Women Day Special: सश्कत हुईं महिलाएं, देश की बढ़ी ताकत, संसद से लेकर सेना तक हर क्षेत्र में बढ़ रही भागीदारी
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नई दिल्ली
Google: प्लेस्टोर से भारतीय एप्स हटाने पर आईएएमएआई ने की निंदा, सेवा शुल्क भुुगतान करने के बाद कुछ एप बहाल
Google Android
– फोटो : सोशल मीडिया
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कभी जेमिनी से जुड़ा विवाद हो या फिर कभी प्लेस्टोर से एप्स को हटाने की कार्रवाई, गूगल लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। इन सबके कारण गूगल की काफी निंदा हो रही है। हालांकि, बिलिंग नीति को पूरा करने के बाद गूगल ने कुछ भारतीय एप्स को दोबारा बहाल कर दिए हैं। बावजूद इसके, इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने चिंता जाहिर की है क्योंकि अधिकांश एप अब भी डीलिस्टेड हैं। दरअसल, सेवा शुल्क भुगतान पर विवाद के कारण गूगल ने प्लेस्टोर भारतीय एप्स को हटा दिया था।
सरकार बुला सकती है बैठक
मैट्रिमोनी.कॉम के संस्थापक और सीईओ मुरुगावेल जे का कहना है कि उनके बंगाली मैट्रिमोनी, मराठी मैट्रिमोनी, तमिल मैट्रिमोनी और भारत मैट्रिमोनी सहित आठ एप्स को गूगल ने रविवार को बहाल किया है, वह भी तब जब उन्होंने गूगल की शर्तों को स्वीकार कर लिया। 100 से अधिक ऐप्स अब भी प्ले स्टोर पर बहाल नहीं हुए हैं। सरकार ने बहाली के लिए कंपनी को स्पष्ट निर्देश दिए थे बावजूद इसके गूगल ने एप्स को बहाल नहीं किया है। एक दिन पहले शनिवार को आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया था कि गूगल को हटाना अस्वीकार्य है और स्टार्टअप को सुरक्षा मिलेगी, जिसकी उन्हें जरूरत है। आईएएमएआई ने गूगल की कार्रवाई की निंदा की है। उन्होंने इस कार्रवाई को अनुचित माना है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार गूगल और एप्स के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सकती है।
जेमिनि के कारण विवादों में रहा गूगल
कुछ दिनों पहले गूगल के चैटबॉट जेमिनी को लेकर भी विवाद हुआ था। एक यूजर ने गूगल के एआई चैटटूल जेमिनी से पूछा था कि क्या नरेंद्र मोदी फासीवादी हैं? इस सवाल के जवाब में जेमिनी ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता हैं। उन पर ऐसी नीतियां लागू करने का आरोप लगाया गया है। कुछ विशेषज्ञों ने इसे फासीवादी बताया है। ये आरोप कई पहलूओं पर आधारित हैं। इसमें भाजपा की हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा भी शामिल है।’ गूगल जेमिनी पर पक्षपात का भी आरोप लगा है, क्योंकि जेमिनी ने मोदी को फासीवादी कहा, जबकि यही सवाल जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप औ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बारे में पूछा गया तो उसने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
Border Dispute: जयशंकर बोले- चीन को सीमा प्रबंधन समझौता का पालन करना चाहिए, कांग्रेस पर साधा निशाना
रायसीना डायलॉग के बातचीत सत्र में एस जयशंकर।
– फोटो : एक्स/डॉ. एस जयशंकर
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लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा तनाव काफी पुराना है। इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि चीन को सीमा प्रबंधन समझौतों का पालन करना चाहिए। भारत-चीन संबंधों में सुधार के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति होनी चाहिए। मोदी सरकार सीमा पर बुनियादी सुविधा को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके अलावा, जयशंकर ने राष्ट्रीय शक्ति के विकास को अधिक महत्वपूर्ण बताया है।
सीमा क्षेत्रों में पहले के मुकाबले कहीं अधिक काम हुआ
