ज्ञानवापी के तहखाने में व्यास जी के तहखाने में वाराणसी की अदालत ने पूजा-पाठ की इजाजत दे दी है। अदालत ने सात दिन के अंदर पूजा-पाठ के प्रबंध करने का आदेश दिया है। जिला मजिस्ट्रेट को प्रबंध करना होगा।
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ज्ञानवापी मस्जिद
Gyanvapi Survey: कब तोड़ा गया मंदिर, तस्वीरों में देखें ASI को मिले सबूत; शिवलिंग से लेकर हनुमान तक की मूर्ति
ज्ञानवापी सर्वे
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ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 839 पेज की सर्वे रिपोर्ट पांच लोगों को मिल गई है। रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं। ज्ञानवापी परिसर में जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के शिलालेख मिले हैं। रिपोर्ट में महामुक्ति मंडप लिखा है। इसके अलावा शिवलिंग, कृष्ण, हनुमान और भगवान विष्णु की मूर्ति मिली हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 1669 में दो सितंबर को मंदिर ढहाया गया था। जो पहले मंदिर के पिलर थे उनका इस्तेमाल मस्जिद के लिए किया गया। जो तहखाना S2 है, उसमें हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां थीं।
Gyanvapi Survey: स्तंभ पर कमल पदक और कलियों की श्रृंखला, ज्ञानवापी के तीन शिलालेखों में हैरान करने वाले खुलासे
Gyanvapi Survey
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ज्ञानवापी में मिले तीन शिलालेखों ( 4 8 और 29) में महामुक्तिमंडप का उल्लेख किय गया है। इसे एएसआई ने सबसे महत्वपूर्ण बताय है। एएसआई का कहना है कि महामुक्तिमंडप शिव के प्रसिद्ध निवास के अस्तित्व को स्थापित करने में मदद करता है। इसका वर्णन प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है।
शिलालेख 24 से एक विशेषण परममणियकदेव का पता लगता है। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में 34 शिलालेख मिले हैं। इनमें से सिर्फ तीन शिलालेख ही अच्छी स्थिति में हैं। इन शिलालेखों के विश्लेषण से पता चला कि 15वीं से 17वीं शताब्दी में आने वाले तीर्थ यात्रियों ने उस पर कुछ लिखा था।
शिलालेखों से तीर्थ यात्रियों की चार प्रकार की गतिविधियों का पता लगा है। इसमें देवता को प्रणाम करना, दीपक जलाने का प्रावधान करना और अखंड दीपक जलाना शामिल है। शिलालेखों से आर्यावती, सुम्भाजी, सोनाजी, मल्लाना-भालू, नारायण-भाशिउ, जीवंतदेव, नारायणन रमन. पंडिता मालविधरा, रघुनाथ, दोदारसैय्या, नरसम्ना, कासी और कान्हा जैसे व्यक्तिगत नामों की जानकारी मिलती है। लशुमदेश और कुर्हकालमंडल की जानकारी भी शिलालेख से मिलती है।
स्तंभ पर मिले कमल पदक, है कलियों की श्रृंखला
ज्ञानवापी की मौजूदा संरचना के एक स्तंभ में कमल पदक विद्यमान है। स्तंभ के 18 फूलों की कलियों की श्रृंखला से सजाया गया है। एक स्तंभ में कमल पदक के अलावा प्रत्येक कोने में पुष्प कलियां मिली हैं। एक स्तंभ पर खिला कमल पदक और 22 फूलों की कलियों की श्रृंखला मिली है।
Gyanvapi Case: 1669 में ध्वस्त किया गया था मंदिर, 355 वर्ष का विवाद… दो साल 152 दिन की सुनवाई, पूरी कहानी
Gyanvapi Case
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ज्ञानवापी का विवाद 355 वर्षों से चल रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मंदिर को 1669 में ध्वस्त किया गया, फिर मंदिर के पिलर और ढांचे पर मस्जिद बनाई गई। इसी मामले में 33 वर्ष से मुकदमेबाजी भी चल रही है।
ज्ञानवापी को लेकर पहला मुकदमा 1991 में लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ मामले में दाखिल हुआ था। हालांकि एएसआई से सर्वे का आदेश और सर्वे रिपोर्ट पक्षकारों को देने का आदेश मां शृंगार गौरी केस में आया है।
महिला वादिनी राखी सिंह, सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में 17 अगस्त 2021 को दाखिल करके परिसर के सर्वे का आदेश देने का अनुरोध किया था।
बाद में मामला जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश्वर की अदालत में आया। यानी 2 साल 152 दिन तक मामले की सुनवाई चली। मामले में एएसआई से सर्वे कराने का आदेश हुआ। सर्वे हुआ और रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई। अदालत ने सर्वे रिपोर्ट पक्षकारों को देने का आदेश दिया। 25 जनवरी 2024 को पक्षकारों ने सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी।