गोवा में चूड़ी और मोती बेचने वाली एक महिला का वीडियो खूब वायरल हो रहा है। यह महिला बिना कहीं अटके अंग्रेजी में गोवा के बारे में बताती नजर आ रही है।
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इतने पास से प्लेन को लैंड करते हुए कभी नहीं देखा होगा आपने, Video देख लोगों को नहीं हो रहा अपनी आंखों पर यकीन – India TV Hindi
प्लेन को लैंड कराना बहुत ही मुश्किल काम होता है। इस वक्त पायलट बहुत ही सतर्क और सावधान रहते हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर विमान की लैंडिंग का ये वीडियो सबको हैरत में डाल दिया है। दरअसल, विमान सड़क के इतने करीब से लैंड करती है कि ऐसी अनोखी लैंडिंग आपने कभी नहीं देखी होगी। वीडियो में आप देखेंगे कि व्यस्त सड़क के ठीक बगल एयरपोर्ट बना हुआ है। इस शॉकिंग वीडियो को लोग खूब पसंद भी कर रहे हैं।
ऐसा वीडियो पहले कभी नहीं देखा होगा
वायरल हो रहे इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि सड़क पर खड़ी गाड़ियों के ठीक ऊपर से एक फ्लाइट धीमे-धीमे कर के एयरपोर्ट पर लैंड कर रहा है। लैंड कर रहा प्लेन ब्रिटिश एयरवेज का है। वीडियो देखकर ऐसा लग रहा है कि माने विमान सड़क पर ही उतर जाएगी लेकिन कुछ सेकेंड बाद ही आपको फ्लाइट रनवे पर दौड़ते हुए नजर आएगी। इतनी धीरे और सावधानी से फ्लाइट को लैंड करते आपने कभी नहीं देखा होगा।
वीडियो को मिले 15 मिलियन व्यूज
वीडियो को सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म एक्स पर @ThebestFigen नाम की यूजर ने शेयर किया है। जिसे खबर लिखे जाने तक 15 मिलियन व्यूज 2 मिलियन लाइक्स मिल चुके हैं। जबकि तमाम लोगों ने इस वीडियो पर अपना रिएक्शन दिया है। कई लोगों ने वीडियो देख कहा कि ये वीडियो सही नहीं है। कई लोगों ने प्लेन को लैंड कराने वाले पायलट की खूब तारीफ की। वहीं, कई यूजर्स इस वीडियो को फेक बताया है। इस वीडियो पर आपके क्या विचार हैं हमें कमेंट कर जरूर बताएं।
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क्या सांवरिया सेठ मंदिर ने राम मंदिर निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये का दान दिया? जानें सच
निर्णय [ असत्य ]
- वायरल पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर 10 जनवरी की है, जब राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में सांवरिया सेठ मंदिर की दान पेटी खोली गई थी.
दावा क्या है?
अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों के बीच रोजाना नए दावे सोशल मीडिया सामने आ रहे हैं. इन दिनों राम मंदिर निर्माण के लिए दान से जुड़ी एक तस्वीर वायरल हो रही है. इसमें कुछ लोग नोटों के बंडल के सामने बैठे नजर आ रहे हैं. इस तस्वीर को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि सांवरिया सेठ मंदिर मंडफिया ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये का दान दिया है.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) और फेसबुक पर तस्वीर के साथ इस दावे को खूब हवा दी जा रही है. इन पोस्ट्स के आर्काइव वर्जन यहां, यहां, यहां, और यहां देखा जा सकता है.
वायरल पोस्ट के स्क्रीनशॉट (सोर्स: एक्स, फ़ेसबुक/स्क्रीनशॉट)
हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित सांवरिया सेठ मंदिर ने राम मंदिर निर्माण के लिए ₹50 करोड़ का दान नहीं दिया है. यह तस्वीर 10 जनवरी को तब ली गई थी जब सांवरिया सेठ मंदिर की दान पेटी खोली गई थी.
हमें सच्चाई कैसे पता चली?
हमने रिवर्स इमेज सर्च के जरिये तस्वीर की खोज की, तो यह हमें 10 जनवरी, 2024, को प्रकाशित एनडीटीवी राजस्थान की एक रिपोर्ट में बतौर कवर इमेज मिली.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्थान के चित्तौड़गढ़ स्थित श्री सांवरिया सेठ मंदिर की दान पेटी से हर महीने करोड़ों का दान निकलता है. इस महीने भी जब दान पेटी खोली गई तो करोड़ों रुपये निकले. इस महीने गिनती के पहले दिन में ₹6 करोड़ से ज्यादा नोट जारी किए गए हैं.
एनडीटीवी राजस्थान रिपोर्ट में मौजूद वायरल तस्वीर (सोर्स: एनडीटीवी/स्क्रीनशॉट)
14 जनवरी को एनडीटीवी राजस्थान की एक अन्य रिपोर्ट में यह रकम ₹10 करोड़ 63 लाख से ज्यादा बताई गई है. इसके अलावा, एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट में भी वायरल तस्वीर से मिलती-जुलती एक तस्वीर मौजूद है.
इन रिपोर्ट्स में कहीं भी सांवरिया सेठ मंदिर द्वारा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए दिए गए दान का जिक्र नहीं है.
क्या सांवरिया सेठ मंदिर ने राम मंदिर निर्माण के लिए दिए 50 करोड़?
इसके बाद हमने सांवरिया सेठ मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी नंद किशोर टेलर से संपर्क किया और उनसे वायरल दावे के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, “यह फेक न्यूज है. हमारे ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर को ऐसा कोई दान नहीं दिया गया है. किसी ने ये फेक न्यूज फैलाई है.” जब हमने उनसे वायरल तस्वीर के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि मंदिर की दान पेटी हर महीने खोली जाती है. इसे अभी 10 जनवरी को खोला गया था. तभी ये तस्वीर ली गई.
इस मामले को लेकर हमने अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल से भी संपर्क किया. उन्होंने ऐसे किसी भी दान के बारे में स्वतंत्र जानकारी रखने में असमर्थता जताते हुए कहा, “ऑनलाइन और तीर्थ क्षेत्र जाकर दान दिया जा सकता है. किसने कितना दान दिया इसकी कोई सूची नहीं है. यह सारा काम ऑडिट के समय होता है, जो साल में और 6 महीने में होता है.”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले तीन सालों में मंदिर ट्रस्ट को लगभग ₹5,000 करोड़ तक का दान मिल चुका है. ट्रस्ट ने मंदिर के निर्माण के लिए एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं.
निर्णय
हमारी जांच से यह स्पष्ट होता है कि राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित सांवरिया सेठ मंदिर ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए ₹50 करोड़ दान देने का दावा गलत है. इसके साथ शेयर की गई नोटों के बंडल की तस्वीर तब क्लिक की गई थी जब सांवरिया सेठ की दान पेटी खोली गई थी. इसका राम मंदिर से कोई संबंध नहीं है. इसलिए हम वायरल दावे को गलत मानते हैं.
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.
जॉब के लिए इजरायल जाने वालों की बढ़ी मुसीबत, सरकार के इस कदम के खिलाफ कामगार जाएंगे कोर्ट
Job in Israel: अगर आप इजरायल में नौकरी करने के लिए जाने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है. इजरायल में बड़ी मात्रा में कामगारों की भर्ती निकली है. इस संबंध में एक विज्ञापन भी जारी हुआ है, लेकिन बड़ी बात ये है कि इजरायल जाने वाले भारतीय कामगार सरकार के ‘ई-माइग्रेट’ पोर्टल के तहत प्रोटेक्शन (सुरक्षा) के पात्र नहीं होंगे. उन्हें अपनी यात्रा, घर, बीमा के लिए खुद ही भुगतान करना होगा.
