<p style="text-align: justify;">हाल ही में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे. इनमें तीन राज्यों में यानी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की शानदार जीत भी हुई. इस बार के विधानसभा चुनाव की खास बात ये रही कि इन पांचो ही राज्यों में बीजेपी ने अपने 21 सांसदों को मैदान में उतार दिया था. इनमें से 12 उम्मीदवारों को जीत मिली और 9 को हार का सामना करना पड़ा.</p>
<p style="text-align: justify;">वर्तमान में बीजेपी के 10 सांसदों ने संसद सदस्यता छोड़ दी है. ऐसे में एक सवाल जो सबके मन में उठ रहा है वह यह है कि क्या सासंदी छोड़ विधायकी चुनने वाले नेताओं का डिमोशन हो रहा है या क्या उनकी सैलरी पहले से कम हो जाएगी. इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर एक विधायक और सांसद की तनख्वाह में कितना फर्क होता है और अगर ये नेता सांसद का पद छोड़कर विधायक बनने का फैसला लेते हैं तो इनकी सैलरी और सेवाएं पर कितना फर्क पड़ेगा?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सांसद को क्या सुविधाएं मिलती है और उनकी सैलरी कितनी होती है</strong></p>
<p style="text-align: justify;">किसी भी सांसद को मिलने वाली सैलरी और सुविधाएं संसद सदस्य अधिनियम, 1954 के तहत दी जाती है. वहीं भत्ता और पेंशन (संशोधन) अधिनियम, 2010 के तहत सांसदों की तनख्वाह 1 लाख रुपए प्रति महीने दी जाती है. सांसदों को हर महीने मिलने वाली सैलरी के अलावा भी कई तरह के भत्ते और लाभ मिलते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">जैसे उन्हें निर्वाचन क्षेत्र भत्ता (Constituency Allowance) के तौर पर हर महीने 70 हजार रुपए दिए जाते हैं. इसके अलावा सांसदों को ऑफिस के खर्चे के लिए भी 60 हजार रूपये दिए जाते हैं और संसद सत्र के दौरान हर दिन सांसदों को दो हजार रुपये का भत्ता अलग से भी मिलता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सांसदों को मिलने वाली सुविधा</strong></p>
<p style="text-align: justify;">- अगर कोई सांसद ट्रेन से यात्रा करता है, तो उन्हें एक्जीक्यूटिव क्लास यानी फर्स्ट क्लास कैटेगरी में एसी पास दिया जाता है. <br />- सासंद किसी भी एयरलाइंस से हवाई यात्रा करते हैं, तो उनका एक चौथाई हवाई किराया दिया जाता है. <br />- सड़क मार्ग यानी बाईरोड यात्रा करने पर सांसदों को 16 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं. <br />- इसके अलावा संसद सदस्य को अपने परिवार के साथ हर साल 34 सिंगल एयर ट्रैवल की सुविधा भी दी जाती है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अब विधायक की भी सैलरी जान लीजिए </strong></p>
<p style="text-align: justify;">विधायकों को भी कई सारी सुविधाएं मिलती है लेकिन ये सुविधाएं हर राज्य के हिसाब से अलग-अलग होती है. विधायक का वेतन राज्य सरकार ही निर्धारित करते हैं. उन्हें हर महीने एक निश्चित वेतन तो मिलता ही है. इसके अलावा अपने क्षेत्र में लोककल्याण कार्यों पर खर्च करने के लिए भी उन्हें अलग से विधायक फंड दिया जाता है. </p>
