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छत्तीसगढ
छत्तीसगढ़: इलाज में लापरवाही मामले में 7 साल बाद 4 डॉक्टरों पर गिरी गाज, हुए गिरफ्तार
बिलासपुर: एक कहावत है कि इंसान को अपने कर्मों का फल इसी जन्म में भोगना पड़ता है। कभी-कभी देर जरूर लगती है लेकिन ईश्वर सबका न्याय करता है। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से सामने आया है। यहां एक युवक की 7 साल पहले मौत हो गई थी। उसके इलाज में लापरवाही के आरोप में 7 साल बाद 4 डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
पुलिस अधिकारियों ने शनिवार को बताया, ‘छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एक युवक की मौत होने के 7 साल बाद पुलिस ने इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप में 4 डॉक्टरो को गिरफ्तार किया है। हालांकि बाद में सभी डॉक्टरों को मुचलके पर रिहा कर दिया गया।’
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बिलासपुर के एक युवक की अपोलो हॉस्पिटल में मौत के सात साल बाद पुलिस ने इलाज में लापरवाही बरतने और सबूत मिटाने के आरोप में अपोलो हॉस्पिटल के 4 सीनियर डॉक्टरों को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने बताया बाद में डॉक्टरों को मुचलके पर रिहा कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि इस मामले में हॉस्पिटल मैनेजमेंट पर भी कार्रवाई होगी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 26 दिसंबर 2016 को बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल से पुलिस को जानकारी मिली थी कि शहर के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के निवासी गोल्डी उर्फ गुरवीन छाबड़ा (29) की जहर खाने से हॉस्पिटल में मौत हो गई है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जानकारी के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर कर लिया था। उन्होंने बताया कि मामले की जांच के दौरान मृतक गोल्डी के परिजनों ने अपोलो हॉस्पिटल प्रबंधन और संबंधित डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही बरतने और गलत उपचार करने का आरोप लगाया था और इस संबंध में मामला दर्ज कराया था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि परिजनों की शिकायत के बाद बिलासपुर के छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) में शव का पोस्टमार्टम किया गया।
पोस्टमार्टम में खुलासा
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि संभागीय मेडिकल बोर्ड, छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर की रिपोर्ट में युवक के इलाज के दौरान अपोलो हॉस्पिटल प्रबंधन और संबंधित डॉक्टरों की ओर से लापरवाही बरतने की बात सामने आयी। उन्होंने बताया कि इस मामले में 27 सितंबर 2023 को राज्य शासन के मेडिको लीगल विभाग से रिपोर्ट प्राप्त हुई। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने डॉक्टरों और हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा लापरवाही बरतने के संबंध में अलग-अलग बिंदुओं पर उल्लेख किया है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पुलिस की जांच और मेडिकल बोर्ड विशेषज्ञ की जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने डॉक्टर देवेन्द्र सिंह, डॉक्टर राजीव लोचन, डॉक्टर मनोज राय और डॉक्टर सुनील केडिया के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया तथा सभी को शुक्रवार को गिरफ्तार कर, बाद में इन सभी को प्राइवेट मुचलके पर रिहा कर दिया गया। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में अपोलो हॉस्पिटल प्रबंधन और अन्य डॉक्टरों की लापरवाही के संबंध में जांच की जा रही है। (इनपुट: भाषा)
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किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, वाजपेयी के जन्मदिन पर मिलेगा दो साल का बोनस, बैंक खाते में आएंगे इतने रुपये
छत्तीसगढ़ में धमाकेदार जीत के बाद विष्णु देव साय के नेतृत्व में बीजेपी सरकार पूरी तरह से एक्शन में आ गई है. मोदी की गारंटी को पूरा करने की दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर राज्य के 12 लाख किसानों को बड़ी खुशखबरी देने की तैयारी में हैं. इस दिन सरकार किसानों के खाते में दो साल का बोनस डालने वाली है.
किसानों के खाते में आएंगे इतने रुपये
छत्तीसगढ़ के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली स्थिति उनके आवास पर मुलाकात की थी. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पीएम मोदी से मुलाकात के बाद कहा, हमने दिल्ली में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की और उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि वे एक समृद्ध, विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में हमारा समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा, दो वर्षों का लंबित बोनस के रूप में 37,16,38,96,000 रुपये 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर करीब 12 लाख किसानों को दिये जाएंगे.
18 लाख से अधिक परिवारों को मिलेगा प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ, प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीद करेगी सरकार
प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान साय ने उन्हें बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत छत्तीसगढ़ में 18 लाख से अधिक परिवारों को आवास की मंजूरी दी गयी है. साय ने प्रधानमंत्री को बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीद 3100 रुपये में करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा कर रही है.