वहीं, कार्यकर्ताओं और ट्रेड यूनियनों का कहना है कि केंद्र सरकार उन सभी सुरक्षा को दरकिनार कर रही है जो वह आम तौर पर संघर्ष क्षेत्रों में विदेश जाने वाले भारतीय श्रमिकों के लिए करती है. वास्तव में, इन श्रमिकों को विदेश मंत्रालय (एमईए) की ओर से चलने वाली ‘ई-माइग्रेट’ पोर्टल पर खुद को रजिस्टर्ड करना जरूरी नहीं होगा. कई सरकारी मंत्रालयों और एजेंसियों ने श्रमिकों के कल्याण और सुरक्षा के लिए किसी भी जिम्मेदारी से इनकार कर दिया है.
AITUC ने केंद्र के इस कदम को बताया अमानवीय
वहीं, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) की ओर से श्रमिकों के लिए जारी एक डिटेल डॉक्युमेंट्स के बाद वर्कर्स अदालतों का रुख करने की योजना बना रहे हैं. इस कदम को अमानवीय बताते हुए ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) ने चेतावनी दी है कि गाजा और वेस्ट बैंक में इजरायली कार्रवाई जारी रहने के बावजूद भारतीय कंस्ट्रक्शन वर्कर्स, नर्सों और देखभाल करने वालों की भर्ती में तेजी लाने का सरकार का फैसला उन्हें नुकसान पहुंचाएगा.
सैलरी से ज्यादा मजदूरों का होगा खर्चा
हाल ही में सरकार ने इजरायल के लिए जो वैकेंसी निकाली है उसमें बेशक ज्यादा और आकर्षक वेतन नजर आता हो, लेकिन इसमें मजदूरों के कॉन्ट्रैक्चुअल सुरक्षा की कोई जानकारी नहीं है. एआईटीयूसी का कहना है कि नए नियम के बाद एनएसडीसी को सुविधा शुल्क के रूप में ₹10,000 रुपये देने के अलावा, श्रमिकों से इजरायल के लिए अपने टिकट के लिए पेमेंट करने की भी अपेक्षा की जाएगी.
इजरायल ‘ई-माइग्रेट’ का हिस्सा नहीं
वर्तमान में, अगर देश से कोई श्रमिक संघर्ष क्षेत्रों या पर्याप्त श्रम सुरक्षा के बिना दूसरे देश जाता है तो विदेश मंत्रालय के ‘ई-माइग्रेट’ पोर्टल पर इन श्रमिकों का पंजीकरण कराना आवश्यक है. इसी से उन्हें सरकार से सुरक्षा मिलती है. ईसीआर (उत्प्रवास जांच आवश्यक) योजना के तहत जारी किए गए पासपोर्ट अफगानिस्तान, बहरीन, इंडोनेशिया, इराक, जॉर्डन, सऊदी अरब, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, ओमान, कतर, दक्षिण सूडान, सूडान, सीरिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और यमन सहित 18 देशों की यात्रा करने वाले श्रमिकों को कवर करते हैं. मौजूदा संघर्ष में विदेशी कामगारों की मौत के बावजूद सरकार ने इजरायल को उस सूची में शामिल नहीं किया है.
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हिंदू ‘दोस्त’ का मुस्लिम परिवार ने किया दाह संस्कार, अब अस्थियों को भी करेगा विसर्जित
Inspiring Story: “सात संदूकों में भर कर दफ्न कर दो नफरतें, आज इंसां को मोहब्बत की जरूरत है बहुत…” बशीर बद्र की ये लाइनें केरल के मलप्पुरम जिले में रहने वाले अलीमोन नारानिपुझा पर फिट बैठती हैं. दरअसल, नारानिपुझा ने कुछ ऐसी मिसाल पेश की है जिसकी चर्चा इन हर तरफ हो रही है. नारानिपुझा एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार से आते हैं, लेकिन इनके यहां विथानसेरी राजन (कट्टर हिंदू) 39 वर्षों तक रहे. मंगलवार को जब 62 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गई, तो अलीमोन नारानिपुझा ने हिंदू रीति-रिवाजों से राजन का अंतिम संस्कार किया.
