महादेव बेटिंग ऐप के प्रमोटर को दुबई अधिकारियों ने किया नजरबंद, जल्द हो सकती है गिरफ्तारी, भारत आने का रास्ता भी होगा साफ
loksabha election
PHOTOS : अमित शाह और जे पी नड्डा पहुंचे कोलकाता,बंगाल में संगठनात्मक तैयारियों का करेंगे आकलन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता पहुंच गये है.
वीर बाल दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ कोलकाता में गुरुद्वारा बारा सिख संगत में मत्था टेका.
पार्टी के नेता ने जानकारी देते हुए बताया कि भाजपा के दोनों वरिष्ठ नेता अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में संगठनात्मक तैयारियों का आकलन करेंगे.
भाजपा विधायक मनोज तिग्गा ने बताया कि आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी की तैयारी शुरू हो गई है.
तिग्गा ने कहा, “हमारे केंद्रीय नेता, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और पार्टी अध्यक्ष राज्य का दौरा करना जारी रखेंगे. निकट भविष्य में उनके दौरे बढ़ेंगे.
शाह एवं नड्डा के स्वागत के लिए भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और सांसद दिलीप घोष समेत कई नेता हवाई अड्डे पर मौजूद थे.
तिग्गा ने बताया कि गृह मंत्री और भाजपा प्रमुख गुरुद्वारा बड़ा सिख संगत और कालीघाट मंदिर के दर्शन किये.
उन्होंने कहा कि वे राज्य पदाधिकारियों और संगठनों के साथ कई बैठकें भी करेंगे और आम चुनाव से पहले संगठनात्मक ताकत का आकलन करेंगे.
तिग्गा ने बताया कि बाद में शाम के वक्त दोनों नेता नयी दिल्ली के लिए प्रस्थान करने से पहले राष्ट्रीय पुस्तकालय में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेंगे.
मारन के बयान पर मनोज तिवारी ने दी प्रतिक्रिया, बोले- देश की जनता सिखाएगी सबक
डीमके के सांसद उदयनिधि मारन ने उत्तर भारतीयों को लेकर एक विवादित टिप्पणी की है। इस मामले पर अब राजनीति गरमा गई है। इस मामले पर बाजपा सांसद मनोज तिवारी ने अब बयान दिया है। मनोज तिवारी ने कहा, इस तरह का बयान अपमानजनक है। देश में हिंदी भाषा बोलने वालों का यह बड़ा अपमान है। इस तरह की बयानबाजी पर कार्रवाई की जानी चाहिए। विपक्षी गठबंधन के लोगों को देश की जनता देख रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में देश की जनता उन्हें इसका जवाब देगी। बता दें कि उदयनिधि मारन ने अपने बयान में कहा था कि हिंदी पट्टी के लोग तमिलनाडु में शौचालय साफ कर रहे हैं और अन्य छोटे-मोटे काम कर रहे हैं।
मारन के बयान पर गरमाई सियासत
वहीं इस मामले पर सांसद सुशील मोदी ने कहा, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को इस बयान को लेकर चुप्पी तोड़नी चाहिए। डीएमके को इंडी गठबंधन से बाहर निकाल देना चाहिए। इस तरह का बयान कोई पहली बार नहीं आया है। वो चाहते हैं कि उत्तर और दक्षिण भारतीयों के बीच में दरार आ जाए। बता दें कि उदयनिधि मारन के बयान पर बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी। तेजस्वी यादव ने इस बाबत बयान देते हुए कहा था कि द्रमुख ऐसी पार्टी है जो सामाजिक न्याय में विश्वास करती है और ऐसी पार्टी के नेता के लिए इस तरह की टिप्पणी करना अशोभनीय है।
नेताओं ने किया पलटवार