<p style="text-align: justify;">5 राज्य ऐसे हैं जिनके विधायकों को सबसे ज्यादा सैलरी मिलती है. उन राज्यों में तेलंगाना सबसे पहले स्थान पर है, जहां के विधायकों की सैलरी और अलाउंसेज मिलाकर हर उन्हें हर महीने 2.50 लाख रुपये दिया जाता है. हालांकि उनकी बेसिक सैलरी केवल बीस हजार रुपये ही है, लेकिन भत्‍ते के तौर पर उन्‍हें 2,30,000 रुपये मिलते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">इसके बाद नाम आता है मध्य प्रदेश का, यहां विधायकों की एक महीने की सैलरी लगभग 2.10 लाख है. हालांकि उनकी भी बेसिक सैलरी केवल 30 हजार ही है. ठीक इसी तरह राजस्थान के विधायकों की बेसिक सैलरी 40 हजार रुपये है लेकिन भत्तों को मिलकार यह सैलरी प्रतिमाह 1.25 लाख रुपये हो जाती है. </p>
<p style="text-align: justify;">छत्तीसगढ़ के एक विधायक को बेसिक सैलरी 20 हजार मिलती है. लेकिन उन्हें निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, टेलीफोन भत्ता, अर्दली भत्ता, दैनिक भत्ता और हेल्थ भत्ता भी मिलता हैं जिससे उनकी कुल सैलरी 1.10 लाख हो जाती है. त्रिपुरा के विधायकों को सबसे कम सैलरी मिलती है. यहां के विधायकों की सैलरी 34 हजार रुपये है. <br />अब समझिए की सांसदी छोड़ विधायकी चुनने वाले नेताओं को कितना फायदा?</p>
<p style="text-align: justify;">इस चुनाव में जितने भी नेताओं ने संसद की सदस्यता छोड़ विधायक बनने का फैसला लिया है. उन नेताओं को विधायक की सैलरी तो मिलेगी ही, लेकिन उस सैलरी के साथ-साथ उन्हें सांसद की पेंशन भी मिलेगी और जब ये नेता विधायक नहीं रहेंगे यानी अगर वह भविष्य में वह अपनी विधायकी छोड़ते हैं तो उस वक्त उन्हें सांसदी के साथ विधायकी की पेंशन भी मिलेगी. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भूतपूर्व संसद सदस्‍यों को कितना पेंशन मिलता है </strong></p>
<p style="text-align: justify;">15 सितंबर, 2006 से कोई भी व्यक्ति, संसद की किसी भी सभा का कितने भी समय के लिए सदस्‍य रहा हो, वह आठ हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन पाने का हकदार है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति पांच साल से ज्यादा समय तक संसद का सदस्‍य रहा हो तो उन्हें इन पांच सालों की अवधि के प्रत्‍येक वर्ष के लिए आठ सौ रुपये प्रति माह ज्यादा पेंशन दी जाएगी. यानी जितने पांच साल ज्यादा उतने 800 रुपये जुड़ते जाते हैं. पेंशन के अलावा पूर्व सांसद को नि:शुल्‍क रेल यात्रा सुविधा, चिकित्‍सा सुविधाएं जैसी तमाम सुविधाएं भी दी जाती है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मध्य प्रदेश से विधायक बनने वाले सांसद के नाम </strong></p>
<ul>
<li style="text-align: justify;">नरेंद्र सिंह तोमर – दिमनी सीट से विधायक बने, पहले केंद्रीय कृषि मंत्री थे</li>
<li style="text-align: justify;">प्रह्लाद पटेल- नरसिंहपुर से विधानसभा चुनाव जीतें </li>
<li style="text-align: justify;">राकेश सिंह – जबलपुर पश्चिम सीट से विधायक बनें </li>
<li style="text-align: justify;">राव उदय प्रताप सिंग – गाडरवार विधानसभा सीट से चुनाव जीतें </li>
<li style="text-align: justify;">रीति पाठक- सीधी से सांसद थीं, वहीं से विधायक भी बनीं</li>
</ul>
<p style="text-align: justify;"><strong>छतीसगढ़ से विधायक बने ये सांसद </strong></p>
<ul>
<li>गोमती साय- पत्थलगांव से विधायक बनीं </li>
<li>रेणुका – भरतपुर सोनहत से विधायक बनीं </li>
<li>अरुण साव- लोरमी सीट से विधायक बनें </li>
</ul>
<p><strong>राजस्थान से विधायक बनें सांसद </strong></p>
<ul>
<li>बाबा बालकनाथ – तिजारा सीटकिरोड़ी लाल – सवाईमाधोपुर सीट </li>
