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कभी जेमिनी से जुड़ा विवाद हो या फिर कभी प्लेस्टोर से एप्स को हटाने की कार्रवाई, गूगल लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। इन सबके कारण गूगल की काफी निंदा हो रही है। हालांकि, बिलिंग नीति को पूरा करने के बाद गूगल ने कुछ भारतीय एप्स को दोबारा बहाल कर दिए हैं। बावजूद इसके, इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने चिंता जाहिर की है क्योंकि अधिकांश एप अब भी डीलिस्टेड हैं। दरअसल, सेवा शुल्क भुगतान पर विवाद के कारण गूगल ने प्लेस्टोर भारतीय एप्स को हटा दिया था।
सरकार बुला सकती है बैठक
मैट्रिमोनी.कॉम के संस्थापक और सीईओ मुरुगावेल जे का कहना है कि उनके बंगाली मैट्रिमोनी, मराठी मैट्रिमोनी, तमिल मैट्रिमोनी और भारत मैट्रिमोनी सहित आठ एप्स को गूगल ने रविवार को बहाल किया है, वह भी तब जब उन्होंने गूगल की शर्तों को स्वीकार कर लिया। 100 से अधिक ऐप्स अब भी प्ले स्टोर पर बहाल नहीं हुए हैं। सरकार ने बहाली के लिए कंपनी को स्पष्ट निर्देश दिए थे बावजूद इसके गूगल ने एप्स को बहाल नहीं किया है। एक दिन पहले शनिवार को आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया था कि गूगल को हटाना अस्वीकार्य है और स्टार्टअप को सुरक्षा मिलेगी, जिसकी उन्हें जरूरत है। आईएएमएआई ने गूगल की कार्रवाई की निंदा की है। उन्होंने इस कार्रवाई को अनुचित माना है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार गूगल और एप्स के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सकती है।
जेमिनि के कारण विवादों में रहा गूगल
कुछ दिनों पहले गूगल के चैटबॉट जेमिनी को लेकर भी विवाद हुआ था। एक यूजर ने गूगल के एआई चैटटूल जेमिनी से पूछा था कि क्या नरेंद्र मोदी फासीवादी हैं? इस सवाल के जवाब में जेमिनी ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता हैं। उन पर ऐसी नीतियां लागू करने का आरोप लगाया गया है। कुछ विशेषज्ञों ने इसे फासीवादी बताया है। ये आरोप कई पहलूओं पर आधारित हैं। इसमें भाजपा की हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा भी शामिल है।’ गूगल जेमिनी पर पक्षपात का भी आरोप लगा है, क्योंकि जेमिनी ने मोदी को फासीवादी कहा, जबकि यही सवाल जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप औ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बारे में पूछा गया तो उसने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।