राज्य के मुस्लिम बहुल जिले से धार्मिक सद्भाव की कहानी यहीं खत्म नहीं होती है. राजन के शरीर को एक सार्वजनिक श्मशान में आग के हवाले करने के बाद, एलिमोन अब उसकी राख इकट्ठा करने का इंतजार कर रहे हैं, जिसे वह हिंदू रीति-रिवाज से भरतपुझा नदी में विसर्जित करेंगे. एलिमोन (46) ने कहा, “मैंने राजन का उसके विश्वास के अनुसार अंतिम संस्कार करने के लिए एक पल के लिए अपनी आस्था को किनारे रख दिया.”
4 दशक पहले राजन को लेकर आया था मुस्लिम परिवार
पलक्कड़ के मूल निवासी राजन ने कम उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था. करीब चार दशक पहले जब मलप्पुरम के एक सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय कांग्रेस नेता के. वी. मुहम्मद, पुथनाथनी में सड़क किनारे एक भोजनालय में भोजन के लिए रुके, तो उन्होंने एक गंदे दिखने वाले युवक को देखा. वह भूखा मर रहा था. मुहम्मद ने उसे अपने गांव वापस जाने के लिए भोजन और पैसे की पेशकश की, लेकिन जब राजन रोड पर लक्ष्यहीन होकर चलने लगा, तो मुहम्मद उसके पीछे गए और उसे नन्नामुक्कू में अपने घर ले गए.
राजन ने मुहम्मद के कन्नमचथु वलप्पिल घर में एक नया जीवन शुरू किया. मुहम्मद की छह बेटियां और एक बेटा था. मुहम्मद ने कुछ दिनों बाद राजन को घर वापस भेजने की प्लानिंग की थी, लेकिन उसके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थी और उसकी देखभाल के लिए कोई करीबी रिश्तेदार नहीं थे, इसलिए मुहम्मद ने उसे वहीं रहने दिया. धीरे-धीरे राजन परिवार का सदस्य बन गया.
लोग देते रहे आश्रम भेजने की सलाह, लेकिन नहीं दिया ध्यान
आठ साल बाद मुहम्मद की 65 वर्ष की आयु में मौत हो गई. अलीमोन ने बताया, “जब मेरे पिता की मृत्यु हो गई, तो लोगों ने मुझसे राजन को किसी आश्रम में भेजने को कहा, लेकिन मैं उसे छोड़ने को तैयार नहीं था. मैंने पाया कि उसकी देखभाल करने में पुण्य है जिसे मेरे पिता घर लाए थे.” राजन, शायद ही कभी अपने पैतृक गांव जाते थे, वह मुस्लिम घराने में ही पले-बढ़े. वह मेरे परिवार की घर के काम और उनकी छोटी कृषि भूमि पर मदद करते थे. वहीं जब राजन जब भी अस्पताल में भर्ती हुए, एलिमोन के परिवार के सदस्य उनके साथ खड़े रहे. जैसे ही उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया, स्थानीय लोगों ने परिवार को फिर से उन्हें किसी आश्रम में छोड़ने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने लोगों की बातों पर ध्यान नहीं दिया.
पूरे हिंदू परंपरा से करेंगे सभी कर्म
मंगलवार को दाह संस्कार से पहले राजन के शव को टिमटिमाते दीपक के बगल में लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए घर में रखा गया था. श्मशान घाट पर अलीमोन और उनके भतीजे मोहम्मद रिशान ने चिता को मुखाग्नि दी. उन्होंने कहा, “हम उनकी आत्मा की शांति के लिए हिंदू परंपरा के अनुसार सभी कर्म करेंगे.” उन्होंने बताया कि हम मुस्लिम के रूप में रहते थे और राजन हमारे बीच में एक हिंदू के रूप में रहते थे.
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