राजद नेता ने कहा, ‘‘अगर द्रमुक सांसद ने जातीय अन्याय को उजागर किया होता, अगर उन्होंने बताया होता कि केवल कुछ सामाजिक समूहों के लोग ही ऐसी खतरनाक काम करते हैं, तो इसका कोई मतलब होता।’’ यादव ने कहा, ‘‘लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश की पूरी आबादी के बारे में अपमानजनक बातें करना निंदनीय है। हम इसकी निंदा करते हैं। हमारा मानना है कि लोगों को देश के अन्य हिस्सों से आने वालों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए।’’ माना जाता है कि यादव के स्टालिन के साथ व्यक्तिगत संबंध अच्छे हैं। राजद नेता यादव ने कहा, ‘‘हम द्रमुक को एक ऐसी पार्टी के रूप में देखते हैं जो सामाजिक न्याय के हमारे आदर्श में यकीन करती है। इसके नेताओं को ऐसी बातें कहने से बचना चाहिए जो इस आदर्श के विपरीत हों।’’ मारन के तमिल में दिए हालिया भाषण को लेकर विवाद पैदा हो गया है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अंग्रेजी शिक्षा के महत्व पर जोर दिया था।
I.N.D.I.A. की बैठक में मिली जदयू को निराशा, नीतीश कुमार को संयोजक पद देने पर नहीं हुई कोई चर्चा
पटना. दिल्ली में करीब 3 घंटे से चली I.N.D.I.A. की बैठक में खत्म हो गयी है. महागठबंधन की इस चौथी बैठक में भी नीतीश कुमार को संयोजक पद देने को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई. इससे जदयू को निराशा हाथ लगी है. वहीं बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पीएम कैंडिडेट बनाने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन ममता बनर्जी के इस प्रस्ताव से खरगे असहज दिखे. उन्होंने कहा है कि अभी हमें भाजपा को हराने पर फोकस करना चाहिए, पीएम पद का मसला बाद में तय कर लिया जायेगा.
केजरीवाल ने किया ममता का समर्थन
यह बात भी निकलकर सामने आ रही है बैठक में अभी संयोजक का चयन नहीं हो पाया है, सिर्फ ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री पद के लिए खरगे के नाम का प्रस्ताव दिया है. इस पर अरविंद केजरीवाल ने भी हामी भर दी है. बैठक के खत्म होने के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से जब मीडिया ने पूछा कि क्या आप प्रधानमंत्री फेस होंगे? इस पर उन्होंने कहा कि पहले हमें जीतकर आना होगा. पहले एक होकर भाजपा के खिलाफ जीतना होगा. जीतकर आने के बाद ही कौन होगा सीएम पद का चेहरा इसका पता चलेगा.
पिछली बातें भूल जाइये
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि हमें अब आगे की रणनीति पर विचार करना चाहिए. पिछली बातों को भूल जाना चाहिए. जो हुआ सो हुआ अब जल्द से जल्द चुनाव अभियान की शुरुआत होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर तक सीटों का बंटवारा हो जाये तो बेहतर है. वैसे बैठक के बाद प्रेस कान्फ्रेंस में शामिल हुए बिना ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव वहां से निकल गये.
गठबंधन के 28 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया
I.N.D.I.A. की बैठक में सांसदों के निलंबन और ईवीएम के मुद्दे पर चर्चा हुई. बैठक के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक में गठबंधन के 28 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया और 28 पार्टी के नेताओं ने अपने-अपने विचार रखे. इतनी बड़ी संख्या में विपक्षी सांसदों के निलंबन को लेकर उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसदों का निलंबन अलोकतांत्रिक कदम है. सरकार लोकतंत्र खत्म करना चाहती है. संसद सत्र के दौरान देश के प्रधानमंत्री घूमते हैं. उन्होंने बताया कि 22 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन होगा. देशभर में 10 जनसभाएं होगी. वही 30 जनवरी को इंडिया गठबंधन साझा रैली करेगा.
भाजपा ने नीतीश कुमार पर कसा तंज
इधर, भाजपा ने नीतीश कुमार के संयोजनक नहीं बनाये जाने पर तंज करना शुरू कर दिया है. भाजपा विधायक नितिन नवीन ने कहा कि नीतीश कुमार को धोखा देने में लालू प्रसाद यादव सफल हो गये. प्रधानमंत्री पद का प्रलोभन दिखाकर नीतीश कुमार को चौराहे पर लाकर छोड़ दिया गया है. नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने का सपना दिखाकर सपने को चकनाचूर कर दिया.