बृजमोहन अग्रवाल ने किसानों को बोनस दिये जाने की जानकारी दी
छत्तीसगढ़ के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री, छत्तीसगढ़ के निर्माता अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मदिन है और पूरा देश और दुनिया इसे सुशासन दिवस के रूप में मनाता है. इसी शुभदिन पर मुख्यमंत्री जी राज्य के किसानों को दो साल का बोनस उनके बैंक खाते में डालेंगे. यही मोदी जी की गारंटी है. मोदी जी ने जो भी गारंटी दी है, वह सभी पूरी होगी. इससे लोगों के मन में बीजेपी के प्रति विश्वसनीयता का भाव जागेगा. लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी की प्रचंड जीत होगी.
22 जनवरी को कांग्रेस का हो जाएगा सफाया
छत्तीसगढ़ के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, अभी तो सरकार को बने केवल 15 दिन हुए हैं और कांग्रेस में अभी से घबराहट दिख रही है. जब 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राणा प्रतिष्ठा होगी, तो कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा.
सचिन पायलट कांग्रेस को छत्तीसगढ़ को डूबा देंगे : बृजमोहन अग्रवाल
कांग्रेस द्वारा सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ की कमान दिए जाने पर पूछे गए सवाल पर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, सचिन पायलट कांग्रेस को राज्य में फिर से हाशिए में ले जाएंगे. पायलट कब डूबो देगा और कब उड़ा देगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है. मालूम हो कांग्रेस ने सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी नियुक्त किया है.
बीजेपी कैसे चुनती है सीएम पद के उम्मीदवार? जेपी नड्डा ने बताया राज
JP Nadda Reveal BJP Working Pattern: छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में सीएम के चयन ने हर किसी को हैरान कर दिया है. तमाम अटकलों और बड़े दावेदारों के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जिस तरह एकदम नए नामों की घोषणा की, उसने सभी को चौंकाया है. इसके बाद अब भाजपा संगठन के वर्किंग सिस्टम को लेकर भी बातें हो रही हैं. इन चर्चाओं के बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी आलाकमान की ओर से मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों की चयन प्रक्रिया को लेकर विस्तार से बताया है.
आजतक के एक कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की. उन्होंने बताया कि, “भाजपा में सभी कार्यकर्ताओं पर गहराई से नजर रखी जाती है. हम उनके इतिहास, उनकी गतिविधियों और उनकी प्रतिक्रियाओं पर नजर रखते हैं. हमारे पास अपने कार्यकर्ताओं का एक विशाल डेटा बैंक है. हम समय-समय पर इसका अध्ययन करते हैं.”
उम्मीदवारों को टिकट देने से ही शुरू हो जाती है प्रक्रिया
जेपी नड्डा ने कहा, “जब विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई और जब से हमने उम्मीदवारों को टिकट दिए तभी से हमने यह चयन प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी कि हमारा नेता कौन होगा, विपक्ष या सत्ता पक्ष के लिए कौन अच्छा नेता होगा. पार्टी में यह एक सतत प्रक्रिया है. इसे लेकर गहन मंत्रणा होती है. यही बात कैबिनेट चयन के लिए भी लागू होती है.”
विष्णुदेव, मोहन और भजन लाल को इसलिए बनाया सीएम
नड्डा ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में विष्णुदेव साय, मोहन यादव और भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने पर भी बात की. उन्होंने कहा, “विष्णुदेव साय बहुत अनुभवी हैं. छत्तीसगढ़ में किसी आदिवासी नेता को प्रोत्साहित करने की हिम्मत अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने नहीं दिखाई थी, भाजपा ने इसे किया है.” मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में ओबीसी नेता मोहन यादव की नियुक्ति के बारे में बात करते हुए, नड्डा ने कहा, “हमारा सिद्धांत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ है. हम इसे अमल भी करते हैं. मोहन यादव एक बड़े समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इसलिए उन्हें मौका दिया गया.” वहीं, “भजन लाल शर्मा एक पार्टी कार्यकर्ता हैं. भाजपा कार्यकर्ताओं को यह महसूस करना चाहिए कि पार्टी कार्यकर्ता इस तरह मुख्यमंत्री बन सकते हैं.”
भारतीय जनता पार्टी एक परिवार की पार्टी नहीं
जेपी नड्डा ने आगे कहा, “यह एक परिवार की पार्टी नहीं है. यह एक कैडर आधारित और विचारधारा आधारित पार्टी है. इसके बड़े पैमाने पर फॉलोअर्स हैं और हर किसी को पार्टी को सफल बनाने के लिए अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता से योगदान देने का अधिकार है.
