किए गए वीडियो में राहुल गांधी का एक बयान भी शामिल किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘हर आतंकवादी हमले को रोकना बहुत मुश्किल है.'</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>फिलिस्तीन के समर्थन में अटल बिहारी वाजपेयी का वीडियो वायरल </strong></p>
<p style="text-align: justify;">एक तरफ जहां बीजेपी कांग्रेस पर पुराने वीडियो के सहारे निशाना साध रहा है. वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर साल 1977 का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इजरायल और फिलिस्तीन के मुद्दे पर अपनी राय रख रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">वायरल वीडियो साल 1977 में जनता पार्टी की विजय रैली का है, इस रैली में अटल बिहारी वाजपेयी फिलिस्तीन का खुलकर समर्थन कर रहे हैं. वाजपेयी कहते नजर आ रहे हैं, "अरबों की जिस जमीन पर इजरायल कब्जा करके बैठा है, वो जमीन उसको खाली करना होगी."</p>
<p style="text-align: justify;">उसी वीडियो में अटल बिहार वाजपेयी कहते नजर आ रहा हैं कि, ‘ये कहा जा रहा है कि जनता पार्टी की सरकार बन गई. वो अरबों का साथ नहीं देगी, इजरायल का साथ देगी. आदरणीय मोरारजी भाई स्थिति को स्पष्ट कर चुके हैं. गलतफहमी को दूर करने के लिए मैं कहना चाहता हूं कि हम हरेक प्रश्न को गुण और अवगुण के आधार पर देखेंगे. लेकिन मध्य पूर्व के बारे में यह स्थिति साफ है कि अरबों की जिस जमीन पर इजरायल कब्जा करके बैठा है, वो जमीन उसको खाली करना होगी."</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कैसे रहे हैं भारत फिलिस्तीन के संबंध </strong></p>
<p style="text-align: justify;">भारत शुरू से ही फिलिस्तीन की मांगों का समर्थन करता रहा है. साल 1947 में भारत फिलिस्तीन के बंटवारे के खिलाफ खड़ा था. साल 1970 के दशक में भारत ने पीएलओ और उसके नेता यासिर अराफात का समर्थन किया था. इसके बाद साल 1975 में भारत ने पीएलओ को मान्यता दी थी और भारत पहला ऐसा गैर-अरब देश बन गया था जिसने पीएलओ को मान्यता दी थी. साल 1988 में भारत ने ही फिलिस्तीन को एक देश के रूप में औपचारिक तौर पर मान्यता दी थी.</p>
<p style="text-align: justify;">इतना ही नहीं साल 1996 में फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण की स्थापना के बाद भारत ने गाजा में अपना रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस भी खोला था. हालांकि यह ऑफिस साल 2003 में ‘रामाल्लाह’ में शिफ्ट कर दिया गया. रामाल्लाह वेस्ट बैंक की इलाके में एक शहर है जो जुडी की पहाडियों से घिरा हुआ है. फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने साल 2008 में भारत दौरे के दौरान नई दिल्ली में फिलिस्तीनी दूतावास भवन का शिलान्यास किया था. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भारत- इजरायल संबंध</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इजरायल को भारत ने साल 1950 में मान्यता दी थी. हालांकि, 1992 से पहले भारत के इजरायल के साथ कूटनीतिक संबंध नहीं थे. पहली बार भारत ने साल 1992 में ही इजरायल के साथ अपने कूटनीतिक संबंध स्थापित किए थे. साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने इजरायल के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया था. इस प्रस्ताव में गाजा इलाके में इजरायल के मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांंच शामिल था. इस प्रस्ताव पर भारत ने इजरायल के खिलाफ वोट करने से किनारा कर लिया था. </p>
<p style="text-align: justify;">फिलहाल जानकारों का कहना है कि, इजरायल फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत का रुख तटस्थ और शांति बहाल करने पर होगा, लेकिन हमास को लेकर भारत आपत्ति जाहिर कर सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इजरायल पर हमास ने क्यों किया हमला?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद दीफ ने इस हमले पर कहा- ये हमला येरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद को इजराइल की तरफ से अपवित्र करने का बदला है. सेना हमास के ठिकानों पर लगातार हमले कर रही है.</p>
<p style="text-align: justify;">वहीं 7 अक्टूबर को हुए इस हमले के तुरंत बाद ही इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वीडियो संदेश जारी कर इसे युद्ध करार दिया है. उन्होंने कहा कि हम युद्ध में हैं और हम जीतेंगे.</p>
