राज्य में मौजूद 28 फीसदी मराठा समुदाय के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण सरकारी नौकरियों में दिया जाएगा। इसके अलावा इतना ही रिजर्वेशन उच्च शिक्षण संस्थानों में भी देने का प्रस्ताव रखा गया है।
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मराठा आरक्षण
Maharashtra: सीएम शिंदे के सामने मनोज जरांगे ने खत्म किया अनशन, कहा- सरकार ने मान ली सारी मांगें
मनोज जरांगे
– फोटो : ANI
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मराठा आरक्षण के कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने उनकी सारी मांगें मान ली है। जरांगे ने कहा कि सरकार उन सभी मराठों के उन रिश्तेदारों को कुनबी जाति प्रमाण जारी करने के लिए एक अधिसूचना जारी की है, जिनके रिकॉर्ड पाए गए हैं।
जरांगे ने विरोध प्रदर्शन वापस लिया
जरांगे ने यह घोषणा नवी मुंबई के पास वाशी में दिया। शुक्रवार को यहां हजारों की संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने आए थे। जरांगे ने सरकार के सामने एक नई मांग रखी। उन्होंने कहा कि सरकार सभी मराठों को शामिल करने के लिए अपनी मुफ्त शिक्षा नीति में संशोधन करे।
हालांकि, शनिवार को सीएम एकनाथ शिंदे जरांगे से मिलने नवी मुंबई पहुंचे। दोनों ने एक साथ छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके साथ ही जरांगे ने नवी मुंबई में अपने समर्थकों और सीएम शिंदे के सामने अपना अनशन खत्म किया।
मराठा आरक्षण: मनोज जरांगे से मिले एकनाथ शिंदे, शिवाजी की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण; मसौदा अध्यादेश पर चर्चा
#WATCH | Maharashtra CM Eknath Shinde and Maratha quota activist Manoj Jarange Patil together garland the statue of Chhatrapati Shivaji Maharaj in Navi Mumbai
Patil is ending his fast today after the state government accepted the demands. pic.twitter.com/CxI3FPez0Z— ANI (@ANI) January 27, 2024
महाराष्ट्र सरकार को जरांगे ने दी थी चेतावनी
गौरतलब है कि शुक्रवार को अपने भाषण के दौरान जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर रात तक उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो, वह मुंबई स्थित आजाद मैदान में अपने तय धरने को लेकर तैयारियां तेज कर देंगे और शनिवार को मुंबई में प्रवेश करेंगे। साथ ही उन्होंने सरकार से एक नई मांग कर दी है। जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार सभी मराठों को शामिल करने के लिए अपनी मुफ्त शिक्षा नीति में संशोधन करें, जब तक आरक्षण का लाभ पूरे समुदाय के लिए उपलब्ध न हो जाए।
37 लाख कुनबी प्रमाण पत्रों का डेटा दें- जरांगे
आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए मनोज जरांगे ने राज्य सरकार से जारी 37 लाख कुनबी प्रमाण पत्रों का डेटा भी मांगा है। बता दें कुनबी, एक कृषक समुदाय है, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आता है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं।
कौन है जरांगे
पिछले साल सितंबर माह में जरांगे उस वक्त सुर्खियों में आ गए थे जब पुलिस ने जालना जिले के सरती गांव में उनके अनिश्चितकालीन अनशन पर मौजूद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया था। हालांकि बाद में जरांगे ने अपने धरने का दूसरा चरण शुरु किया था। आंदोलन को बढ़ते देख राज्य सरकार को उनसे बात करने के लिए मजबूर होना पड़ा। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिल के दौरान आरक्षण प्रदान करने के लिए एक कानून बनाया था, हालांकि उसे 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।
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आंदोलन के अगुवा मनोज जारांगे
– फोटो : AMAR UJALA
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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहा विरोध समाप्त हो गया है। आंदोलन की अगुवाई कर रहे मनोज जरांगे ने शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में आरक्षण को लेकर किए जा रहे अनशन को खत्म कर दिया। जरांगे की सभा को संबोधित करते हुए सीएम शिंदे ने कहा कि मैंने जो वादा किया था, वो निभाया है। जरांगे का धरना खत्म होते ही महाराष्ट्र सरकर ने मराठा समुदाय के लोगों के रक्त संबंधियों को कुनबी की मान्यता देने के लिए एक अधिसूचना जारी की है। यह अधिसूचना उनके लिए लागू होगी जिनके पास कुनबी जाति के रिकॉर्ड पाए गए हैं।
आखिर कौन हैं मनोज जरांगे? मराठा आरक्षण पर अभी क्या हुआ है? प्रदर्शनकारियों की मांग क्या रही है? इस पर सरकार का क्या फैसला लिया है? आइये समझते हैं…
देवेंद्र फडणवीस ने नहीं दिए थे जालना में लाठीचार्ज के आदेश, आरटीआई से हुआ खुलासा
Maratha Reservation: महाराष्ट्र के जालना में हाल ही में मराठा आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज हो गया था. इसको लेकर एक नया खुलासा हुआ है. मामले में दाखिल की गई एक आरटीआई से पता चला है कि प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज का आदेश महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नहीं दिया था.
चूंकि देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र का गृह मंत्रालय भी संभाल रहे हैं. इसलिए विपक्ष की तरफ से बार-बार यह सवाल उठाया जा रहा था कि बगैर उनके आदेश के लिए लाठी चार्ज नहीं हो सकता.
आसाराम डोंगरे ने दायर की थी आरटीआई
हालांकि, अब इस सवाल का जवाब मिला है गया है. आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार देवेंद्र फडणवीस ने लाठीचार्ज का आदेश नहीं दिया था. दरअसल, महाराष्ट्र के एक्टिविस्ट आसाराम डोंगरे ने आरटीआई के तहत महाराष्ट्र पुलिस से यह जानकारी मांगी थी कि आखिर यह लाठी चार्ज क्या देवेंद्र फडणवीस के आदेश के बाद हुआ था? आरटीआई के जवाब में जालना पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जो जानकारी दी गई उसके मुताबिक देवेंद्र फडणवीस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज का आदेश दिया नहीं दिया था.
जालना में भड़क उठी थी हिंसा
जालना में हुई इस लाठीचार्ज की घटना को लेकर मामला अभी तक गरमाया हुआ है. जारांगे पाटिल लगातार मराठा आरक्षण को लेकर पहले भूख हड़ताल पर थे अब पूरे महाराष्ट्र में सभाएं कर रहे हैं. बता दें कि जालना में उस समय हिंसा भड़क उठी थी, जब बड़ी संख्या में पुलिस की एक टुकड़ी धरना स्थल पर पहुंची और कहा कि पाटिल की हालत बिगड़ रही है और उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है.
इस पर पाटिल के समर्थकों ने कहा कि वे प्राइवेट डॉक्टरों से उनकी जांच करवाएंगे. इस बीच पुलिस ने पाटिल को जबरन हिरासत में लेने की कोशिश की और हिंसा भड़क गई. मराठा कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को पीटने का आरोप लगाया.
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