<p style="text-align: justify;"><strong>Ramlala Pran Pratishtha:</strong> अयोध्या में श्रीराम मंदिर के उद्घाटन से पहले जम्मू के कई इलाकों को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ स्थल की तरह सजाया जा रहा है, ताकि जो लोग 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जा सकें तो उन्हें जम्मू में ही राममय माहौल मिले. इन इलाकों में भगवान श्रीराम के पोस्टर, बैनर और जगह-जगह झंडे लगाए जा रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">जम्मू के ये इलाके में सुबह और शाम में रामधुन में लीन हो जाते हैं. कई श्रद्धालु हाथों में अलग-अलग वाद्य यंत्र लेकर रामधुन करते हुए निकल पड़ते हैं. ये श्रद्धालु गलियों में जाकर रामधुन गाते हैं, ऐसे में पूरा माहौल भक्तिमय नजर आता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/17/178b1feb96c80506a9cba0cb15a4e2ac1705435777580488_original.jpg" /></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अयोध्यामय हुआ जम्मू!</strong></p>
<p style="text-align: justify;">लोगों का दावा है कि 500 साल बाद ऐसा मौका आया है जब अयोध्या में भव्य <a title="राम मंदिर" href="https://www.abplive.com/topic/ram-mandir" data-type="interlinkingkeywords">राम मंदिर</a> का उद्घाटन होने जा रहा है. ऐसे में अयोध्या से 1200 किलोमीटर दूर जम्मू भी अयोध्यामय हो गया है.</p>
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जम्मू कश्मीर समाचार
सेना के जवानों का LoC के गांवों में न्यू ईयर सेलिब्रेशन, स्थानीय लोगों संग ली चाय की चुस्की
New Year Celebration at LoC: नए साल की पूर्व संध्या पर लोग जश्न में डूबे रहे. रविवार (31 दिसंबर) की आधी रात से नए साल की शुरुआत होने के साथ इसकी धूम पाकिस्तान बॉर्डर से लगी नियंत्रण रेखा पर भी देखी गई. भारतीय सेना के जवानों ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर एलओसी से सटे गांवोंं में उत्सव मनाया. देर रात नियंत्रण रेखा पोस्ट की सुरक्षा और गश्त पर लौटने से पहले जवानों ने स्थानीय लोगों के साथ गर्म चाय की चुस्की ली. साथ ही भोजन और डांस किया. सभी लोगों को नववर्ष की शुभकामनाएं भी दीं.
जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के उरी सेक्टर (Uri sector) में एलओसी के पास बसे चुरुंडा गांव में रविवार को कड़ाके की ठंड के दौरान करीब 4 बजे न्यू ईयर सेलिब्रेशन की शुरुआत हुई. उत्सव के दौरान, सेना और ग्रामीणों ने एक-दूसरे को आश्वस्त किया कि वे सुख-दुख में एक साथ हैं. जब भी नागरिकों को कोई समस्या का सामना करना होता है तो सेना सबसे पहले आगे आती है.
‘समस्या के समय मदद को सबसे पहले आती है सेना’
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता लाल हसन कोहली ने कहा कि जरूरत के समय में नागरिक सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं. नए साल का जश्न कार्यक्रम सेना की ओर से ही आयोजित किया गया था. मैं इसके लिए सेना को बधाई देता हूं और धन्यवाद देता हूं. उन्होंने कहा, ”जब भी हमें किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो सबसे कठिन समय में सेना हमारी मदद के लिए आती है.
‘सेना की वजह से प्रवेश नहीं कर पाता दुश्मन’
कोहली ने कहा कि दुश्मन को हमारे क्षेत्र में प्रवेश नहीं करने देने के लिए स्थानीय लोग सेना के आभारी हैं. हम सभी महत्वपूर्ण दिन सेना के साथ मनाते हैं. गणतंत्र दिवस नजदीक है और फिर अगस्त में हमारा स्वतंत्रता दिवस है. सैनिक गांव में होने वाली शादी समारोह में भी शिरकत करते हैं. हम भाइयों की तरह रहते हैं. उन्होंने कहा कि सेना के साथ हमारा गहरा रिश्ता है और प्रार्थना करते हैं कि यह मजबूत रहे. .