<li style="text-align: justify;">दीय कुमारी – विद्याधर नगर</li>
<li style="text-align: justify;">राज्यवर्द्धन राठौड़ – झोटावाड़ा सीट </li>
</ul>
<p style="text-align: justify;"><strong>पीएम को कितनी सैलरी मिलती है </strong></p>
<p style="text-align: justify;">ये तो हुई सांसदों की बात. एक सवाल ये भी उठता है कि देश के प्रधानमंत्री को एक महीने में कितनी सैलरी मिलती है. तो बता दें कि देश के प्रधानमंत्री का वेतन लगभग 20 लाख रुपये सालाना होता है. यानी प्रधानमंत्री को हर महीने लगभग 2 लाख रुपये दिए जाते हैं. प्रधानमंत्री को मिलने वाले इस वेतन में बेसिक सैलरी के अलावा डेली अलाउंस, सांसद भत्ता समेत अन्य कई भत्ते शामिल होते हैं.</p>
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पहली बार के MLA भजनलाल शर्मा को CM बना राजस्थान में भी BJP ने किया सरप्राइज | बड़ी बातें
Rajasthan New CM: राजस्थान में सीएम पद को लेकर बीजेपी ने मंगलवार (13 दिसंबर) को संस्पेस खत्म कर दिया. पार्टी ने जयपुर की सांगानेर सीट से पहली बार विधायक चुने गए भजनलाल शर्मा राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना है. इसी के साथ हिंदी भाषी राज्य राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बीजेपी ने नए चेहरे को मौका देकर सबको चौंका दिया है. बड़ी बातें-
1. बीजेपी विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम का प्रस्ताव रखा. इसे विधायक दल ने स्वीकार कर लिया. इसके अलावा राजस्थान में विधायक दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा उपमुख्यमंत्री होंगे. वहीं वासुदेव देवनानी विधानसभा अध्यक्ष होंगे.
2. राजस्थान के भावी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजभवन में राज्यपाल कलराज मिश्र से सरकार बनाने को लेकर मुलाकात की. उनके साथ इस दौरान पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह, पार्टी के चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी और वसुंधरा राजे भी मौजूद रहीं.
3. सीएम चुने जाने के तुरंत बाद भजनलाल शर्मा ने कहा कि वो राज्य का विकास करेंगे. उन्होंने पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा ,‘‘मैं इतना विश्वास दिलाना चाहता हूं कि राजस्थान की यह जो टीम है. राजस्थान के जो हमारे सभी विधायक हैं. निश्चित रूप हमसे, बीजेपी से जो राजस्थान की अपेक्षा है, हम यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम राजस्थान का पूरी तरह से सर्वांगीण विकास निश्चित रूप से पूरा करेंगे. यह मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं.’’
4. भजनलाल शर्मा ने अपनी स्कूली शिक्षा नदबई शहर, भरतपुर से पूरी की और राजकीय महाविद्यालय भरतपुर से कला में स्नातक की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय से एमए (राजनीति विज्ञान) की उपाधि प्राप्त की.
5. निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भजनलाल शर्मा को बधाई दी. गहलोत ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ”भजनलाल शर्मा को बीजेपी विधायक दल का नेता बनाए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. आशा करता हूं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में आप कार्य करते हुए प्रदेश के विकास की गति को आगे भी बनाए रखेंगे एवं राजस्थान को देश का नंबर 1 राज्य बनाने के लक्ष्य को पूरा करने में भूमिका निभाएंगे.”