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सांसदी छोड़ विधायक बनने वाले 12 सांसदों का कितना फायदा कितना नुकसान?
<p style="text-align: justify;">हाल ही में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे. इनमें तीन राज्यों में यानी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की शानदार जीत भी हुई. इस बार के विधानसभा चुनाव की खास बात ये रही कि इन पांचो ही राज्यों में बीजेपी ने अपने 21 सांसदों को मैदान में उतार दिया था. इनमें से 12 उम्मीदवारों को जीत मिली और 9 को हार का सामना करना पड़ा.</p>
<p style="text-align: justify;">वर्तमान में बीजेपी के 10 सांसदों ने संसद सदस्यता छोड़ दी है. ऐसे में एक सवाल जो सबके मन में उठ रहा है वह यह है कि क्या सासंदी छोड़ विधायकी चुनने वाले नेताओं का डिमोशन हो रहा है या क्या उनकी सैलरी पहले से कम हो जाएगी. इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर एक विधायक और सांसद की तनख्वाह में कितना फर्क होता है और अगर ये नेता सांसद का पद छोड़कर विधायक बनने का फैसला लेते हैं तो इनकी सैलरी और सेवाएं पर कितना फर्क पड़ेगा?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सांसद को क्या सुविधाएं मिलती है और उनकी सैलरी कितनी होती है</strong></p>
<p style="text-align: justify;">किसी भी सांसद को मिलने वाली सैलरी और सुविधाएं संसद सदस्य अधिनियम, 1954 के तहत दी जाती है. वहीं भत्ता और पेंशन (संशोधन) अधिनियम, 2010 के तहत सांसदों की तनख्वाह 1 लाख रुपए प्रति महीने दी जाती है. सांसदों को हर महीने मिलने वाली सैलरी के अलावा भी कई तरह के भत्ते और लाभ मिलते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">जैसे उन्हें निर्वाचन क्षेत्र भत्ता (Constituency Allowance) के तौर पर हर महीने 70 हजार रुपए दिए जाते हैं. इसके अलावा सांसदों को ऑफिस के खर्चे के लिए भी 60 हजार रूपये दिए जाते हैं और संसद सत्र के दौरान हर दिन सांसदों को दो हजार रुपये का भत्ता अलग से भी मिलता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सांसदों को मिलने वाली सुविधा</strong></p>
<p style="text-align: justify;">- अगर कोई सांसद ट्रेन से यात्रा करता है, तो उन्हें एक्जीक्यूटिव क्लास यानी फर्स्ट क्लास कैटेगरी में एसी पास दिया जाता है. <br />- सासंद किसी भी एयरलाइंस से हवाई यात्रा करते हैं, तो उनका एक चौथाई हवाई किराया दिया जाता है. <br />- सड़क मार्ग यानी बाईरोड यात्रा करने पर सांसदों को 16 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं. <br />- इसके अलावा संसद सदस्य को अपने परिवार के साथ हर साल 34 सिंगल एयर ट्रैवल की सुविधा भी दी जाती है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अब विधायक की भी सैलरी जान लीजिए </strong></p>
<p style="text-align: justify;">विधायकों को भी कई सारी सुविधाएं मिलती है लेकिन ये सुविधाएं हर राज्य के हिसाब से अलग-अलग होती है. विधायक का वेतन राज्य सरकार ही निर्धारित करते हैं. उन्हें हर महीने एक निश्चित वेतन तो मिलता ही है. इसके अलावा अपने क्षेत्र में लोककल्याण कार्यों पर खर्च करने के लिए भी उन्हें अलग से विधायक फंड दिया जाता है. </p>
<p style="text-align: justify;">5 राज्य ऐसे हैं जिनके विधायकों को सबसे ज्यादा सैलरी मिलती है. उन राज्यों में तेलंगाना सबसे पहले स्थान पर है, जहां के विधायकों की सैलरी और अलाउंसेज मिलाकर हर उन्हें हर महीने 2.50 लाख रुपये दिया जाता है. हालांकि उनकी बेसिक सैलरी केवल बीस हजार रुपये ही है, लेकिन भत्‍ते के तौर पर उन्‍हें 2,30,000 रुपये मिलते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">इसके बाद नाम आता है मध्य प्रदेश का, यहां विधायकों की एक महीने की सैलरी लगभग 2.10 लाख है. हालांकि उनकी भी बेसिक सैलरी केवल 30 हजार ही है. ठीक इसी तरह राजस्थान के विधायकों की बेसिक सैलरी 40 हजार रुपये है लेकिन भत्तों को मिलकार यह सैलरी प्रतिमाह 1.25 लाख रुपये हो जाती है. </p>