‘घर से दूर रहने वाले सैनिकों को मिलता है जश्न का मौका’
गांव के सरपंच लाल दीन खटाना ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से समस्याओं को दूर करने और आनंद लेने में मदद मिलती है. हम नियंत्रण रेखा (Line of Control) पर जीरो प्वाइंट पर सेना के साथ मिलकर नए साल का जश्न मनाते हैं. यह बहुत अच्छा कार्यक्रम है और हम कामना करते हैं कि यह परंपरा भविष्य में भी बरकरार रहे. घर से दूर रहने वाले सैनिकों को जश्न मनाने का मौका मिलता है.
स्थानीय स्कूल के शिक्षक जहांगीर लतीफ ने एलओसी पर शांतिपूर्ण क्षेत्र 2023 सुनिश्चित करने के लिए सेना के प्रति आभार जताया. उन्होंने उम्मीद जताई कि 2024 शांतिपूर्ण होगा और हम सभी सद्भाव से रहेंगे.
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क्या आर्टिकल 370 को फिर से बहाल करेगी कांग्रेस? abp न्यूज़ के सवाल पर पी चिदंबरम ने कही ये बात
Jammu Kashmir Article 370: जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार की ओर से संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से बरकरार रखा है. केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली 22 याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने सोमवार (11 दिसंबर) को फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस ने असहमति जताई है.
सोमवार को कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अनुच्छेद 370 पर केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम असहमत है. हालांकि, उन्होंने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने और चुनाव करवाने के शीर्ष अदालत के निर्देशों का स्वागत किया.
एबीपी न्यूज के सवाल पर क्या बोले पी चिदंबरम?
उन्होंने एबीपी न्यूज के इस सवाल का भी जवाब दिया कि क्या कांग्रेस अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करेगी? इस सवाल का जवाब देते हुए पी चिदंबरम ने कहा, ”हमने कभी भी अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने की बात नहीं की. हमने उसे हटाने के तरीके का विरोध किया है.”
‘कई मुद्दों का समाधान लेकिन कई सवाल बाकी’
प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिदंबरम ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट का 370 पर जो फैसला आया है, उसने कई महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान किया है लेकिन कई सवाल बाकी हैं. 476 पन्नों का ये फैसला है, इसलिए हमें इसे पढ़ने में समय लगेगा. हम फैसले से असहमत हैं. 370 हटाने का जो तरीका था, हम उसके खिलाफ थे. हमने सीडब्ल्यूसी में प्रस्ताव भी पास किया था.”
हम इस पर पुनर्विचार नहीं करेंगे- अभिषेक मनु सिंघवी
वहीं, पार्टी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट हमारे यहां सर्वोच्च है और उसके फैसले के बाद आज से ये बहस खत्म हो गई है. ये निर्णय अंतिम है. हम इस पर पुनर्विचार नहीं करेंगे.” बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द से जल्द दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर, 2024 की समय सीमा भी तय कर दी है.
‘इस साल सिर्फ 10 युवा हुए हैं आतंकी संगठनों में शामिल’, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी का दावा
Jammu and Kashmir Terrorist Free: जम्मू-कश्मीर में आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ने में सुरक्षा बलों के लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन बड़ा मददगार साबित हुआ है. जम्मू-कश्मीर पुलिस स्थानीय युवाओं को यहां के आतंकवादी समूहों में शामिल होने से करीब-करीब रोकने में कामयाब रही है. पिछले साल के मुकाबले 2023 में सिर्फ 10 लोगों ने विभिन्न आतंकी संगठनों को ज्वाइन किया. साल 2022 में इस तरह का आंकड़ा 110 युवाओं का रिकॉर्ड किया गया था.