6. बीते दो दशक में पहली बार बीजेपी की ओर से राजस्थान में कोई नया चेहरा मुख्यमंत्री होगा. इससे पहले वसुंधरा राजे 2003 से 2008 और 2013 से 2018 तक दो बार मुख्यमंत्री पद पर रह चुकी हैं. इस बार भी उन्हें मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल माना जा रहा था.
7. राजस्थान से पहले छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी बीजेपी ने नए चेहरे का मौका दिया है. पार्टी ने छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता विष्णुदेव साय पर दांव लगाया तो मध्य प्रदेश में उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से आने वाले मोहन यादव को सीएम के रूप में चुना. राजननीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी ने नए चेहरे को मौका 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए दिया है.
8. बीजेपी का ये चौंकाने वाला फैसला इस कारण माना जा रहा है क्योंकि सीएम पद की रेस में पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री सहित कई लोगों का नाम था. राजस्थान में सीएम पद की रेस वसुंधरा राजे, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुुन राम मेघवाल और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का नाम था. वहीं मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के अलावा मुख्यमंत्री बनने की रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम आ रहा था. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में सबसे प्रबल दावेदार पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को माना जा रहा था.
9. छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री के पद की शपथ विष्णुदेव साय और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य बुधवार (13 दिसंबर) को रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में लेगें. इसके अलावा मोहन यादव भी मध्य प्रदेश के सीएम पद की शपथ मोहन यादव बुधवार को ही लेंगे. साथ ही भजनलाल शर्मा का शपथ ग्रहण समारोह शुक्रवार (15 दिसंबर) को होगा.
10. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करते हुए बीजेपी ने बहुमत हासिल किया था. राजस्थान की 200 में 199 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 115 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं छत्तीसगढ़ की 90 सीटों में से बीजेपी ने 54 पर जीत दर्ज की थी. यहां कांग्रेस के खाते में 35 सीटें गई थी. इसके अलावा मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सत्ता बरकरार रखते हुए यहां की 230 सीटों में से 163 पर जीत हासिल की थी.
इनपुट भाषा से भी.
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वो पांच संकेत, जिनसे शिवराज को पहले ही हो गया था इशारा कि चली गई कुर्सी
Madhya Pradesh New CM Mohan Yadav: हाल ही में तीन राज्यों में चुनाव जीती भारतीय जनता पार्टी अब तक दो राज्यों में मुख्यमंत्री के नामों का ऐलान कर चुकी है. बीजेपी ने छत्तीसगढ़ के बाद अब मध्य प्रदेश में सीएम के नए चेहरे के रूप में उज्जैन से तीन बार के विधायक रहे मोहन यादव का नाम तय किया है.
छत्तीसगढ़ में नाम ऐलान के बाद से ही मध्य प्रदेश में भी मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इसको लेकर कयास लगने और तेज हो गए थे. संभावना थी कि मध्य प्रदेश में भी कोई नया सीएम चेहरा दिख सकता है. खुद शिवराज सिंह चौहान की तरफ से भी ऐसे कई संकेत दिखे थे.
पहले ही बोल गए राम राम
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार (11 दिसंबर) को भोपाल में आयोजित विधायक दल की बैठक से पहले ही सोशल मीडिया पर ‘राम-राम’ लिखकर सियासी सवाल खड़े कर दिए. उनके ऐसा लिखने के बाद ‘शब्दों’ के अलग-अलग मायने निकाले जाने लगे. अब प्रदेश के नए सीएम का ऐलान कर दिया गया तो अब यही कहा जा रहा है कि उन्होंने कुर्सी जाने का संकेत इस अंदाज में दे दिया था. हालांकि मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने ‘राम-राम’ को लेकर कई तर्क भी सामने रखे. सीएम चौहान ने कहा कि गांव में सुबह उठने से लेकर घर में प्रवेश करने के दौरान ‘राम-राम’ बोला जाता है. ‘राम-राम’ हमारे ‘रोम-रोम’ में बसे हैं.
