Calcutta High Court: जस्टिस गंगोपाध्याय सुबह हाई कोर्ट में अपने चैंबर में पहुंचे, उसके बाद उनकी ओर से त्याग पत्र भेजा गया। संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वह BJP में शामिल होंगे
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42 केस लंबित, अगले 10 साल तक रहेंगे व्यस्त; शाहजहां शेख के वकील से बोला कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश ने वकील से कहा कि उनके पास अगले 10 वर्ष तक शानदार काम होगा क्योंकि वह शेख से संबंधित मामलों को संभालने में व्यस्त रहेंगे। बता दें कि शाहजहां शेख को आज तड़के गिरफ्तार कर लिया गया।
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Supreme Court: कलकत्ता हाईकोर्ट के दो जज भिड़े, मामले पर सुप्रीम कोर्ट की विशेष सुनवाई आज
सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
कलकत्ता हाईकोर्ट के जज बनाम जज मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज विशेष सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट, कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय के अन्य जज पर लगाए आरोपों पर स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई कर रहा है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ समेत पांच जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। यह सुनवाई सुबह साढ़े दस बजे शुरू होगी।
क्या है मामला
कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने आरोप लगाए हैं कि उनके सहयोगी जज सोमेन सेन एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की अध्यक्षता वाली एकल जज पीठ ने मेडिकल एडमिशन में कथित अनियमितता के मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिए थे। जिस पर जस्टिस सोमेन सेन की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने रोक लगा दी थी। इस पर जस्टिस अभिजीत ने डिवीजन बेंच के सीबीआई जांच के आदेश पर रोक के आदेश के बावजूद फिर से सीबीआई जांच के आदेश दिए, साथ ही सुप्रीम कोर्ट से भी इस मामले को देखने की अपील की थी। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट मामले पर सुनवाई करेगा।
जस्टिस गंगोपाध्याय ने ये भी सवाल किया है कि जस्टिस सोमेन सेन को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने साल 2021 में ही ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी, लेकिन इसके बावजूद जस्टिस सोमेन सेन अब तक कलकत्ता हाईकोर्ट में क्यूं हैं? जस्टिस गंगोपाध्याय ने जस्टिस सोमेन सेन की एक कथित निजी चैट का भी खुलासा किया, जिसमें उन्होंने जस्टिस अमृता सिन्हा को अपने चैंबर में बुलाकर कहा था कि अभिषेक बनर्जी का राजनीतिक भविष्य है और उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए। जस्टिस सिन्हा ने कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस मामले की जानकारी दी थी। कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने बाद में इसकी जानकारी देश के मुख्य न्यायाधीश को भी दी थी।
WB : कलकत्ता हाईकोर्ट ने राम मंदिर उद्घाटन के दिन ममता बनर्जी को सद्भावना रैली निकालने की सशर्त दी इजाजत
कलकत्ता हाई कोर्ट ने तृणमूल के सद्भावना रैली को सशर्त इजाजत दे दी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के दिन बंगाल में सद्भावना रैली का आह्वान किया है. कहा गया है कि कोलकाता के अलावा सभी जिलों के ब्लॉकों में रैली निकाला जायेगा. विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने जुलूस पर आपत्ति जताते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने उस यात्रा की इजाजत दे दी है. हालांकि, जुलूस से पहले कुछ बातों का ध्यान रखने की बात कही गई है.
हाई कोर्ट ने रैली के लिये कुछ शर्तें भी तय कीं
कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया कि रैली में ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की जा सकेगी जिससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हों. फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने याद दिलाया कि ऐसी रैली की स्थिति में ट्रैफिक की समस्या हो सकती है, एंबुलेंस फंस सकती हैं. खंडपीठ ने कहा कि संबंधित पक्षों और राज्य सरकार को इन मुद्दों पर सक्रिय होना चाहिए. चीफ जस्टिस की टिप्पणी अगर यह रैली हर ब्लॉक में होगी तो वहां के लोगों को परेशानी होगी. इस रैली के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी. ऐसे में आम लोगों को कोई परेशानी ना हो इस बात का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए .
अगर दुर्घटना होती है तो जिम्मेदारी उस पक्ष की होगी
खंडपीठ ने केंद्रीय बलों की निगरानी में जुलूस निकालने की शुभेंदु अधिकारी की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट के फैसले के मुताबिक अगर दुर्घटना होती है तो जिम्मेदारी उस पक्ष की होगी. उसी पक्ष को अदालत के आदेश का उल्लंघन करने के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. कानून-व्यवस्था की स्थिति में दिक्कत होने की आशंका के चलते शुभेंदु ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने कोलकाता के हाजरा से पार्क सर्कस तक मार्च करने की बात कही है. उस जुलूस में मुख्यमंत्री स्वयं रहेंगी.
WB : कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा, पुरुष अधिकारियों के जरिए दुष्कर्म पीड़िता से पूछताछ अस्वीकार्य
कलकत्ता हाइकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने मंगलवार को कहा कि दुष्कर्म पीड़िता और वह भी नाबालिग से पुरुष पुलिस (Male police) अधिकारियों द्वारा पूछताछ करना बिल्कुल अस्वीकार्य है. न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की पीठ ने पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के बागनान में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने कहा कि किसी पुरुष जांच अधिकारी या प्रभारी अधिकारी के सामने दुष्कर्म पीड़िता का बयान लेना न केवल अस्वीकार्य है बल्कि नियमों के विरुद्ध भी है. इस विशेष मामले में आरोप काफी गंभीर हैं. ऐसा नहीं चल सकता.
पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने अदालत को सूचित किया कि दुष्कर्म के संबंध में शिकायत दर्ज करने के बाद, पीड़िता का बयान बागनान पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. उससे जांच अधिकारी और प्रभारी अधिकारी के सामने यह बताने के लिए कहा गया कि उसके साथ क्या हुआ, जो सभी पुरुष थे. उन्होंने शिकायत की कि पीड़िता जो घटना के बाद पहले से ही सदमे की स्थिति में थी, वह पुरुष अधिकारियों के सामने अपनी आपबीती बताने और उसे फिर से जीने के कारण और भी अधिक सदमे में थी.
परिवार ने यह भी शिकायत की कि शिकायत दर्ज करने के बाद से उन्हें धमकी भरे फोन आ रहे हैं. इसके बाद, न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने मामले में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) स्तर की जांच का आदेश दिया और बगनान पुलिस स्टेशन को पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया. उन्होंने पीड़िता के परिवार के सदस्यों को यह भी निर्देश दिया कि यदि उन्हें इस संबंध में और कोई समस्या आती है तो वे सीधे उनकी खंडपीठ से संपर्क करें.