एक अनार सौ बीमार
भाजपा विधायक ने कहा कि प्रधानमंत्री का पद विपक्षी एकता में एक अनार सौ बीमार की तरह हो गया है. अब मल्लिकार्जुन खड़गे कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करेंगे? विपक्षी एकता खड़गे के चेहरे को कितना पसंद करेगी यह आने वाला समय ही बताएगा. खड़गे को पहले अपने बेटे द्वारा सनातन के खिलाफ दी गई बातों पर सफाई देना होगा. सनातन धर्म का अपमान खड़गे के बेटे ने किया है. खड़गे इस विषय पर क्या सोचते हैं पहले इस पर सफाई दें.
बिहार में क्षेत्रीय आकांक्षाओं के उभार से बदले समीकरण, जानें कैसे प्रभावहीन हुई कांग्रेस
पटना. बिहार में क्षेत्रीय दलों के सशक्त होने के साथ ही कांग्रेस लगातार कमजोर होती चली गयी. स्थानीय स्तर पर लोगों की पैदा हुई आकांकक्षाओं को स्वर देकर क्षेत्रीय पार्टियों ने अपनी पहचान बनायी. इसका असर राजनीति पर भी गहरे तौर पर पड़ा. आजादी के बाद भी राजनीति में केंद्रीय बनाम क्षेत्रीय की प्रवृति रही थी. पर कांगरेस का प्रभाव इतना व्यापक व गहरा था कि स्थानीय पार्टियां उसे टक्कर नहीं दे पा रही थी. 1967 में पांच राज्यों में बनी संविद सरकार की घटना नयी मोड़ थी.
कांग्रेस के खिलाफ गोलबंदी 1989 में शुरू हुई
स्थानीय राजनीतिक ताकतों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर खड़ी हुई भाजपा संश्रय कायम कर कांग्रेस के खिलाफ गोलबंदी में शामिल रही. पर कांग्रेस ऐसा नहीं कर पा रही थी. इसके कई कारण थे. कांग्रेस को ऐसा लगता था कि उसकी राष्ट्रीय छवि और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के आगे क्षेत्रीय दलों का उभार मुमकिन नहीं है. लेकिन 1989 के बाद चुनावी परिदृश् से कांग्रेस लगातार कमजोर होती गयी और स्थानीय शक्तियां मजबूत. बिहार मे 1989 में जनता दल को 32 सीटें और बीजेपी को आठ सीटें मिली थी. तब तक कांग्रेस चार सीटो पर सिमट गयी थी.
1991 में जनता दल के आगे सब बौने थे
बिहार में 1991 के लोकसभा चुनाव में जनता दल को 31 और बीजेपी को पांच सीटों पर सफलता मिली. वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के पास 22 और बीजेपी के पास 18 सीटे थी. लोकसभा चुनाव 1998 में राजद ने जनता दल से अलग होकर प्रत्याशी उतारे और उसको उस चुनाव मे 17 सीटों पर सफलता मिली. इस चुनाव तक बिहार में भाजपा 23 सीटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही.
भाजपा और जदयू के बीच नहीं था बड़ा फैसला
पहली बार 1999 के लोकसभा चुनाव में जनता दल (यू) ने भाजपा के साथ अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे और बीजेपी को 23 और जदयू को 18 सीटों पर सफलता मिली. याद रहे रहे कि संयुक्त बिहार में लोकसभा की 54 सीटें थी. दक्षिण बिहार में (अब झारखंड) झारखंड मुक्ति मोरचा की अपनी राजनीतिक-सामाजिक पृष्ठभूमि थी. उसके प्रतिनिधि लोकसभा और विधानसभाओं में पहुंचते रहे हैं. मोरचा के बनने के पहले भी झारखंड नामधारी पार्टियां अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही थी. वर्ष 2000 में बिहार बंटवारे के बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में राजद को 22 सीटों पर जबकि जदयू को छह और बीजेपी को पांच सीटों पर सफलता मिली.
जदयू की सीटें लगातार घटती रही
परिसीमन के बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू के सांसदों की संख्या 20 हो गयी तो बीजेपी के पास 12 सांसद थे. इस चुनाव में राजद को सिर्फ चार सांसदों पर ही संतोष करना पड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाये जाने के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 21, जदयू को दो और राजद को सिर्फ चार सीटों पर संतोष करना पड़ा. पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी और जदयू के गठबंधन ने सभी रिकार्ड तोड़ दिये. तब बीजेपी को 17, जदयू को 16 और लोजपा को छही सीटों पर सफलता मिली.