गायब हुए पोस्टर
भोपाल में नवनिर्वाचित विधायक दल की मीटिंग से पहले हाल के मंच पर लगे बड़े पोस्टर से भी कुर्सी जाने के संकेत नजर आए. सीएम शिवराज सिंह चौहान को पोस्टर में जगह नहीं दी गई. उसमें सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी फोटो और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं एमपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की तस्वीर ही लगाई गई. इससे भी परिवर्तन का इशारा साफ होता नजर आया.
कैलाश विजयवर्गीय से मीटिंग
नए सीएम का नाम तय करने को लेकर भोपाल में आयोजित मीटिंग से एक दिन पहले रविवार (10 दिसंबर) को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व इंदौर-1 से नवनिर्वाचित विधायक कैलाश विजयवर्गीय के बीच मुलाकात हुई. दोनों के बीच देर शाम को अचानक हुई यह मुलाकात और सोशल मीडिया पर शेयर की गईं फोटोज भी सियासी बदलाव का संकेत दे रहीं थीं.
मीटिंग में पहुंचे तो बदले थे हाव-भाव
विधायक दल की मीटिंग में पहुंचने के दौरान भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे के हाव-भाव काफी बदले-बदले नजर आए. इससे प्रदेश की सियासत में बड़े बदलाव होने की आहट भी सुनाई दी. दोपहर में जब पर्यवेक्षक पहुंचे तो सीएम चौहान का काफिला भी साथ पहुंचा था. हालांकि मीटिंग से पहले और बाद में किसी भी विधायक व नेता को कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना किया गया.
छत्तीसगढ़ में नए चेहरे को मौका
बीजेपी आलाकमान ने छत्तीसगढ़ में नए चेहरे को मौका देकर भी यह संकेत दे दिया था कि मध्य प्रदेश में भी बदलाव संभव है. 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद से अभी तक मध्य प्रदेश में भी नाम का ऐलान नहीं किया गया था. सीएम शिवराज सिंह चौहान लगातार बयान देते आ रहे थे कि शीर्ष नेतृत्व का जो फैसला होगा, उनको स्वीकार होगा.
छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी ने आदिवासी नेता विष्णु देव साय को सीएम बनाकर बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला. इसी राह पर मध्य प्रदेश को भी मोहन यादव के रूप में नया सीएम चेहरा दिया गया है. अब इसका बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व तीसरे विजयी राज्य राजस्थान में किस चेहरे को पहली पसंद बनाता है.
राजस्थान और एमपी में कितना चला बीजेपी सांसदों का जादू?
MP Rajasthan Election Result 2023: राजस्थान और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी ने अपने सांसदों को मैदान में उतारा था. पार्टी ने राजस्थान से सात सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया था, जिसमें से चार सांसद चुनाव जीत गए और तीन हार गए. वहीं मध्य प्रदेश में भी बीजेपी ने सात सांसदों को मैदान में उतारा जिनमें से 5 को जीत मिली और 2 सांसद हार गए.
25 नवंबर को हुए चुनाव में बीजेपी ने राजसमंद से सांसद दीया कुमारी, जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अजमेर से सांसद भागीरथ चौधरी, अलवर से सांसद बाबा बालक नाथ, झुंझुनू से सांसद नरेंद्र कुमार, जालौर से सांसद देवजी पटेल और राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को मैदान में उतारा था.
राजस्थान में ये सांसद विधानसभा चुनाव जीते
सांसद दीया कुमारी ने विद्याधर नगर सीट पर 71,368 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज कीं. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार सीताराम अग्रवाल को हराया. दो बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने झोटवाड़ा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक चौधरी को 50,167 वोटों से हराया.
तिजारा सीट से चुनाव लड़ रहे अलवर के सांसद बाबा बालक नाथ ने कांग्रेस उम्मीदवार इमरान खान को 6,173 वोटों से हराया. राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने सवाई माधोपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार दानिश अबरार को 22,510 वोटों से हराया. दानिश अबरार निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार थे.
