मॉडल पूनम पांडे की मौत की सूचना शुक्रवार को लोगों के लिए सनसनी और रहस्य का कारण बन गई।कानपुर में कैंसर अस्पतालों से श्मशान घाटों तक पूनम पांडे की तलाश होती रही लेकिन सफलता नहीं मिली।
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Kanpur
कानपुर: आनंदेश्वर मंदिर कॉरिडोर के दूसरे चरण का काम जनवरी 2024 से होगा शुरू, कंपनी ने किया सर्वे, जानें डिटेल
Kanpur News: परमट स्थित आनंदेश्वर मंदिर को कॉरिडोर के रूप में विकसित करने का काम तेजी से चल रहा है. प्रथम चरण का काम लगभग पूरा हो गया है. दिसंबर तक दीवारों पर पत्थर लग जाएंगे. इसी के साथ ही जनवरी में दूसरे चरण का काम शुरू हो जाएगा. नगर निगम द्वारा अधिकृत कंपनी ने मंदिर में सर्वे शुरू कर दिया है. यह काम अगले हफ्ते तक पूरा हो जाएगा.इसके बाद जनवरी से निर्माण शुरू होगा. 25 करोड़ की लागत से तीन फेज में कॉरिडोर का काम पूरा होना है. पहले चरण में छह करोड़ रुपए से कम हो रहा है. जागेश्वर महादेव मंदिर आजाद नगर, सिद्धनाथ मंदिर जाजमऊ, पंचमुखी हनुमान मंदिर और आनंदेश्वर मंदिर को कॉरिडोर के रूप में विकसित करने सकी योजना है. फिलहाल आनंदेश्वर मंदिर के सुंदरीकरण का काम स्मार्ट सिटी मिशन के तहत हो रहा है. वीआईपी रोड पेट्रोल पंप के पास से मंदिर तक सड़क चौड़ीकरण,नाले को ढकने और वाहनों के लिए पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था की जा चुकी है. दीवारों पर पत्थर लगाए जा रहे हैं.दूसरे चरण में गंगा किनारे मंदिर परिसर तक के लिए मार्ग का निर्माण होना है.
सुंदरीकरण के लिए होंगे ये काम
योजना के तहत कानपुर में मंदिर का भव्य मुख्य द्वार बनेगा. गंगा आरती के लिए तट पर स्थल भी बनाया जाना है. मंदिर के मुख्य द्वार से दाहिनी तरफ जाकर गंगा के अंदर से मंदिर की सीढ़ियों तक एलिवेटेड मार्ग बनेगा. इसी पर आरती स्थल और सेल्फी प्वाइंट भी बनेगा. यह मार्ग गंगा में 2010 में आई बाढ़ को ध्यान में रखकर बनेगा ताकि कभी भी ऐसी बाढ़ आए तो इस मार्ग में बाढ़ का पानी न भरें. इस पर सुरक्षा रेलिंग भी बनेगी. एलईडी लाइट भी लगाई जाएगी ताकि यह संध्या होते ही दूधिया रोशनी से नहा उठे. मुख्य गेट से ग्रीन पार्क स्टेडियम तक के मार्ग को भी संवरा जाएगा. यह सभी कार्य दूसरे चरण में होंगे.तीसरे चरण में कन्वेंशन सेंटर व अन्य सुविधाओं का विकास होगा.
मुख्य गेट से त्रिशूल तक हटेगा कब्जा
मुख्य गेट से त्रिशूल वाले गेट तक अभी दुकानदारों ने दुकाने सजा रखी है. ऐसे ने वहां तक आना जाना मुश्किल होता है.एक तो दुकानदारों ने दुकान आगे बढ़ा रखी है दूसरा पशु भी इसी मार्ग में टहला करते हैं. लोग दो पहिया वाहन लेकर अंदर तक आते जाते रहते है.इससे भी परेशानी होती है.इन समस्याओं के समाधान के लिए ही कॉरिडोर के प्रोजेक्ट मव कब्जा मुक्ति को भी शामिल किया गया है.
