हल्द्वानी हिंसा के बाद 16 दिन तक अंडरग्राउंड रहने के बाद गिरफ्तार हुए अब्दुल मलिक ने अब अलग ही दावा कर दिया है। अब्दुल मलिक की ओर से कहा गया है कि 7 और 8 फरवरी को वह दिल्ली और नोएडा में था।
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हल्द्वानी न्यूज
हथियार लूट लेते तो; हल्द्वानी हिंसा के बाद पुलिस का सबसे बड़ा डर, क्या बोले इलाके के मुसलमान
इस हिंसक झड़प में सौ से अधिक पुलिसवाले घायल हो गए हैं। एक पुलिसकर्मी ने एचटी को बताया, ‘जब हम अवैध ढांचा गिराने जा रहे थे तब भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया था। हम लोग काफी मुश्किलों से वहां पहुंचे।’
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अबतक 5 लोगों के मौत की पुष्टि की जा चुकी है। तीन सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। इनमें 100 से ज्यादा पुलिसवाले हैं। कई पुलिसकर्मियों की तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें वो जख्मी हालत में दिख रहे हैं।
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हल्द्वानी में गुरुवार को अवैध मदरसे और मस्जिद जैसे ढांचे पर बुलडोजर ऐक्शन के बाद हुई भारी हिंसा में कम से कम पांच लोगों की मौत हुई है तो 300 से अधिक घायल हो गए। छठे शख्स की मौत की भी सूचना है।
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हल्द्वानी में सांप्रदायिक दंगे की भी कोशिश! DM ने बताया- रात में क्या हुआ था ऐसा
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उत्तराखंड के हल्द्वानी में गुरुवार शाम पथराव के बाद देर रात तक जमकर बवाल हुआ। अतिक्रमण हटाने गई टीम पर हमले के बाद थाने को भी फूंकने की कोशिश की गई। इतना ही नहीं भीड़ ने मिश्रित इलाके में घुसकर सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की भी कोशिश की। हालांकि, प्रशासन ने समय रहते हालात पर काबू कर लिया और बनभूलपुरा में भड़की हिंसा की आग में पूरे शहर को जलने से बचा लिया। हिंसा में जहां सैकड़ों लोग जख्मी हुए हैं तो प्रशासन ने दो मौतों की पुष्टि की है। हालांकि, नैनीताल की डीएम ने यह साफ किया है कि हल्द्वानी में कहीं सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई है।
नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। डीएम ने बताया कि पहले भीड़ ने थाने को घेरकर पत्थरबाजी की और पेट्रोल बम फेंके। थाने में मौजूद पुलिस के जवानों और अफसरों की जान लेने की कोशिश की गई। किसी तरह जब यहां से भीड़ को हटाया गया तो उपद्रवी मिश्रित आबादी इलाके तक पहुंच गए थे। पुलिस के साथ ही वहां के निवासियों को आतंकित करने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त सुरक्षाबलों की मदद से इलाके को बचाया गया।
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डीएम ने कहा, ‘थाने के बाद भीड़ ने गांधीनगर क्षेत्र को घेर लिया गया। यहां मिश्रित आबादी है। यहां सभी धर्मों के लोग रहते हैं, किसी एक विशेष समुदाय को नहीं। उस क्षेत्र को घेरकर आतंकित करने की कोशिश की गई, स्टेट मशीनरी को भी और वहां रहने वाले लोगों को भी। अतिरिक्त पुलिस बल और अर्धसैनिक बल भी पहुंच गए थे तो हमारी पहली प्राथमिकता थी कि हम गांधीनगर में किसी तरह की अराजकता ना होने दें। हमने वहां कोई जनहानि नहीं दी। बहुत अतिरिक्त इस्तेमाल किए बिना भीड़ को नियंत्रित किया। वनभूलपुरा से बड़ी संख्या में भीड़ निकल रही थी। पुलिस ने काफी धैर्य का परिचय दिया। पूरा प्रयास किया गया कि हल्द्वानी के मेन शहर को बचाया जाए। भीड़ को ना घुसने दिया जाए। प्रभावित क्षेत्र को सीमित रखा जाएगा। पूरी कोशिश थी कि अन्य किसी क्षेत्र में कोई घटना ना हो।’
डीएम ने कहा कि किसी को टारगेट करके कार्रवाई नहीं की गई थी बल्कि हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक पिछले 15-20 दिन से नगर निगम अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई कर रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि जिन दो ढांचों पर ऐक्शन के बाद हिंसा हुई वे किसी धार्मिक स्थल के रूप में ना तो पंजीकृत हैं और ना ही उन्हें ऐसी मान्यता दी गई थी। वंदना सिंह ने कहा कि अतिक्रमण हटाए जाने के आधे घंटे बाद भीड़ ने हमला कर दिया। पुलिस और प्रशासन की टीमों को निशाना बनाया गया। उन्होंने संयम बरतने के लिए पुलिस की तारीफ भी की।