विधानसभा चुनाव हारने वाल सांसद
राजस्थान विधानसभा चुनाव हारने वाले तीन बीजेपी सांसदों में नरेंद्र कुमार (मंडावा सीट), भागीरथ चौधरी (किशनगढ़ सीट) और देवजी पटेल (सांचोर सीट) शामिल हैं. देवजी पटेल को बीजेपी के बागी और निर्दलीय उम्मीदवार जीवा राम चौधरी ने हराया.
सांसद नरेंद्र कुमार को कांग्रेस उम्मीदवार रीता चौधरी ने 18,717 वोटों के अंतर से हराया. सांसद भागीरथ चौधरी अपने निर्वाचन क्षेत्र में तीसरे नंबर पर रहे. किशनगढ़ सीट से कांग्रेस ने बीजेपी के बागी विकास चौधरी को टिकट दिया था, जिन्हें जीत मिली.
एमपी चुनाव लड़ने वाले बीजेपी सांसद
मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां बीजेपी ने सांसद नरेंद्र सिंह तोमर (दिमनी सीट), प्रहलाद पटेल (नरसिंहपुर सीट), फग्गन सिंह कुलस्ते (निवास सीट), उदयराव प्रताप सिंह (गाडरवाड़ा सीट), रीती पाठक (सीधी सीट), गणेश सिंह (सतना सीट), राकेश सिंह (जबलपुर पश्चिम) से चुनावी मैदान में उतारा था.
विधानसभा चुनाव जीतने वाले सांसद
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बीएसपी उम्मीदवार बलवीर सिंह को 24,461 वोटों से शिकस्त दी. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार लखन सिंह को पटेल को 31,310 वोटों से हराया. सीधी सीट से बीजेपी सांसद रीती पाठक 19वें राउंड की गिनती में कांग्रेस उम्मीदवार ज्ञान सिंह से 35,805 वोटों से आगे है. इस सीट पर 20 राउंड की गिनती होनी है.
सांसद उदयराव प्रताप सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी सुनीता पटेल को 56,529 वोटों से हराया. सांसद राकेश सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मंत्री तरुण भनोट को 30,134 वोटों से शिकस्त दी.
इन सांसदों को मिली हार
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को कांग्रेस उम्मीदवार चैन सिंह 9723 वोटों से हराया. सतना में कांग्रेस उम्मीदवार सिद्धार्थ कुशवाहा ने बीजेपी सांसद गणेश सिंह को 4041 वोटों से शिकस्त दी.
MP, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बड़ी जीत के बाद पीएम मोदी का विपक्ष पर वार, ‘समाज को जातियों…’
PM Modi On Assembly Election Result 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के चुनाव को लेकर बीजेपी वर्करों और लोगों का धन्यवाद करते हुए विपक्ष पर हमला किया.
पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इस चुनाव में समाज को जातियों में बांटने की खूब कोशिश हुई. लेकिन मैं लगातार कह रहा था कि मेरे लिए देश में चार जातियां ही सबसे बड़ी जातियां हैं. ये हैं हमारी नारी शक्ति, युवा शक्ति, किसान और गरीब परिवार. इन चार जातियों को सशक्त करने से ही देश सशक्त होने वाला है. आज बड़ी संख्या में ओबीसी और आदिवासी इसी जाति में आते हैं.
दिल्ली में स्थित बीजेपी के हेडक्वार्टर में कार्यकर्ताओं को संवोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ”आज विजय ऐताहिसक है. सबका साथ, सबका विकास की भावना जीती है. विकसित भारत के आह्ववान की जीत हुई है. आत्मनिर्भर की जीत हुई है. आज भारत के विकास के लिए राज्यों के विकास की सोच की जीत हुई है. आज ईमानदारी की जीत हूई है.”
दरअसल, मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सत्ता बरकरार रखी है तो वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया है. वहीं कांग्रेस तेलंगाना में भारी बहुमत की ओर बढ़ रही है.