UP News : विधान सभा में मुद्दा उठा तो Kanpur के उर्सला अस्पताल की कार्डियो यूनिट को मिल गईं दो स्टाफ नर्स
कानपुर : उर्सला अस्पताल में कार्डियो यूनिट संचालन के लिए डीएम के निर्देश पर सीएमओ ने दो स्टाफ नर्स की तैनाती की है. चार स्टाफ नर्स और चार कर्मचारियों की मांग की गई थी.आर्य नगर के सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने विधानसभा में यह मुद्दा भी उठाया था. उर्सला प्रशासन का कहना है कि यूनिट इसी वर्ष मार्च से संचालित की जा रही है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम)ने गैर संचारी रोग (एमसीडी)के तहत वर्ष 2018 में उर्सला अस्पताल को 4 बेड की कार्डियो यूनिट के लिए डेढ़ करोड़ रुपए दिए थे.जिसमें से 1.35करोड़ रुपये से उपकरण और 15लाख रुपए से सिविल कार्य होने थे. इसके साथ ही यूनिट के संचालन के लिए स्टाफ की तैनाती होनी थी. लेकिन, किसी कारण काम धरातल में पूरी तरह से नहीं उतर सका. जिस वजह से उर्सला में दिल के मरीजों का इलाज पूर्ण रूप से नहीं हो पा रहा है. मरीजों को हो रही समस्या को देखते हुए आर्य नगर के सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने उर्सला की कार्डियोलॉजी यूनिट का मुद्दा विधानसभा में उठाया. इसके बाद जिलाधिकारी विशाख जी ने सीएमओ डॉक्टर आलोक रंजन को निर्देश दिया कि कार्डियोलॉजी यूनिट संचालित किए जाने के लिए स्टाफ उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें. सीएमओ ने वर्तमान में दो स्टाफ नर्स की तैनाती इस यूनिट में की है.
टेक्नीशियन समेत 13 कर्मी की जरूरत
कार्डियो यूनिट के लिए 10 हाई बैक रिवाल्विंग चेयर, 20 ऑफिस व विजिटर चेयर,आठ बड़ी अलमारी, 6 विजिटर ऑफिस चेयर,4 क्रश कार्ट, 10 ऑक्सीजन सिलेंडर, 10 छोटी एसएस ट्रे, 10 अटेंडेंट बेंच,10 ऑक्सीजन रेगुलेटर मिले थे. जबकि सूची में उस समय 21 उपकरण शामिल बताए गए थे. सभी उपकरणों के साथ एनएचएम के तहत दिल के डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ,वार्ड बॉय, टीएमटी टेक्नीशियन, एक्सरे टेक्निशियन, डार्क रूम असिस्टेंट व सफाई कर्मी समेत 13 कर्मचारी मिलने पर कार्डियक यूनिट पूर्ण रूप से संचालित हो सकेगी.अभी स्टाफ पूरा नहीं है. तत्कालीन सीएमओ डॉक्टर अशोक शुक्ला ने 21 प्रकार के उपकरण खरीदने के बाद उर्सला अस्पताल के तत्कालीन निदेशक से बात की थी. इस पर तत्कालीन निदेशक ने सूची के सभी उपकरणों का मिलान कराया था=जिसमें सिर्फ 9 उपकरण ही मिले थे.बाकी उपकरण भेजे जाने के लिए सीएमओ को पत्र लिखा गया था. साथ ही एनएचएम से भी स्टाफ की मांग की गई थी,कुछ दिनों तक हलचल रहने के बाद कार्डियो यूनिट की स्थापना के बारे में स्वास्थ्य अधिकारी भूल गए. अस्पताल में प्रतिदिन 20 से 25 मरीज ओपीडी इमरजेंसी में इलाज के आस में आते हैं.
कई उपकरणों की खत्म हो गई वारंटी
कार्डियोलॉजी यूनिट के लिए करीब 5 साल पहले बेड साइड मॉनिटर, सेंट्रल मॉनिटर, डिफ्यूलेटर,टीएमटी,इको, एबीजी मशीन,वेंटीलेटर ,फाउलर बेड, ईसीजी मशीन,अल्ट्रासाउंड मशीन,एक्स-रे मशीन व 12 इन्फ्यूजन पंप खरीदे गए थे. जिसकी वारंटी अब लगभग खत्म बताई जा रही है.
Kanpur News: शहर के पास बसे 16 गांव बनेंगे मॉडल, घर-घर से उठेगा कूड़ा, जानें क्या है प्लान
कानपुर में शहर की तरह ही अब गांव में भी घर-घर से कूड़ा उठाया जाएगा. इसके लिए 9 विकास खंडों कि 16 ग्राम पंचायत का चयन किया गया है. यह ग्राम पंचायतें शहर की सीमा से लगी हैं. यहां घर-घर कूड़ा उठाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. 6 दिसंबर तक ग्राम पंचायत की बैठक में विस्तृत कार्य योजना तैयार कर ली जाएगी. गांव में उपलब्ध संसाधनों को विकसित करने के लिए स्वच्छता शुल्क लिया जाएगा. जल्द ही इसका निर्धारण कर लिया जाएगा. इससे होने वाली आय से अन्य सुविधाओं का विकास किया जाएगा. गांव में कूड़ा बड़ी समस्या बन गया है. कूड़ा निस्तारण के लिए गांव में प्लांट बनाए जा रहे हैं. इसके लिए गीला और सूखा कूड़ा अलग किया जा रहा है. यह कार्य स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज-2 के तहत किया जा रहा है. इसी कड़ी में अब ग्राम पंचायत को मॉडल बनाना तय हुआ है. विकासखंड कल्याणपुर, चौबेपुर, बिल्हौर, ककवन, सरसौल, बिधनू, भीतरगांव, पतारा, घाटमपुर का चयन इसके लिए किया गया है. अधिकारी भी नामित कर दिए गए हैं. जो ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, घर-घर से कूड़ा उठाने की व्यवस्था तैयार करेंगे. ग्राम पंचायत क्षेत्र में कूड़ा उत्सर्जित किए जाने से संबंधित स्टेट होल्डर संस्थाओं, शिक्षण संस्थानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और औद्योगिक इकाइयों के साथ समन्वय में बैठक करेंगे.
