Putin, Zelenskyy invite PM Modi : प्रधानमंत्री ने अतीत में विदेशी नेताओं द्वारा अपने देशों की यात्रा करने के लिए दिए गए निमंत्रण का हवाला देते हुए दावा किया था कि वह लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करेंगे
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Russian President Vladimir Putin
‘रूस में एक बार फिर पुतिन का राज’, चुनाव में रिकॉर्ड जीत दर्ज कर रचा इतिहास’ – India TV Hindi
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को रूस के चुनाव में रिकॉर्ड जीत हासिल की, जिससे सत्ता पर उनकी पकड़ एक बार फिर से मजबूत हो गई, हालांकि हजारों विरोधियों ने मतदान केंद्रों पर दोपहर का विरोध प्रदर्शन किया औ रूस में हुए चुनाव को लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा कि रूस में ना तो वोटिंग स्वतंत्र थी और न ही मतदान निष्पक्ष था।
केजीबी के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल पुतिन के लिए, जो पहली बार 1999 में सत्ता में आए थे, इस चुनाव परिणाम का उद्देश्य पश्चिमी देशों को यह बताना है कि उसके नेताओं को आने वाले कई वर्षों तक, चाहे युद्ध में हो या शांति में, एक साहसी राष्ट्रपति के रूप में पुतिन और उसी रूस के साथ रहना होगा जो आज है। .
प्रारंभिक परिणाम के मुताबि 71 वर्षीय पुतिन आसानी से अब एक बार फिर अपना छह साल का नया कार्यकाल सुरक्षित कर लेंगे, जिससे वह जोसेफ स्टालिन से आगे निकल जाएंगे और 200 से अधिक वर्षों तक रूस के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले नेता बन जाएंगे।
पुतिन ने रच दिया इतिहास
पोलस्टर पब्लिक ओपिनियन फाउंडेशन (एफओएम) के एक एग्जिट पोल के अनुसार, पुतिन ने 87.8% वोट हासिल किए, जो रूस के सोवियत इतिहास के बाद का सबसे बड़ा परिणाम है। रशियन पब्लिक ओपिनियन रिसर्च सेंटर (वीसीआईओएम) ने पुतिन को 87% पर रखा है। पहले आधिकारिक नतीजों ने संकेत दिया कि चुनाव सटीक थे।
अमेरिका ने लगाया आरोप
व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ने कहा, “चुनाव स्पष्ट रूप से स्वतंत्र या निष्पक्ष नहीं हैं, क्योंकि पुतिन ने राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया है और दूसरों को उनके खिलाफ लड़ने से रोका है। पुतिन द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण का आदेश देकर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे घातक यूरोपीय संघर्ष शुरू करने के ठीक दो साल बाद यह चुनाव हुआ है। उन्होंने इसे “विशेष सैन्य अभियान” बताया।
तीन दिवसीय चुनाव पर युद्ध की तलवार लटक गई है। यूक्रेन ने रूस में तेल रिफाइनरियों पर बार-बार हमला किया है, रूसी क्षेत्रों पर गोलाबारी की है और छद्म बलों के साथ रूसी सीमाओं को भेदने की कोशिश की है – पुतिन ने कहा कि ऐसा कदम उठाया नहीं जाएगा।
पुतिन की जगह रूस के विदेश मंत्री ले सकते हैं G20 सम्मेलन में हिस्सा
मॉस्को: जी-20 सम्मेलन की बैठक 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में होने वाली है। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए दुनियाभर के नेता और संगठनों के प्रतिनिधि भारत आने वाले हैं। G20 समूह में रूस भी शामिल है, लेकिन इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत नहीं आएंगे। शुक्रवार को क्रेमलिन के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया था कि रुसी राष्ट्रपति इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत नहीं आएंगे। वहीं अब खबर आ रही है कि उनकी जगह इस बैठक में फॉरेन मिनिस्टर सर्गेई लावरोव नई दिल्ली आएंगे।
ब्रिक्स सम्मेलन में भी नहीं शामिल हुए थे पुतिन
बता दें कि इससे पहले दक्षिण अफ्रीका में 22 से 24 अगस्त तक हुई ब्रिक्स समित में भी पुतिन शामिल नहीं हुए थे। यहां भी उनकी जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ही शामिल हुए थे। जोहान्सबर्ग में हुए इस सम्मेलन में पुतिन के शामिल होने पर अंतिम समय तक चर्चा हो रही थी लेकिन सम्मेलन के शुरू होने से कुछ समय पहले ही मेजबान देश दक्षिण अफ्रीका ने साफ़ किया कि यहां व्लादिमीर पुतिन नहीं आ रहे हैं। गौरतलब है कि पुतिन ने 2019 में आखिरी बार जापान में हुई G20 समिट में शारीरिक रूप से हिस्सा लिया था। इसके बाद वह 2020 में रियाद और 2021 में रोम में हुई समिट में भी पुतिन वर्चुअली शामिल हुए थे। इसके बाद पिछले साल बाली में हुई समिट में भी उन्होंने हिस्सा नहीं लिया था।
सम्मेलन में शामिल ना होने के पीछे ये है बड़ी वजह
पुतिन के G20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के इनकार करने केबाद अब सवाल उठ रहा है कि वह इसमें शामिल क्यों नहीं हो रहे हैं? इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बताई येवगिनी प्रिगोझिन की मौत बताई जा रही है। बता दें कि रूस की निजी सेना वैगनर ग्रुप के चीफ येवगिनी प्रिगोझिन की विमान हादसे में मौत होने के बाद रूस में हालात बदल चुके हैं। वैगनर ग्रुप इसे साजिश बता रहा है। उसने प्रिगोझिन की मौत का बदला लेने की धमकी भी दी है। पुतिन के सलाहकारों ने इस धमकी की वजह से उन्हें विदेशी यात्राओं से बचने की सलाह दी है। माना जा रहा है कि पुतिन इस वजह से जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत नहीं आ रहे हैं।
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