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने इन आंकड़ों का खुलासा करते हुए कहा कि पूरे उत्तरी कश्मीर में केवल 4 स्थानीय आतंकवादी सक्रिय थे. पुलिस चाहती है कि सभी स्थानीय आतंकवादी आत्मसमर्पण कर दें, क्योंकि उनकी हत्याओं से किसी को मदद नहीं मिलेगी.
‘आतंकवादियों को मारकर नहीं मिलती खुशी’
दिलबाग सिंह ने कहा, ‘आतंकवादियों के भी परिवार होते हैं और ऐसी हत्याओं से सुरक्षा बलों को कोई खुशी नहीं मिलती है.’ डीजीपी दिलबाग सिंह ने सुरक्षा स्थिति का जायजा लेने के लिए उत्तरी कश्मीर का दौरा किया था. उन्होंने कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में माता बद्रकाली मंदिर में पूजा-अर्चना भी की.
‘शांति का रास्ता छोड़ने वाले आतंकी वापस सामान्य जीवन जीने को हथियार छोड़ें’
उन्होंने कहा, ‘हम यह कहना चाहते है कि ऐसा नहीं है कि हमें आतंकवादियों की मौत पर खुशी होती है. वे भी एक परिवार से हैं. हम चाहते हैं कि अगर किसी ने शांति का रास्ता छोड़ दिया है तो उसे वापस आना चाहिए और सामान्य जीवन जीने के लिए अपने हथियार छोड़ देना चाहिए.’ डीजीपी ने कहा कि पिछले 5 सालों में जम्मू-कश्मीर की स्थिति में बड़ा बदलाव आया है.
‘पूरे जम्मू-कश्मीर पर आफत बनकर टूटा आतंकवाद खत्म’
उन्होंने कहा कि आतंकवाद, जो पूरे जम्मू-कश्मीर पर आफत बनकर टूटा था. करीब खत्म हो चुका है और जो भी अवशेष बचे हैं, उनको जल्द ही खत्म कर दिया जाएगा. डर का माहौल खत्म हो गया है और सभी उम्र के लोग स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं. आज हमारे पास शांति और खुशी का समय है.
‘उत्तरी कश्मीर आतंकवाद से मुक्त, नहीं कोई सक्रिय आतंकवादी’
उन्होंने कहा, ‘उत्तरी कश्मीर लगभग आतंकवाद से मुक्त हो गया है. वहां कोई सक्रिय आतंकवादी नहीं है, लेकिन कुछ आतंकवादी हैं जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं. उनका भी सफाया कर दिया जाएगा.’ उन्होंने आशा व्यक्त की कि केंद्र शासित प्रदेश में नई शांति बनी रहेगी.
‘नशीले पदार्थों के मार्ग के रूप में इस्तेमाल हो रहा कुपवाड़ा जिला’
डीजीपी सिंह ने कहा कि कुपवाड़ा जिले का मुद्दा नशीले पदार्थों के मार्ग के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने जिले के लोगों से इस प्रथा से होने वाले नुकसान को पहचानने की अपील की. उन्होंने यह भी कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिले के लोग इसमें शामिल हैं. उन्हें अपने कार्यों पर पुनर्विचार करना चाहिए और शांतिपूर्ण जीवन के लिए इन मार्गों को बंद करने के लिए स्वयं कदम उठाना चाहिए.
