रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे ने वंदे भारत ट्रेनों के निर्यात पर काम पहले ही करना शुरू कर दिया है। देश की ओर से पहला निर्यात अगले 5 वर्षों में किए जाने की पूरी उम्मीद है।
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अश्विनी वैष्णव
कब तक दौड़ेगी देश की पहली बुलेट ट्रेन? रेल मंत्री ने बताई तारीख; बोले- उद्धव ठाकरे ने लटकाया
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना की रफ्तार धीमी होने के लिए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने महाराष्ट्र की तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि ठाकरे सरकार अगर इसकी शीघ्र ही अनुमति दे दी होती, तो देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना में अब तक काफी प्रगति हो चुकी होती। उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन चलने से आर्थिक प्रगति होगी।
बुलेट ट्रेन परियोजना कार्य का निरीक्षण करते समय वैष्णव ने कहा कि मुंबई और अहमदाबाद के बीच 508 किलोमीटर लंबे गलियारे पर सूरत-बिलिमोरा खंड जुलाई-अगस्त 2026 तक चालू हो सकता है। उन्होंने कहा, इसके बाद अन्य खंड पर एक के बाद एक संचालन शुरू होगा। उन्होंने यह भी बताया कि बुलेट ट्रेन कॉरिडोर में ‘सीमित स्टॉप’ और ‘ऑल स्टॉप’ सेवाएं होंगी।
रेल मंत्री ने कहा कि सीमित स्टॉप वाली ट्रेनें मुंबई और अहमदाबाद के बीच की दूरी केवल दो घंटे में तय करेंगी, जबकि अन्य सेवा में लगभग 2 घंटे 45 मिनट लगेंगे। इस परियोजना के तहत कुल 12 स्टेशन होंगे। इसे नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
रेल मंत्री वैष्णव ने कहा, “अगर तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार ने सभी अनुमतियां तेजी से दी होतीं, तो यह परियोजना अब तक काफी आगे बढ़ चुकी होती।” उन्होंने कहा कि जैसे ही राज्य में एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फड़णवीस (शिवसेना-भाजपा) सरकार बनी, 10 दिन में अनुमतियां दे दी गईं।
साल 2022 में शिंदे के विद्रोह के बाद शिवसेना विभाजित हो गई थी, जिसके चलते उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई थी। इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने, तथा देवेंद्र फड़णवीस ने उपमुख्यमंत्री का पदभार संभाला।
अश्लिनी वैष्णव ने कहा कि दुर्भाग्य से ठाकरे सरकार ने इस परियोजना में बहुत देरी की, लेकिन वे अब इसकी भरपाई करने की कोशिश करेंगे।
अश्विनी वैष्णव ने अफवाहों पर लगाया विराम, कहा- ‘मैं बालासोर सीट से नहीं लडूंगा चुनाव’
नई दिल्ली: केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह ओडिशा की बालासोर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। उनके हालिया दौरे के बाद इन अटकलों को और भी बल मिला था। वहीं अब रविवार को उन्होंने इन अफवाहों पर विराम लगते हुए कहा कि वह ओडिशा की बालासोर सीट से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
वैष्णव रह चुके हैं बालासोर के कलेक्टर
गौरतलब है कि अटकलें लगाई जा रही थीं कि बीजेपी राज्यसभा सांसद वैष्णव को लोकसभा चुनाव में बालासोर सीट से मैदान में उतार सकती है। वह एक आईएएस अधिकारी के रूप में बालासोर के जिला कलेक्टर थे। उन्होंने मौजूदा भाजपा सांसद प्रताप सारंगी का जिक्र करते हुए संवाददाताओं से कहा, “मैं बालासोर से चुनाव नहीं लड़ूंगा। हमारे यहां प्रताप ‘नाना’ हैं।”
अश्विनी वैष्णव अभी ओडिशा से ही राज्यसभा सांसद हैं
