छापेमारी के दौरान ईडी को योगेंद्र तिवारी के ठिकानों से उनकी व्यापारिक गतिविधियों का लेखा-जोखा से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं मिला है.पूछताछ के दौरान उनसे दस्तावेज हटाने के कारणों की जानकारी मांगी गयी. लेकिन, उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया. ईडी ने उन्हें पूछताछ के समय अपनी व्यापारिक गतिविधियों से जुड़े दस्तावेज लाने को कहा था. ईडी के निर्देश पर तीन थैलियों में भर कर कुछ कागजात लाये थे. हालांकि, इनसे से अधिकांश ईडी के काम के नहीं थे.
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2024 से पहले अचानक बढ़ा ED का एक्शन? जानें किस सरकार के कार्यकाल में पड़े सबसे ज्यादा छापे
ED Action in UPA And NDA: प्रवर्तन निदेशालय (ED) पिछले कुछ समय से लगातार सुर्खियां बटोर रहा है. पिछले तीन दिनों में ईडी ने छापों की झड़ी लगा दी है. इसे संयोग कहें या कुछ और, तीन दिनों तक छापेमारी उन राज्यों में हुई है, जहां पर बीजेपी विरोधी दलों की सरकारें हैं. छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल में प्रवर्तन निदेशालय ने रेड की है. कांग्रेस ने इस पर हमला बोलते हुए कहा है कि बीजेपी हार से घबराकर रेड करवा रही है. तो सवाल ये है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई है या फिर 2024 की राजनीतिक लड़ाई भी लड़ी जा रही है.
इसी साल मार्च में 14 राजनीतिक दलों ने सीबीआई और ईडी की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें विपक्षी दलों ने गिरफ्तारी के पहले और गिरफ्तारी के बाद दिशा निर्देशों की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 95 फीसदी केस विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं.
ED की जांच के दायरे में 121 नेता, 115 विपक्षी
दिलचस्प आंकड़ा है कि 2014-22 के दौरान ईडी ने 121 नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की, जिनमें 115 विपक्ष से हैं. यानी ईडी की कार्रवाई की लपेटे में आने वालों में 95 फीसदी नेता विपक्ष से आते हैं. वहीं, यूपीए सरकार के दस सालों (2004-14) के बीच 26 राजनेता ईडी की जांच के घेरे में आए थे, जिसमें 14 यानि 54 फीसदी विपक्ष के थे.
पहले मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार और अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के कार्यकाल में ईडी की कार्रवाई पर एक नजर डालते हैं.
मोदी सरकार में कितनी बढ़ी ईडी की सक्रियता?
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में 2004-14 के बीच ईडी ने 112 छापेमारी की. वहीं, 2014 से 2022 के दौरान एनडीए सरकार के कार्यकाल में ईडी ने 3010 छापे मारे. यानी कि पीएम मोदी के कार्यकाल में ईडी की सक्रियता 2588 प्रतशित तक बढ़ गई. सिर्फ कार्रवाई ही नहीं जब्ती के आंकड़े भी 1759 फीसदी बढ़े हैं. 2004-14 के दौरान ईडी ने 5346 करोड़ कैश जब्त किया, जबकि 2014-22 के दौरान ईडी ने 99356 करोड़ रुपये कैश जब्त किया.
शिकायतों पर एक्शन
अब शिकायतों पर हुई कार्रवाई पर नजर डालते हैं. मनमोहन सरकार (2004-14) के दौरान ईडी ने 104 शिकायतों पर कार्रवाई की, जबकि मोदी सरकार (2014-22) के दौरान ईडी ने 888 शिकायतों पर एक्शन लिया. इस तरह यहां भी 754 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई.
ED के निशाने पर सबसे ज्यादा कौन?
ईडी के दायरे में आने वाले नेताओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है. सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पी चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम, डीके शिवकुमार, संजय राउत, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, अनिल देशमुख, नवाब मलिक, फारूक अब्दुल्ला, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी, हेमंत सोरेन के नाम ईडी की जांच लिस्ट में हैं.
ईडी ने जिन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है, उनमें सबसे ज्यादा 24 नेता कांग्रेस के हैं. उसके बाद टीएमसी 19, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कांग्रेस नेताओं के खिलाफ ईडी ने एक्शन लिया है.
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‘क्या गारंटी आप घर में बंदूक नहीं रख रहे?’ ED की रेड पर भड़कीं ममता बनर्जी, पीएम मोदी पर निशाना
ED raid In Kolkata: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार (21 अगस्त) को कोलकाता में हुई प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी को लेकर केंद्रीय एजेंसियों पर निशाना साधा है. तृणमूल नेता ने आरोप लगाया कि केंद्रीय एजेंसियां बीजेपी के इशारे पर काम कर रही हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार ममता बनर्जी ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं, लेकिन वह विपक्ष शासित राज्यों को निशाना बनाते हैं. मुख्यमंत्री कोलकाता में दुर्गा पूजा समारोह के आयोजकों के साथ एक बैठक में बोल रही थीं.
पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा, हमारे लोगों को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है. कल भी सारी रात हुआ. किसी ने मुझे नहीं बताया. मुझे एक वकील से इसका पता चला. लड़का (अभिषेक बनर्जी) परसों ही घर आया था. अचानक वे (ईडी) चार, पा्ंच जगहों पर पहुंच गए. मुझे बताया गया कि वे सुबह 6 बजे घर से निकले.
केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर हैं टीएमसी के नेता
टीएमसी नेता और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी कोयला स्मग्लिंग घोटाला और शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं. अभिषेक और उनकी पत्नी से सीबीआई पूछताछ कर चुकी है. इसके साथ ही तृणमूल के कई दूसरे नेता भी केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच के चलते जेल पहुंच चुके हैं. इसे लेकर ममता बनर्जी केंद्र पर हमलावर रही हैं और उस पर बदले के तहत कार्रवाई करने का आरोप लगाती रही हैं.
मंगलवार को बैठक में बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा, अगर कोई मेरे घर आता है या मैं आपके घर पुलिस भेजती हूं. कानून क्या कहता है? उनके पास वारंट होना चाहिए. वे घर में लोगों को बताएंगे कि क्यों आए हैं. अगर रेड हो रही है तो वहां और लोग भी होंगे.
ममता बोलीं- क्या गारंटी आप घर में बंदूक…
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों पर अवैध गतिविधि का आरोप लगाया और कहा, “वे घरों में ताला तोड़कर घुस रहे हैं. कोई जानकारी नहीं दे रहे. अगर कोई घर पर नहीं है और घर बंद है… यहां तक कि अगर कोई चाय बनाने के लिए भी है तो उसे घर से बाहर निकाल रहे हैं. अंदर जाने के बाद कोई गवाह नहीं है.”
पश्चिम बंगाल सीएम ने साक्ष्य प्लांट करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि “इस बात की क्या गारंटी हो सकती है कि आप कोई विस्फोटक नहीं रख रहे हैं, आप घर में बंदूक नहीं रख रहे हैं या आप एक बक्से में करोड़ों रुपये नहीं ले जा रहे हैं.”
ममता बनर्जी का पीएम मोदी पर निशाना
ममता बनर्जी ने केंद्र पर राजनीति प्रतिशोध का आरोप लगाते हुए कहा, आप इस तरह देश नहीं चला सकते. हम एक आजाद देश के नागरिक हैं. उन्होंने कहा, जब प्रधानमंत्री विदेश में होते हैं तो दावा करते हैं कि वह सभी को साथ लेकर चलते हैं और जरा विपक्ष शासित राज्यों को देखिए. वे चीटी काटने जैसी छोटी घटना की भी जांच कर रहे हैं.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने स्कूलों में कथित रोजगार घोटाले की जांच के सिलसिले में कोलकाता और उसके आसपास कई स्थानों पर सोमवार को छापेमारी की थी. कथित भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में उनकी पार्टी के कई सदस्य पहले ईडी या सीबीआई की हिरासत में हैं.
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कोविड सेंटर में घोटाला! संजय राउत के दोस्त सुजीत पाटकर अरेस्ट, सोमैया ने की थी शिकायत
मुंबई: भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया की शिकायत पर मुंबई पुलिस ने शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत के करीबी सुजीत पाटकर को गिरफ्तार किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने गुरुवार को राउत के करीबी मित्र एवं कारोबारी सुजीत पाटकर को गिरफ्तार कर लिया। एक अधिकारी ने बताया कि पाटकर को लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज से जुड़े एक मामले में अरेस्ट किया गया है। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पाटकर को इसी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था और वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं।
किरीट सोमैया ने दर्ज कराई थी मूल शिकायत
भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया ने कोविड केंद्रों के संचालन में कथित घोटाले को लेकर इस बारे में मूल शिकायत दर्ज की थी। उन्होंने ताजा घटनाक्रम के बारे में माइक्रोब्लॉगिंग मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट की। आर्थिक अपराध शाखा बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) के कोविड देखभाल केंद्रों की स्थापना और प्रबंधन में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही है। पाटकर की गिरफ्तारी इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की गई चौथी गिरफ्तारी है। अधिकारी के अनुसार जांच में पता लगा कि कोविड केंद्रों के अनुबंध के लिए सौंपे गए दस्तावेज जाली थे।
पाटकर की अग्रिम जमानत याचिका हुई थी खारिज
सेशन कोर्ट ने पिछले हफ्ते EOW मामले में पाटकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अधिकारी ने बताया कि इसके बाद, पाटकर को गुरुवार को एजेंसी के कार्यालय लाया गया और पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें एक अदालत मे पेश किया गया जहां से उन्हें 5 दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र के कई बड़े नेता ईडी के लपेटे में आए थे जिनमें एनसीपी नेता अनिल देशमुख, नवाब मलिक और खुद संजय राउत शामिल हैं।