<p style="text-align: justify;">छत्तीसगढ़ के एक विधायक को बेसिक सैलरी 20 हजार मिलती है. लेकिन उन्हें निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, टेलीफोन भत्ता, अर्दली भत्ता, दैनिक भत्ता और हेल्थ भत्ता भी मिलता हैं जिससे उनकी कुल सैलरी 1.10 लाख हो जाती है. त्रिपुरा के विधायकों को सबसे कम सैलरी मिलती है. यहां के विधायकों की सैलरी 34 हजार रुपये है. <br />अब समझिए की सांसदी छोड़ विधायकी चुनने वाले नेताओं को कितना फायदा?</p>
<p style="text-align: justify;">इस चुनाव में जितने भी नेताओं ने संसद की सदस्यता छोड़ विधायक बनने का फैसला लिया है. उन नेताओं को विधायक की सैलरी तो मिलेगी ही, लेकिन उस सैलरी के साथ-साथ उन्हें सांसद की पेंशन भी मिलेगी और जब ये नेता विधायक नहीं रहेंगे यानी अगर वह भविष्य में वह अपनी विधायकी छोड़ते हैं तो उस वक्त उन्हें सांसदी के साथ विधायकी की पेंशन भी मिलेगी. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भूतपूर्व संसद सदस्‍यों को कितना पेंशन मिलता है </strong></p>
<p style="text-align: justify;">15 सितंबर, 2006 से कोई भी व्यक्ति, संसद की किसी भी सभा का कितने भी समय के लिए सदस्‍य रहा हो, वह आठ हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन पाने का हकदार है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति पांच साल से ज्यादा समय तक संसद का सदस्‍य रहा हो तो उन्हें इन पांच सालों की अवधि के प्रत्‍येक वर्ष के लिए आठ सौ रुपये प्रति माह ज्यादा पेंशन दी जाएगी. यानी जितने पांच साल ज्यादा उतने 800 रुपये जुड़ते जाते हैं. पेंशन के अलावा पूर्व सांसद को नि:शुल्‍क रेल यात्रा सुविधा, चिकित्‍सा सुविधाएं जैसी तमाम सुविधाएं भी दी जाती है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मध्य प्रदेश से विधायक बनने वाले सांसद के नाम </strong></p>
<ul>
<li style="text-align: justify;">नरेंद्र सिंह तोमर – दिमनी सीट से विधायक बने, पहले केंद्रीय कृषि मंत्री थे</li>
<li style="text-align: justify;">प्रह्लाद पटेल- नरसिंहपुर से विधानसभा चुनाव जीतें </li>
<li style="text-align: justify;">राकेश सिंह – जबलपुर पश्चिम सीट से विधायक बनें </li>
<li style="text-align: justify;">राव उदय प्रताप सिंग – गाडरवार विधानसभा सीट से चुनाव जीतें </li>
<li style="text-align: justify;">रीति पाठक- सीधी से सांसद थीं, वहीं से विधायक भी बनीं</li>
</ul>
<p style="text-align: justify;"><strong>छतीसगढ़ से विधायक बने ये सांसद </strong></p>
<ul>
<li>गोमती साय- पत्थलगांव से विधायक बनीं </li>
<li>रेणुका – भरतपुर सोनहत से विधायक बनीं </li>
<li>अरुण साव- लोरमी सीट से विधायक बनें </li>
</ul>
<p><strong>राजस्थान से विधायक बनें सांसद </strong></p>
<ul>
<li>बाबा बालकनाथ – तिजारा सीटकिरोड़ी लाल – सवाईमाधोपुर सीट </li>
<li style="text-align: justify;">दीय कुमारी – विद्याधर नगर</li>
<li style="text-align: justify;">राज्यवर्द्धन राठौड़ – झोटावाड़ा सीट </li>
</ul>
<p style="text-align: justify;"><strong>पीएम को कितनी सैलरी मिलती है </strong></p>
<p style="text-align: justify;">ये तो हुई सांसदों की बात. एक सवाल ये भी उठता है कि देश के प्रधानमंत्री को एक महीने में कितनी सैलरी मिलती है. तो बता दें कि देश के प्रधानमंत्री का वेतन लगभग 20 लाख रुपये सालाना होता है. यानी प्रधानमंत्री को हर महीने लगभग 2 लाख रुपये दिए जाते हैं. प्रधानमंत्री को मिलने वाले इस वेतन में बेसिक सैलरी के अलावा डेली अलाउंस, सांसद भत्ता समेत अन्य कई भत्ते शामिल होते हैं.</p>
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