बता दें कि अश्विनी वैष्णव अभी ओडिशा से ही राज्यसभा सांसद हैं। वह पिछले कुछ समय से राज्य में एक्टिव थे। जिसके बाद उनके यहां से लोकसभा चुनाव लड़ने की बात चलने लगी थी। पिछले हफ्ते, जब श्री वैष्णव ने कटक जिले का दौरा किया, तो उन्होंने इस संभावना से इनकार नहीं किया कि भाजपा उन्हें लोकसभा चुनाव में कटक सीट से मैदान में उतार सकती है। रविवार को जब पत्रकारों ने दोबारा इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, “मैं पार्टी का अनुशासित कार्यकर्ता हूं और पार्टी मुझे जो भी काम सौंपती है, मैं उसे पूरा करता हूं। हाल ही में पार्टी ने मुझसे मध्य प्रदेश चुनाव में काम करने को कहा, जो मैंने किया।”
राजस्थान के सीएम के लिए भी चला था नाम
वहीं राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद खबर आई थी कि उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। माना जा रहा था कि पार्टी किसी नए और आलाकमान के भरोसेमंद चेहरे को मौका देना चाहती है। इस लिहाज से अश्विनी वैष्णव का भी नाम सामने आया था। हालांकि यह भी केवल अफवाह साबित हुई थी और बीजेपी आलाकमान ने राज्य की कमान भजनलाल शर्मा को सौंप दी थी।
138 साल पुराने कानून की जगह लेगा दूरसंचार विधेयक 2023, संसद से हुआ पास
नई दिल्लीः देश में 138 साल पुराने टेलीग्राफ अधिनियम को निरस्त कर नया कानून बनाने के लिए लाए गए दूरसंचार विधेयक 2023 को संसद ने बृहस्पतिवार को मंजूरी प्रदान कर दी। राज्यसभा ने बृहस्पतिवार को इस विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे एक दिन पहले ही पारित कर चुकी है। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत का दूरसंचार क्षेत्र बहुत कठिनाई वाले दौर में था लेकिन पिछले साढ़े नौ वर्षों में इसे वहां से बाहर लाया गया है। उन्होंने कहा कि पहले इस क्षेत्र पर घोटालों की कालिख लगती थी लेकिन आज यह उदीयमान क्षेत्र बना है।
नए विधेयक में किए गए हैं कई सुधार
उन्होंने कहा कि भारत में दूरसंचार की सुविधा देने वाले टावरों की संख्या बढ़कर 25 लाख हो गई है जो 2014 में छह लाख थी जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दूरसंचार क्षेत्र के प्रति विश्वास को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि ब्रॉडबैंड उपयोगकर्ता पहले डेढ़ करोड़ थे जो आज 85 करोड़ हो गए है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की नीतियों के कारण दुनिया में सबसे तेज गति से 5जी यहां लागू किया गया और इसके लिए जिन उपकरणों का इस्तेमाल किया गया वह भारत में बने हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में कई सुधारों को जारी रखा गया है और इसके द्वारा इस क्षेत्र में एक व्यापक परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया है।
कानून का उल्लंघन करने पर जेल की सजा
इस विधेयक में उपभोक्ताओं को केंद्र में रखकर और उनके हितों को ध्यान में रखकर कानून में प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति फर्जी तरीके से सिम हासिल करता है तो इसके लिए तीन साल की सजा और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना रखा गया है। इसी तरह के प्रावधान फोन नंबरों के अन्य दुरुपयोगों के लिए किए गए हैं।
138 साल पुराना कानून हुआ खत्म
करीब 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की जगह लेने जा रहे दूरसंचार विधेयक 2023 में सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से किसी भी देश या व्यक्ति के टेलीकॉम सेवा से जुड़े उपकरणों को निलंबित या प्रतिबंधित करने का दिया गया है। यह नया विधेयक भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम 1950 की जगह लेगा। विधेयक के अनुसार, यदि कोई राष्ट्रीय सुरक्षा, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के हित के खिलाफ किसी भी तरह से काम करता है और अवैध रूप से दूरसंचार उपकरणों का उपयोग करता है, तो उसे तीन साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सकती है या दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है या दोनों सजा दी जा सकती हैं।
केंद्र कर सकती है कार्रवाई
