निर्देशक किरण राव इन दिनों अपनी फिल्म ‘लापता लेडीज’ को लेकर चर्चा में हैं। फिल्म का ट्रेलर सामने आने के बाद से दर्शकों में इस फिल्म को लेकर उत्साह बढ़ गया है। किरण राव और आमिर खान ने इससे पहले भी कई सफल फिल्मों का निर्माण किया है, लापता लेडिज भी उसी राह पर चलती दिख रही है। ट्रेलर के साथ-साथ दर्शकों को फिल्म के गाने भी खूब पसंद आ रहे हैं। दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद मेकर्स फिल्म के प्रमोशन में जोर-शोर से जुटे हुए हैं। हाल ही में निर्देशक किरण ने फिल्म की कहानी को लेकर कई दिलचस्प खुलासे किए और कहानी का श्रेय आमिर खान को दिया।
फिल्म ‘धोबी घाट’ के निर्देशन के 14 साल बाद किरण राव फिर से ‘लापता लेडीज’ से निर्देशन के क्षेत्र में वापस लौट रही है। एक साक्षात्कार में किरण ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो यह कहानी किसी भी दिशा में जा सकती थी। जब हम इसे लिख रहे थे तो हमने इसका ध्यान रखा कि यह गंभीर मुद्दों को भी छूए। हमारा लक्ष्य दर्शकों का मनोरंजन करना और इस कहानी को मजेदार बनाना था। फिल्म के किरदार प्यारे और वास्तविक हैं। आपको ऐसा लगेगा कि जैसे आप इन लोगों को जानते हैं’।
इस दौरान किरण राव ने फिल्म की कहानी का श्रेय आमिर खान को दिया। उन्होंने बताया कि जब वे फिल्म की कहानी लिख रही थीं, तो कई दिनों तक उन्हें इसके लिए सही आइडिया नहीं मिला था। इसी दौरान आमिर एक कार्यक्रम से घर वापस लौटे थे और उन्होंने मुझे बताया कि कैसे ट्रेन में दो लड़कियों की अदला-बदली होती है। ये लाइन मुझे जम गई। यह मेरे लिए न सिर्फ एक बेहतरीन कहानी थी, बल्कि फिल्म बनाने के लिए एक बेहतरीन मौका भी था’।
अभिनेता, निर्माता आमिर खान अरसे बाद लोगों के सामने मुस्कुराते, खिलखिलाते और बेटी की शादी में रोते भी नजर आए। आमिर का ये बदला रूप उनके प्रशंसकों को भी खूब आकर्षित कर रहा है। अपनी अगली फिल्म ‘सितारे जमीं पर’ की शूटिंग शुरू करने से पहले उन्होंने तमाम मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी।
जुनैद को बनना था लाल सिंह चड्ढा
फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ जिन लोगों को भी पसंद आई, उनसे भी माफी मांगते हुए मैं यही कहना चाहता हूं कि इस फिल्म को बनाने में हमसे कुछ गलतियां हुईं। मैं उन सबसे माफी मांगता हूं। पहली गलती तो यही रही कि इसमें मैंने अपने अभिनय में जरूरत से ज्यादा मेहनत कर दी। कम लोगों को ही पता होगा कि इस फिल्म के लिए मेरे बेटे जुनैद ने जब ऑडिशन दिया था, मैंने ये मान लिया था कि ये किरदार उनसे बेहतर कोई दूसरा नहीं कर सकता। लेकिन, फिल्म ‘फॉरेस्ट गम्प’ का हिंदी अनुकूलन करने वाले अतुल कुलकर्णी और निर्माता आदित्य चोपड़ा की सलाह यही थी कि ये फिल्म मुझे करनी चाहिए। इस फिल्म की विफलता से मेरा दिल टूट गया था। फिर से संभलने में मुझे साल भर का समय लग गया।
मुझे पता था फ्लॉप होगी ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तां’
जहां तक फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तां’ की बात है, मुझे रिलीज से पहले ही आभास हो गया था कि ये फिल्म फ्लॉप हो जाएगी। ये बात मैं अब इसलिए नहीं कह रहा हूं कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली। इस बात का एहसास मुझे फिल्म के पूरा होते होते ही होने लग गया था। मेहनत हम सबने इस फिल्म के लिए भी बहुत की थी। मेरा मानना है कि कोई भी फिल्म अपनी कहानी, अपनी शैली और इसके कलाकारों के अभिनय से कालजयी होती है। आंकड़े बस कुछ महीनों के लिए ही याद रहते हैं।
कालजयी फिल्मों की बात करेंगे तो मैं ‘मुगले आजम’ और ‘गाइड’ जैसी फिल्मों का उदाहरण देना चाहूंगा। ये मुझे समय से परे फिल्में लगती हैं। ‘कागज के फूल’ को मैं इस श्रेणी में नहीं रखता। मेरे हिसाब से ये फिल्म संपूर्ण फिल्म नहीं है। इसकी पटकथा गड़बड़ है। फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ भी मेरे हिसाब से बेदाग फिल्म नहीं है। ये फिल्म टुकड़ों में प्रभावित करती है। गाने इसके कमाल के हैं। इस फिल्म के कलाकारों ने अभिनय भी कमाल का किया है, लेकिन ये एक ‘फॉल्टी’ फिल्म है।
लोग कहते हैं कोरोना संक्रमण काल ने दर्शकों को बदल दिया है। सिनेमा बदल दिया है। अभी लोग एक्शन फिल्में पसंद कर रहे हैं और इसीलिए ‘लाल सिंह चड्ढा’ नहीं चली। मेरे हिसाब से ‘लाल सिंह चड्ढा’ को रिलीज करने का समय सही नहीं रहा। तब तक लोगों को सिनेमाघरों में लौटने की आदत नहीं पड़ी थी। एक्शन फिल्मों का अभी ‘ट्रेंड’ चल रहा है और ‘ट्रेंड’ तो कभी भी बदल सकता है। मेरा मानना है कि दर्शकों को किसी बात में खुशी मिलने का समय बदल गया है। और, ये बात तो मैं शुरू से मानता आ रहा हूं कि फिल्म के कारोबार पर इसकी समीक्षाओं या सोशल मीडिया का खास असर नहीं पड़ता। मेरा मानना रहा है कि दर्शक रिलीज से पहले ही फिल्म को सूंघ लेते हैं।