<p style="text-align: justify;">बता दें <a title="साल 2023" href="https://www.abplive.com/topic/new-year-2023" data-type="interlinkingkeywords">साल 2023</a> के अप्रैल महीने में इजरायली पुलिस ने अल-अक्सा मस्जिद में ग्रेनेड फेंके थे. वहीं हमास के प्रवक्ता गाजी हामिद ने अलजजीरा से हुए बातचीत में कहा, "ये कार्रवाई उन अरब देशों को हमारा जवाब है, जो इजरायल के साथ करीबी बढ़ा रहे हैं." </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>तीन महीने पहले भी हो चुका है हमला</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इजरायल और फिलिस्तीन इन दोनों देशों के बीच विवाद कोई नया नहीं है. 7 अक्टूबर को किए हुए हमले से तीन महीने पहले ही फिलिस्तीन के जेनिन शहर पर हमला किया गया था जिसमें 12 फिलिस्तीनियों की मौत हुई थी. ये ऑपरेशन 2 दिन तक चला था. इस हमले में एक इजराइली सैनिक की भी जान चली गई थी. इस दौरान तेल अवीव में एक हमास का हमलावर अपनी कार लेकर बस स्टॉप में घुस गया और लोगों पर चाकू से हमला करने लगा था.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अब तक कितने लोगों की जा चुकी है जान </strong></p>
<p>बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, हमास के हमले में इजराइल के 600 लोगों की मौत हो गई है, जबकि लगभग 2000 से ज्यादा घायल हैं. इसके अलावा 100 लोगों को बंधक बना लिया गया है. वहीं, दूसरी तरफ इजराइली सेना के हमले में फिलिस्तीन के 370 लोग मारे गए हैं और 2200 से अधिक घायल हो गए हैं.</p>
<p>इजराइली सेना की जवाबी कार्रवाई के बाद चरमपंथी समूह हमास ने युद्ध और तेज करने की घोषणा की. हमास ने यह भी दावा किया है कि उसने दक्षिणी इजराइली शहर स्देरोट की तरफ रविवार को 100 रॉकेट्स दागे. रॉकेट हमलों की वजह से कुछ लोगों को चोटें आईं. इजराइली इमरजेंसी सर्विस ने इसकी पुष्टी भी की.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या है इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">पहले विश्व युद्ध के बाद मध्य पूर्व में ऑटोमन साम्राज्य के खत्म होने के बाद इस इलाके पर ब्रितानियों ने कब्जा कर लिया था. जहां ज्यादातर यहूदी और अरब समुदाय के लोग रहते थे. इन दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ने लगा. जिसके बाद ब्रितानी शासकों ने इस जगह यहूदियों के लिए फलस्तीन में ‘अलग जमीन’ बनाने की बात की.</p>
<p style="text-align: justify;">साल 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फैसला लिया कि फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा. जिसमें पहला हिस्सा यहूदियों और दूसरा हिस्सा अरब समुदायों के लिए रखा जाएगा. ऐसे में अरब के विरोध के बीच 14 मई 1948 को यहूदी नेताओं ने इजरायल राष्ट्र के गठन का ऐलान कर दिया और ब्रितानी यहां से चले गए.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके तुरंत बाद पहला इजरायल और अरब युद्ध छिड़ा. जिस कारण यहां लगभग साढ़े सात लाख फिलिस्तीनी बेघर हो गए. इस युद्ध के बाद ये पूरा क्षेत्र तीन हिस्सों में बंट गया. पहला हिस्सा इजराइल, दूसरा वेस्ट बैंक (जॉर्डन नदी का पश्चिमी किनारा) और तीसरा गाजा पट्टी.</p>
<p style="text-align: justify;">फलस्तीनी लोग गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में रहते हैं. लगभग 25 मील लंबी और 6 मील चौड़ी गाजा पट्टी 22 लाख लोगों की रिहाइश की जगह है. वहीं आबादी के हिसाब से देखें तो ये दुनिया का सबसे ज्यादा घनत्व वाला क्षेत्र है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>दुनिया भर के देशों ने क्या कहा </strong></p>
<p><strong>अमेरिका:</strong> शनिवार को दोपहर 2 बजकर 29 मिनट पर अमेरिका ने इस पूरे मामले पर अपना पहला बयान दिया. इस देश ने हमास के हमलों की निंदा करते हुए इजराइल के लिए समर्थन व्यक्त किया. इसके बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी संवेदना और समर्थन व्यक्त करने के लिए नेतन्याहू से बात की. </p>
<p><strong>भारत:</strong> प्रधानमंत्री <a title="नरेंद्र मोदी" href="https://www.abplive.com/topic/narendra-modi" data-type="interlinkingkeywords">नरेंद्र मोदी</a> ने इजराइल के प्रति संवेदना और अपना समर्थन जताया. </p>
<p><strong>सऊदी अरब: </strong>इस देश ने फिलिस्तीन और इजराइल से तत्काल प्रभाव से तनाव कम करने का आह्वान किया. </p>
<p><strong>ईरान: </strong>ईरान ने हमास को बधाई देते हुए कहा कि वह फिलिस्तीनी लड़ाकों के साथ खड़ा रहेगा.</p>
<p><strong>कतर: </strong>कतर के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी कर कहा है कि फिलिस्तीनी लोगों के साथ बढ़ती हिंसा के लिए केवल इजराइल जिम्मेदार है. </p>
Source link