विधेयक में कहा गया है कि यदि केंद्र सरकार उचित समझती है तो ऐसे व्यक्ति की दूरसंचार सेवा निलंबित या समाप्त भी कर सकती है। इसके साथ ही कोई भी महत्वपूर्ण दूरसंचार बुनियादी ढांचे के अलावा दूरसंचार नेटवर्क को नुकसान पहुंचाता है, वह नुकसान के एवज में मुआवजे और 50 लाख रुपये तक के जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा। विधेयक में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत कोई भी अधिकारी किसी भी इमारत, वाहन, जहाज, विमान या स्थान की तलाशी ले सकता है, जहां उसे कोई अनधिकृत दूरसंचार नेटवर्क या दूरसंचार उपकरण या रेडियो उपकरण रखने या छिपाये जाने का भरोसा हो।
विधेयक के अनुसार, अधिकृत व्यक्ति इस तरह के उपकरण को अपने कब्जे में ले सकता है। साथ ही आपात स्थिति में मोबाइल सेवाओं और नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाने के लिए भी विधेयक में प्रावधान किया गया है। नये विधेयक में उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए गैर नीलामी मार्ग प्रदान करने का भी प्रावधान है। विधेयक में उपभोक्ताओं को सिम कार्ड जारी करने से पहले अनिवार्य रूप से उनकी बायोमेट्रिक पहचान करने को कहा गया है।
(इनपुट-भाषा)
अगले पांच साल में पटरियों पर उतरेंगी 3 हजार से ज्यादा नई ट्रेनें- रेल मंत्री
नई दिल्ली: पिछले कुछ वर्षों से भारतीय रेलवे में विकास की एक नई इबारत लिख रहा है। कई किलोमीटर की नई रेल पटरियां बिछाई गईं। कई नई ट्रेनें शुरू हुई हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन जैसी विश्व प्रसिद्ध भी इन्हीं कुछ वर्षों में पटरियों पर दौड़ी हैं। अब अगले पांच वर्ष रेलवे और भी हजारों ट्रेनें दौड़ाने की योजना बना रहा है। योजना के अनुसार, रेलवे अगले पांच सालों में तीन हजार से ज्यादा ट्रेनें दौड़ाने का प्लान बना रहा है।
तीन हजार नई ट्रेनें शुरू करने की योजना पर काम कर रहा रेलवे
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बृहस्पतिवार को कहा कि रेलवे की मौजूदा यात्री क्षमता को 800 करोड़ से बढ़ाकर एक हजार करोड़ करने के लिए वह अगले चार-पांच वर्षों में तीन हजार नई ट्रेनें शुरू करने की योजना पर काम कर रहे हैं। वैष्णव ने यह भी कहा कि यात्रा का समय कम करना उनके मंत्रालय का एक और महत्वपूर्ण लक्ष्य है। वैष्णव ने कहा, ”वर्तमान में लगभग 800 करोड़ यात्री सालाना रेलवे का सफर कर रहे हैं। हमें चार से पांच साल में इस क्षमता को बढ़ाकर एक हजार करोड़ करना होगा क्योंकि जनसंख्या बढ़ रही है।”
‘यात्रियों की इस बढ़ी हुई संख्या को सहूलियत देने में मदद करेंगी’
उन्होंने कहा, “इसके लिए हमें तीन हजार अतिरिक्त ट्रेनों की जरूरत है, जो यात्रियों की इस बढ़ी हुई संख्या को सहूलियत देने में मदद करेंगी।” रेलवे सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल 69 हजार नए कोच उपलब्ध हैं और हर साल रेलवे करीब पांच हजार नए कोच बना रहा है। सूत्रों ने कहा कि इन सभी प्रयासों से रेलवे हर साल 200 से 250 नयी ट्रेनें ला सकता है, जो 400 से 450 वंदे भारत ट्रेनों से अलग हैं। ये ट्रेनें आने वाले वर्षों में रेलवे से जुड़ने जा रही हैं। वैष्णव ने कहा कि यात्रा का समय कम करना रेलवे के लिए एक और लक्ष्य है, जिसके लिए मंत्रालय ट्रेनों की गति में सुधार और रेल नेटवर्क का विस्तार करने पर काम कर रहा है।
‘ हर साल लगभग पांच हजार किलोमीटर ट्रैक बिछाए जा रहे’
वैष्णव ने कहा कि रेलवे की क्षमता को और बढ़ाने के लिए हर साल लगभग पांच हजार किलोमीटर ट्रैक बिछाए जा रहे हैं। वैष्णव ने कहा, ”एक हजार से अधिक फ्लाईओवर व अंडरपास को भी मंजूरी प्रदान की गई है और कई स्थानों पर काम शुरू हो चुका है। पिछले साल, हमने 1,002 फ्लाईओवर और अंडरपास का निर्माण किया था और इस साल हमारा लक्ष्य इस संख्या को बढ़ाकर 1,200 करना है।”