थिंकटैंक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों का उतना प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं किया, जितना अधिक किया जा सकता था। शक्तियां संतुलन बनाती हैं। शक्तियां जमीन पर रहती हैं। फैंसी बयानों से कुछ नहीं होता। सरकारों को कठिन काम करना पड़ता है। संसाधन लगाना होता है। सिस्टम को आगे बढ़ाना होता है। जमीन पर काम करना होता है। निगरानी करना पड़ता है। मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में सीमा पर बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि चीन सीमा क्षेत्रों पर 2014 तक हमारी बजटीय प्रतिबद्धता 4000 करोड़ रुपये से कम थी। लेकिन आज यह साढ़े तीन या चार गुना अधिक है। सीमा पर सड़कों, सुरंगों और पुलों के निर्माण में तेजी से वृद्धि हुई है। अगर 10 साल में ऐसा किया जा सकता है तो पहले क्यों नहीं किया गया।
यह है चीन सीमा विवाद
मई 2020 में चीन की सैन्य घुसपैठ के चलते गलवान घाटी में विवाद बढ़ा, जो दशकों में भारत और चीन के बीच सबसे गंभीर सैन्य विवाद था। चीनी सेना के मुताबिक, दोनों पक्ष अब तक चार बिंदुओं गलवान घाटी, पैंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग्स और जियानान दबन (गोगरा) पर पीछे हटने पर सहमत हुए हैं, जिससे सीमा पर तनाव कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन देपसांग और डेमचोक में एक समान समझौते पर पहुंचने को लेकर बातचीत में गतिरोध आ गया, जहां भारतीय पक्ष ने दो लंबित मुद्दों के समाधान के लिए दबाव डाला।
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Army: सेना प्रमुख बोले- देश की सुरक्षा को आउटसोर्स नहीं कर सकते, सैन्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने पर दिया जोर
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे
– फोटो : एएनआई
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देश की सुरक्षा को हम न तो आउटसोर्स कर सकते हैं और न ही हम अपनी सुरक्षा को किसी के उदारता पर निर्भर कर सकते हैं। यह कहना है कि भारतीय थलसेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे का। उन्होंने जोर दिया कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण सैन्य हार्डवेयर में आत्मनिर्भर बनना आवश्यक है।
सेना प्रमुख शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित फर्स्टपोस्ट रक्षा शिखर सम्मेलन में पहुंचे थे। सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल पांडे ने कहा कि देश की सुरक्षा के संरक्षक के रूप में हम अपनी विकास आवश्यकताओं के लिए आयात निर्भरता से पूरी तरह दूर रहने की आवश्यकता से अवगत हैं। भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए हमारी रणनीतिक योजना में यह पहलू महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी और दुनिया भर में चल रहे युद्धों ने सेना की महत्ता समझाई है। संघर्षों ने महत्वपूर्ण सैन्य घटकों के लिए बाहरी निर्भरता का प्रभाव दिखाया है। सैन्य प्रमुख ने कार्यक्रम में कहा कि हमारी रक्षा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर होने की जरूरत है। रक्षा बल भविष्य के लिए तैयार रहेंगे और सेना परिवर्तनों के अनुरूप रहेगी। प्रौद्योगिकियां पारंपरिक युद्ध के तरीके को बदल रहीं हैं।
नौसेना प्रमुख ने भी सेना के आधुनिकरण पर दिया था जोर
नई दिल्ली में आयोजित रायसीन डायलॉग कार्यक्रम में एक दिन पहले नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हाल के सभी संघर्षों में फिर चाहे वह इस्राइल हमास युद्ध हो या यूक्रेन रूस युद्ध, जंग की प्रकृति में बदलाव आया है। इसलिए हमें अब आधुनिक तकनीकों के उपयोग को अपनाने की जरूरत है। तकनीके हाल में काफी अधिक किफायती और सुलभ होती जा रही हैं। हमें अब समुद्री क्षमताओं में निवेश की आवश्यकता है। कार्यक्रम में संयुक्त राज्य अमेरिका के यूएस इंडो पैसिफिक कमांड के कमांडर एडम जॉन सी एक्विलिनो ने कहा कि हमें अपने बल की रक्षा करनी चाहिए। वाणिज्य के मुक्त प्रवाह की रक्षा करनी चाहिए।