कूड़े से बनाई जाएगी खाद
गांव में कूड़े से खाद बनाई जाएगी और उसकी बिक्री ग्रामीणों को की जाएगी. ताकि वह उसका उपयोग खेती में कर सकें. इसके लिए उनसे गोबर और फसलों के अवशेष आदि लिए जाएंगे. अभी गांवो के बाहर सड़क किनारे या घरों के बाहर कूड़ा सड़ता है और बीमारियां फैलती हैं. वहीं गांव से निकलने वाली प्लास्टिक कचरे को दाना बनाने वाली कंपनियों को बेचा जाएगा. फिलहाल सभी 590 ग्राम पंचायत से प्लास्टिक कचरा एकत्र किया जा रहा है.
चयनित मॉडल ग्राम पंचायत
कल्याणपुर विकासखंड की बगदौधी वांगर, भौती प्रतापपुर, रामपुर भीमसेन, बिनौर, चौबेपुर की माली, महाराजपुर, पेम, बिल्हौर की पूरा, ककवन, सरसौल की नर्वल, महाराजपुर, बिधनू की रमईपुर, मझावन, भीतरगांव, पतारा, घाटमपुर की कोरिया का चयन किया गया है.
Kanpur: स्टेमसेल से दूर करेंगे बांझपन, मेडिकल कॉलेज के जच्चा बच्चा अस्पताल में होगा नई तकनीक से इलाज…
कानपुर. संतान प्राप्त न होने पर एक महिला को शारीरिक पीड़ा से ज्यादा मानसिक तनाव से जूझना पड़ता है.लेकिन,अब जीएसबीएम मेडिकल कॉलेज ऐसी महिलाओं के चेहरे पर खुशी लौटाएगा. यहां जच्चा बच्चा अस्पताल में स्टेमसेल तकनीक से महिलाओं में बांझपन की समस्या दूर की जाएगी. अनियमित दिनचर्या ,गड़बड़ खान पान के साथ ओवुलेशन विकार,फैलोपियन ट्यूब में क्षति, एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा संबंधी दिक्कत महिलाओं में बांझपन की समस्या का कारण है. लेकिन जानकारी के अभाव में अक्सर महिलाएं समय पर इलाज नहीं कर पाती है और समस्या गंभीर रूप ले लेती है.
स्टेमसेल तकनीक का होगा प्रयोग
मेडिकल कॉलेज के जच्चा बच्चा अस्पताल में बांझपन की शिकायत दूर करने के लिए स्टेमसेल तकनीक का प्रयोग किया जाएगा.इसकी नोडल स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर नीना गुप्ता, डॉक्टर बी एस राजपूत और डॉक्टर उरूज को बनाया गया है.डॉक्टर उरूज के मुताबिक जिन महिलाओं में एंटीमुलेरियन हार्मोन कम हो जाता है,उनको बांझपन की शिकायत रहती है.स्टेमसेल से अंडे बनने की प्रक्रिया को बढ़ाया जाएगा,जिससे प्रजनन क्षमता बढ़ेगी.स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर नीना गुप्ता का कहना है कि बांझपन की समस्या अस्पताल में स्टेमसेल तकनीक से दूर की जाएगी. महिलाओं के खुद के ही स्टेमसेल का इस्तेमाल कर अंडाशय में डाला जाएगा. जिससे अंडे बनने की प्रक्रिया को बढ़ाया जाएगा.इसकी शुरुआत हो गई है.इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टर ओटी और अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध है.
एक साल में पहुंची 2 हजार महिलाएं
जच्चा बच्चा अस्पताल की ओपीडी में बीते साल 2022 जुलाई से शुरू हुई इंफर्टिलिटी ओपीडी में अक्टूबर 2023 तक करीब 2000 महिलाओं ने पंजीकरण कराया है. इनमें 30 से लेकर 48 वर्ष तक की महिलाएं रही है, जो बांझपन की समस्या से जूझ रही है