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जम्मू-कश्मीर में हर समय तैनात रहती है सेना, आतंकियों से लोहा लेने के लिए बनी है ये स्पेशल बटालियन
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सेना और पुलिस के अधिकारियों की शहादत के बाद पूरा देश गुस्से में है। लोग सेना और सरकार से आतंकियों और आतंक के पालनहारों को तगड़ा सबक सिखाने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले भारत कई बार ऐसे हमलों के बाद आतंकियों के आकाओं को सबक सिखा चुका है। इस बार भी यही मांग की जा रही है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर सामरिक लिहाज से भारत के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण राज्य है। यहां हर वक्त सेना समेत कई सुरक्षाबल तैनात रहते हैं। तो आइए इस लेख में जानते हैं कि घाटी में सुरक्षा के लिए कौन-कौन से बल तैनात हैं-
भारत के सिरमौर कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर 42,241 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। राज्य को जम्मू और कश्मीर डिवीजन में बांटा गया है और यहां कुल 20 जिले हैं। सुरक्षा के लिहाज से कश्मीर क्षेत्र बेहद ही संवेदनशील माना जाता है। यहां सुरक्षा के लिए सेनाओं के अलावा कई अर्धसैनिक बल भी हर समय मुस्तैद रहते हैं। सरकार ने यहां भारतीय थल सेना की कई टुकड़ियों को तैनात किया हुआ है। जिसमें से मुख्य राष्ट्रीय रायफल्स होती है। यह एक आतंकवाद विरोधी / राजद्रोह विरोधी बल है जो राष्ट्रीय राइफल्स में सेवारत भारतीय सेना के अन्य भागों से प्रतिनियुक्त सैनिकों से बना है। RR के आधे जवान थल सेना से आते हैं और भारतीय सेना के बाकी हिस्सों से होते हैं। यह बल जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया है। इसके अलावा घाटी में जम्मू-कश्मीर रायफल्स की भी टुकडियां तैनात हैं। राष्ट्रीय राइफल्स (RR) भारतीय सेना की सबसे बहादुर यूनिटों में से एक है, यह सबसे खास इसलिए है, क्योंकि ये सेना की एकमात्र ऐसी बटालियन है, जिसमें इंफेंट्री, आर्टिलरी, आर्म्ड, सिग्नल से लेकर इंजीनियर तक सब सैनिक एक साथ एक ही लक्ष्य यानी आतंक के सफाए के लिए काम करते हैं।
जम्मू-कश्मीर में हर समय तैनात रहती है सेना
घाटी में वायुसेना और जल सेना भी है तैनात
इसके साथ ही घाटी में भारतीय वायुसेना भी हर समय तैनात रहती है। वायुसेना की घाटी में पहली बार तैनाती पाकिस्तान के साथ 1947-48 के युद्ध के दौरान की गई थी। वायुसेना का मुख्य काम थल सेना को हवाई सहायता तथा हवाई सीमाओं की सुरक्षा होता है। इसके साथ ही वायुसेना की कुछ बटालियन राष्ट्रीय रायफल्स में भी अपनी सेवाएं देती हैं। इसके साथ ही घाटी में वायुसेना के गरुड़ कमांडों आतंकियों के काल माने जाते हैं। यह भी सेना की चिनार कोर और राष्ट्रीय राइफल्स से जुड़े होते हैं। थल सेना और वायुसेना के अलावा जम्मू-कश्मीर में जल सेना की भी तैनाती की जाती है। मार्कोस कमांडो जम्मू और कश्मीर में सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं, उनकी प्रमुख भूमिकाओं में से एक वुलर झील की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। साल 2018 के बाद से, MARCOS को सशस्त्र बल विशेष संचालन प्रभाग के हिस्से के रूप में इस क्षेत्र में तैनात किया गया था।
सेना के अलावा अर्धसैनिक बल भी तैनात
इसके अलावा घाटी में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के अंदर आने वाली सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), सशस्त्र सीमा बल (SSB) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवान तैनात रहते हैं। CRPF की 26 से ज्यादा बटालियनों के पास कश्मीर क्षेत्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी है। इसके अलावा बीएसफ के पास शांतिकाल के दौरान सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। वहीं CISF के पास राज्य की औद्योगिक संस्थानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।
कश्मीर पुलिस का स्पेशल ग्रुप भी रहता है मुस्तैद
इसके अलावा घाटी में जम्मू और कश्मीर पुलिस स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) भी तैनात है। यह 1990 के दशक की शुरुआत में बनाया गया था। कश्मीर के प्रत्येक जिले में जिले में आतंकवाद की मात्रा के अनुसार अलग-अलग ताकत वाली कई एसओजी इकाइयां हैं। प्रत्येक इकाई का नेतृत्व एक पुलिस उपाधीक्षक करता है। कुलगाम, अनंतनाग, शोपियां और पुलवामा सबसे अधिक एसओजी इकाइयों वाले जिले हैं।
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